एक्यूप्रेशर थेरेपी के फायदे और नुकसान
2022-05-25 18:14:37
प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में हजारों नसें, मांशपेशियां, धमनियां और हड्डियां होती हैं। इन सबके के साथ मिलने से शरीर का निर्माण होता है। ऐसा देखा गया है कि कई बार शरीर के कुछ बिंदुओं पर रक्त का संचरण ठीक तरीके से नहीं हो पाता है। जिसे दबाने पर वह पुनः खुल जाते हैं और ठीक तरीके से काम करने लगते हैं। एक्यूप्रेशर थेरेपी (Acupressure therapy) में शरीर के इन्हीं खास बिंदुओं को दबाया जाता है। जिससे बीमारियों का इलाज होता है।
पारंपरिक चीनी उपचार में हजारों वर्षो से एक्यूप्रेशर तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। पर आजकल इस तकनीक का उपयोग पूरे विश्व के लोग कर रहे हैं। जिस तरह से योग में प्राण (जीवन शक्ति) का महत्व होता है। वैसे ही चीनी उपचार में की (Qi), जीवन ऊर्जा का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि शरीर में इन ऊर्जा का प्रवाह कुछ नालिकाओं के माध्यम से होता है, जिन्हे “मेरिडियन” कहते हैं। इस नालिकाओं में रुकावट होना असंतुलन बीमारी (चीनी भाषा में yin और Yang) और दर्द का कारण हो सकता है। एक्यूप्रेशर थेरेपी शरीर की असंतुलन बीमारियों को ठीक करके, जीवन ऊर्जा के प्रवाह में सुधार लाती है। जिससे शरीर अपनी प्राकृतिक स्वस्थ्य अवस्था में आ जाता है।
एक्यूप्रेशर (मर्म चिकित्सा) क्या है?
एक्यूप्रेशर (Acupressure therapy) प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है। जिसे मर्म चिकित्सा के नाम से भी जाना जाता है। सुश्रुत संहिता में इसका उल्लेख मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की रक्तवाहिकाओं और स्नायुतंत्र (Nerve fibers) के सभी नाड़ियो के अंतिम सिरा हाथों और पैरों में हैं। जब सम्बंधित अंग के अंतिम सिरों को दबाने पर हैं तो ऊर्जा का संचार उस अंग तक पहुंच जाता है। परिणामस्वरूप वह अंग प्रभावित होता है और इस क्रिया के बीच का अवरोध दूर हो जाता है।
इस चिकित्सा पद्धति का प्रयोग सिर दर्द, उच्च रक्तचाप, सूजन, जोड़ों का दर्द, मानसिक तनाव, लीवर की समस्या, सीने में भारीपन आदि विकृतियों (बीमारियों) को दूर करने में करते हैं। स्वस्थ्य व्यक्ति भी इस चिकित्सा का उपयोग निरोग रहने के लिए कर सकते हैं।
क्या है एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स?
शरीर में ऐसे अनेक प्रेशर बिंदु होते हैं, जिनका संबंध शरीर के दूसरे भागों से होता है। इन बिंदुओं के माध्यम से शरीर की विभिन्न हिस्सों पर दबाव डालकर बीमारियों का इलाज किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में इन पॉइंट्स को एक्यूप्रेशर पॉइंट्स कहा जाता है।
एक्यूप्रेशर पॉइंट के प्रकार और उनके फायदे;
जोइनिंग द वैली (Acupressure Point L.I. 4)–
हाथों में ये प्वॉइंट अंगूठे और पहली उंगली के बीच की चमड़ी वाली स्थान पर होते हैं। इस स्थान को दबाने से सिर दर्द, गर्दन में दर्द, दांतों का दर्द, कंधे का दर्द, आर्थराइटिस और कब्ज में लाभप्रद होता हैं।
पेरीकार्डियम (Acupressure Point P6)-
ये प्वाइंट हथेलियों से लगभग दो अंगुल नीचे कलाई पर होता है। यहां दबाने से बेचैनी, मोशन सिकनेस, उल्टी, पेट की गड़बड़ी और छाती के दर्द में आराम मिलता है।
थर्ड आई (Eye Point)-
ये प्वाइंट नाक के ऊपर और दोनों आइब्रो (भौंए) के बीच माथे पर होता है। इस स्थान पर दबाने से मानसिक शांति, याददाश्त, तनाव, थकान, आंख में दर्द और नींद की बीमारी में राहत मिलती है।
सी ऑफ़ ट्रंक्वालिटी (CV 17 Acupressure Point)-
इसका स्थान घुटनों के नीचे लगभग चार अंगुल की दूरी पर होता है। इस जगह पर दबाने से इनडाइजेशन, डायरिया, कब्ज़, पेट फूलना, गैस, पेट दर्द जैसी परेशानियों में आराम पहुंचाता है।
कमांडिंग मिडिल–
ये प्वाइंट पैरों में घुटनों के ठीक पीछे होता है। यहां दबाने से पीठ में दर्द, कमर में अकड़न, घुटनों में आर्थराइटिस, बैक और हिप्स के अलावा साइटिका में फायदा होता है।
शेन मैन (Shen Men Point)-
ये प्वाइंट कान के ऊपरी हिस्से में होता हैं। यहां दबाने से स्मोकिंग की लत, तनाव, डिप्रेशन, नींद की बीमारी में फायदा होता है।
सैकरल प्वाइंट्स–
अनेक एक्यूप्रेशर (Acupressure therapy) बिंदु रीढ़ की हड्डी के ठीक नीचे टेल बोन के पास होते हैं। यहां दबाने से साइटिका, लोवर बैक पेन, पीरियड्स की तकलीफ में आराम मिलता होता हैं।
बिगर रशिंग–
इस पॉइंट का स्थान पैरों में अंगूठे और बड़ी उंगली के बीच होता है। यहां दबाने से सिर दर्द, आंखों की थकान, हैंगओवर में फायदा होता है। साथ ही इम्यून सिस्टम भी बेहतर बनता है।
कैसे करें एक्यूप्रेशर?
- सबसे पहले किसी सुविधाजनक स्थान का चयन करें। अब अपनी आखें बंद करके लंबी सांस लें
- उसके बाद एक्यूप्रेशर बिंदु पर धीरे-धीरे दबाते हुए मालिश करें।
- मालिश कितनी बार करें इसका कोई नियम नहीं है। इसलिए अपनी सुविधा अनुसार इसका चयन करें।
- प्रत्येक व्यक्ति इस चिकित्सा का प्रयोग स्वयं कर सकता है और किसी की मदद भी ले सकता है। लेकिन एक्यूप्रेशर (Acupressure therapy) के अच्छे जानकार से मालिश करवाना ज्यादा बेहतर होता है।
एक्यूप्रेशर थेरेपी के नुकसान;
वैसे तो एक्यूप्रेशर चिकित्सा का प्रयोग करने से केवल फायदे होते हैं। लेकिन व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर इसके कुछ दुष्परिणाम भी सामने आये हैं-
- अधिक दबाव देने से शरीर के किसी भी अंग को नुकसान पहुंच सकता है और कम तीव्रता का दबाव दर्द को ठीक करने में असफल साबित हो सकता है।
- गलत स्थान (acupressure point) पर दबाव डालने से जिस बीमारी के लिए एक्यूप्रेशर किया जा रहा है, उसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बल्कि शरीर के अन्य अंग में दर्द हो सकता है।
- गर्भवती महिलाओं को पेट संबंधित एक्यूप्रेशर कराने से बचना चाहिए।
- जख्म, सूजन, घाव होने पर एक्यूप्रेशर नहीं करना चाहिए है। इन स्थानों पर किया गया एक्यूप्रेशर गलत साबित हो सकता है।
- इस चिकित्सा का प्रयोग भोजन, अल्कोहल या नशीले पदार्थों के सेवन के बाद नहीं करना चाहिए।
- ज्यादा पुरानी बीमारी होने पर एक्यूप्रेशर थेरेपी से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।