अरहर (तुअर) दाल के फायदे और नुकसान
2022-08-29 15:24:46
भोजन की थाली में यदि एक कटोरी दाल न रखी हो, तो भोजन अधूरा-सा लगता है। है, खासकर भारतीय भोजन में दाल की अहम भूमिका होती है। इसके अलावा सेहत की दृष्टि से दाल का सेवन करना बेहद जरुरी है। इन्हीं दालों की श्रेणी में ‘अरहर’ या ‘तूर’ की दाल आती है। जिसका सेवन भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी किया जाता है। तूर दाल को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे तमिल में थुवरम परुप्पु, कन्नड़ में तुवरा परुप्पु, कन्नड़ में थोगरी बेले, हिंदी और गुजराती में अरहर की दाल और तेलुगु में कंडिप्पु के नाम से जाना जाता है। लेकिन ऐसा कतई नहीं है कि अरहर की दाल का उपयोग सिर्फ खाने भर तक सीमित है। क्योंकि अरहर कई तरह की शारीरिक समस्याओं को दूर करने में भी मदद करती है। अरहर में तमाम प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट और खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं। जो शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रखने का काम करते हैं। आयुर्वेद में भी इसके पौष्टिक गुण कई तरह की बीमारियों को दूर एवं ठीक करने में सहायता करते हैं। अरहर के सेवन से ह्रदय संबंधी रोग, पाचन और कमजोरी जैसे तमाम रोगों में आराम मिलता है।
आयुर्वेद में अरहर दाल का महत्व-
आयुर्वेद के अनुसार अरहर दाल विभिन्न प्रकार के खनिजों और पौष्टिक तत्वों से समृद्ध होता है। यह पित्त और कफ दोष को संतुलित करता है। यह समग्र त्वचा टोन में सुधार करता है। अरहर या तूर दाल का उपयोग पारंपरिक तौर पर आंतरिक रूप से सूप और बाहरी रूप से पेस्ट या मलहम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके पत्ते लीवर को स्वस्थ रखने और शरीर को हल्का महसूस कराने के लिए उपयोगी होते हैं। इसकी पत्तियों का उपयोग रक्तस्राव विकारों, कृमि संक्रमणों और प्राकृतिक रेचक के रूप में भी किया जाता है। तूर दाल के पेस्ट को नासूर घावों और सूजन के इलाज के लिए लगाया जाता है।
अरहर दाल के फायदे-
- मलेरिया के इलाज में सहायक-अरहर दाल के पत्ते चालकोन नामक घटकों से बने होते हैं। दरअसल चालकोन एक सक्रिय मलेरिया घटक है जिसका उपयोग पीलिया के इलाज के लिए किया जाता है। इस प्रकार अरहर या तूर दाल मलेरिया रोधी दवा के रूप में उपयोगी होती है।
- घाव ठीक करने में कारगर-अरहर दाल का सूजन रोधी गुण प्रभावित ऊतक में सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही यह ऊतक गठन को सक्रिय करता है। इस तरह, यह ऊतक रीमॉडेलिंग में सहायक है।
- मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल में उपयोगी-तुअर दाल प्रोटीन से भरपूर होती है जो टाइप 2 मधुमेह को रोकने में मदद करती है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल के रोगियों में इसके नियमित सेवन से उनके रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में काफी कमी आती है। इसके अलावा अरहर दाल में मौजूद फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम करने का काम करते हैं।
- वजन कम करने में मददगार-अरहर दाल प्रोटीन से भरपूर होता हैं। जो भूख के अहसास को कम करके, वजन कम करने में मदद करता है। इसके अलावा अरहर दाल में फाइबर और लो ग्लाइसेमिया गुण मौजूद होते हैं। यह सभी गुण चयापचय को बढ़ाकर वजन कम करने में मदद करते हैं।
- रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक-अरहर दाल पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो एक शक्तिशाली वासोडिलेटर के रूप में काम करता है। यह रक्त के थक्के को कम करके रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। जिससे उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जाता है। इसलिए उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों के लिए अपने दैनिक आहार में तुअर दाल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
- हड्डियों को मजबूत करें-तुअर दाल, कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं जो हड्डियों को मजबूती प्रदान करतीहै। यह बुजुर्गों में इष्टतम अस्थि घनत्व को भी पुनर्स्थापित करतीहै। जिससे ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम किया जा सकता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए-अरहर दाल में बड़ी मात्रा में मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो संक्रमण से लड़ने में सहायक होते हैं। साथ ही यह शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इस प्रकार यह रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसलिए रोजाना अपने आहार में अरहर दाल को शामिल करें। ऐसा करने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
- हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद-अरहर दाल पूरी तरह से संतृप्त वसा से मुक्त है। इसलिए यह हृदय की समस्याओं वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन प्रोटीन माना गया है। इसके अतिरिक्त इसमें मौजूद फाइबर और नियासिन की प्रचुरता अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) के स्तर को बढ़ाने और खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) के स्तर को कम करने मदद करते हैं।
- अरहर दाल के नुकसान-वैसे तो अरहर या तुअर दाल के सेवन से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। लेकिन यदि किसी को तुअर दाल से एलर्जी है तो उसे इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
एलर्जी के कारण होने वाले कुछ आम दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-
- एलर्जी की समस्या।
- सांस लेने में समस्या।
- एलर्जी प्रतिक्रियाओं के कारण पाचन तंत्र की सूजन।
अरहर दाल कहां पाई जाती है?
अरहर या तुअर दाल मुख्य रूप से भारत में उगाई जाती है। यह सूखा सहिष्णु पौधा है। आमतौर पर यह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, बिहार और कर्नाटक में उगाया जाता है।