साउंड थेरेपी के फायदे और विधि
2021-12-21 17:05:09
क्या है साउंड थेरेपी?
साउंड थेरेपी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, जो स्ट्रेस डिसऑर्डर और डिप्रेशन जैसी परेशानियों से राहत दिलाने का काम करती है। इसमें हिमालयन गायन कटोरों (Singing bowls) को बजाकर सुखदायक ध्वनि और हल्के कंपन द्वारा हीलिंग की जाती है। साउंड थेरेपी के बेहतर परिणाम हेतु शरीर की मालिश भी की जाती है। जो मरीज को तनावमुक्त बनाने और दिमाग को शांत करने में मदद करती है। इसकी मदद से फिजिकल और इमोशनल हेल्थ को ठीक किया जा सकता है। यह एक सुखदायक और सुकून देने वाले संगीत के साथ मांसपेशियों और दिमाग को रिलैक्स करने की प्रक्रिया है। गायन कटोरों को रणनीतिक रूप से शरीर के चारों ओर रखा जाता है। ऐसा करके ध्वनि तरंगो के माध्यम से शरीर में कंपन भेज कर मरीज को आराम दिलाया जाता है।
साउंड थेरेपी के फायदे–
- इससे डिप्रेशन और स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसे मानसिक विकारों का इलाज होता है।
- यह तनाव को कम करने में लाभदायक होती है।
- इस थेरेपी से मूड अच्छा होता है।
- यह थेरेपी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायक होती है।
- यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है।
- इसकी मदद से कोरोनरी आर्टरीज डिजीज और स्ट्रोक का खतरा कम होता है।
- यह थकान को दूर करने में सहायता करती है। थकान के कारण मानसिक तौर से थकावट महसूस करने में साउंड थेरेपी फायदेमंद साबित हो सकती है।
कैसे काम करती है साउंड थेरेपी?
साउंड थेरेपी में ध्वनि तरंगों की मदद से कंपन उत्पन्न कर शरीर तक पहुंचाई जाती है। ये कंपन शरीर को तनाव मुक्त बनाती है। उदाहरण के तौर पर जब हिमालयन सिंगिंग बाउल द्वारा ध्वनि तरंगें उत्पन्न की जाती हैं तो इसका शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ध्वनि को कानों से सुनने के साथ उसकी कंपन को शरीर के जरिए महसूस करवाया जाता है। सिंगिंग बाउल के साउंड से निकलने वाली आवृत्तियां ब्रेन-वेव (मस्तिष्क की तरंग) की दिशा बदलकर मस्तिष्क को मेडिटेशन की स्थिति में ले जाती हैं। इस तरह शरीर पर सुखदायक प्रभाव डालकर मस्तिष्क को शांत करने के लिए साउंड मसाज थेरेपी कारगर मानी जाती है। इस थेरेपी में प्रयोग होने वाले कटोरे विभिन्न धातुओं से बने होते है। यह अलग-अलग आकार वाले और कई प्रकार की कंपन और आवृत्तियों (Frequencies) को उत्पन्न करने वाले होते हैं।
साउंड थेरेपी की विधि–
इसको करने के लिए मरीज को पूरे कपड़ों में जमीन पर मैट (चटाई) बिछाकर लेटने को कहा जाता है। बाउल्स को शरीर के आस-पास चारों ओर, सिर और ऊर्जा के केंद्र चक्रों पर रखा जाता है। इसको करने के लिए मरीज को बिना बटन या जिप वाले आरामदायक कपड़े पहनने होते हैं। विभिन्न ध्वनि उपकरणों की मदद से ध्वनि तरंगे और कंपन को उत्पन्न कर शरीर में पहुंचाया जाता है। सेशन खत्म होने के बाद रोगी को रिफ्रेशिंग ड्रिंक पिलाई जाती है।
साउंड थेरेपी के प्रकार और उनके लाभ–
बाइन्यूरल या ब्रेन वेव साउंड थेरेपी–
बाइन्यूरल साउंड थेरेपी में अलग-अलग आवृत्तियों की ध्वनियों को अलग-अलग कानों के माध्यम से शरीर के अंदर पंहुचाया जाता है। जिससे मस्तिष्क अलग-अलग आवृत्तियों की बीट (sound beat) उत्पन्न करता है। जिन्हें बाइन्यूरल बीट कहा जाता है। बाइन्यूरल बीट से कान और दिमाग को शांति मिलती है। यह बीट कुछ समय के लिए दिमाग के वेव पैटर्न को बदल देती हैं। जिससे दिमाग को शांत करने में मदद मिलती है। बाइन्यूरल बीट तनाव को कम करने के साथ नींद में सुधार लाती है।
यह चिकित्शा पद्दति (ऑपेरशन) से पहले तनाव को कम करने के लिए मरीज को दी जा सकती है। इससे ब्रेन वेव बदलाव के कारण सिर दर्द और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण कम होते हैं। साथ ही यह बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याओं में भी सुधार करती है।
हीलिंग विथ वॉइस साउंड थेरेपी–
हीलिंग विथ वॉइस साउंड थेरेपी में ‘ॐ’ जैसे शब्दों और मंत्रों के उच्चारण द्वारा मेडिटेशन किया जाता है। जो तनाव कम करने, याददाश्त बढ़ाने, शरीर में हो रहे दर्द को कम करने और खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में सहायता करता है। यह थेरेपी वीडियों, अन्य ध्वनि माध्यमों और मेडिटेशन क्लास जा कर की जा सकती है। इसलिए हीलिंग विथ वॉइस थेरेपी खास तौर से मानसिक विकारों में लाभदायक और मेडिटेशन के लिए उपयोगी मानी जाती है।
विब्रोकैस्टिक साउंड थेरेपी–
विब्रोकैस्टिक साउंड थेरेपी को वाइब्रेशन थेरेपी भी कहा जाता है। इस थेरेपी द्वारा शरीर में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए ध्वनि कंपन और संगीत को सीधे शरीर तक पहुंचाया जाता है। इसकी मदद से ब्लड प्रेशर और सांस संबंधी बीमारियां ठीक होती है।
यह थेरेपी स्वास्थ्य में सुधार और तनाव को कम करने के लिए दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार कैंसर से पीड़ित लोगों और सर्जरी से उबरने वाले लोगों में भी यह थेरेपी दर्द निवारक के तौर पर काम करती है।
हीलिंग विथ सिंगिंग बाउल्स साउंड थेरेपी–
सिंगिंग बाउल थेरेपी को मुख्य रूप से तिब्बती संस्कृति में ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसमें धातु से बने एक बाउल (कटोरा) से निकलने वाली आवाज दिमाग को सुकून देती है और सांस संबंधी कई बीमारियां दूर होती हैं। इसके अलावा यह अनिद्रा की समस्या को भी दूर करती है।
ट्यूनिंग फोर्क साउंड थेरेपी या सोनिक एक्यूपंक्चर–
ट्यूनिंग फोर्क थेरेपी में शरीर के विभिन्न भागों में विशिष्ट कंपन को पहुंचाने के लिए कैलिब्रेटेड धातु से बने ट्यूनिंग कांटे (Fork) का उपयोग किया जाता है। यह शरीर में ऊर्जा का संचार कर भावनात्मक संतुलन को बढ़ावा देने में मदद करता है। इसमें सुइयों के बजाय बिंदु उत्तेजना (Point stimulation) के लिए ध्वनि आवृत्तियों का उपयोग किया जाता है। इसलिए इसे सोनिक एक्यूपंक्चर भी कहते हैं। ट्यूनिंग फोर्क थेरेपी मांसपेशियों और हड्डियों के दर्द से राहत दिलाने में सहायक होती है।
साउंड थेरेपी में प्रयोग होने वाले उपकरण–
- सिंगिंग बाउल्स
- ट्यूनिंग फोर्क
- पैन बांसुरी
- वीणा
- ड्रम