वायु थेरेपी और उसके फायदे
2022-05-24 18:25:10
धरती पर जीवन के लिए वायु और पानी सबसे महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों से ही पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व है। मनुष्य का शरीर पृथ्वी, आकाश, वायु, जल और अग्नि इन पांचो तत्वों से मिलकर बना है। जिसमें वायु को दूसरा मूलभूत तत्व माना जाता है। जिस प्रकार जल जीवन है, उसी प्रकार वायु प्राणियों का प्राण हैं। अगर हमें कुछ सेकेंड़ हवा न मिले तो अफनाहट (सांस लेने में परेशानी) सा महसूस होने लगता हैं। उसपर यदि कुछ देर और हवा न मिले तो प्राण भी निकल सकते हैं। इसलिए हवा इंसान के जीने के लिए बहुत आवश्यक तत्व है। वायु थेरेपी के अंतर्गत शरीर के तमाम बीमारियों का इलाज वायु सेवन के माध्यम से किया जाता है।
एयर थेरेपी का लाभ वायु स्नान के माध्यम से मिलता है। ऐसा माना जाता है कि स्वच्छ और ताजी हवा अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए प्रतिदिन 30 मिनट या उससे अधिक समय के लिए प्रत्येक मनुष्य को वायु स्नान करना चाहिए। वायु चिकित्सा की प्रक्रिया में, व्यक्ति को कपड़े निकालकर कर या हल्के कपड़े पहनकर एकांतयुक्त ऐसे साफ-सुथरे स्थान पर चलना चाहिए, जहां पर्याप्त ताजा हवा उपलब्ध हो। इससे रक्त का प्रवाह तेज होता है। यह थेरेपी गठिया, त्वचा, घबराहट, मानसिक और अन्य विकारों को दूर करने में सहायता करती है।
क्या है वायु सेवन?
- वायु सेवन को अंग्रेजी में मॉर्निंग वॉक या एयर बाथ के नाम से जानते हैं। वहीं आम बोलचाल की भाषा में इसे हवा खाना या टहलना भी कहते हें। और शरीर को ताजी हवा खिलाना ही वायु स्नान कहलाता है। यह एक ऐसी क्रिया है, जिसके जरिए शरीर के आतंरिक और बाहरी दोनों हिस्सों की सफाई की जाती है। इस क्रिया का प्रयोग कपड़े निकालकर या हल्के कपड़े पहनकर किया जाए तो यह शरीर के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है।।
- हमारी तरह त्वचा के छिद्रों के लिए भी सांस लेना बहुत आवश्यक होता है। यह छिद्र भी हवा के माध्यम से ही सांस लेते हैं। इसलिए हर समय टाइट कपड़े पहनने से शरीर पीला पड़ जाता है। क्योंकि इस तरह के कपड़ों की वजह से त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं। परिणामस्वरूप मनुष्य को कब्ज, सीने में दर्द, गैस और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियां घेर लेती हैं।
- इस रूप में वायु सेवन करना न केवल जीवन की एक जरूरत है बल्कि एक कला, पौष्टिक तत्व, खुशी, प्रकृति का वरदान और संसार का सबसे अच्छा व्यायाम है।
दिशाओं के मुताबिक वायु के गुण;
पूरब दिशा से बहने वाली हवा-
पूरब दिशा से चलने वाली हवा तासीर से गर्म, भारी, पित्त को ख़राब और शरीर में जलन पैदा करने वाली होती है। यह वायु शरीर की थकान, कफ को समाप्त करने और सूखे रोगों से ग्रस्त बिमारियों के लिए लाभकारी होती है।
दक्षिण दिशा से चलने वाली हवा-
दक्षिण दिशा से चलने वाली हवा शरीर को ठंडक पहुंचाती हैं। यह तासीर में ठंडी, हल्की, पित्त और खून के रोगों को दूर करने वाली और शरीर के ताकत को बढ़ाने में सहायक होती है। साथ ही यह आंखो के लिए उपयोगी होती है।
पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा-
पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा तेज, शरीर को सुखाने वाली और ताकत को कम करने वाली होती है। यह मोटापे, पित्त के रोग और बलगम को दूर करने वाली होती है।
उत्तर दिशा से चलने वाली हवा-
- उत्तर दिशा से बहने वाली हवा ठंडी और नमी के कारण दोषों को बढ़ाने वाली, शरीर में चिपचिपाहट लाने वाली हल्की और सुहावनी होती है।
- उपरोक्त बातों से कह सकते हैं कि दक्षिण दिशा को छोड़कर शेष दिशाओं से बहने वाली हवा से शरीर में कोई न कोई रोग पैदा होता है। जबकि दक्षिण दिशा से बहने वाली हवा हर तरह से लाभप्रद है। इसलिए दक्षिण दिशा से बहने वाली वायु का सेवन करना ठीक और रोगी दोनों व्यक्तियों के लिए बेहतर होता है। यह वायु सुबह 4 बजे से सूरज के उगने तक चलती है। जो लोग इस वायु का सेवन करना चाहते हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
सैर करने या टहलने के फायदे;
- स्वस्थ्य व्यक्ति एक मिनट में लगभग 16 से 18 बार सांस लेता है। जबकि पूरे दिन में करीबन 2600 बार सांस लेता है। एक बार सांस लेने में शरीर की करीब 100 मांशपेशियां भाग लेती हैं। यह वायु फेफड़ों की कम से कम 15 वर्ग फुट की जगह में चक्कर लगाती है। इस वायु से ऑक्सीजन का अंश खींचकर रक्त में चला जाता है। साथ ही कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बाहर निकल जाती है। इस प्रकार शरीर के अंदर का रक्त स्वयं शुद्ध होता रहता हैं।
- फेफड़ों के अंदर हमेशा 160 क्यूबिक इंच हवा भरी रहती है। जो बाहर की दूषित हवा से निरंतर बदलती रहती है। यह क्रिया सैर करने या टहलने से संभव होती है। इसके अतिरिक्त शरीर में पांच प्रकार की वायु होती हैं। जिनका कार्य बाहरी हवा के माध्यम से होता है। जोकि निम्नलिखित हैं-
व्यान वायु-
व्यान वायु शरीर के प्रत्येक भाग में चक्कर लगाने का कार्य है। यह हल्की, ठंडी और सुहावनी होती है। बाहरी हवा शरीर के त्वचा छिद्रों के माध्यम से शरीर के अंदर जाकर व्यान वायु को शुद्ध करती है। जिससे शरीर के अंदर रक्त बढ़ता है।
अपान वायु-
शरीर के अंदर से मल-मूत्र को बाहर निकालने का कार्य अपान वायु करती है। शौच के लिए बैठने पर साफ वायु की ओर मुंह करके बैठने से अपान वायु शुद्ध होती है।
समान वायु-
यह शरीर के अंदर भोजन को पचाने में मदद करती है। इसके साथ शरीर में उत्पन्न गर्मी को सामान्य रखने में सहायक होती है। प्रतिदिन सुबह के समय टहलने से समान वायु को इन कार्यों को करने में मदद मिलती है। सैर न करने से समान वायु बढ़कर पेट सम्बंधित रोगों को जन्म देती है।
प्राण वायु-
इसे जीवन की उर्जा को स्थिर रखने वाली वायु कहा भी जाता है। इस वायु को बल देने में पर्वतों का ऊंचा स्थान और खुला वातावरण जैसी जगह मुख्य रूप से सहायक होती हैं। इस कारण गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को डॉक्टर्स भी पहाड़ों और खुले स्थानों पर जाने को कहते हैं। सुबह के समय टहलने से शरीर में रक्त का संचार अच्छा होता और प्राण वायु को अधिक ताकत मिलती है। जिससे व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
उदान वायु-
दिमाग के छोटे-बड़े अव्ययों तक रक्त को पहुंचाने में उदान वायु महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऊंचे स्थानों पर सैर करने से उदानवायु को शक्ति मिलती है। जिससे दिमाग की स्मरणशक्ति बढ़ जाती है।
सैर करने के अन्य फायदे;
- सुबह के समय टहलने से स्नायु (Body Muscle) की कमजोरी, दिमागी रोग, नींद न आना, सर्दी, खांसी और कब्ज जैसी समस्या में राहत मिलती है।
- सुबह के समय सैर करने से शरीर मजबूत बनाता है। जिससे जल्दी बुढ़ापा नहीं आता। ऐसा करने से आंखों की रोशनी और शरीर की चमक बढ़ जाती है।
- सुबह के समय टहलने से व्यक्ति की सोचने और समझने की शक्ति में विकास होता है।
- प्रतिदिन मॉर्निंग वाक करने से बड़े से बड़े रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही व्यक्ति की उम्र भी लंबी होती है।