लाल चंदन के अद्भुत फायदे और नुकसान
2023-03-03 10:20:10
लाल चंदन को रक्त चंदन और अंग्रेजी में इसे रेड सैंडलवुड भी कहा जाता है। यह एक सदाबहार पेड़ होता है। इस पेड़ के तने के बीच की लकड़ी को हार्डवुड कहा जाता है। जिसमें कोई महत्वपूर्ण सुगंध नहीं होती है। इसी का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।
लाल चंदन का पेड़ 25 फीट लंबे और गहरे भूरे रंग की छाल वाला एक छोटा उष्णकटिबंधीय पेड़ होता है। इसके पत्ते 3-9 सेमी लंबे होते हैं। लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम पटरोकार्पस सैंटालिनस है। आमतौर पर इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्ति बनाने, हवन सामग्री और अगरबत्ती बनाने में उपयोग किया जाता है। वहीं, इसके तेल का उपयोग इत्र और अरोमा थेरेपी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
लाल चंदन का महत्व-
लाल चंदन अपने उपचार गुणों के लिए उपयोगी है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, कृमि नाशक, ज्वरनाशक, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, कामोद्दीपक और डायफोरेटिक गुण होते हैं, जो इसे पाचन समस्याओं, द्रव प्रतिधारण और खांसी के लिए एक आदर्श उपचारक बनाते हैं। यह अपने शक्तिशाली उपचार गुणों के कारण त्वचा के समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। शायद इसलिए लाल चंदन को पारंपरिक हर्बल दवा बनाने में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
लाल चंदन के फायदे-
पेट के अल्सर में उपयोगी-
लाल चंदन अपने गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुणों के कारण अल्सर के इलाज में उपयोगी है। यह पेट में गैस्ट्रिक एसिड के उत्पादन को कम करता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं, जो मुक्त कणों से लड़ते हैं और पेट की कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाते हैं।
खांसी में लाभप्रद-
लाल चंदन के तेल में कफ को संतुलित करने वाले गुण होते हैं, जो खांसी के इलाज में मदद करते हैं। इसके लिए छाती पर लाल चंदन का तेल से हल्के हाथों से मालिश करें। साथ ही लाल चंदन के तेल से युक्त भाप लेने से बलगम का निर्माण नहीं होता है। जिससे खांसी से राहत मिलती है। इसके अलावा बलगम और पेचिश के इलाज के लिए लाल चंदन के फल से बने काढ़े का उपयोग करें।
एडिमा के इलाज में कारगर-
एडिमा एक ऐसी स्थिति है, जो वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण प्रभावित क्षेत्र में सूजन के कारण होती है। दरअसल लाल चंदन अपने पित्त संतुलन और सूजनरोधी गुणों के कारण सूजन का इलाज करने में मदद करता है। इसके लिए लाल चंदन के चूर्ण को पानी में मिलाकर सूजन वाली जगह पर लगाएं। ऐसा करने से लाभ मिलता है।
मुंहासे और फुंसियों को ठीक करने में सहायक-
लाल चंदन का चूर्ण मुंहासों और फुंसियों को रोकने या उससे बचाने में काफी लाभदायक साबित होता है। क्योंकि इसमें सूजनरोधी, जीवाणुरोधी और सुखदायक गुण मौजूद होते हैं। इसके लिए लाल चंदन के चूर्ण को नींबू के रस, गुलाब जल, हल्दी और नारियल तेल के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा की विभिन्न समस्याओं का इलाज होता है।
सिरदर्द में असरदार-
लाल चंदन अपने शीतलन और सुखदायक गुणों के कारण सिरदर्द में असरदायक होता है। लाल चंदन से बने लेप को माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
घाव भरने में सहायक-
लाल चंदन में वाउन्ड हीलिंग (घाव भरने वाले) गुण मौजूद हैं। इससे बने लेप को प्रभावित अंगों पर लगाने से घाव शीघ्रता से भरते हैं।
लीवर की समस्या को दूर करें-
लाल चंदन अपने हेप्टोप्रोटेक्टिव गुणों के कारण लीवर की विभिन्न समस्याओं के लिए उपयोगी है। लाल चंदन में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट (जैसे फ्लेवोनोइड्स) मुक्त कणों से लड़ते हैं और लीवर की कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इस प्रकार यह लीवर को कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बनाए रखने में सहायक-
लाल चंदन अपने एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करता है और शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को बढ़ाता है।
लाल चंदन के दुष्प्रभाव-
- लाल चंदन आमतौर पर सामयिक उपयोग के लिए सुरक्षित है। हालांकि, इसे गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान इसके उपयोग से बचना चाहिए।
- जिन लोगों को लाल चंदन की लकड़ी या इससे बने उत्पादों से एलर्जी हैं। उन्हें इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
यह कहां पाया जाता है?
भारत में मुख्य रूप से लाल चंदन पूर्वी घाट के दक्षिणी भागों में विशेष रूप से आंध्र प्रदेश के वन इलाकों में पाया जाता है।