रासना के अद्भुत फायदे और उपयोग
2023-01-30 10:50:17
रासना, जिसे एल्पिनिया गलंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बारहमासी पौधा है जो 3-4 मीटर तक लंबा होता है। इस पौधे की शाखाएं पत्तियों से भरी होती हैं। इसकी पत्तियां आधार पर लंबी और चौड़ी एवं सिरे पर संकरी होती हैं। इस पौधे का प्रकंद लगभग 7 सेमी लंबा और हल्के पीले या लाल रंग का होता है। इसके फूल आकार में करीब 3 सेमी लंबे सफेद या हरे रंग के होते हैं। इस पौधे में फूल मई-जून के महीनों में लगते हैं और फलने की अवधि अगस्त-सितंबर है। इसके फल छोटे चेरी के समान और लाल - नारंगी रंग के होते हैं।
रासना के औषधीय गुण-
रासना में कास हर (खांसी से राहत प्रदान करने वाला), शोफ हर (सूजन से राहत प्रदान करने वाला), श्वास हर (अस्थमा से राहत प्रदान करने वाला), दीपन (कार्मिनेटिव), पाचन, ज्वरनाशक (बुखार में उपयोगी), विषघ्न (विषाक्तता में उपयोगी) और शूलहर (दर्द से राहत प्रदान करने वाला) गुण शामिल हैं। यह सभी गुण दर्द, अस्थमा, खांसी, अपच, जोड़ों के दर्द, मधुमेह, ब्रोंकाइटिस, बुखार और सूजन के इलाज में सहायक होते हैं।
रासना के फायदे-
जोड़ों के दर्द में असरदार-
आयुर्वेद के अनुसार जोड़ों का दर्द मुख्य रूप से असंतुलित वात के कारण होता है। रासना या इससे बना तेल हड्डियों और जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। क्योंकि रासना में वात संतुलन, एनाल्जेसिक और ज्वरनाशक गुण मौजूद होते हैं। इसलिए यह जोड़ों के दर्द एवं सूजन के लिए असरदार होता है।
खांसी और जुकाम को ठीक करने में सहायक-
रासना अपनी उष्ण (गर्म) शक्ति और कफ संतुलन गुणों के कारण खांसी और सर्दी के लिए एक प्रभावी जड़ी बूटी है। यह श्वसन मार्ग से बलगम को साफ करके खांसी को नियंत्रित करता है। जिससे रोगी को स्वतंत्र रूप से सांस लेने में आसानी होती है।
बुखार में लाभदायक-
रासना में ज्वरनाशक गुण मौजूद हैं, जो शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है। इस प्रकार यह बुखार को नियंत्रित करने में सहायक होता है।
पाचन क्रिया में सहायक-
अपच के इलाज में रासना बहुत उपयोगी है। इसके उष्ण गुणों के कारण यह पाचक अग्नि को बढ़ाता है जो पाचन को उत्तेजित करता है।
घाव ठीक करने में मददगार-
रासना एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीफंगल और एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर हैं। यह सभी गुण घावों को तेजी से भरने में मदद करतें हैं साथ ही घाव के संकुचन दर को बढ़ाने का काम करतें हैं ।
अस्थमा के इलाज में सहायक-
रासना अपने दमा-रोधी गुणों के कारण अस्थमा के इलाज में सहायक है। इसमें कुछ घटक (फ्लेवोनोइड्स, टेरपेन्स, आदि) पाए जाते हैं जो दमा की प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इस प्रकार रासना का सेवन अस्थमा के मरीजों के लिए लाभप्रद है।
मधुमेह में सहायक-
रासना मधुमेह में लाभकारी होता है क्योंकि इसमें कुछ घटक (फ्लेवोनोइड्स) हैं जो प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट के गुणों को प्रदर्शित करते हैं। यह एंटी ऑक्सीडेंट इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाते हैं और रक्त शर्करा के स्तर को कम करते हैं।
कब्ज के इलाज में कारगर-
रासना में रेचक गुणों के कारण यह मल को ढीला करके आसानी से निष्कासित करने का काम करता है। इस प्रकार यह मल त्याग में सुधार करता है।
मांसपेशियों की ऐंठन में लाभप्रद-
रासना मांसपेशियों की ऐंठन के लिए उपयोगी होता है। क्योंकि यह एंटीस्पास्मोडिक और एनाल्जेसिक गुणों से भरपूर हैं, जो मांसपेशियों के दर्द को कम करते हुए उस पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसका नियमित उपयोग रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। जिससे जोड़ों, मांसपेशियों के दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
रूमेटाइड अर्थराइटिस में उपयोगी-
रासना संधिशोथ में प्रभावी होता है। दरअसल रासना में सूजन-रोधी और दर्द रोधी गुण होते हैं, जो अर्थराइटिस के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द एवं सूजन से राहत दिलाने में मदद करते है।
रासना के उपयोग
- रासना के प्रकंद का लेप जकड़न और सूजन से छुटकारा पाने के लिए लगाया जाता है।
- रासना ,सोंठ, गोंद और दाडिम चूर्ण का मिश्रण दस्त और पेट दर्द का इलाज करता है।
- रासना के पत्तों, मुलेठी और गुडुची के चूर्ण को एक साथ मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से शरीर में दमा और कफ जैसे रोगों का इलाज होता है।
- वमन जैसी पंचकर्म प्रक्रियाओं में उल्टी को प्रेरित करने के लिए रासना राइज़ोम पेस्ट का उपयोग किया जाता है।
- रासना चाय का काढ़ा रक्त शोधक के रूप में कार्य करता है।
- रासना के पौधे से बने पेस्ट का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के लिए किया जाता है।
- रासना के पत्तों से बने काढ़े का उपयोग सांस संबंधी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी, गले में खराश और अस्थमा के इलाज में किया जाता है।
यह कहां पाया जाता है?
रासना मूल रूप से इंडोनेशिया और दक्षिण एशिया के इलाकों में पाया जाता है। हालांकि वाणिज्यिक और विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए मलेशिया, श्रीलंका, थाईलैंड और म्यांमार में भी इस पौधे की खेती की जाती है। भारत में यह हिमालय, असम, बिहार और पश्चिम बंगाल में देखने को मिलता है।
Reference links –
Only my health-
https://www.onlymyhealth.com/benefits-of-rasna-herb-to-cure-various-diseases-in-hindi-1628593721 last accessed on 16-1-23.
Health with ayurveda-
https://healthwithayurved.com/rasnas-properties-and-various-ayurvedic-treatment-with-it/ last accessed on 16-1-23.
Wikipedia-
https://mr.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE last accessed on 16-1-23.