अर्धचक्रासन की विधि, फायदे और सावधानियां
2022-05-26 00:00:00
योगशास्त्र में उल्लेखित अर्धचक्रासन सरल आसनों में से एक हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह संस्कृत भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला अर्ध जिसका शाब्दिक अर्थ आधा और दूसरा चक्र जिसका मतलब पहिया होता है। अर्थात इस आसन में शरीर का आकार आधे पहिए के समान हो जाती हैं। उपरोक्त आधार पर इसका नाम अर्द्धचक्रासन रखा गया है। इसलिए अंग्रेजी में इस आसन को हाफ व्हील पोज़ (half wheel pose) के नाम से जाना जाता है। इस आसन से कमर में खिंचाव के साथ-साथ लचीलापन भी आता है। इसके अलावा अर्द्धचक्रासन मधुमेह, रक्तचाप, पेट की अतिरिक्त चर्बी को कम करना आदि के लिए बहुत प्रभावी हैं।
अर्धचक्रासन योग करने की प्रक्रिया-
●सबसे पहले सावधान मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं।
●अब कोहनियों को मोड़कर अपने दोनों हाथों से कमर के निचले हिस्से को सहारा दें।
●उसके बाद गहरी सांस लेते हुए सिर को पीछे की ओर झुकाएं। इतना झुकाएं जब तक गर्दन की मांसपेशी पर खिंचाव महसूस होने लगे।
●धीरे-धीरे सांस लें और छोड़े। इस स्थिति में 10 से 20 तक रहें।
●तत्पश्चात अपनी कमर को सहारा देते हुए रीढ़ की हड्डी को सीधा करें।
●उसके बाद सांस छोड़ते हुए मूल अवस्था में आकर विश्राम करें।
●इस प्रकार इस योग का एक चक्र पूरा होता है।
●इस प्रक्रिया को कम से कम 6 से 7 बार दोहराएं।
अर्धचक्रासन योग के फायदे-
●इसके अभ्यास से पेट की अतिरिक्त फैट कम होती है।
●यह योगाभ्यास कमर के लिए बहुत उपयुक्त है। यदि कोई व्यक्ति कमर के दर्द से परेशान हैं तो इस योग का निरंतर और नियमित अभ्यास कमर दर्द से छुटकारा दिलाता है।
●यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत और पीठ में होने वाले एक्स्ट्रा स्ट्रेन को कम करता है।
●इस एक्सरसाइज को करने से गर्दन दर्द से राहत मिलती है।
●इस आसन केनिरंतर अभ्याससे रक्त में मौजूद शर्करा को नियंत्रित किया जा सकता है। यह अग्नाशय को सक्रिय करने एवं इंसुलिन की सही मात्रा रक्त में बनाए रखने का काम करता है।
●यदि आप रीढ़ की हड्डी या मेरुदंड को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो अर्धचक्रासन का निरंतर अभ्यास करना चाहिए। क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। जिससे इससे जुड़ीं तमाम समस्याएं दूर होती हैं।
●यह आसन कूल्हे की दर्द के लिए बहुत ही प्रभावी होता है।
●यह आसन शरीर को अस्वाभाविक रूप से आगे झुकने से रोकता है।
●इस आसन के प्रैक्टिस से स्लिप डिस्क, साइटिका जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
●यह नींद न आना, आलस्य और अतिनिद्रा जैसी समस्याओं को दूर करता हैं।
●सिटींग जॉब वालों के लिए यह योग एक तरह का वरदान है। यदि आप ऑफिस या किसी अन्य दफ्तर में काम बैठ कर करते हैं तो अर्धचक्रासन के नियमित अभ्यास से आप कमर संबंधी कई समस्याओं से बच सकते हैं।
अर्धचक्रासन करते वक्त बरतें यह सावधानियां-
●अर्ध चक्रासन का अभ्यास ब्रह्मुहुर्त या सूर्योदय के समय खाली पेट ही करें।
●भोजन करने के 5 से 6 घंटे बाद इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है।
●इस आसन को करते समय सिर को झटके से पीछे न ले जाएं।
●अधिक कमर दर्द में इस आसन को करने से बचें।
●साइटिका और स्लिप डिस्क जैसी परेशानियों में इस योगाभ्यास किसी विशेषज्ञ के देखभाल में करें।