यावसा के आयुर्वेदिक महत्व और उपयोग
2022-08-05 00:00:00
यावसा एक झाड़ीनुमा पौधा है। यह करीब 1-2 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ती है और इसमें कई कांटेदार शाखाओं के साथ साधारण पत्ते होते हैं। इसे तेजी से बढ़ने के लिए क्लोन वानस्पतिक प्रजनन विधि का उपयोग किया जाता है। इसके फूल मैजेंटा या गुलाबी रंग के होते हैं और पंखुड़ियाँ लगभग 8-9 मिमी की होती हैं। यह फूल जून और जुलाई के बीच खिलते हैं। इसे कैमलथॉर्न के नाम से भी जानते हैं। इसके अतिरिक्त यावसा को संस्कृत में अनंत, धनवायस, कुणाशक और दस्पर्श के नाम से पुकारा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम अल्हागी कैमलोरम (Alhagi camelorum) है। आमतौर पर यावसा का उपयोग मुख्य रूप से लैक्सटिव (मल्ल को ढीला करने के लिए), मूत्रवर्धक, पसीने को दूर करने और सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेद में यावसा का महत्व
यावसा पारंपरिक चिकित्सा में प्रयोग की जाने वाली एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है। यह विशेष रूप से ईरान में पाई जाती हैं। यह अपने औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग कई तरह के चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इस जड़ी बूटी में सूजनरोधी, ऑक्सीकरण रोधी और रोगाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त यावसा एक अच्छा मूत्रवर्धक और एक्सपेक्टोरेंट के रूप में भी जानीजाती है। यह पाचन क्रिया को सुधारने में सहायक होती है। यह कब्ज का इलाज करती है। यह कफ को संतुलित करती है। साथ ही यावसा अपने वात और पित्त शांत करने वाले गुणों के कारण जलन, खुजली, लालिमा, दर्द और गुदा के आसपास सूजन जैसे बवासीर के लक्षणों को दूर करने में भी मदद करती है।
यावसा के उपयोग
- इस जड़ी बूटी की पत्तियों से निकाले गए रस को नेजल ड्रॉप के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा यावसा जूस दर्द में भी बहुत फायदेमंद होता है।
- यावसा और नारियल के तेल में मिलाकर गर्म करें। अब इस मिश्रण से शरीर के प्रभावित अंगों की मालिश करने से संधिशोथ में राहत मिलती है। दरअसल इस तेल के सूजन रोधी गुण दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
- इस जड़ी बूटी के काढ़े का उपयोग स्टामाटाइटिस (मुख रोग) से पीड़ित लोगों को गरारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार इस जड़ी बूटी में मौजूद तत्व मुंह के अंदर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही यह शीघ्रता से घाव भरने और मवाद के गठन को रोकने में मदद करती है।
- यह जड़ी बूटी रक्तस्रावी रोगों में उपयोगी है।
- यावसा के एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण जोड़ों, पैरों, बाहों और शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले दर्द से छुटकारा दिलाता हैं।
- बवासीर के इलाज में इस जड़ी बूटी का प्रयोग अच्छा उपाय होता है। यह पाचन को सुचारु रूप से ठीक करके कब्ज की समस्या को दूर करता है। जो बवासीर का कारण बनता है।
- यह जड़ी बूटी बेहोशी जैसे लक्षणों के इलाज के लिए उपयोगी है। बेहोशी एक ऐसी स्थिति है जिसमें निम्न रक्तचाप के कारण चेतना का अस्थायी नुकसान होता है।
- यावसा अपने कफ संतुलन गुणों के कारण सर्दी, खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन समस्याओं के इलाज के लिए प्रभावी होती है। यह श्वसन पथ को साफ करने में मदद करती है। साथ ही शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढाती है।
- यह गर्दन की मांसपेशियों को आराम देने में भी उपयोगी है।
- इस जड़ी बूटी का उपयोग वजन बढ़ाने और शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाने में किया जाता है।
यावसा का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां
- चूंकि यावसा अपने हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव के लिए जाना जाता है। इसलिए मधुमेह रोगियों को इसका इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
- पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों या पहले से किसी बीमारी के लिए दवा ले रहे लोगों को यावसा का उपयोग डॉक्टर के सलाह पर करें।
- गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान इसका उपयोग न करें।
यावसा कहां पाया जाता है?
भारत में यावसा का पौधा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और राजस्थान में पाया जाता है।