नागकेसर के फायदे और उपयोग
2022-03-25 15:57:14
नागकेसर एक जड़ी-बूटी है। इसे आयुर्वेद में गुणकारी माना जाता है। इसकी मदद से कई शारीरिक और मानसिक समस्याएं ठीक हो जाती हैं। आयुर्वेद में इसका उपयोग मनुष्य को खांसी, जुकाम, बुखार, बांझपन, माहवारी जैसे तमाम बिमारियों से छुटकारा दिलाने में किया जाता है। साथ ही यह उल्टी, हिचकी, यूरिनरी ट्रैक्ट डिसऑर्डर, और माइग्रेन के इलाज में प्रभावी रूप से कारगर है। यह जड़ी-बूटी कोलोफाइलेसिए (Colophyllaceae) परिवार से संबंध रखती है। जिसका वैज्ञानिक नाम मेसुआ फेरिया (Mesua ferrea) है। नागकेसर को अलग-अलग भाषाओं जैसे अंग्रेजी में कोबरस सैफ्रॉन, हिंदी में नागकेसर या नागचंपा उर्दू में नरमिशका और संस्कृत में नागपुष्प आदि नामों से जाना जाता हैं। इसको भुजङ्गपुष्प, आयरन वुड (Iron-wood), इंडियन रोज चेस्टनेट (Indian rose chestnet) के नाम से भी जानते हैं। इसका उपयोग च्यवनप्राश बनाने के लिए भी किया जाता है। इसलिए नागकेसर को आयुर्वेद में गुणकारी औषधि का दर्जा दिया गया है।
क्या है नागकेसर?
नागकेसर एक औषधीय पौधा है। जिसकी पत्तियां लाल और हरे रंग की होती हैं। इसके फूल सफेद रंग के और इनके बीच से पीले केसरी रंग के गुच्छे आते हैं। जिसे नागकेसर कहा जाता है। नागकेसर प्रकृति से गर्म और स्वाद में कड़वी होती है। आयुर्वेद में इसकी जड़, छाल, पत्ते, बीज एवं फूल का उपयोग किया जाता है। लेकिन ज्यादातर इसके फूल का प्रयोग औषधि के रूप में होता है।
नागकेसर के फायदे-
याददाश्त तेज करने में मददगार-
नागकेसर में मस्तिष्क को तेज करने वाले गुण मौजूद होते हैं। जो स्मृति शक्ति को मजबूत करने में सहायक होते हैं। इसके लिए नागकेसर, चमेली के फूल, अगर, तगर, कुमकुम को लेकर घी में भून लें। अब इस मिश्रण को पीसकर पेस्ट बना लें। इस लेप को सिर पर लगाएं। ऐसा करने से याददाश्त तेज होती है।
सर्दी,खांसी,बुखार में लाभप्रद-
मौसम बदलते ही सर्दी-जुकाम, बुखार एवं अस्थमा जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती हैं। ऐसे में नागकेसर एक औषधि की तरह काम करता है। इसके लिए नागकेसर की जड़ एवं छाल से बने काढ़े का सेवन फायदेमंद होता है। ऐसा करने से सर्दी-जुकाम एवं बुखार से छुटकारा मिलता है।
श्वसन संबंधी समस्याओं में लाभदायक-
कफ, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं में नागकेसर के फूल औषधि की तरह काम करते हैं। इसके लिए नागकेसर की जड़ एवं छाल से बने काढ़े का सेवन करें। इससे सांस से जुड़ी परेशानियों में आराम मिलता है। इसके अलावा आयुर्वेदिक चिकित्सा में जुकाम होने पर नागकेसर की पत्तियों के लेप को सिर पर लगाने की सलाह दी जाती है।
हिचकी रोकने में कारगर-
दिन में चार से पांच बार नागकेसर चूर्ण को शहद के साथ लेने से लगातार आने वाली हिचकी की समस्या कम होती हैं।
पेट से जुड़ी समस्याओं में लाभप्रद-
पेट से जुड़ी समस्याओं में नागकेसर कारगर उपाय है। इन समस्याओं में एसिडिटी, उल्टी, सीने में जलन, भूख न लगना, पेप्टिक अल्सर, पेट में दर्द आदि शामिल हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व पेट संबंधी विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके लिए नागकेसर फूल के चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से पेट एवं आंत संबंधी सभी समस्याओं में आराम मिलता है।
सूजन एवं दर्द में लाभप्रद-
किसी वजह से शरीर के किसी अंग पर आई सूजन को दूर करने में नागकेसर अत्यंत कारगर औषधी है। प्राचीन समय से इसका प्रयोग आर्थराइटिस एवं गाउट के इलाज के लिए किया जा रहा है। दरअसल, नागकेसर में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। यह गठिया की वजह से होने वाली सूजन एवं दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए नागकेसर के बीज से बने ऑयल को प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे शरीर के किसी अंग पर आई सूजन और दर्द से छुटकारा मिलता है।
बवासीर के इलाज में सहायक-
नागकेसर के फूल बवासीर के इलाज के लिए कारगर है। क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। यह बवासीर के इलाज में मदद करता है। इसके लिए नागकेसर और सुर्मा को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। अब इस मिश्रण को शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा खूनी बवासीर से राहत पाने के लिए नागकेसर के चूर्ण को मिश्री एवं मक्खन के साथ सेवन करना अच्छा माना जाता है।
मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभप्रद-
नागकेसर का प्रयोग स्त्रीरोग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने और महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या में नागकेसर चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। इसके उपयोग से मासिक धर्म नियमित हो जाएगा।
लिकोरिया से निजात दिलाने में कारगर-
यदि किसी को सफेद पानी आने या लिकोरिया (Leucorrhoea) की समस्या है तो 1 चम्मच नागकेसर के चूर्ण का प्रतिदिन दो बार छाछ के साथ सेवन करें। इसके सेवन से इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
खाज-खुजली में फायदेमंद-
नागकेसर में मौजूद एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा की खाज-खुजली की समस्या को दूर करने में मदद करता है। साथ ही यह संक्रमण से निजात दिलाने का काम करता है। इसके लिए नागकेसर के तेल को खाज-खुजली, फोड़े-फुंसी एवं चोट वाली जगहों पर लगाने से लाभ मिलता है।
तलवों की जलन में कारगर-
नागकेसर में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद हैं, जो पैरों के तलवों में होने वाली जलन को कम करते हैं। इससे निजात पाने के लिए नागकेसर के फूलों का चूर्ण लेकर उसे घी में मिलाकर लेप बना लें। अब इस लेप कप अपने पैरों के तलवों पर लगाने से जलन की समस्या ठीक हो जाती है।
नागकेसर के नुकसान-
- नागकेसर तासीर से गर्म होता है। इसलिए इसका अधिक मात्रा में सेवन उल्टी, मतली, जलन आदि की शिकायत हो सकती है।
- जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें इसकी सेवन से बचना चाहिए।
- बच्चों की पहुंच से इस जड़ी-बूटी को दूर रखें। बच्चों के लिए नागकेसर का सेवन हानिकारक हो सकता है।
- यदि कोई पहले से किसी दवा का सेवन कर रहा है, तो चिकित्सक के परामर्शनुसार ही इसका सेवन करें।
- गर्भवती एवं स्तनपान करने वाली माताओं को इसके सेवन से परहेज करनी चाहिए।
कहां पाया जाता है नागकेसर?
नागकेसर का पौधा मुख्य रूप से बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया, इण्डोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, मलक्का एवं थाईलैण्ड में पाया जाता है। भारत में यह आमतौर पर पूर्वोत्तर हिमालय प्रदेश, दक्षिण भारत पूर्वी एवं पश्चिमी प्रायद्वीप, पूर्वी एवं पश्चिमी बंगाल, असम, कोंकण, कर्नाटक, अण्डमान में 1600मी की ऊचाई पर पाया जाता है।