खदिर के फायदे, उपयोग और नुकसान
2023-03-01 11:11:53
आम बोलचाल की भाषा में खदिर को खैर कहा जाता है। यह एक सदाबहार पेड़ है जिसका वानस्पतिक नाम एकेसिया कैटेचु है। आम तौर पर खदिर की लकड़ी का उपयोग पूजा, हवन, यज्ञ आदि अनुष्ठानों में किया जाता है। क्योंकि यह नवग्रह समिधा में प्रयोग की जाने वाली लकड़ियों में से एक हैं। साथ ही इस पौधे से प्राप्त अर्क को कत्था कहा जाता है, जो पान का एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके अलावा खदिर कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसलिए आयुर्वेद में इसके लकड़ी और छाल को मुख्य रूप से औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
खदिर क्या है?
खदिर एक बारहमासी कांटेदार वृक्ष है, जो बबूल की प्रजाति से आता है। इसके पेड़ 9-12 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ते हैं। इसके पत्र 10 से 15 सेमी लंबे होते है जिसमें 30 से 40 पक्ष लगे होते हैं। साथ ही प्रत्येक पक्ष पर कई पत्रक अर्थात पत्तियां होती है जिसकी लम्बाई करीब 1 से 2 इंच तक होती हैं, जो सुंदर पंखों की तरह दिखती हैं। इसके फूल हल्के पीले रंग के बेलनाकार और फल 2-5 इंच लंबे सिकुड़े हुए आगे की ओर से गोल होते हैं। खदिर को विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नामों जैसे खरीरा, खदीरा, खेरा, काला कत्था, कच्छ का पेड़, कठ और कत्था से पुकारा जाता हैं।
आयुर्वेद में खदिर का महत्व-
खदिर विभिन्न औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके कषाय (कसैले) और कड़वे स्वाभाविक के कारण इसे प्राचीन ग्रंथों में एक रसायन जड़ी बूटी के रूप में वर्णित किया गया है। यह जड़ी-बूटी लघु एवं रूक्ष (सूखापन) जैसे भौतिक गुणों से समृद्ध है। साथ ही यह प्रकृति से शीत (ठंडा) होती है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी-माइक्रोबियल, एस्ट्रिंजेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। इन्हीं सभी गुणों के कारण खदिर कई बीमारियों और चिकित्सीय स्थितियों के इलाज में उपयोगी है।
खदिर के फायदे-
दस्त के इलाज के लिए-
खदिर डायरिया रोधी गुणों से भरपूर होता है, जो इसे दस्त के इलाज में उपयोगी बनाता है। खदिर में मौजूद औषधीय गुण आंतों के मांसपेशियों की ऐंठन और मल त्याग की आवृत्ति को कम करते हैं।
रक्तस्राव को नियंत्रित करने में सहायक-
खदिर अपने कसैले गुणों के कारण रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है। यह त्वचा को कसने और प्रवाहित जगह से रक्त के प्रवाह को कम करता है।
सूजन कम करने में कारगर-
सूजन कम करने में खदिर औषधि की तरह काम करता है। क्योंकि यह एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है, जो सूजन के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।
बवासीर का इलाज करने के लिए-
खदिर अपने कसैले गुणों के कारण बवासीर के इलाज में फायदेमंद होता है। यह श्लेष्मा झिल्ली को ठीक करता है, जो बवासीर में जलन, खुजली और दर्द से राहत दिलाने में मददगार है।
त्वचा की समस्याओं में लाभप्रद-
खदिर में जीवाणुरोधी और फंगस रोधी गुण मौजूद हैं। यह सभी गुण बैक्टीरिया और कवक के विकास को रोकते हैं जो त्वचा की अधिकांश समस्याओं का कारण बनते हैं।
मुहांसे और फुंसियों के इलाज के लिए-
खदिर की पत्तियों का उपयोग त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने का काम करते हैं। क्योंकि इस जड़ी-बूटी में रोगाणुरोधी गुण मौजूद होता है। इसलिए चेहरे पर खदिर का पेस्ट लगाने से किशोरों में होने वाले मुंहासों का इलाज किया जाता है। इसके अलावा खदिर की पत्तियों से बने पेस्ट को अल्सर एवं फोड़े-फुंसी जैसी जगहों पर लगाने से आराम मिलता है।
यकृत संबंधी समस्याओं में लाभदायक-
खदिर में पाए जाने वाले घटक एंटी ऑक्सीडेंट के गुणों को प्रदर्शित करते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट लीवर की क्षति के इलाज में फायदेमंद होते हैं।
खदिर का इस्तेमाल कैसे करें?
खदिर का उपयोग विभिन्न रूपों जैसे काढ़ा, अर्क, गरारे करना, माउथवॉश और पाउडर आदि में किया जाता है। चूंकि खदिर की खुराक उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कारकों पर निर्भर करती है। सही खुराक का पता लगाने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना बेहद जरुरी होता है।
खदिर के दुष्प्रभाव-
- स्तनपान करा रहीं माताओं को इस जड़ी बूटी को किसी भी रूप में लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
- खदिर को उच्च रक्तचाप रोधी जड़ी बूटी कहा जाता है। इसलिए कोई व्यक्ति सर्जरी कराने वाला हैं तो इसके सेवन से बचें।
खदिर कहां पाया जाता है?
खदिर का पौधा पूरे एशिया में देखने को मिलता है। यह मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और थाईलैंड में पाया जाता है। यह पौधा मिश्रित पर्णपाती जंगलों और निचले पहाड़ों में उगता है। यह शुष्क क्षेत्रों, रेतीली मिट्टी और नदी के किनारे पर अच्छी तरह से बढ़ता है।