निशोथ के फायदे, उपयोग और नुकसान
2022-08-19 00:00:00
आमतौर पर निशोथ को भारतीय जलप के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसा पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिसके कारण निशोथ का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। निशोथ मुख्य रूप से दो तरह का होता है। पहला काला और दूसरा सफेद, जिसमें से सफेद का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में लोकप्रिय रूप से किया जाता है। सामान्यतः निशोथ एक ज्वरनाशक और रेचक पौधा है, जो इसे बुखार के लिए एक उत्कृष्ट उपाय बनाता है। इसके अतिरिक्त यह यकृत रोग, हृदय रोग, बवासीर आदि के उपचार में सहायक होता है।
निशोथ के औषधीय गुण-
निशोथ में कई तरह के औषधीय गुण जैसे सूजनरोधी, रोगाणुरोधी, एनाल्जेसिक, एंटी अर्थराइटिक, कैंसर विरोधी, रेचक, हेपटोप्रोटेक्टिव और अबोर्टिफिसिएंट गुण मौजूद हैं।
निशोथ के फायदे-
- कब्ज के इलाज में मददगार-निशोथ में शक्तिशाली विरेचक और रेचक गुण होते हैं। जिससे मल त्याग में वृद्धि होती है और मल को आसानी से पास करने में मदद मिलती है।
- कीड़ों को दूर करने में सहायक-निशोथ अपने कृमिघ्ना (एंटी वर्म्स) गुणों के कारण कृमि संक्रमण से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
- खांसी और ब्रोंकाइटिस को ठीक करने में सहायक-निशोथ में कफ संतुलन गुण होते हैं, जो खांसी, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और अधिक कफ के कारण होने वाली श्वसन क्रिया में तकलीफ जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
- अतिरिक्त फैट को कम करने में सहायक-निशोथ अपने विरेचक और डिटॉक्सिफाइंग गुणों के कारण शरीर से अधिक पानी और विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। जिससे शरीर का अतिरिक्त वसा और सूजन को कम करने में मदद मिलती हैं।
- बवासीर के इलाज में मददगार-निशोथ बवासीर के इलाज में सहायक होता है। इसके सूजनरोधी और रोगाणुरोधी गुण गुदा में होने वाली खुजली, जलन और सूजन जैसे लक्षणों में राहत प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त निशोथ में पाए जाने वाला विरेचक गुण कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
- गठिया के इलाज में सहायक-निशोथ गठिया के इलाज में कारगर होता है। दरअसल इसमें मौजूद एंटी अर्थराइटिक और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण जोड़ों की सूजन को कम करतें है। साथ ही शरीर के विभिन्न हिस्सों के दर्द से राहत दिलाते है। इस प्रकार निशोथ गठिया की समस्या को कम करने में बेहद लाभकारी औषधि है।
निशोथ के उपयोग-
- आम तौर पर निशोथ की जड़ का चूर्ण कब्ज और बवासीर की समस्या को दूर करने के लिए रेचक के रूप में दिया जाता है। इसका सेवन त्रिफला के साथ किया जाता है।
- यह आंत से अतिरिक्त पित्त और कफ को निकालने का काम करता है।
- निशोथ त्वचा रोगों में मदद करता है क्योंकि यह रक्त से पानी के संचय को हटाता है। इसके लिए इसे मंजिष्ठा, कुटकी, पुनर्नवा और नीम के साथ मिलाया जाता है।
- गुग्गुल, अदरक और हल्दी के साथ मिश्रित निशोथ उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापे में प्रभावी होता है।
- रूमेटिक वात, लकवा रोग, रक्ताल्पता, पीलिया और सूजन में निशोथ को अदरक के साथ मिलाकर सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।
- इसका सेवन मिश्री के साथ 3 ग्राम की मात्रा में करने से पीलिया में आराम पहुंचता है।
- निशोथ की जड़ का पेस्ट विटिलिगो, अन्य त्वचा रोगों, खालित्य, ग्रीवा, लिम्फैडेनाइटिस, बवासीर अल्सर के इलाज के लिए किया जाता है।
निशोथ के दुष्प्रभाव और कुछ सावधानियां-
निशोथ को दवा के रूप में इस्तेमाल करने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। कभी-कभी यह रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावित करता है। साथ ही इसे निर्देशों और सावधानियों के बिना सेवन करने पर अन्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से इसका दुष्प्रभाव होता है।
- अन्य दवाओं के साथ लेने पर निशोथ अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है और शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।
- अधिक मात्रा में निशोथ का सेवन करना दस्त का कारण बनता है। इसलिए, इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरुर लें।
- 12 साल से कम उम्र के बच्चों को निशोथ का सेवन किसी भी रूप में न कराएं।
- अपेंडिसाइटिस से पीड़ित लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इससे अन्य समस्या हो सकती है।
- गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान निशोथ का सेवन न करें।
यह कहां पाया जाता है?
निशोथ ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और उष्णकटिबंधीय एशिया में पाया जाता है। भारत में, यह जंगली बगीचों के पास पाया जाता है, जो मुख्य रूप से 900 मीटर ऊंचाई तक पाए जाते हैं।