चंदन के लाभ, उपयोग और सावधानियां
2023-08-01 00:00:00
चंदन को सात्विक पेड़ के नाम से जाना जाता है। यह एक सुगंधित जड़ी बूटी है। आमतौर पर चंदन के पेड़ 30 फीट लंबे और सदाबहार होते हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि चंदन की लकड़ी में एक मनमोहक प्राकृतिक सुगंध पाई जाती है, जो सदियों तक रहती है। इस प्रकार चंदन की लकड़ी प्राकृतिक सुगंध के सबसे पुराने और सबसे मूल्यवान स्रोतों में से एक मानी जाती है। सुगंध के अलावा चंदन की लकड़ी एवं पत्तों से अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। इसलिए चंदन का व्यापक रूप से औषधीय और व्यावसायिक तौर पर उपयोग किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘संतलम एल्बम’ (Santalum album) है।
चंदन को विभिन्न क्षेत्रीय नामों से भी पुकारा जाता है। इसे कन्नड़ में "अगरुगंधा, चांडाला, बवन्ना और भद्रश्री", मलयालम में "चंदनम और चंदना-मुट्टी", उड़िया में "वलगाका", तमिल में "अनुक्कम, आसम और संधानम" कहा जाता है। सामान्यतः चंदन के वृक्ष की कई प्रजातियां होती हैं, जिसमें पूर्वी भारतीय चंदन (सैंटलम एल्बम) और ऑस्ट्रेलियाई चंदन (एस स्पाइकैटम) सबसे प्रसिद्ध हैं।
चंदन का आयुर्वेदिक महत्व-
आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में चंदन अपने उपचारात्मक गुणों के कारण जाना जाता है। चंदन में मुख्य रूप से एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल और एंटी-पॉलीफ़्रेटिवे गुण मौजूद होते हैं। जो इसे सिरदर्द, पेट दर्द और त्वचा रोगों के लिए एक आदर्श उपचारक बनाते हैं। साथ ही चंदन एंटीपाइरेटिक, एंटीसेप्टिक, एंटीस्केबेटिक और डायूरेटिकगुणों से भरपूर हैं। यह सभी गुण बुखार कम करने, मूत्र और जननांग विकारों में सुधार करते हैं । इन्हीं औषधीय गुणों के कारण चंदन को व्यापक रूप से पारंपरिक हर्बल दवा बनाने में उपयोग किया जाता है।
चंदन के फायदे-
मूत्र संबंधित समस्याओं में लाभप्रद-
कई बार लोगों को पेशाब करते समय जलन, दर्द और मूत्र प्रणाली में सूजन जैसी समस्याएं होती हैं। ऐसे में चंदन इस समस्या से राहत पहुंचाने का काम करती हैं। इसके मूत्रवर्धक और सूजन रोधी प्रभाव इन समस्याओं से निजात दिलाते हैं। साथ ही मूत्र को आसानी से पास होने में मदद करता है।
खुजली और सूजन को कम करने में सहायक-
चंदन के एंटीसेप्टिक गुण खुजली, संक्रमण और सूजन को कम करते हैं। चंदन का त्वचा पर शीतलन और सुखदायक प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह सूजन या खुजली के रोकथाम में अच्छी तरह से काम करता है।
सिरदर्द में असरदार-
चंदन अपने शीतलन और सुखदायक गुणों के कारण सिरदर्द की समस्या को प्रभावी ढंग से ठीक करता है। इसके लिए चंदन से बने लेप को सिर पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
बुखार के इलाज में कारगर-
चंदन में ज्वरनाशक प्रभाव होता है। जिसके कारण यह शरीर के तापमान को कम करता है। इस प्रकार चंदन बुखार के इलाज के लिए औषधि के तौर पर उपयोग किया जाता है।
मसूड़ों और दांतों को मजबूत बनाएं-
चंदन में कसैले गुण होते हैं जो मसूड़ों, मांसपेशियों और त्वचा में संकुचन पैदा करते हैं। इस तरह यह मसूड़ों और मांसपेशियों को मजबूत करने और त्वचा को कसने के लिए उपयोगी है।
वायरल एवं फंगल इंफेक्शन से बचाव करने में उपयोगी-
चंदन अपने एंटीफ्लोजिस्टिक गुणों के कारण वायरल और फंगल संक्रमण से होने वाली विभिन्न समस्याओं के लिए उपयोगी है। इसके अलावा चंदन में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट मुक्त कणों से लड़ते हैं और शरीर को कवक एवं विषाणु से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इस प्रकार यह वायरल एवं फंगल इंफेक्शन का प्रभावी रूप से इलाज करते हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक साधनाओं में उपयोगी-
चंदन एक बहुत ही खुशबूदार लकड़ी होती है। जिसे हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। यह आध्यात्मिक गुण प्रदान करता है। इसलिए विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, हिन्दू धर्म के कई पूजा-पाठ एवं सात्विक कार्यों में चंदन की लकड़ी का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
चंदन का उपयोग-
- त्वचा संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए चंदन को फेस पैक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
- किसी भी प्रकार के घाव या चोट पर इसका लेप लगाने से आराम मिलता हैं।
- चंदन के तेल को डिफ्यूजर या अरोमा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा करने से सांस लेने में परेशानी, मतली, उल्टी, चिंता और तनाव कम होती है।
- दस्त, पेट फूलना और यूटीआई जैसी विभिन्न स्थितियों के इलाज के लिए एक कप गर्म पानी में चंदन पाउडर मिलाकर चाय के रूप में सेवन किया जाता है।
- चंदन से बने कई तरह के सौंदर्य प्रसाधन और हर्बल प्रोडक्ट आसानी से बाजारों में उपलब्ध हैं।
चंदन के उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां-
- कुछ लोगों में चंदन के उपयोग से शरीर में जलन और खुजली जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।
- चूंकि चंदन रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए जाना जाता है। इसलिए लो ब्लड शुगर के मरीजों को इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरुर लें।
- चंदन को गर्भ निरोधक कहा जाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को चंदन का सेवन करने से पहले चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
- स्तनपान कराने वाली माताओं को भी चंदन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- चंदन के आवश्यक तेल का उपयोग करते समय, इसे पतला करने के लिए बादाम या जैतून जैसे वाहक तेल का उपयोग करना हमेशा उचित होता है। क्योंकि आवश्यक तेल का सीधे उपयोग करना शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।
चंदन कहां पाया जाता है?
भारत में चंदन मुख्य रूप से कर्नाटक और तमिलनाडु में पाया जाता है। इसके अलावा चंदन को भारत के अन्य राज्य जैसे महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, केरल, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, मणिपुर और मध्य प्रदेश में उगाया जाता है।
Written By - Jyoti Ojha
Approved By- Dr. Meghna Swami