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अरंडी का तेल: उपयोग और लाभ

अरंडी का तेल: उपयोग और लाभ

2022-05-25 17:51:28

अरंडी ( कैस्टर ऑयल ) या एरंड यह एक वानस्पतिक तेल है, जिसे अरंडी के बीजों से निकाला जाता है। इस तेल का सबसे ज्यादा प्रयोग औषधी के रूप में होता है। इसके अलावा यह कई प्रकार के घरेलू व व्यावसायिक कार्यों में भी लाभदायक है। इसका तेल त्वचा संबंधित रोगों से लेकर महिलाओं से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं में उपयोगी होता है। पेट दर्द, पीठ दर्द, कब्ज और सिरदर्द जैसी समस्याओं के लिए भी लोग इस तेल का पारंपरिक औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं।

 

कहां से प्राप्त होता है अरंडी का तेल?

 

इसका पौधा (रिसीनस कम्युनिस) फूलों की प्रजाति का पौधा होता है। इसकी फलियों से इसका तेल प्राप्त किया जाता है। जिसका इस्तेमाल साबुन बनाने, कॉस्मेटिक सामान बनाने, परफ्यूम बनाने, खाद्य तेल बनाने आदि के लिए किया जाता है। वैश्विक तौर पर इसका उत्पादन मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के गुजरात में किया जाता है।  भारत के अलावा दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर और पूर्वी अफ्रीका में इसका उत्पादन होता है।

 

अरंडी तेल के फायदे:

 

औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसका तेल बालों व त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

 

बालों के लिए अरंडी तेल का उपयोग-

 

इसके तेल को बालों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। बाजार में यह आसानी से उपलब्ध होता है। इसका उपयोग न सिर्फ बालों के बढ़ने में सहायक है, बल्कि यह डैंड्रफ (रूसी) को दूर करने में भी मदद करता है। इसके अलावा अरंडी का तेल पलकों (आईलैशेज) को खूबसूरत और घना बनाने में भी सहायक होता है।

 

चेहरे और त्वचा के लिए अरंडी तेल का उपयोग–

 

इसका तेल मुंहासों के लिए भी लाभकारी होता है। दरअसल, इसमें मौजूद रिसिनोलिक एसिड मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को रोकने में मदद करते हैं, जिससे मुंहासों की समस्या दूर होती है। वहीं, इसके सही उपयोग से चेहरे की रंगत में निखार आता है।

 

अरंडी तेल का औद्योगिक उपयोग–

 

उद्योग जगत में इसका उपयोग ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने, पेंट का निर्माण करने, साबुन बनाने, चिपकाने वाले पदार्थ जैसे- फेविकॉल, लुब्रिकेंट आदि के निर्माण में भी किया जाता है। इसमें रेचक (Purgative) और चिकनाई होती है, जिसके कारण औषधीय निर्माण में भी इसका व्यापक प्रयोग होता है।

 

अरंडी तेल के नुकसान:

 

उल्टी होना–

 

इसका अत्याधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी की समस्या हो सकती है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।

 

दस्त लगना–

 

इस तेल में प्राकृतिक विरेचक (लैक्सटिव) गुण होता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए तेल का अधिक मात्रा में सेवन करना दस्त की दिक्कत पैदा कर सकता है।

 

पेट में मरोड़ पड़ना–

 

अरंडी के तेल में रिसिन नामक विषैला तत्व पाया जाता है। हालांकि यह तेल जिस ताप प्रक्रिया से हो कर गुजरता है उससे रिसिन काफी हद तक निष्क्रिय हो जाता है। जिसके बाद तेल सुरक्षित रूप से उपयोग करने योग्य बन जाता है। किंतु इस तेल की अत्याधिक मात्रा पेट में मरोड़ पैदा कर सकती है।

 

गर्भपात–

 

गर्भावस्था के दौरान अरंडी के तेल का सेवन न करें। क्योंकि यह गर्भपात का जोखिम बढ़ा सकता है ।

 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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