पेल्विक पेन (श्रोणि दर्द) के कारण, निदान और उपचार
2023-07-29 00:00:00
पेल्विक पेन को हिंदी में श्रोणि का दर्द और आम बोल-चाल की भाषा में पेडू में दर्द के नाम से जाना जाता है। यह दर्द मुख्य रूप से पेट के निचले हिस्से में होता है। आमतौर पर इस दर्द का मुख्य कारण कोई अंतर्निहित समस्या या पेट में गड़बड़ी हो सकती है। जिसके लक्षणों के आधार पर पेल्विक पेन गंभीर या हल्का हो सकता है। कभी-कभी पेल्विक पेन किसी विशिष्ट स्थान पर तेज या छुरा घोंपने वाला दर्द या तो फैलने वाला सुस्त दर्द भी हो सकता है।
सामान्यतः पेल्विक पेन की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखने को मिलती है। ज्यादातर मामलों में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेल्विक पेन का अनुभव होता है। वहीं, महिलाओं में होने वाला पेल्विक पेन का दूसरा सबसे आम कारण यौन अंतरंगता (जिसे हनीमून सिंड्रोम भी कहा जाता है) है। इस प्रकार का पेल्विक दर्द महिलाओं के पेट के निचले हिस्सों जैसे कि गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय ग्रीवा या योनि पथ को प्रभावित करता है। जबकि पुरुषों में इसका कारण प्रोस्टेट की समस्या, मूत्राशय की समस्या या संभोग के दौरान पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में किसी भी प्रकार का तनाव हो सकता है।
पेल्विक दर्द के कारण-
पुरानी श्रोणि दर्द का कारण ढूंढना एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है। साथ ही इसे निर्धारित करने के लिए कई प्रक्रियाएं शामिल होती हैं। पेल्विक दर्द के सामान्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- मासिक धर्म या ओव्यूलेशन के दौरान पेट में ऐंठन या मरोड़।
- एंडोमेट्रियोसिस, एक ऐसी स्थिति जिसमें ऊतक जो सामान्य रूप से गर्भाशय ग्रीवा के आंतरिक भाग को ढकता है। उसमें सूजन हो जाती है और गर्भाशय की गुहा के बाहर विकसित होने लगता है जिससे गर्भाशय ग्रीवा की सूजन हो जाती है।
- पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), प्रजनन अंगों का एक संक्रमण है। यह अक्सर यौन संचारित बैक्टीरिया के कारण होता है।
- इंटरस्टिशियल सिस्टिटिस (दर्दनाक मूत्राशय सिंड्रोम), पेशाब करने की अचानक इच्छा से जुड़ी एक स्थिति।
- गर्भाशय में फाइब्रॉएड या ट्यूमर।
- पेल्विक फ्लोर विकार, जिसमें मांसपेशियों की कमजोरी भी शामिल है। जिससे पेशाब को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।
- आईबीएस, पेट दर्द या बार-बार मल त्याग की स्थिति।
- मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई), एक संक्रमण जो मूत्र पथ और मूत्राशय की सूजन का कारण बनता है।
- पथरी।
- खाद्य असहिष्णुता या अन्य जीआई समस्याएं।
- वुल्वोडनिया या महिला के बाहरी जननांगों में दर्द।
- डायवर्टीकुलिटिस, बड़ी आंत की सूजन वाली स्थिति।
- प्रोस्टेटाइटिस, प्रोस्टेट की सूजन।
- क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे एसटीआई।
- अपेंडिसाइटिस, या अपेंडिक्स का संक्रमण।
- एक्टोपिक गर्भावस्था, जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बाहर संलग्न होता है।
- ओवरियन सिस्ट।
पेल्विक दर्द के जोखिम कारक-
आम तौर पर पेल्विक पेन का अनुभव कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इस दर्द के अधिकांश कारण बाहरी स्रोतों जैसे बैक्टीरिया एवं अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकते हैं। साथ ही कुछ कारक ऐसे होते हैं, जो पेल्विक दर्द की संभावना को बढ़ा सकते हैं। वह निम्नलिखित हैं:
- मासिक धर्म लंबे समय तक आना।
- अनियमित या अधिक मात्रा में रक्त का स्राव होना।
- अधिक धूम्रपान करना।
- पीआईडी, गर्भपात, यौन शोषण, एंडोमेट्रियोसिस या नसबंदी का इतिहास।
- चिंता या अवसाद।
पेल्विक दर्द के निदान-
वैसे तो कई बीमारियां पैल्विक दर्द का कारण बन सकती हैं। ऐसे में चिकित्सक सबसे पहले पेल्विक दर्द का कारण का पता लगाने के लिए कुछ जांच करवाने की सलाह देता है। जिसमें शामिल जांच निम्नलिखित हैं-
श्रोणि परीक्षण-
इसके माध्यम से संक्रमण, असामान्य वृद्धि और श्रोणि तल की मांसपेशियों के लक्षण का पता चलता है। इसके लिए डॉक्टर प्रभावित अंगों की जांच करता है। इस परीक्षण के दौरान दर्द या कोई अन्य असुविधा महसूस होती है, तो तुरंत अपने चिकित्सक को बताएं।
प्रयोगशाला परीक्षण-
इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर क्लैमाइडिया या गोनोरिया जैसे संक्रमणों की जांच के लिए परामर्श देता है। इसके अलावा यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की जांच के लिए डॉक्टर मरीज के ब्लड काउंट और यूरिन टेस्ट की जांच कराने की सिफारिश करता है।
अल्ट्रासाउंड-
यह परीक्षण आपके शरीर के अंदर संरचनाओं की सटीक तस्वीरें बनाने के लिए उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। यह प्रक्रिया गर्भाशय, अंडाशय या फैलोपियन ट्यूब में गांठ या सिस्ट का पता लगाने के लिए बहुत उपयोगी है।
अन्य इमेजिंग परीक्षण-
असामान्य संरचनाओं या वृद्धि को देखने के लिए डॉक्टर पेट के एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी), या चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) की सिफारिश कर सकता है।
लैप्रोस्कोपी-
इस सर्जरी के दौरान डॉक्टर मरीज के पेट में एक छोटा चीरा लगाता है और एक छोटे कैमरे (लैप्रोस्कोप) से जुड़ी एक पतली ट्यूब लगाता है। इस प्रकार लैप्रोस्कोप की मदद से डॉक्टर को पैल्विक अंगों को देखने और असामान्य ऊतक या संक्रमण के लक्षणों का पता लगाता है। एंडोमेट्रियोसिस और पुरानी श्रोणि सूजन की बीमारी का पता लगाने के लिए यह प्रक्रिया बहुत उपयोगी है।
कैसे करें रोकथाम?
पेल्विक पेन का होना बहुत आम बात है। ज्यादातर यह महिलाओं में मासिक धर्म से जुड़ी समस्या होती है। हालांकि कुछ सावधानी बरतकर श्रोणि दर्द के जोखिम को कम किया जा सकता है-
- सुरक्षित संभोग करने से यौन संचारित रोगों से बचा जा सकता है। इसलिए एसटीआई/एसटीडी के संचरण को रोकने के लिए कंडोम और अन्य बाधा विधियों का उपयोग करें।
- अधिक घर्षण से बचने के लिए संभोग करते समय स्नेहक का प्रयोग करें। जिससे श्रोणि दर्द की समस्या कम होती है।
- किसी भी तरह की असुविधा या अन्य लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
- धूम्रपान से परहेज करें।
- अपने चिकित्सक से इस विषय पर भी चर्चा करें, क्या मौखिक गर्भनिरोधक दवाइयां एक विकल्प हो सकता है।
- फाइबर युक्त आहार का सेवन करें। ताकि मल त्याग करने में किसी भी तरह की असुविधा न हों।
- अधिक खांसने से पेल्विक मांसपेशियों पर दबाव पड़ सकता है जिससे गंभीर पैल्विक दर्द के साथ-साथ हर्निया भी हो सकता है।
पेल्विक दर्द का इलाज-
पैल्विक दर्द का उपचार दर्द की तीव्रता और दर्द की कारण के आधार पर किया जाता है। कभी-कभी पैल्विक दर्द का इलाज एंटीस्पास्मोडिक और दर्द निवारक दवाओं से किया जाता है। यदि दर्द पैल्विक अंगों में किसी समस्या का परिणाम है, तो उपचार में सर्जरी या अन्य प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं। इसके अलावा यदि दर्द मांसपेशियों में साधारण खिंचाव हो तो फिजियोथेरेपी मदद कर सकती है।
पेल्विक दर्द के घरेलू उपचार-
- पेल्विक दर्द का इलाज अक्सर ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाओं से किया जाता है। लेकिन कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- कुछ मामलों में पेल्विक दर्द को आराम करने से भी ठीक हो जाता है। वहीं थोड़ा चलना और हल्का व्यायाम अधिक फायदेमंद होता है।
- इससे राहत पाने के लिए अपने पेट पर गर्म पानी की एक बोतल रखें। साथ ही गर्म पानी से स्नान करना भी लाभदायक होता है।
- इसके लिए अपने पैरों को उठाएं। यह पैल्विक दर्द और पीठ के निचले हिस्से या जांघों को प्रभावित करने वाले दर्द को दूर करने में मदद कर सकता है।
- प्रसवपूर्व योग और ध्यान का प्रयास करें, जो दर्द कम करने में मदद करता है।
- इसके लिए विलो छाल जैसी जड़ी-बूटियां का सेवन करें। यह पेल्विक दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
सामान्य पैल्विक दर्द चिंता का कारण नहीं हो सकता है। लेकिन, यदि दर्द गंभीर है या एक सप्ताह से अधिक समय लें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- पेशाब में खून आने पर।
- दुर्गन्धयुक्त पेशाब का स्राव होने पर।
- पेशाब करने में असुविधा महसूस करने पर।
- मल त्याग करते समय कठिनाई होने पर।
- पीरियड्स के दौरान अधिक रक्त का स्राव होने पर।
- कपकपी या ठंड लगने पर।
Written By - Jyoti Ojha
Approved By- Dr. Meghna Swami