क्या होता है डिटॉक्सिफिकेशन? जानें, इसके महत्व और तरीके
2022-03-17 14:43:04
डिटॉक्सिफिकेशन वह शारीरिक प्रक्रिया है जिसकी मदद से शरीर विषाक्त पदार्थों (Toxin) से मुक्त होता है। यहां विषाक्त पदार्थों का मतलब उन पदार्थों से है, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसमें वह सभी धातुएं, रसायन, प्रदूषण और कृत्रिम खाद्य पदार्थ आते हैं, जो किसी भी तरह से शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
वैसे इन विषाक्त पदार्थों से बचने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरती जा सकती हैं। लेकिन सिर्फ सावधानी बरतना या उसके सहारे पूरा जीवन निकालना काफी नहीं है। क्योंकि पानी, भोजन और हवा के माध्यम से हम और आप रोजाना कई हानिकारक जीवों और प्रदूषकों के संपर्क आते रहते हैं। इसलिए यह कहना पूरी तरह से ठीक नहीं है, कि केवल सावधानी बरतने से हम उन पदार्थों से बचे रहेंगे।
डिटॉक्सिफिकेशन का महत्व-
जिस तरह से हमेशा खुश रहने के लिए बुरी चीजों को भूलकर, अच्छी चीजों को याद रखना जरूरी होता है। उसी तरह से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बॉडी से भी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना जरूरी है। इसके लिए शरीर को डिटॉक्सीफाई करने की जरूरत पड़ती है।
निम्नलिखित डिटॉक्सिफिकेशन कार्यों से शरीर की प्राकृतिक रूप से सफाई की जा सकती है;
- उपवास के माध्यम से शरीर के अंगों को आराम देने की कोशिश करें।
- विषाक्त पदार्थों को बॉडी से बाहर निकालने के लिए लिवर (यकृत) को उत्तेजित करने की कोशिश करें।
- आंतों, गुर्दे और त्वचा के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालें।
- रक्त के परिसंचरण में सुधार करें।
- जरूरी पोषक तत्वों के साथ शरीर को स्वस्थ रखें।
कैसी होती है डेटॉक्स प्रक्रिया?
शरीर को डिटॉक्स करने का प्रमुख काम उत्सर्जन तंत्र करता है। त्वचा मुंहासे और पसीने के जरिए विषाक्त पदार्थों को बाहर करती है। इसके बावजूद भी बड़ी संख्या में विषाक्त पदार्थ शरीर में रह जाते हैं। उपवास के माध्यम से मांसपेशियों को आराम देकर और रक्त बहाव जैसे कुछ प्राकृतिक एजेंटों के द्वारा हटाया जा सकता है। शरीर भी खुद को चौबीसों घंटे डिटॉक्स करता रहता है।जिसमें मस्तिष्क द्वारा सोते समय विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना शामिल है।
शरीर को डेटॉक्स की ज़रूरत के संकेत;
जब आप आलस, तनाव, नींद और चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं, तो उस समय उतने स्वस्थ नहीं होते जितना किसी और समय पर होते हैं। इसी तरह के कई संकेतों के माध्यम से शरीर विषहरण (डिटॉक्सिफिकेशन) के समय के बारे में बताता है। जोकि निम्नलिखित हैं-
- त्वचा पर खारिश (irritated skin)।
- खराब पेट।
- अम्लता (पेट की गैस) यासूजन।
- एलर्जी।
- अस्पष्टीकृत थकान (Unexplained fatigue)।
- सुगंध के कारण चिड़चिड़ापन।।
- सांस से बदबू आना
- आंखों के नीचे झांकियां होना।
- निम्न श्रेणी का संक्रमण (low-grade infection)।
- मासिक धर्म संबंधी समस्या।
- मानसिक भ्रम की स्थिति।
डिटॉक्सिफिकेशन करने के तरीके;
खूब पानी पिएं-
शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन के लिए पानी सबसे अच्छा उपकरण है। पानी की आवश्यकता शरीर के सभी बुनियादी कार्यों में पड़ती है।लार और आंसू का उत्पादन करने, पसीने की मदद करने और कचरे को हटाने के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। इसलिए दिन में 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।
विटामिन सीप्राप्त करें-
विटामिन-सी से शरीर में ग्लूटाथियोन (Glutathione) का उत्पादन होता है। ग्लूटाथियोन एक प्रकार का यकृत यौगिक होता है। जो विषाक्त पदार्थों को शरीर से दूर करने में मदद करता है। इसलिए शरीर में विटामिन-सी की पूर्ती करने के लिए हर दिन एक गिलास नींबू पानी का सेवन करें।साथ ही खाने में नींबू और खट्टे फलों का प्रयोग करें।
फाइबर युक्त आहार का सेवन करें-
ब्राउन राइस और ताजे फल-सब्जियां खाएं। बीट, गांठ गोभी, मूली, ब्रोकली और अन्य प्रकार की गोभी आदि उत्कृष्ट डिटॉक्स खाद्य पदार्थों का सेवन जरूर करें। इनमें फाइबर अधिक मात्रा में होता है। जूस और ताज़े फल-सब्जियों का रस भी डिटॉक्स प्रक्रिया में मदद करता है।
साबुत भोजन को अपनाएं-
हमारा भोजन ही विषाक्त पदार्थोंऔररसायनों काप्रमुख स्रोत है।इसलिए परिरक्षकों और रंग एजेंट मुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके लिए दाल, चावल और अनाज की अन्य जैविक किस्मों का प्रयोग करें।
शारीरिक परिश्रम बढ़ाएं-
शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से पसीनाबनने में मदद मिलती है।जो त्वचा के जरिए विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है।शारीरिक गतिविधि करने से मांसपेशियों में हार्मोन और रसायन भी निकलते हैं, जो शरीर को आराम देते हैं।
स्वच्छ सांस लें-
प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से प्रदूषक के तत्व हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं, जो काफी हानिकारक होते हैं। इसलिए आस-पास के वातावरण को हमेशा साफ और प्रदूषण रहित रखने की कोशिश करें।साथ ही घरों के आस-पास हरे पौधेलगाएं और उनका ध्यान रखें।
इसके अलावा पालतू जानवरों की रूसी, फफूंदी, धुआंऔर सूक्ष्मजीव भी घर की हवा को बाहर की तुलना में ज्यादा विषाक्त बनाते हैं। इसलिए इन कारणों से बचने का प्रयास करें और ऑक्सीजन को शरीर में अधिक तेज गति से प्रसारित करने के लिए लंबी सांस लें।
योगासन का सहारा लें-
योग एक शारीरिक व्यवस्था है। यह शारीरिक प्रक्रियाओं में सुधार करता है और शरीर के अंगों को डिटॉक्स भी करता है। योग डिटॉक्सिफिकेशन के सबसे प्रमुख तरीकों में से एक है। इसलिए दैनिक दिनचर्या में कम से कम एक योगासन जरूर करें।
योग शरीर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसलिए व्यक्ति को ध्यान और आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।