पाचन विकार के कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
2022-03-17 13:02:11
मनुष्यों में पोषण पाचन तंत्र के माध्यम से होता है। इसमें आहार नली (alimentary canal) और उससे जुड़ी ग्रंथियां (glands) होती हैं। मनुष्य के पाचन तंत्र में मुख्य रूप से पाए जाने वाले विभिन्न अंग मुंह, ग्रासनली/ भोजन नली (Oesophagus), पेट, छोटी और बड़ी आंत होते हैं। इसके अलावा इसमें लिवर, पित्ताशय की थैली, आग्रशय भी होते हैं। इन्हीं के द्वारा शरीर में पाचनक्रिया होती है। यह सभी अंग पाचन क्रिया को करने के लिए रस का निर्माण करते हैं। इसके अलावा पाचन तंत्र सभी पोषक तत्वों को अवशोषित और खराब पदार्थो को शरीर से बाहर भी निकालता है।
जब पाचन तंत्र के अंग कमजोर होने लगते हैं तो शरीर का विकास सुचारु रूप से नहीं हो पाता है। जिसके फलस्वरूप पाचन संबंधी समस्या उत्पन्न होने लगती है। जिससे मनुष्य पाचन संबंधी बीमारी (Digestive Disorder) से पीड़ित हो जाता है। पाचनतंत्र के कमजोर होने पर खाना समय पर हजम नहीं हो पाता। जिससे शौच करते समय बेहद परेशानी का सामना करना पड़ता है। खाने को ठीक से न पचा पाने के कारण सीने में जलन होना, गैस, एसिडिटी, सूजन, पेट की गड़बड़ी, कब्ज और थकान जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
पाचन विकार के लक्षण-
पाचन तंत्र बिगड़ने के बहुत से लक्षण होते हैं। लेकिन सभी लक्षण केवल एक ही व्यक्ति में देखने को नहीं मिलते हैं। यह अलग-अलग नजर आते हैं जोकि निम्न हैं;
- सीने में जलन होना।
- पेट में एसिडिटी या गैस का बनना।
- भूख कम लगना।
- कब्ज होना।
- मल में रक्त आना।
- थकावट महसूस करना।
- मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना ।
- लंबे समय तक शौचालय में बैठना।
- शौच के बाद भी पेट साफ न होना।
- पेट में भारीपन महसूस करना।
- पेट में मरोड़ या दर्द होना।
- मुंह में छाले पड़ना।
- सिर में दर्द होना।
- बदहजमी होना।
- त्वचा में मुंहासे और फुंसियों का होना।
- जी मिचलाना या मितली आना।
- पेट फूलना या दस्त होना।
पाचन तंत्र खराब होने के कारण-
पाचन तंत्र खराब होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पाचन तंत्र खराब होने की समस्या मुख्य रूप से हमारी जीवनशैली और खानपान से जुड़ी होती है। आइए चर्चा करते हैं इन्हीं कमियों के बारे में -
- अधिक शराब का सेवन करना।
- फाइबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
- तरल पदार्थों का कम सेवन करना।
- खाद्य पदार्थों से एलर्जी होना
- ज्यादा मीठा और फैटी फ़ूड खाना।
- सही समय पर भोजन न करना।
- ज्यादा तेल एवं मिर्च मसाले का सेवन करना।
- एस्पिरिन और एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं अधिक उपयोग करना।
- शारीरिक श्रम की कमी होना।
- हेल्थ सप्लीमेंट्स दवाओं का अधिक सेवन करना।
- तनाव, अवसाद या चिंता करना।
- शौच को रोकना।
- पर्याप्त नींद न लेना।
पाचन विकार के प्रकार-
इसे मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है जो निम्न है;
कार्बनिक जीआई विकार-
इससे व्यक्ति तब पीड़ित होता है, जब पाचन तंत्र में संरचनात्मक असामान्यताएं होती हैं। जो इसे ठीक से काम करने से रोकती हैं।
कार्यात्मक जीआई विकार-
इन विकारों में, जीआई पथ संरचनात्मक रूप से सामान्य प्रतीत होता है। लेकिन फिर भी ठीक से काम नहीं कर पाता।
पाचन तंत्र ख़राब होने से गंभीर बीमारी-
कब्ज-
असल में कब्ज पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या होती है। जिसमें मल त्याग करते समय अधिक कठिनाई होती है। मल त्यागते समय आसानी से मल एनस (गुदा मार्ग) से बाहर न निकलने की स्थिति को कब्ज कहते हैं।
आंतों में इंफेक्शन (Intestinal Infection)-
आंतों में इंफेक्शन होने से कई बार कब्ज की समस्या होने लगती है। आंतों में होने वाली इस समस्या को गैस्ट्रोएंटेरिटिस (Gastroenteritis) कहते हैं। यह बीमारी वायरस, बैक्टीरिया, फूड प्वाइजनिंग जैसे कारणों से होती है।
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज-
जब डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (पाचन मार्ग) में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन होता है तो इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (पेट दर्द रोग) होता है। जिसके कारण कब्ज होने के साथ डायरिया की दिक्कत भी हो सकती है।
हाइपोथायरायडिज्म-
हाइपोथायरायडिज्म भी पाचन तंत्र बिगड़ने का प्रमुख कारण होता। यह शरीर में हार्मोन असंतुलन के लिए जिम्मेदार होता है। जो पाचन तंत्र बिगड़ने के कारण बन सकता है।
पेट में अल्सर (Stomach Ulcer)-
पेट में अल्सर होने से मल त्यागने में लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कुछ लोगों में यह डायरिया (दस्त) का कारण भी होता है। पेट के अल्सर को पेप्टिक अल्सर कहते हैं। जो आंतों में घाव या छाला होने की वजह से होता है। यह मुख्य रूप से पाचन तंत्र की लाइनिंग में होता है। पेट के साथ यह कई बार छोटी आंत में भी हो जाता है। इस प्रकार पेट में अल्सर होना भी पाचन तंत्र बिगड़ने की एक वजह होती है। इसके अलावा पेट में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होना या अधिक एस्पिरिन, ईबूप्रोफेन जैसी दवाओं के सेवन से भी पेट में अल्सर हो सकता है।
बवासीर (Piles)-
बवासीर एक प्रकार की सूजन है। जो गुदा और निचले हिस्से (मलाशय) में होती है। गुर्दे और निचले मलाशय के भीतर अंदर की ओर छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं (नसों) का नेटवर्क होता है। कभी-कभी यह नसें अधिक चौड़ी हो जाती हैं और इनमें सामान्य से अधिक रक्त भर जाता हैं। तब यह नसें और ऊपर की ऊतकें (Tissues) बवासीर नामक सूजन को उत्पन्न करती हैं। बवासीर कुछ लोगों में बहुत आम और कुछ लोगों में अधिक रक्तस्राव विकसित करता हैं। बवासीर होने के प्रमुख कारण हैं- मोटापा, गर्भावस्था, शौचालय में लंबे समय तक बैठना, दस्त या कब्ज होना, मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना, कम फाइबर वाले आहार लेना इत्यादि।
इम्यून सिस्टम खराब होना-
जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस और बैक्टीरिया से लड़ती है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली में कई प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं। जो पाचन तंत्र की स्वस्थ कोशिकाओं का खात्मा करते हैं। परिणामस्वरूप रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।
एसिड भाटा रोग (GERD)-
जब मनुष्य भोजन या कुछ भी निगलता है तो स्फिंक्टर कमजोर पड़ने या सही तरीके से काम नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण पेट के अंदर के अम्लीय पदार्थ वापस आहार नली में आ जाते हैं। यह अम्लीय पदार्थ भोजन नली की परत में जलन पैदा कर देते हैं। इस घटना को एसिड भाटा रोग कहा जाता है। इसके अलावा कभी-कभी भोजन नली में सूजन और लालिमा भी हो जाती है। इसका प्रमुख कारण मोटापा, धूम्रपान करना, शराब, गर्भावस्था और अधिक मात्रा में चाय इत्यादि।
पाचन विकार होने पर निम्न बातों पर दे ध्यान-
- ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
- अधिक फाइबर युक्त आहार जैसे फलियां और साबुत अनाज का सेवन करें।
- प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- चाय, कॉफी, धूम्रपान आदि का सेवन कम करें।
- मल त्याग करते समय अधिक जोर न लगाएं।
- शराब के सेवन से बचें।
- तले-भुने एवं जंक फूड के सेवन से बचें।
- भोजन को चबाकर एवं धीरे-धीरे करें।
- भोजन करते समय पानी न पिएं।
- भोजन के उपरांत तुरंत न लेटें।
- नियमित रूप से सुबह टहलें और व्यायाम करें।
पाचन विकार के परिक्षण-
- अल्ट्रासाउंड।
- स्टूल टेस्ट।
- एक्स-रे।
- सिटी स्कैन एवं एमआरआई स्कैन।
पाचन तंत्र रोग के घरेलू उपचार-
फाइबर एवं प्रोटीन युक्त भोजन-
भोजन में फाइबर और प्रोटीन युक्त चीजों का प्रयोग करें, जैसे हरी सब्जियां, दालें, सोयाबीन, दानामेथी, अलसी के बीज इत्यादि को शामिल करें। ऐसा करने से आपका हाजमा दुरुस्त रहता है।
गुनगुने पानी पीएं-
पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी का सेवन करें। गुनगुना पानी पीने से पाचन के साथ अपच से होने वाले पेट दर्द में भी राहत मिलती है।
नींबू पानी पिएं-
नींबू में पाए जाने वाला सिट्रिक एसिड कब्ज एवं गैस की समस्या का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के संक्रमण को कम करता है। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर सेवन करें।
नारियल पानी पिएं-
पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या में नारियल का पानी पीना अच्छा विकल्प है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गतिविधि होती हैं। जो गैस एवं पेट संबंधित विकारों में आराम पहुंचाती हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।
एलोवेरा जूस-
एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया के संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं। इसलिए यह गैस्ट्राइटिस जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में मददगार होते हैं। इसलिए अपने डेली रूटीन में एलोवेरा जूस पीना बेहद फायदेमंद होता है।
सौंफ का चूर्ण-
एसिडिटी को दूर, सीने की जलन को कम और खाना अच्छी तरह से पचाने के लिए सौंफ का इस्तेमाल किया जाता हैं। इसके लिए सौंफ का चूर्ण बनाकर इसका गुनगुना पानी के साथ सेवन करने से पेट संबंधित विकार दूर होते हैं।
अजवाइन का चूर्ण -
अजवाइन, जीरा और काले नमक को समान मात्रा में मिलाकर तवे पर भून लें। अब इस मिश्रण का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन आधा चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें। ऐसा करने से कब्ज और गैस संबंधित समस्या में आराम मिलता है।
दही एवं छाछ का सेवन-
आयुर्वेद में पाचन संबंधी बीमारी के इलाज में छाछ औषधि के तरह काम करती है। क्योंकि इसमें प्रोबेटिक गुण पाए जाते हैं। जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने का काम करते हैं।
बेल का सेवन-
बेल फल का सेवन कब्ज एवं पेट की समस्या के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा बेल का शरबत पीना भी कब्ज एवं गैस में फायदेमंद होता है।
त्रिफला चूर्ण का सेवन-
त्रिफला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो पाचन तंत्र को खराब होने से बचाता है। इसके लिए प्रतिदिन रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें। इसके प्रयोग से कब्ज आदि समस्याओं में राहत मिलती हैं।
शहद-
शहद को गुनगुने पानी के साथ लेने पर पेट से जुड़ी समस्या में आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त शहद के साथ ओट्स, कॉर्न फ्लैक्स, हर्बल टी आदि का सेवन कर सकते हैं।
पुदीने का तेल-
पुदीना तेल का प्रयोग लंबे समय से पाचन तंत्र को बेहतर कर दस्त, गैस, कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता रहा है। इसके अलावा पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) के उपचार हेतु भी किया जाता है। इसके लिए 2 या 3 बूंद पुदीने के अर्क को आधे गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
अदरक-
अदरक के रस में गर्म पानी और शक्कर मिलाकर पीने से गैस और एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियां दूर होती हैं। आयुर्वेद में इस मिश्रण को पेट संबंधित रोगों को दूर करने में कारगर माना जाता है। इसके अलावा अदरक वाली काली चाय को भी एसिडिटी के लिए पीया जा सकता है।