Posted 23 October, 2023
लुपस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार
लुपस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार
लुपस क्या है?
लुपस या ल्यूपस एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो सूजन और कई तरह के समस्याओं (लक्षणों) का कारण बनती है। लुपस सभी को अलग तरह से प्रभावित करता है। कुछ लोगों में केवल कुछ हल्के लक्षण होते हैं और अन्य में कई, अधिक गंभीर लक्षण होते हैं। जानकारी के आभाव के चलते बहुत से लोगों का मानना है कि लुपस एक त्वचा संबंधित रोग है, लेकिन असल में यह इससे कहीं ज्यादा है। यह न केवल त्वचा से जुड़ी समस्याएँ खड़ी करती है बल्कि इसकी वजह से कई अंदुरुनी अंग भी प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से जोड़ों से जुड़ी समस्याए, किडनी, फेफड़े, रक्त कोशिकाएं, मस्तिष्क और हृदय संबंधित समस्याएँ हो सकती है। लुपस से निदान पाना काफी मुश्किल होता है, हाँ लेकिन समय से इसके लक्षणों की पहचान कर इससे होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
लुपस के कितने प्रकार है?
लुपस (लुपस) जो कि एक ऑटोइम्यून बीमारी उसे हेल्थकेयर प्रदाताओं द्वारा विशेष रूप से चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है आमतौर पर चार लुपस प्रकारों को वर्गीकृत करते हैं। लुपस के सभी चारों प्रकारों को निचे वर्णित किया गया है :-
सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस
सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस (SLE) लुपस का सबसे आम प्रकार है। सबसे ज्यादा लोग सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस से ही प्रभावित होते हैं। लुपस का यह प्रकार एक प्रणालीगत स्थिति है। इसका मतलब है कि यह पूरे शरीर में कई अंगों और प्रणालियों को प्रभावित कर सकता है। इस कारण से, सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस लुपस का अधिक गंभीर रूप हो जाता है। लुपस के इस प्रकार के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस मुख्यतः शरीर के निम्नलिखित हिस्सों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है :-
- किडनी
- त्वचा
- जोड़
- दिल
- फेफड़े
- तंत्रिका प्रणाली
त्वचीय लुपस-
लुपस का यह प्रकार आमतौर पर केवल आपकी त्वचा तक ही सिमित होता है। त्वचीय लुपस की वजह से त्वचा पर निशान के साथ चकत्ते और स्थायी घावों की समस्या हो सकती है। लुपस का यह सबसे सामान्य प्रकार है और अधिकतर लोगों में लुपस की यही समस्या देखि जाती है। त्वचीय लुपस के कई प्रकार होते हैं जिन्हें निम्नलिखित किया गया है, हर व्यक्ति में त्वचीय लुपस का अलग प्रकार हो सकता है :-
तीव्र त्वचीय लुपस Acute Cutaneous Lupus: लुपस के इस प्रकार के कारण एक विशिष्ट "बटरफ्लाई रैश” बन जाते हैं। यह एक लाल चकत्ते है जो गालों और नाक पर दिखाई देता है।
सबस्यूट त्वचीय लुपस-
सबस्यूट त्वचीय लुपस शरीर पर लाल, उभरे हुए और पपड़ीदार दाने का कारण बनता है। यह अक्सर उन क्षेत्रों पर होता है जो सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं और आमतौर पर निशान नहीं छोड़ते हैं। यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसका अर्थ है कि यह तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली खुद पर हमला करती है। कुछ नुस्खे वाली दवाएं सबस्यूट त्वचीय लुपस के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं। सबस्यूट त्वचीय लुपस का कोई इलाज नहीं है। उपचार आपको लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है और सबस्यूट त्वचीय लुपस के दानों को गंभीर होने से बचा सकता है।
जीर्ण त्वचीय लुपस-
जीर्ण त्वचीय लुपस या क्रोनिक त्वचीय लुपस त्वचा पर बैंगनी या लाल दाने का कारण बनता है। यह त्वचा की मलिनकिरण, निशान, और बालों के झड़ने का कारण भी बन सकता है। क्रोनिक त्वचीय लुपस को डिस्कोइड लुपस भी कहा जाता है।
नीओनेटल लुपस-
बाकी लुपस के मुकाबले नीओनेटल लुपस सबसे दुर्लभ है। लुपस का यह प्रकार केवल नवजात शिशुओं और भ्रूण में ही पाया जाता है। यह बीमारी गर्भवती स्त्री की नाल के द्वारा भ्रूण में कुछ एंटीबाडीज के चले जाने के कारण होती है। इन एंटीबाडीज को एंटी रो और एंटी ला कहा जाता है। यह विशिष्ट एंटीबाडीज लुपस से पीड़ित लगभग एक तिहाई महिलाओं में पायी जाती हैं परन्तु सभी के शिशुओं को इनके दुष्प्रभाव नहीं होते। वहीं कभी-कभी यह बीमारी उन महिलाओं के शिशुओं को भी हो सकती है जिनमे यह एंटीबाडीज नहीं भी होती। नीओनेटल लुपस की वजह से शिशु को जन्म से ही लीवर से जुड़ी समस्या भी हो सकती है जो कि ताउम्र साथ रह सकती है।
जब भ्रूण में नीओनेटल लुपस की समस्या होती है तो उसे दिल से जुड़ी समस्याएँ हो सकती है जिसे कनजेनाइटल हार्ट ब्लॉक कहा जाता है। इस हार्ट ब्लॉक में भ्रूण के दिल की धड़कन असामान्य रूप से धीमी पड़ जाती है। यह विकृति स्थाई होती है, इसका निदान शिशु के जन्म के पहले भ्रूण के दिल के अल्ट्रासाउंड के द्वारा 15 से 25 हफ्ते की गर्भावस्था में किया जा सकता है। यदि इस का निदान जन्म की पहले ही हो जाये तब कुछ दवाओं की मदद से इसका इलाज संभव है। जब इस का निदान शिशु की जन्म की बाद होता है तब अधिकतर शिशुओं को पेस मेकर की आवश्यकता पड़ती है।
ड्रग-प्रेरित लुपस-
ड्रग-प्रेरित लुपस (DIL) एक ऑटोइम्यून स्थिति है जो कुछ दवाओं के कारण होती है। इसके लक्षण आमतौर पर सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस के समान होते हैं, लेकिन वह सिस्टमिक लुपस एरिथेमेटोसस और बाकी लुपस के मुकाबले कम गंभीर होते हैं। ड्रग-प्रेरित लुपस के संभावित कारणों के रूप में 100 से अधिक दवाओं की पहचान की गई है। आमतौर पर ड्रग-प्रेरित लुपस से जुड़ी दवाओं में शामिल हैं:
- हाइड्रैलाज़िन, एक उच्च रक्तचाप की दवा
- प्रोकेनामाइड, एक हृदय अतालता दवा
- आइसोनियाज़िड, एक एंटीबायोटिक जिसका उपयोग तपेदिक के इलाज के लिए किया जाता है
- मिनोसाइक्लिन, एक एंटीबायोटिक जिसका उपयोग त्वचा की कुछ स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है
इन दवाओं के साथ लगातार उपचार के महीनों या वर्षों के बाद ड्रग-प्रेरित लुपस के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। हाइड्रैलाज़िन लेने वाले लगभग 5% लोग और लंबे समय तक प्रोकेनामाइड लेने वाले 20% लोग ड्रग-प्रेरित लुपस विकसित करते हैं। हालांकि अन्य दवाएं ड्रग-प्रेरित लुपस को प्रेरित कर सकती हैं, लेकिन संभावना बहुत कम है।
लुपस के लक्षण-
लुपस होने पर निम्नलिखित लक्षण सामान्य रूप से दिखाई देते हैं :-
- उच्च बुखार
- थकान
- शरीर में दर्द
- जोड़ों का दर्द
- चेहरे पर एक तितली के दाने सहित चकत्ते
- त्वचा क्षति
- सांस लेने में कठिनाई
- सिर दर्द
- उलझन
- स्मृति हानि
- मुह में अल्सर
- सूर्य की किरणों से हानि
- स्जोग्रेन सिंड्रोम – इसमें पुरानी सूखी आंखें और शुष्क मुंह शामिल हैं
- पेरिकार्डिटिस और फुफ्फुसशोथ (फुफ्फुसशोथ), जो दोनों सीने में दर्द का कारण बन सकते हैं
- ठंड या तनाव से पीली या बैंगनी उंगलियां।
लुपस होने के कारण-
लुपस होने के सटीक कारण के बारे में फ़िलहाल अभी कुछ स्पष्ट रूप से पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन शोधों के अनुसार एक व्यक्ति को लुपस तब होता है जब उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसके ऊतकों को नुकसान पहुंचाती है। वहीं, कुछ शोधों के अनुसार लुपस एक अनुवांशिक रोग भी है जिसकी वजह से यह कुछ लोगों में केवल इसी कारण होता है क्योंकि उनसे पहले यह रोग उनके परिवार में पहले किसी को था। इसके अलावा पर्यावरण की वजह से भी लुपस की समस्या हो सकती है और ऐसा तब होता है जब वह पर्यावरण की किसी ऐसी चीज के संपर्क में आते हैं, जो लुपस को ट्रिगर कर सकती है। लुपस के ज्यादातर मामलों में उसके कारण अज्ञात ही रहते हैं।
आमतौर पर लुपस के होने के पीछे निम्न वर्णित कुछ विशेष कारण माने जाते हैं :-
पर्यावरण –
खराब पर्यावरण की वजह से लुपस हो सकता है। धूम्रपान, तनावपूर्ण वातावरण और सिलिका धूल जैसे विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने की वजह से लुपस की समस्या हो सकती है।
आनुवंशिकी –
यह स्पष्ट है कि लुपस एक वंशानुगत रोग है, इससे जुड़े 50 से अधिक जीनों की पहचान की गई है। इसके अतिरिक्त, लुपस का पारिवारिक इतिहास होने से व्यक्ति को स्थिति का अनुभव करने के लिए थोड़ा अधिक जोखिम हो सकता है।
हार्मोन –
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि असामान्य हार्मोन का स्तर, जैसे कि एस्ट्रोजन का बढ़ा हुआ स्तर, लुपस को बढ़ा सकता है।
संक्रमण –
काफी बार कहा जाता है कि लुपस संक्रमण की वजह से भी हो सकता है। लेकिन अभी शोधकरता साइटोमेगालोवायरस और एपस्टीन-बार जैसे संक्रमणों और लुपस के कारणों के बीच की कड़ी का अध्ययन कर रहे हैं।
दवाएं –
कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग की वजह से लुपस होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। इन दवाओं में विशेष रूप से हाइड्रैलाज़िन (अप्रेसोलिन), प्रोकेनामाइड (प्रोकेनबिड), और क्विनिडाइन शामिल है। इसके अलावा, रूमेटोइड गठिया (आरए), सूजन आंत्र रोग (आईबीडी), और एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस जैसी स्थितियों के लिए टीएनएफ अवरोधक दवाएं भी शामिल है। हालांकि दुर्लभ, टेट्रासाइक्लिन, जैसे मिनोसाइक्लिन, जिसका उपयोग मुँहासे और रोसैसिया के इलाज के लिए किया जा सकता है यह भी लुपस होने का कारण बन सकती है। दवाओं की वजह से होने वाले लुपस को ड्रग-प्रेरित लुपस एरिथेमेटोसस (डीआईएल) के नाम से जाना जाता है।
लुपस के लिए प्राकृतिक उपचार
- योग करें,
- ध्यान लगाएं,
- आहार में उपयुक्त बदलाव करें,
- रक्तचाप और मधुमेह स्तर को नियन्त्रण में रखें आदि।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर आपको अपने शरीर में लुपस के अस्पष्ट दाग दिखाईं दें या बुखार, लगातार दर्द और थकान महसूस हो रही हो तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
Reference Links-
Lybrate-https://www.lybrate.com/hi/topic/lupus, last accessed on 17.12.2022.
Aajtak- https://www.aajtak.in/lifestyle/health/story/systemic-lupus-erythematosus-called-sle-is-a-chronic-disease-often-found-in-women-tlif-656223-2019-05-13 , Last accessed on 17.12.2022.
News18- https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-news-world-lupus-day-2022-what-is-lupus-disease-its-symptoms-causes-treatment-in-hindi-ans-4245017.html , Last accessed on 17.12.2022.