पेट फूलना अर्थात स्टमक ब्लोटिंग
2022-05-25 17:52:12
वर्तमान समय में पेट में गैस होना, एसिडिटी होना, पेट फूलना, अफारा (पेट में वायु का रुक जाना) जैसी बीमारियां बहुत ही सामान्य समस्याएं हो गई हैं। पेट फूलने का मुख्य कारण है लोगों की अनियमित और असंतुलित जीवनशैली। जिसका सीधा और पहला असर पेट पर पड़ता है। कभी-कभार पेट फूलने या पेट में भारीपन होना तो एक आम बात है। क्योंकि ऐसा कई बार रात में नींद पूरी न होने, भूख से अधिक खा लेने या हैवी भोजन कर लेने से भी होता है। जोकि स्वाभाविक है।
लेकिन लगातार कई दिनों तक कुछ खाते ही या बिना खाए पेट फूलने की समस्या होने लगे तो इस बात को अनदेखा न करें। कई बार यह समस्या पेट में चल रही अनेक गड़बड़ियों के कारण या किसी भयानक रोग का प्रारंभिक लक्षण भी हो सकती है।
क्या होता है पेट फूलना?
वैसे तो पेट फूलने का मुख्य कारण पेट में बनने वाली गैस होती है, जो पेट के आकार को बढ़ा देती है। सामान्य भाषा में इसे “पेट की सूजन” भी कहा जाता है। यह समस्या पेट की छोटी आंत के अन्दर गैस भर जाने से होती है। दरअसल, पेट के भीतर एक अंदरूनी परत होती है, जिसे म्यूकोसा कहा जाता है। इस परत में अनेक छोटी-छोटी ग्रन्थियां होती हैं, जो भोजन को पचाने के लिए स्टमक एसिड और पेप्सिन नामक एंजाइम्स का उत्पादन करती हैं। इनमें स्टमक एसिड भोजन को और पेप्सिन एंजाइम्स प्रोटीन को पचाने में मदद करता हैं। जब किसी कारणवश इस अंदरूनी परत में सूजन आती है, तो पेट में गैस की समस्या शुरू होने लगती है। जिसकी वजह से पेप्सिन एंजाइम्स और स्टमक ऐसिड का निर्माण पहले से कम हो जाता है। परिणामस्वरूप स्टमक ब्लोटिंग यानी पेट फूलने की समस्या होने लगती है।
क्या हैं पेट फूलने के मुख्य कारण?
पेट फूलने की वजह से पेट में भारीपन महसूस होता है। जिससे भूख और भोजन के स्वाद का पता नहीं लगता। आमतौर पर सर्दीयों के दिनों में गैस बनने, पेट के भारीपन और पेट फूलने की समस्या बढ़ जाती है। क्योंकि सर्दियों में पेट का मेटाबॉलिज्म और पाचन सामान्य से कम हो जाता है। जिसके कारण भारी आहार (खाना) आसानी से पच नहीं पाता। परिणामस्वरूप हर समय थकान और आलस महसूस होता है।
आइए जानते हैं पेट फूलने के कुछ मुख्य कारणों को-
- ठीक खान-पान या आहार का न होना।
- भोजन को अच्छे से चबाकर न खाना।
- अधिक तैलीय और मसाले युक्त भोजन करना।
- भोजन के रूप में कार्बोहाइड्रेट्स का अधिक उपयोग करना।
- बासी भोजन का सेवन करना।
- अधिक देर तक भूखा रहना।
- समय पर भोजन न करना।
- भोजन करते वक्त बीच-बीच में पानी पीना।
- खाने के बाद तुरंत लेट जाना।
- कब्ज और गैस की समस्या होना।
- पेट में पानी या फ्लूइड का बनना।
- डेली लाइफस्टाइल में गड़बड़ी होना।
- एक्सरसाइज और व्यायाम न करना।
- शरीर में हार्मोनल असंतुलन का होना।
- पीरीयड्स आने पर होने वाले शारीरिक बदलाव।
- अधिक समय तक डिप्रेशन या तनाव में रहना।
- लंबे समय तक दवाइयों का सेवन करना।
- कई घंटों तक एक ही जगह पर बैठे रहना।
- शरीर में किसी अन्य रोग का होना।
- प्रदूषण युक्त स्थान पर रहना या जाना।
- शरीर में ऑक्सीजन की कमी होना।
क्या होते हैं इस समस्या के लक्षण?
स्टमक ब्लोटिंग के समय पेट सामान्य से बड़े आकार का हो जाता है। इस स्थिति में लोगों को निम्नलिखित परेशानियां होती हैं, जिन्हें स्टमक ब्लोटिंग के मुख्य लक्षण कहा जाता हैं-
- पेट में भारीपन और खिंचाव महसूस होना।
- अंदर की तरफ से पेट का सख्त या टाईट होना।
- पेट में दर्द होना और समय के साथ उस दर्द का बढ़ते जाना।
- कब्ज, पेट दर्द, और दस्त की समस्या होना।
- पेट में बार-बार गैस बनना।
- गैस बनने के साथ पेट फूलना और खट्टी डकारें आना।
- पेट में ऐंठन या मरोड़ होना।
- पेट दर्द के साथ बुखार आना।
- उल्टी और मितली जैसा मन होना।
- कम भूख लगना और लगातार हिचकी आना।
- बिना काम किए अधिक थकान महसूस होना।
- तेज सिरदर्द और कमजोरी महसूस करना।
- घबराहट और बेचैनी होना।
- लगातार वजन का घटना।
- अनियमित मासिक धर्म आना।
- शौचालय जाने में दर्द होना।
- मल में खून आना और मल का रंग बदलना।
स्टमक ब्लोटिंग की समस्या से बचने के घरेलू उपाय:
सामान्यत: पेट फूलने की समस्या को कम करने के लिए सबसे पहले घरेलू उपायों को ही अपनाया जाता है। इसलिए निम्नलिखित घरेलू उपायों को अपनाकर पेट फूलने की समस्या से जल्द छुटकारा पाया जा सकता है।
हींग का सेवन करना-
हीग में एंटीस्पास्मोटिक, एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गैस, अपच और पेट फूलने की समस्या को कम करते हैं। इसलिए हींग का सेवन स्टमक ब्लोटिंग में फायेदा करता है।
काली मिर्च का सेवन करना-
काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं, जो पेट और आंतों में पाई जाने वाली म्यूकस झिल्ली को सुरक्षा प्रदान करते हैं और मेटाबॉलिज्म को बेहतर करते हैं। इसके अतिरिक्त काली मिर्च, पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का निर्माण करती है, जिससे आंतें साफ होती हैं। परिणामस्वरूप पेट फूलने की समस्या ठीक होने लगती है।
मुलेठी का सेवन करना-
मुलेठी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जो पेट की सूजन को कम करता है। मुलेठी पेट की गैस, गले की खराश और खांसी-जुकाम को भी दूर करने में मदद करती हैं। मुलेठी के चूर्ण को पानी में घोलकर पीने से पेट हानिकारक बैक्टीरिया और अल्सर से बचा रहता है।
आलू के रस का सेवन करना-
आलू में मिनरल्स, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस और पोटैशियम आदि होते हैं। इसके अलावा आलू के रस में एल्कलाइन सॉल्ट भी भारी मात्रा में पाया जाता है। इसका सेवन पेट के एसिड को कम कर, पेट की सूजन को कम करने का काम करता है।
बादाम और दूध का सेवन करना-
बादाम और दूध का सेवन गैस, कब्ज और एसिडिटी जैसी कई बीमारियों के लिए कारगर घरेलू उपाय है। क्योंकि बादाम दूध विटामिन-ई का प्रमुख स्रोत होता है, जो प्राकृतिक एंटी-ऑक्सीडेंट है। इसके अलावा, बादाम वाले दूध में विटामिन-डी, विटामिन-ए, प्रोटीन, ओमेगा-6, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे गुण भी पाए जाते हैं। साथ ही इसमें अन्य दूध के मुकाबले कैलोरी बेहद कम मात्रा में होती है। इसलिए पेट फूलने और गैस की समस्या को दूर करने के लिए बादाम दूध का सेवन करना अच्छा होता है।
हल्दी का सेवन करना-
हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो इसे एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण प्रदान करता है। इसलिए हल्दी का सेवन गैस की जलन और सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त हल्दी अपच और अल्सरेटिव कोलाइटिज (आंतों की एक बीमारी) की समस्या को भी ठीक करने का गुण रखती है।
गुड़ का सेवन करना-
गुड़ में मिनरल्स, विटामिन्स और फाइबर के गुण पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को अच्छा बनाते हैं। जिससे कब्ज एवं एसिडिटी की समस्या में राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त गुड़ खून को साफ करता है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है। जिससे पेट फूलने की समस्या ठीक होती है।
शहद का सेवन करना-
शहद में एंटीबैक्टिरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो पेट में पनपने वाले हानिकारक जीवाणुओं से लड़ने में सक्षम होने के साथ गैस के कारण नष्ट हुई पेट की परत को ठीक करने का काम करते हैं। जिससे स्टमक ब्लोटिंग की समस्या में आराम मिलता है।
नारियल तेल का सेवन करना-
नारियल तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो पेट की अंदरूनी परत पर गैस के ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम कर सकते हैं। जिस कारण पेट में आई सूजन को कम किया जा सकता है।
अदरक का सेवन करना-
अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक संक्रमण के कारण पेट में होने वाली सूजन को कम करने में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त गैस से होने वाले रोग से बचाने में भी अदरक मदद करता है।
सेब के सिरके का सेवन करना-
पेट में ज्यादा एसिड बनने पर सेब के सिरके का सेवन करना अच्छा होता है। सेब के सिरके को पीने से एसिड का स्तर संतुलित हो जाता है। साथ ही यह पेट की अंदरूनी परत को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टिरीया को नष्ट करने में भी मदद करता है। जिससे पेट फूलना कम होता है।
ग्रीन-टी का सेवन करना-
ग्रीन-टी में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट की अंदरूनी परत पर सकारात्मक असर डालते हैं। इससे गैस की समस्या धीरे-धीरे कम होती है और पेट का आकार या पेट का फूलना कम होने लगता है।
नारियल पानी का सेवन करना-
नारियल पानी में कई विटामिन्स और पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होता है, जो गैस की वजह से पेट में आई सूजन को कम कर करता है।
एलोवेरा का सेवन करना-
एलोवेरा में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पेट की अंदरूनी परत की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा एलोवेरा एक एंटीसेप्टिक एजेंट भी है, जो संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को मारने में सहायता करता है। इसलिए पेट में गैस की जलन को कम करने के लिए एलोवेरा जेल को सबसे बेहतर उपाय माना जाता है।
बेकिंग सोडा का सेवन करना-
गैस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बेकिंग सोडा का सेवन करना एक अच्छा विकल्प है। पेट में यह एंटासिड की तरह काम करता है। इसके सेवन से पेट में एसिड का स्तर सामान्य हो सकता है और स्टमक ब्लोटिंग की समस्या कम हो जाती है। बेकिंग सोडा को सोडियम बाइकार्बोनेट भी कहा जाता है।
नींबू पानी का सेवन करना-
नींबू पानी पेट की हर समस्या के लिए वरदान है। क्योंकि नींबू में साइट्रिक एसिड होता है, जो पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। स्टमक ब्लोटिंग की समस्या होने पर पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलता। ग्रीन-टी में नींबू का रस मिलाकर पीना भी पेट के लिए अच्छा होता है।
जीरे का सेवन करना-
जीरे में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो गैस एवं पेट की अन्य बीमारियों में आराम करते हैं। इसलिए किसी शीशी में जीरा पीसकर उसमें काला नमक मिलाकर रख लें। भोजन करने के बाद इस चूरन को एक घूंट पानी के साथ खाएं। ऐसा करना पेट के लिए बहुत लाभदायक होता है।
केले का सेवन करना-
केले को फाइबर का बेहतरीन स्त्रोत माना जाता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और गैस, कब्ज़ एवं पेट के फूलने की समस्या का उपचार करता है।
सौंफ का सेवन करना-
सौंफ के बीजों में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो पेट के दर्द, गैस की जलन और पेट फूलने की समस्या को कम करने की क्षमता रखते हैं। सौंफ हाजमा (पाचन) प्रणाली की मांसपेशियों की अकडन को दूर करके पेट के फूलेपन को ठीक करता है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- पेट फूलने के साथ अचानक वजन कम होने पर।
- स्टमक ब्लोटिंग के साथ आंखों व त्वचा का रंग पीला पड़ने पर।
- पेट फूलने के साथ खांसी और जुकाम होने पर।
- दवा खाने के बाद भी पेट दर्द सही न होने पर।
- पेट को छूने भर से दर्द महसूस होने पर।
- पेट से हवा ठीक से न निकलने पर।
- खाना पचाने में अधिक दिक्कत होने पर।
- पेट फूलने के समय यदि मल के साथ खून आने लगे और कब्ज की दिक्कत होने लगे तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। क्योंकि ये यूटेरस कैंसर का संकेत भी हो सकता है।