आंवला
2022-05-24 19:05:04
आयुर्वेद में आंवला को “अमृत फल” की संज्ञा दी गई है और इसको औषधियों की रसायन श्रेणी में रखा गया है। रसायन उस गुण को कहते है, जो शरीर को लंबे समय तक लाभ देकर उसको सार्थक (अर्थपूर्ण) जीवन देने का काम करता है। आंवला शरीर को रोगों से दूर रखकर उसके प्रत्येक अंग को नवशक्ति देने का काम करता है। आंवला भारत में पाए जाने वाली सबसे पुरानी औषधियों में से एक है। अपने औषधीय गुणों के कारण ही आज यह पूरे विश्व में प्रचलित है। घरेलू उपायों में भी बड़े स्तर पर इसका प्रयोग किया जाता है। पूजा के कार्यों में उपयोग किये जाने वाले इसके पत्तों को “शतपत्र” नाम से जाना जाता है।
आंवला के गुण;
- आंवला खाने से बालों का गिरना कम होता है।
- यह रूसी (डैंड्रफ) को कम करता है।
- बालों को लंबे समय तक सफेद होने से बचाता है।
- शरीर की पाचन शक्ति बढ़ता है।
- मोटापे को कम करता है।
- नाखूनों को मजबूत रखता है।
- खून को साफ करता है।
- इसके सेवन से दिमाग तेज होता है।
- यह गले के लिए अच्छा होता है।
- आंवले का मुरब्बा खाने से कब्ज की दिक्कत नहीं होती।
- आंखों की रोशनी के लिए इसको सबसे अच्छी औषधि माना गया है।
- इसका नियमित सेवन करने से दांतों की मजबूती बनी रहती है।
- यह सर्दी, खांसी, दमा जैसी बीमारियों में फायदा करता है।
- इससे शरीर की श्वसन (सांस लेने वाली) नली ठीक रहती है।
- आंवला इम्यूनिटी बढ़ाने का भी काम करता है।
- पूरानी खांसी एवं टी.वी. जैसी बीमारियों के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
- यह शरीर की नसों एवं हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करता है।
- दिल से संबंधित समस्याओं में भी यह फायदा करता है।
आंवला के दोष;
- आंवला एक ठंडी औषधि है, इसलिए इसका सेवन काली मिर्च और शहद के साथ करना चाहिए। ऐसा न करने पर सर्दी लगने का खतरा बना रहता है।
- अधिक मात्रा में आंवला खाने से पथरी और पेशाब में जलन की समस्या हो सकती है।
- यह त्वचा की नमी को भी कम करता है। इसलिए आवश्यक है इसके साथ ढेर सारा पानी पीने की।
- कभी-कभी यह मधुमेह (डायबिटीज) की दवा के साथ इंफेक्शन कर जाता है। इसलिए जरूरी है मधुमेह के समय इसका सेवन चिकित्सक की सलाह से करें।
- इसके अंदर भारी मात्रा में फाइबर होता है, जो आगे चलकर डायरिया (दस्त) का कारण बन सकता है। इसलिए इसका अधिक उपभोग करने से बचना चाहिए।
- आंवले में एंटी-बैक्टीरियल गुण और विटामिन सी की मात्रा उच्च होती है। जो गर्भवती महिलाओं की पाचन शक्ति पर प्रतिकुल (विपरीत) प्रभाव डालती है। इससे उनमें कब्ज, दस्त और डिहाइड्रेशन की समस्या देखने को मिलती है। इसलिए ऐसे समय में इसका सेवन चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही करें।