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सौंफ का महत्व और फायदे

सौंफ का महत्व और फायदे

2022-05-25 18:15:20

सभी घरों में खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए सौंफ का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग हम घरों में मसालें, अचार, काढ़ा इत्यादि के रूप में करते हैं। अपने गुणों के कारण अधिकांश लोग इसका प्रयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में भी करते हैं।

 

इसके अतिरिक्त सौंफ पाचन क्रिया, पेट फूलना और अन्य पेट संबंधि समस्यओं को कम करने का काम करती है। इसलिए आयुर्वेद में इसको एक उत्तम औषधि माना जाता है।

 

क्या है सौंफ ?

 

जड़ी-बूटियों में अपना प्रमुख स्‍थान रखने वाली सौंफ के पौधे के सभी भाग जैसे जड़, पत्तियां और फल खाने योग्‍य होते हैं। इसके बीजों को अंग्रेजी में Fennel seeds कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम फोनिकुल वुल्गरे (Foeniculumvulgare) है। सौंफ का पौधा एपीएसइ(Apiaceae) परिवार से संबंधित है, जो एक   प्रकार का शाकीय पौधा है। जिसमें पीले रंग के फूल लगते हैं। इन्ही फूलों में सौंफ के बीज लगे होते हैं। इसके बीज का रंग हल्का हरा होता है और देखने में जीरे की तरह होते हैं। यह लम्बाई में एक से दो मीटर का होता है।      

 

आयुर्वेद में सौंफ का महत्व-

 

सौंफ की तासीर ठंडी होती है। जो शरीर को ठंडा रखती है। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। जो त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) को शांत रखने में मदद करते हैं। इसमें कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम जैसे कई खनिज (मिनरल्स) तत्व भी पाए जाते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा याददाश्त बढ़ाना (Increase Memories) है। इसके अतिरिक्त सौंफ का नियमित सेवन स्वास्थ्य को चुस्त और तंदरुस्त रखता है।

 

सौंफ के फायदे;

 
रक्त को साफ करने में सहायक-
 

शरीर में विषाक्त पदार्थों का समावेश होने पर उस क्रिया को खराब खून कहा जाता है। सौंफ में विटामिन-सी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं। जो विषैले कण को बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसलिए इसका सेवन करने से विषैले कण मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। जिससे रक्त की शुद्धि होती है।  

 
वजन को कम करने में लाभप्रद-
 

सौंफ में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। जो पेट के मोटापे को नियंत्रण रखने का काम करता है। दरअसल यह शरीर में फैट को जमने नहीं देती। परिणामस्वरूप मोटापा नहीं बढ़ पाता।

 
रक्तचाप नियंत्रित करने में मददगार-
 

सौंफ रक्तचाप को नियंत्रित रखने में सहायक होती है। क्योकि इसमें मौजूद पोटैशियम रक्त में सोडियम की मात्रा को नियंत्रित करता है और इसके दुष्प्रभाव से बचाता है। इसके अतिरिक्त इसमें नाइट्रेट भी पाया जाता है। जो पोटैशियम के साथ मिलकर बल्ड प्रेशर को कम करता है।

 
त्वचा विकारों को दूर करने में कारगर-
 

सौंफ त्वचा संबंधित विकार जैसे दाग, खाज, खुजली, धब्बें, झुर्रियां आदि में बेहद लाभदायक है। इसमें विटामिन-सी, विटामिन-डी, विटामिन-के, एंटीऑक्सीडेंट आदि गुण पाए जाते हैं। जो त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त इसके पत्तियों या बीजों का पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाने से भी त्वचा विकार ठीक होते हैं। 

 
शुगर लेवल को नियंत्रण करने में मददगार-
 

रक्त में शर्करा का लेवल कम या अधिक होना दोनों ही शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। ऐसे में नियमित रूप से इसका सेवन करना चाहिए। क्योकि इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं। जो शरीर में रक्तशर्करा को नियंत्रित रखते हैं। इसके अलावा मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए प्रतिदिन सौंफ का पानी या काढ़े का सेवन करना भी लाभप्रद होता है।

 
पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक-
 

पाचन तंत्र में खराबी या गड़बड़ी होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। जिससे शरीर तमाम बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। लेकिन सौंफ का नियमित सेवन पाचन तंत्र को ठीक करने में मदद करता है। इसके लिए प्रतिदिन भोजन करने के बाद सौंफ में मिश्री मिलाकर उसका सेवन करें।

 
याददाश्त बढ़ाने में मददगार-
 

सौंफ में विटामिन-बी 6, जिंक, प्रोटीन, मैग्नेशियम और फ्लेवोनोइड्स आदि तत्व होते हैं। जो याददाश्त बढ़ाने वाले मुख्य घटक हैं। इसलिए मस्तिष्क के विकास और याददाश्त बढ़ाने के लिए इसका सेवन बेहद लाभकारी होता है। इसकी चाय बनाकर पीने से भी याददाश्त बढ़ती है। साथ ही मानसिक तनाव कम होता है। 

 
पेट विकारों में पहुंचाए राहत –

पेट में दर्द, सूजन, आफरा, गैस और एसिडिटी जैसी तमाम बीमारियां उत्पन्न होती हैं। जो पूरे शरीर को प्रभावित करती हैं। इन रोगों से निजात पाने के लिए घरेलू उपाय के रूप में यह एक बेहतर विकल्प है। सौंफ का चूर्ण बनाकर इसका गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पेट संबंधित विकार दूर होते हैं। 

 

सौंफ के नुकसान;

 
  • इसका अधिक सेवन करने से पश्चात धूप के संपर्क में आने से त्वचा पर दाग, धब्बें और रैसेज होने लगते हैं।
  • सौंफ की तासीर ठंडी होती है। इसलिए कब्ज की समस्या में इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • अति-संवेदनशीलता (हाइपर-सेंस्टिविटी) की समस्या वालो व्यक्ति को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन करते समय चिकित्सक के परामर्शनुसार इसका सेवन करें।

किन रूपों में होता है सौंफ का उपयोग?

  • इसके बीजों और पत्तियों में अदरक के चूर्ण को मिलाकर चाय के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • चटनी का स्वाद बढ़ाते के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
  • इसका उपयोग अचार के मसाले की जायका बढ़ाने में किया जाता है।
  • सब्जी और पराठों में इसका उपयोग किया जाता है।
  • सौंफ की पत्तियों का प्रयोग जूस के रूप में करते हैं।
  • मिश्री और इसका उपयोग माउथ फ्रेशनर के रूप में करते हैं।
  • सौंफ, बादाम और काली मिर्च का उपयोग ठंडाई बनाने में किया जाता है।  

कहां पाया जाता है सौंफ?

सौंफ उत्पादन का मूल स्थान यूरोप को माना जाता है। लेकिन यह एक व्यवसायिक मसाला है, इसलिए इसका उत्पादन पूरे विश्व में किया जाता है। भारत में समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई तक सौंफ की खेती की जाती है। भारत में इसका उत्पादन मुख्य रूप से  मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक आदि राज्यों में होता है।

Disclaimer

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