आयुर्वेद में कर्कटशृंगी के महत्व और फायदे
2022-07-12 00:00:00
आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में कर्कटशृंगी वर्णन किया गया है। इसे आम बोल-चाल की भाषा में काकड़ासिंगी भी कहा जाता है। पुरातन काल से ही आयुर्वेदिक चिकित्सा में कर्कटशृंगी का प्रयोग कई गंभीर समस्याओं की रोकथाम के लिए किया जाता रहा है। इसके गुणों के कारण चिकित्सक इसका प्रयोग औषधि के रूप में करते हैं। यह प्राकृतिक जड़ी-बूटी सर्दी-जुकाम, श्वसन और पेट संबंधि समस्याओं को कम करने का काम करती है। इसलिए आयुर्वेद में कर्कटशृंगी को एक उत्तम दर्जे की औषधि माना जाता है।
क्या है कर्कटशृंगी?
जड़ी-बूटियों में अपना प्रमुख स्थान रखने वाली कर्कटशृंगी का प्रयोग औषधि के तौर पर किया जाता है हैं। कर्कटशृंगी को अंग्रेजी में गाल प्लांट (Gall Plant) कहते हैं। इसका वानास्पतिक नाम पिस्टेशिया चाइनेन्सिस (Pistacia chinensis) है। कर्कटशृंगी का पौधा ऐनाकार्डिऐसी (Anacardiaceous) परिवार से संबंधित है, जो एक प्रकार का शाकीय पौधा है।
It can also be passed from person to person, but this is rare. When you come into contact with viral particles from an infected person, it is called human-to-human transmission. Coughing, sneezing, and airborne droplets can spread the infection.
आयुर्वेद में कर्कटशृंगी का महत्व
कर्कटशृंगी प्रकृति से गर्म और स्वाद में कड़वी होती है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। जो शरीर के त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) को शांत रखने में मदद करते हैं। यह खांसी, बुखार, अस्थमा,श्वसन रोग और पेट से संबंधित समस्याओं आदि को दूर करने में कारगर साबित होती है। यह जड़ी-बूटी श्वास नली को स्वस्थ और दुरुस्त रखने का काम करती है। साथ ही कर्कटशृंगी कई तरह के वायरल, बैक्टीरियल एवं फंगल इंफेक्शन से शरीर की सुरक्षा करती है। इस औषधीय पौधे का प्रयोग बच्चों की बीमारियों के इलाज में बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा कर्कटशृंगी वाजीकरण से संबंधित समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होती है।
कर्कटशृंगी के फायदे
- खांसी को दूर करने में कारगरखांसी को दूर करने में कर्कटशृंगी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है,क्योंकि यह कफ दोष को संतुलित रखने का काम करती है। कर्कटशृंगी के पौधे की छाल से बने काढ़े को सुबह खाली पेट सेवन करने से एवं कर्कटशृंगी पौधे की छाल का चूर्ण और शहद कोसमान मात्रा में मिलाकर रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से खांसी की समस्या दूर होती है।
- श्वसन संबंधी समस्याओं में लाभप्रदकर्कटशृंगी का उपयोग अस्थमा को ठीक करने, गले और सांस की समस्याओं को कम करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है। यह एक्सपेक्टोरेंट (श्वसन मार्ग से बलगम को साफ करने में सहायक) के रूप में कार्य करता है। 1-2 ग्राम कर्कटशृंगी चूर्ण में कायफल चूर्ण को मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से श्वसन संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है।
- बच्चों के लिए उपयोगीकर्कटशृंगी का सेवन बच्चों में होने वाले कई तरह के रोगों से निजात दिलाने में मदद करता है । आयुर्वेद चिकित्सा के मुताबिक, छोटे बच्चों में अधिक कफ दोष ही शरीर को प्रभावित करता है। इसलिए इन सभी बीमारियों से बचने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट, आधा चम्मच (1ग्रा -1.5 ग्रा ) कर्कटशृंगी की छाल और आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। ऐसा करने से कफ दोष से संबंधित सभी समस्याओं में लाभ मिलता है।
कर्कटशृंगी के अन्य लाभ
- यह पेचिश और दस्त के उपचार में बेहद लाभकारी होता है। इसके लिए कर्कटशृंगी और बेलगिरी के चूर्ण को मिलाकर सेवन करना फायदेमंद होता है।
- यह अपच के उपचार में सहायक होता है।
- यह औषधि जठराग्नि को उत्तेजित करती है।
- इसकी छाल से बने काढ़े का सेवन बुखार के इलाज में बेहद कारगर साबित होता है।
- यह जड़ी-बूटी प्राकृतिक रूप से कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को कम करने में मदद करती है।
- यह जड़ी-बूटी शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करती है।
- यह औषधि महिला प्रजनन प्रणाली के अच्छे स्वास्थ्य में समर्थन करती है।