कासमर्द के आयुर्वेद में महत्व और फायदे
2023-07-31 00:00:00
कासमर्द को कसौंदी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक झाड़ीनुमा पौधा है, जो अक्सर बरसात के दिनों में घरों के आस-पास खाली स्थानों, गलियों, बगीचों और कूड़े-करकट में स्वतः उगते हैं। आमतौर पर लोग इस जड़ी-बूटी को खरपतवार समझकर कर नजर अंदाज कर देते हैं। लेकिन वास्तव में यह पौधा शरीर को कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता हैं।
कासमर्द शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा से हुई है। जिसमें कास का शाब्दिक अर्थ खांसी या कफ से हैं। वहीं मर्दन का मतलब विनाश होता है। इसलिए कासमर्द खांसी के इलाज के लिए एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है। इसके अलावा इस पौधे की पत्तियां, जड़ें और बीज एक रेचक के रूप में कार्य करते हैं। जिसके कारण आयुर्वेद में कासमर्द का उपयोग कई अन्य शारीरिक समस्याओं जैसे कुकुर खांसी, मधुमेह, ह्रदय एवं रक्त विकार के इलाज में किया जाता रहा है।
कासमर्द क्या है?
आमतौर पर कासमर्द एक प्रकार का औषधीय पौधा है। जो प्रायः झाड़ीदार, शाखित, चिकनी और लगभग 0.8 से 1.8 मीटर लंबी होती है। कासमर्द फैबेसी/लेगुमिनेसी के पादप परिवार और जीनस कैसलपिनिया एल. या केसलपिनियासी से संबंध रखता है। इसका वानस्पतिक नाम कैसिया ऑक्सिडेंटलिस है। कासमर्द को विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग नामों जैसे अंग्रेजी में, इसे "कॉफी सेना, नीग्रो कॉफी, कॉफी वीड", तेलुगु में "कसविंदा", बंगाली में "केसेंडा", मराठी में "कस्विदा" और उर्दू में "कसोनजी" से पुकारा जाता है।
आयुर्वेद में कासमर्द का महत्व-
कासमर्द मीठा होता है। यह कफ और वात को दूर करता है। साथ ही यह वायु नाशक भी है जो गले को साफ और पित्त को संतुलित करता है। यह तासीर से गर्म और पाचन के बाद तीखा होता है।
कासमर्द में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-एलर्जी, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीहेल्मिंटिक, मूत्रवर्धक, एक्सपेक्टोरेंट और रेचक जैसे औषधीय गुण मौजूद हैं। यह सभी गुण खांसी, मधुमेह, बवासीर, बुखार, अस्थमा, अपच और एनोरेक्सिया के इलाज में उपयोगी होते हैं।
कासमर्द के स्वास्थ्य लाभ-
अस्थमा में लाभकारी-अस्थमा में शामिल मुख्य दोष वात और कफ हैं। ऐसे में कासमर्द अपने कफ-वात संतुलन गुणों के कारण अस्थमा के इलाज में मदद करता है। यह गुण वायुमार्ग की रुकावटों को दूर करने में सहायक होते हैं। जिससे सांस लेने में आसानी होती हैं।
एनोरेक्सिया में लाभप्रद-
एनोरेक्सिया अर्थात भूख न लगने पर कासमर्द का सेवन लाभप्रद होता है। कासमर्द अपने उष्ण (गर्म) और पाचक गुणों के कारण एनोरेक्सिया में मदद करता है। यह अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाकर आम के निर्माण को रोकता है। इस प्रकार यह पाचन में सुधार करता है। जिससे एनोरेक्सिया से राहत मिलती है।
खांसी में असरदार-
कासमर्द अपने कफ संतुलन और उष्ण (गर्म) गुणों के कारण खांसी को ठीक करने में सहायक होताहै। यह वायुमार्ग से बलगम को आसानी से साफ करने का काम करता है। इस प्रकार यह खांसी में राहत प्रदान करता है।
खट्टी डकार-
अपच का मुख्य कारण अग्निमांड्य (कमजोर पाचक अग्नि) है। कासमर्द अपने उष्ण (गर्म) और पाचक गुणों के कारण पाचन में सुधार करने में मदद करता है। इस तरह यह अग्नि (पाचन अग्नि) को मजबूत करता है।
त्वचा संक्रमण को दूर करने में सहायक-
कासमर्द अपने पित्त संतुलन गुणों के कारण त्वचा के संक्रमण का इलाज करने में मदद करता है।
मधुमेह के इलाज में सहायक-
फ्लेवोनोइड्स जैसे घटकों की उपस्थिति के कारण कासमर्द मधुमेह के इलाज में उपयोगी हो सकता है। यह अग्नाशयी कोशिका के क्षति को रोकता है और इंसुलिन स्राव को बढ़ाता है। इस प्रकार यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करके मधुमेह को नियंत्रित करता है।
घाव भरने में कारगर-
कासमर्द अपने एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारण घाव भरने में कारगर साबित होता है।
बुखार के इलाज में कारगर-
कासमर्द अपने ज्वरनाशक गुणों के कारण बुखार के इलाज में सहायक है। यह शरीर के तापमान को कम करके बुखार में राहत प्रदान करता है।
कब्ज में उपयोगी-
कासमर्द अपने शक्तिशाली रेचक गुणों के कारण कब्ज के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। यह मल को ढीला करके मल त्याग को बढ़ावा देता है।
कासमर्द के नुकसान-
दस्त-
अपने रेचक गुणों के कारण कासमर्द का अधिक मात्रा में सेवन करने पर दस्त का कारण बन सकता है।
रक्तचाप कम करता है-
कासमर्द केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) पर प्रभाव डालता है, जो चयापचय प्रक्रिया की दर को कम करता है। इस प्रकार यह हृदय गति को कम कर सकता है। इसलिए निम्न रक्तचाप के मरीजों के लिए हानिकारक साबित होता है।
अन्य दवाओं के साथ लेना-
कासमर्द कई दवाओं जैसे कि हेपरिन, एस्पिरिन, वारफारिन और एंटीहाइपरसेंसिटिव दवाओं के साथ प्रतिक्रिया करता है। जिससे शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, डॉक्टर से परामर्श करने के बाद ही इसका सेवन करें।
जहरीला-
कासमर्द की अधिक खुराक शरीर में जहर पैदा कर सकती है। क्योंकि इस जड़ी बूटी की संतृप्त इसकी विषाक्त प्रकृति को बढ़ाती है।
यह कहां पाया जाता है?
कासमर्द पूरे भारत में पाया जाता है। यह ज्यादातर उत्तरी भारत में 1500 मीटर की ऊंचाई तक देखने को मिलता है।
Written By- Jyoti Ojha
Approved By- Dr. Meghna Swami