आयुर्वेद में ब्राह्मी का महत्व, फायदे एवं उपयोग
2022-05-24 17:03:34
सदियों से ब्राह्मी का उपयोग आयुर्वेदिक और परंपरागत दवाओं में किया जाता रहा है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है, ब्राह्मी शब्द ब्रह्मा से लिया गया है। अर्थात जो देवता ब्रह्मांड के उत्पत्ति के लिए जाने जाते हैं, उनके आधार पर इसका नाम रखा गया है। ब्राह्मी एक बारहमासी जड़ी-बूटी है। यह पौधा जलीय स्थानों जैसे नदियों, नालों, तालाबों के आस-पास पर स्वतः उग जाते हैं। जिसके कारण ब्राह्मी को जलनिम्बु के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधें पर सफेद रंग के एकलिंगी पुष्प गुच्छों के रूप में खिलते हैं। ब्राह्मी का वानस्पतिक नाम बाकोपा मोनिरी (Bacopa Monnieri) है।
क्या है आयुर्वेद में ब्राह्मी का महत्व?
आयुर्वेद के मुताबिक ब्राह्मी एक बढ़िया जड़ी-बूटी है। इसकी मदद से अनेक रोगों का उपचार किया जाता है। यह स्वाद में कटु (कड़वा) होती है। स्वाद में नीम जैसी कड़वी होने के कारण इसे जलनीम भी कहा जाता है। यह विशेष रूप से मस्तिष्क संबंधित बिमारियों में लाभदायक होती है। इसका उल्लेख विभिन्न धार्मिक और प्राचीन आयुर्वेदिक पुस्तकों में भी किया गया है। चरक संहिता में ब्राह्मी के पत्तियों का उल्लेख कई रोगों को ठीक करने और व्यक्ति की बुद्धि और शक्ति को बढ़ाने के लिए किया गया है। इसलिए ब्राह्मी को ब्रेन बूस्टर के नाम से जाना जाता है। ब्राह्मी वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को हराने वाली होती है। लेकिन इसका अधिकांश प्रयोग कफ से उत्पन्न रोगों को दूर करने में किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के अनुसार ब्राह्मी का उपयोग तमाम रोगों जैसे बालों को पोषण, आंखों के लिए, नाक के रोग, गले के रोग, खांसी, खून के दोष एवं ह्रदय संबंधी रोगों में किया जाता हैं। ब्राह्मी के पत्ते कड़वे और वमन नाशक होते हैं, जो ब्रोंकाइटिस में भी फायदे करता है। यह चयापचय में सुधार करता है और पाचन क्रिया को दुरुश्त करता है।
ब्राह्मी के फायदे एवं उपयोग;
ब्राह्मी बढ़ाएं स्मरणशक्ति-
ब्राह्मी को प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। जो मस्तिष्क के विकास में न्यूरोप्रोटेक्टिव भूमिका निभाती है। इसका इस्तेमाल मानसिक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह एकाग्रता, समझ, ज्ञान और सतर्कता को बढ़ाने में सहायक होती है। इसलिए ब्राह्मी के चूर्ण को दूध या घी के साथ भी लिया जा सकता है।
ब्राह्मी से दूर करें अल्जाइमर-
अल्जाइमर मस्तिष्क संबंधी बीमारी होती है। जिसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। ऐसे में ब्राह्मी के चूर्ण का सेवन करना कारगर साबित होता है। क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी कॉन्वेलसेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं। इसके लिए नियमित रूप से एक से दो चम्मच ब्राह्मी के पाउडर को दूध में उबालकर उसे ठंडा करके पीने से अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे मस्तिष्क विकार में आराम मिलता है।
ब्राह्मी करें अनिद्रा को दूर-
ब्राह्मी अनिद्रा की समस्या को दूर कर, रात की नींद को बेहतर करता है। इसमें मेलाटोनिन पदार्थ होता है, जो नींद को बढ़ाता है। यह अनियमित नींद की समस्या झेल रहे लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसके अलावा ब्राह्मी के तेल का सेवन रक्त वाहिनियों की कार्य क्षमता बढ़ाने में भी काफी मदद करता है।
ब्राह्मी का उपयोग दिलाए चिंता, अवसाद, तनाव से राहत-
ब्राह्मी का चूर्ण और पत्तियां चिंता, थकान, तनाव आदि की वजह से होने वाले सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। क्योंकि ब्राह्मी में ऐसे सक्रिय तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के हार्मोनल संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। परिणामस्वरूप चिंता, तनाव, थकान, सिरदर्द आदि में आराम मिलता है। साथ ही पारम्परिक दवाओं के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। इसके लिए ब्राह्मी के 2-3 पत्तियों को दिन में किसी भी समय चबाना चाहिए। इसके अलावा ब्राह्मी, शंखपुष्पी, बदामगिरी और इलायची से बने ठंडाई का सेवन करने से चिंता और थकान से आराम मिलता है।
बालों को झड़ने से रोकने में सहायक-
बालों की किसी भी तरह की समस्या में ब्राह्मी का तेल लाभदायक है। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों को स्वस्थ्य बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं। इसके अलावा ब्राह्मी का तेल स्कैल्प (खोपड़ी) में आसानी से अवशोषित होकर रक्त संचार में सुधार और बालों के विकास में मदद करता है। जिससे बालों का झड़ने या गिरने का इलाज़ करने में आसानी होता है। इसका नियमित उपयोग करने से बालों का गिरना कम होता है और बाल घने एवं मजबूत बनते हैं।
ब्राह्मी का उपयोग त्वचा के लिए-
ब्राह्मी त्वचा के लिए बेहद अच्छा होता है। यह त्वचा की सेहत का ध्यान रखने का काम करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा संबंधित परेशानियों को दूर करता है। इसके साथ ही इसमें मौजूद एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल भी त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है। ब्राह्मी के तेल को त्वचा पर लगाने से फाइन लाइन, मुंहासे, झुर्रियों और एजिंग की समस्या दूर होती है। यह तेल त्वचा की लोच में सुधार करता है और इसकी नमी के स्तर को बनाए रखता है।
दर्द और सूजन में लाभप्रद-
ब्राह्मी में दर्द निवारक और एंटी-स्पास्मोडिक गुण मौजूद होते हैं। जो मांसपेशियों की ऐंठन और दर्द को दूर करने का काम करते हैं। इसलिए ब्राह्मी तेल से प्रभावित मांसपेशियों की मालिश करने से थकान का एहसास कम होता है और मांसपेशियां भी रिलैक्स फील करती हैं। इसके अतिरिक्त ब्राह्मी में पाए जाने वाला एंटीनोसिसेप्टिव गुण दर्द निवारक औषधि के रूप में काम करता है। इस गुण की वजह से ब्राह्मी को न्यूरोपैथिक दर्द की स्थिति में इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है।
श्वसन स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद-
ब्राह्मी का अर्क (रस) एंटीऑक्सीडेंट और एडेप्टोजेनिक से समृद्ध होता है, जिसके प्रभाव से ब्राह्मी ब्रोंकाइटिस, साइनस और अस्थमा जैसी बीमारी को दूर करने में मदद करती है। ब्रोंकाइटिस में श्वासनली में जलन और सूजन होती है। जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। ब्राह्मी बंद नाक को खोलकर सांस लेने में होने वाली दिक्कतों को दूर करती है। यह लंग्स (फेंफडों) में ऑक्सीजन लेने की क्षमता में बढ़ोतरी करती है। इसके अलावा ब्राह्मी तेल के इस्तेमाल से श्वसन तंत्र की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसीलिए ब्राह्मी का प्रयोग इन्हेलर और जुखाम संबंधी दवाओं में किया जाता है।
विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में मददगार-
ब्राह्मी विषाक्त पदार्थों को खत्म करने के लिए शरीर की सहायता करती है। त्वचा से प्रदूषण के विषाक्त पदार्थ और गंदगी को हटाने के लिए ब्राह्मी तेल की मालिश एक अच्छा उपाय है। यह तेल डिटॉक्सिफायर और त्वचा क्लींजर के रूप में काम करता है।
प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में कारगर-
ब्राह्मी में एंटीऑक्सीडेंट और पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोषक तत्व, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अनेक बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। इसके अलावा ब्राह्मी का अर्क (रस) या पत्तियों से बनी चाय एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के रूप में काम करती है। यह बॉडी को ऑक्सीकरण से भी बचाता है। जिससे शरीर की इम्यूनिटी में सुधार होता है।
ब्राह्मी को किस रूप में उपयोग कर सकते हैं?
- इसकी पत्तियों को पानी में उबाल कर काढ़े के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- ब्राह्मी की पत्तियों का लेप (पेस्ट) सूजन को कम करने में भी मदद करता है।
- ब्राह्मी तेल को जोड़ों के दर्द एवं सिर दर्द में इस्तेमाल किया जाता है।
- गर्दन और छाती पर लगाया जाने वाला ब्राह्मी की पत्तियों का लेप (पेस्ट) खांसी और निमोनिया में बहुत कारगर होता है।
- ब्राह्मी की पत्तियों का रस बच्चों में दस्त से राहत देने के लिए चिकित्सक की देखरेख में दिया जाता है।
- शहद युक्त ब्राह्मी की पत्तियों से बनी चाय पीने से दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ब्राह्मी का इस्तेमाल करते वक्त बरतें यह सावधानियां-
- जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है। उन लोगों को ब्राह्मी तेल का प्रयोग चेहरे और बालों पर पैच टेस्ट करने के बाद ही करना चाहिए। क्योंकि अधिक संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को इस तेल से एलर्जी की समस्या हो सकती है।
- ब्राह्मी के अत्यधिक सेवन से दस्त के साथ ही पेट में ऐंठन और मतली जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
- गर्भवती महिला और गर्भवती होने के बारे में सोच रहीं महिलाओं को ब्राह्मी का प्रयोग विशेषज्ञ की सलाह पर ही करना चाहिए।