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इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज (IBD) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज (IBD) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

2022-05-24 11:59:26

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज (IBD) एक आंत संबंधी बीमारी होती है, जिसका मुख्य कारण आजकल की दिनचर्या और खान-पान में बदलाव का होना है। इस बीमारी से बड़ी आंत(large intestine) में सूजन और जलन की शिकायत होने लगती है। जिसके कारण बड़ी आंत के मलाशय (colon) और मलनाली (rectum) में छाले पड़ जाते हैं। बड़ी आंत में छाले होना पेट के असहनीय दर्द का कारण होता है। जिसके लक्षण धीर-धीरे विकसित होते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह छाले घाव में बदल जाते हैं। जो कुछ समय बाद बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए इस समस्या का पता चलते ही तुरंत इसका इलाज करना बेहद जरूरी होता है।

 

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज क्या हैं?

आंतो या डाइजेस्टिक ट्रेक में होने वाले सूजन को चिकित्सकीय भाषा में इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज कहा जाता है। यह आंत में होने वाली सूजन है, जो पाचन तंत्र में लंबे समय तक रहने पर अल्सर का कारण बन सकती है। आमतौर पर आंत की सूजन बड़ी आंत मलाशय के भीतरी भाग को प्रभावित करती है। यह समस्या आंतरिक रक्तस्राव और संक्रमण का कारण भी बन सकती है।

 

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज के प्रकार-

डॉक्टर के मुताबिक, इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज दो प्रकार के होते हैं। आइए एक नजर डालते हैं इन्ही प्रकारों के बारे में-

1.अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis)-

अल्सरेटिव कोलाइटिस बड़ी आंतों में होने वाली सूजन है। जो पाचन तंत्र में लंबे समय तक रहने पर अल्सर का कारण बन सकती है। आमतौर पर आंत की सूजन बड़ी आंत मलाशय के भीतरी भाग को प्रभावित करती है। इसके उप प्रकार निम्नलिखित हैं:

 

अल्सरेटिव कोलाइटिस के इस प्रकार का होना आम बात हैं। इस प्रकार में सूजन गुदा (rectum) के आस पास तक सीमित होती है और गुदा से खून आना बीमारी का एकमात्र संकेत होता है।

 

अल्सरेटिव कोलाइटिस के इस प्रकार में मलाशय और सिग्मॉइड कोलोन (बड़ी आंत का अंतिम भाग, जो मलाशय में जाता है) में सूजन होती है। इसके लक्षणों में खूनी दस्त, पेट में दर्द एवं मरोड़, ऐंठन और शौच करते समय कठिनाई होना आदि शामिल हैं।

 

इस प्रकार का अल्सरेटिव कोलाइटिस में सूजन सिग्मॉइड कोलोन यानी बड़ी आंत के नीचे से लेकर मलद्वार तक फैली होती है। इसमें दर्द पेट के बाई ओर मरोड़, ऐंठन और शौच करते समय कठिनाई आदि समस्याएं होती हैं।

 

पेनकोलाइटिस आमतौर पर सिग्मॉइड कोलोन को प्रभावित करता है। जो खूनी दस्त का गंभीर कारण बनता है। जिससे पेट में ऐंठन, दर्द, थकान, कमजोरी और वजन कम होना जैसी जटिल समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

 

  • अल्सरेटिव प्रोक्टाइटिस (Ulcerative Proctitis)-
  • प्रोक्टोसिग्मोइडाइटिस (Proctosigmoiditis)-
  • बाई तरफा कोलाइटिस (Left side colitis)-
  • पेनकोलाइटिस (Pancolitis)-

 

2. क्रोहन रोग (Crohn disease)-

क्रोहन रोग में आमतौर पर होने वाले सूजन पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से में हो सकती है। ज्यादातर यह सूजन आंत के निचले हिस्से को प्रभावित करता है।

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज के लक्षण-
  • पतली दस्त का होना।
  • पेट में मरोड़ और ऐंठन की समस्या होना।
  • पेट में दर्द होना और खाली पेट रहने पर इस दर्द का और तेज होना।
  • पेट में जलन होना और रात के समय जलन का बढ़ जाना।
  • बार-बार चक्कर आना या कमजोरी महसूस करना।
  • मल से रक्त आना।
  • भूख न लगना।
  • अस्पष्ट रूप से वजन घटना।
  • बार-बार शौच जाने की इच्छा होना।
  • मानसिक स्वास्थ्य का बिगड़ना।

 

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज होने के कारण-

डॉक्टर के मुताबिक, आंत में सूजन का कोई सटीक कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि अनुवंशिकता और प्रतिरक्षा प्रणाली को इसकी मुख्य वजह माना जाता है।

 

आनुवंशिकी-

कुछ बीमारी आनुवंशिकी होती हैं। जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार के सदस्यों में फैलती रहती हैं । जिसमें इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज भी शामिल है। जो उन लोगों को हो सकती है। जिनके परिवार में कोई अन्य व्यक्ति पहले इससे पीड़ित रहा हो। 

 

प्रतिरक्षा प्रणाली-

 प्रतिरक्षा प्रणाली का खराब होना भी इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज का एक कारण है। इस स्थति में बैक्टीरिया तेजी से आक्रमण करते हैं। इस प्रकार से बैक्टीरिया का संक्रमण अल्सर होने का सबसे प्रमुख कारण है। यह दूषित भोजन एवं पानी से होता है।

 

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज के अन्य जोखिम कारक-
  • लंबे समय तक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने पर।
  • आइसोट्रेटिनोइन मुंहासे रोधक दवाओं का सेवन करने पर।
  • तैलीय और मिर्च मसाले युक्त भोजन का अधिक सेवन करने पर।
  • फेफड़े, किडनी और लिवर संबंधी समस्याओं से ग्रसित होने पर।

 

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज के बचाव एवं रोकथाम-
  • भोजन करने से पहले हाथों की सफाई का विशेष ध्यान दें।
  • स्वस्थ्य एवं संतुलित आहार का सेवन करें, जिसमें प्रचूर मात्रा में फाइबर शामिल हों।
  • अपने डाइट में फल और हरी सब्ज़ियों को शामिल करें।
  • तरल पदार्थ एवं पानी भरपूर पिएं।
  • चाय, कॉफी, धूम्रपान आदि के सेवन से बचें।
  • शराब के सेवन से परहेज करें।
  • तले-भुने एवं जंक फ़ूड के सेवन से बचें।
  • भोजन को अच्छे से चबाकर खाएं।
  • अपने दिनचर्या में योग और व्यायाम को शामिल करें।
  • प्रतिदिन कम से कम 1 घंटे टहलें।
  • अधिक देर तक भूखे न रहे।

 

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज के घरेलू उपाय-
दही है फायदेमंद-

दही प्रोबायोटिक्स का बहुत अच्छा स्त्रोत है। इसलिए अल्सर एवं सूजन होने पर दही खाना बहुत ही फायदेमंद होता है।

 

एलोवेरा है फायदेमंद-

आंतों की सूजन को कम करने के लिए एलोवेरा जेल का इस्तेमाल लाभकारी होता है। दरअसल एलोवेरा में एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) गुण पाए जाते हैं जो आंतों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा एलोवेरा का उपयोग घाव भरने और दर्द को कम करने के लिए भी किया जाता है। इसके लिए एलोवेरा जेल या इसके जूस का सेवन करने से आंतों की सूजन में राहत मिलता है।

 

ग्रीन टी-

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज की समस्या में ग्रीन टी का इस्तेमाल बेहद फायदेमंद माना जाता है। दरअसल ग्रीन टी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं जो आंत संबंधित कई समस्याओं में फायदेमंद माने जाते हैं।

 

चावल का पानी-

इंफ्लेमेंटरी बाउल डिजीज के इलाज में चावल का पानी कारगर साबित होता है। दरअसल चावल का पानी आंत के पीएच लेवल को नियंत्रित रखता है। साथ ही आहार नली में होने वाले इरिटेशन को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स शरीर में होने वाली पोषक तत्वों की कमी को भी पूरा करते हैं।  

 

अलसी के बीजों का पानी-

अलसी का सेवन भी अल्सरेटिव कोलाइटिस के इलाज के लिए अच्छा विकल्प हैं। क्योंकि यह फाइबर से समृद्ध है जो आंतों में होने वाले सूजन और अल्सर से राहत दिलाने का काम करता हैं। इसके अतिरिक्त अलसी में मौजूद फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट संक्रमण को कम करता हैं और शरीर से अशुद्धियों को बाहर निकालने में मदद करता है।

 

नारियल का तेल-

नारियल के तेल का सेवन आंतों में होने वाली सूजन, और अल्सर की समस्या में बेहद लाभप्रद होता है। क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। जो आंतों में होने वाले दर्द एवं जलन से राहत दिलाते हैं।

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