Posted 23 September, 2022
नागरमोथा क्या है? जानें, इसके फायदे और उपयोग
नागरमोथा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसमें कड़वा स्वाद और तीखी गंध होती है। इसकी लकड़ी का उपयोग लंबे समय तक चलने वाली सुगंध के कारण इत्र और अगरबत्ती बनाने के लिए किया जाता है। आमतौर पर इसे नट ग्रास के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा नागरमोथा को संस्कृत में चक्रंक्ष और चारुकेसरा, अंग्रेजी में नटग्रास और पर्पल नटगेज, बंगाली में नागरमोथा, मलयालम में मुशकेज़मिन, उर्दू में साद कुफ़ी, अरबी में सोद और सोदेकुफ़ी, तमिल में कोरई और मुथकासु, कन्नड़ में तांगाहुलु, मराठी में नागरमोथा या मोथा, गुजराती में नागरमोथया और मोथा नामों से पुकारा जाता हैं। इसका वैज्ञानिक नाम साइपरस रोटंडस (Cyperus Rotundus) है।
आयुर्वेद में नागरमोथा का महत्व-
आयुर्वेद में नागरमोथा का उपयोग दीपन (जठराग्नि को बढ़ाता है), पचन (भोजन पचाने में सहायक), रोचन (भूख को उत्तेजित करता है), कुपचन (उल्टी, अपच को रोकता है), ज्वर (बुखार में उपयोगी), यकृत विकार (यकृत संक्रमण को रोकता है) के लिए किया जाता रहा है। इसके अतिरिक्त यह आमहर (अपच का इलाज करता है), दाहहर (जलन से राहत देता है), श्वाशहर (सांस लेने में परेशानी), अनुलोमन (सांस लेने में सुधार करता है), संग्रहणी (दस्त का इलाज करता है), कमला (पीलिया रोकता है), काशहर (खांसी से राहत देता है) गुण के लिए भी जाना जाता है।
नागरमोथा के फायदे-
- बालों का झड़ना कम करें-नागरमोथा में एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं जो स्कैल्प पर रुसी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है। जिससे बालों के गिरने या झड़ने की समस्या कम होती हैं।
- मधुमेह का इलाज करने में सहायक-नागरमोथा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इस प्रकार यह मधुमेह के लिए एक प्रभावी उपाय है।
- पाचन के सुधार में सहायक-नागरमोथा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन या मासिक धर्म के कारण होने वाले दर्द से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके अलावा नागरमोथा का औषधीय गुण पाचन में भी मदद करता है।
- काले धब्बें कम करने में मददगार-नागरमोथा में कसैले गुण पाए जाते हैं, जो मेलेनिन (त्वचा की रंगत के लिए जिम्मेदार त्वचा वर्णक) को कम करते हैं। इसप्रकार यह काले धब्बें का इलाज करने में मदद करती है।
- यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) के इलाज में कारगर-नागरमोथा की जड़ में पाए जाने वाला एंटी बैक्टीरियल गुण जलन जैसे यूटीआई के लक्षणों का इलाज करने में मदद करते हैं।
- लैक्टेशन बढ़ाने में मददगार-नागरमोथा प्रोलैक्टिन (एक हार्मोन) का उत्पादन करने में मदद करता है जो स्तनपान को बढ़ाता है। साथ ही यह स्तन के दूध की गुणवत्ता में सुधार भी करता है।
- तनाव और चिंता को कम करने में कारगर-नागरमोथा से बने एसेंशियल ऑयल में एक सुखद सुगंध होती है, जो आपके शरीर पर शांत प्रभाव डालती है। यह तनाव को कम करता है और शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को नियंत्रित करता है।
त्वचा के लिए कारगर-
नागरमोथा अपने शीतलन और कसैले गुणों के कारण सूजन, खुजली, छाले, एक्जिमा आदि में सहायक होती है।
नागरमोथा के उपयोग-
- नागरमोथा का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है।
- नागरमोथा के तने का उपयोग इत्र और अगरबत्ती बनाने के लिए किया जाता है।
- अपच और कई समस्याओं के इलाज के लिए नागरमोथा चूर्ण का सेवन किया जाता है।
- इसकी जड़ों से निकाला गया तेल पेट की समस्याओं और मधुमेह के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- नागरमोथा जड़ के अर्क का उपयोग एक कीट विकर्षक के रूप में कार्य करता है।
नागरमोथा के दुष्प्रभाव-
नागरमोथा के अधिक सेवन से कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए कुछ सावधानियां बरतकर इसका सेवन करें, जो निम्नलिखित हैं:
- इस जड़ी बूटी के अधिक सेवन से कब्ज होता है। जिसके कारण शरीर में वात दोष बढ़ सकता है।
- कब्ज़ होने पर नागरमोथा के सेवन से परहेज करें, इससे पेट की समस्या और बढ़ सकती है।
- चूंकि हर व्यक्ति के शरीर की प्रकृति अलग-अलग होती है। इसलिए गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान नागरमोथा लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरुर लें।
नागरमोथा कहां पाया जाता है?
नागरमोथा भारत के मध्य प्रदेश राज्य में पाया जाने वाला एक जमीनी पौधा है।