My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

क्या है सहजन (मोरिंगा)? जानें, इसके आयुर्वेद में महत्व एवं फायदे

Posted 17 March, 2022

क्या है सहजन (मोरिंगा)? जानें, इसके आयुर्वेद में महत्व एवं फायदे

सहजन एक तरह की मौसमी फली है, जो मोरिंगेसी (Moringaceae) परिवार से संबंध रखता है। जिसका आम इस्तेमाल सब्जी के तौर पर किया जाता है। सहजन को अंग्रेजी में ड्रमस्टिक (Drumstick) या मोरिंगा (Moringa) कहते  है। जिसका वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera) है। सहजन का पेड़ तेजी से बढ़ता है इसके फलियों के अलावा इसके फूल एवं पत्तियों का भी इस्तेमाल खाने में किया जाता है। इसमें फाइटोन्यूट्रिएंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो समग्र स्वास्थ्य पर प्रभावशाली असर डालता है। इसलिए आयुर्वेद में भी सहजन को उत्तम दर्जे की औषधि माना जाता है।

आयुर्वेद में सहजन का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार सहजन एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और ऊतक-सुरक्षात्मक गुणों से भरपूर है। यह विटामिन, खनिज और अमीनो एसिड का एक उत्कृष्ट स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और विटामिन ई, कैल्शियम, पोटैशियम और प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह सभी गुण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, वजन को कम करने, जोड़ों के दर्द एवं गठिया के इलाज में फायदेमंद हैं। यह शरीर के तीनों दोष अर्थात वात (वायु रोग), पित्त और कफ (बलगम) के संतुलन को बनाए रखने तथा इसके प्रकोप से होने वाली सभी तरह की बीमारियों को रोकने की क्षमता रखता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व त्वचा की सभी समस्याओं को ठीक करते हैं। यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाकर पाचन शक्ति में सुधार करता है। इसके अतिरिक्त सहजन हृदय चाप, रक्त चाप, कोलेस्ट्रॉल आदि को भी स्थिर रखने में मदद करता है।

सहजन के फायदे

वजन कम करने में सहायक सहजन की फली या पत्तियों का सेवन बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। क्योंकि सहजन में क्लोरोजेनिक एसिड मौजूद होता है,जो एंटी-ओबेसिटी गुण को प्रदर्शित करता है। यह शरीर में लिवर ग्लुकोनियोजेनेसिस और इंसुलिन रिलीज की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जो प्रत्यक्ष रूप से मोटापे के इलाज के लिए एक प्रभावी विकल्प है।

कैंसर के लिए फायदेमंद

सहजन में मौजूद औषधीय गुण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों  को रोकने या उससे बचाने का काम करता है। दरअसल, सहजन की छाल एवं पत्तियों में एंटी कैंसर और एंटी ट्यूमर गुण होते हैं। इसके अलावा सहजन की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स (Polyphenols) एवं पॉलीफ्लोनोइड्स (Polyflavonoids) गुण मौजूद हैं, जो एंटीकैंसर, एंटीऑक्सीडेंट के गुणों को प्रदर्शित करते हैं। इस प्रकार यह सभी तत्व कैंसर को रोकने में सहायक होते हैं।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक

सहजन में मौजूद विटामिन-सी और इसके अन्य गुण तरह-तरह के रोगजनक सूक्ष्मजीवों और बीमारियों के विकास को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें मुख्य रूप से इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट पाया जाता है। जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात इम्यूनिटी को बेहतर करने में सहायता करता है।

एनर्जी लेवल सुधारने में सहायक

सहजन में लिपिड फैट उच्च मात्रा में होता है। जो शरीर में जाकर एनर्जी बढ़ाने का काम करता है। लिपिड को ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसके अलावा सहजन में फैट में घुलने वाले विटामिन्स और बायोएक्टिव जैसे फैटी एसिड मौजूद होते हैं। जो शरीर की कार्य क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इस प्रकार सहजन बॉडी में एनर्जी लेवल को बढ़ाने में सहायता करता है।

मधुमेह के लिए

सहजन के फूल, पत्ते, छाल और फलियों में एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए अपने आहार में नियमित रूप से सहजन की फलियों की सब्जी या इससे बने टेबलेट का सेवन करना मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।

ब्लड प्रेशर के लिए कारगर

सहजन के प्रयोग से ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जाता है। दरअसल मोरिंगा के ताजे पत्तियों और फलियों में फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। जो शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा को कम कर, उच्च रक्तचाप की दर को कम करने का काम करते हैं।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार

सहजन में बीटा-साइटोस्टेरॉल मौजूद होता है। जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करने वाले रासायनिक प्रक्रिया को धीमा करके एंटी इंफ्लेमेटरी की तरह कार्य करता है। इसके अतिरिक्त सहजन में कैंप फेरोल भी होता है। जो चयापचय और कोशिकाओं के कार्य को बेहतर बनाने का काम करता है। इस प्रकार से सहजन का सेवन शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल अर्थात एलडीएल (LDL) लेवल को कम करने में मदद करता है।

हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में सहायक

सहजन यानी मोरिंगा हड्डियों के स्वस्थ्य रखने एवं उसे मजबूती प्रदान करने के लिए जाना जाता है। दरअसल, मोरिंगा में कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन एवं प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के विकास के लिए बेहद जरुरी होता है। इस आधार पर माना जाता है  कि मोरिंगा का सेवन हड्डियों को पोषण और मजबूती प्रदान करने के लिए लाभप्रद है।

जोड़ों के दर्द के लिए

सहजन में एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं, जो जोड़ों के दर्द एवं सूजन से राहत दिलाने का काम करते हैं । वहीं इसमें एंटी अर्थरिटिक और एंटी ऑस्टियोपोरोटिक गुण भी मौजूद है। इसमें पाए जाने वाला यह गुण हड्डी की बीमारी के जोखिमों को कम करने में मदद करते हैं।

लिवर के लिए फायदेमंद

गलत खान-पान और जीवन शैली का सीधा असर लिवर पर पड़ता है। ऐसे में समय रहते अपने खान-पान एवं दिनचर्या में बदलाव जरुरी है। इसके लिए अपनी डाइट में अन्य आहारों के साथ सहजन की फली या इसकी पत्तियों को शामिल करना लिवर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। दरअसल, इसमें क्वारसेटिन (Quercetin) नामक फ्लैवनॉल मौजूद हैं, जो हेपटोप्रोटेक्टिव की तरह काम करते हैं। यह लिवर को किसी भी प्रकार के क्षति से बचाता है। इसलिए अपने आहार में सहजन के फूल, पत्ते और कलियों को जरुर शामिल करें।

मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए

सहजन का सेवन मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। यह अल्जाइमर (भूलने की बीमारी), पार्किसम (सेंट्रल नर्वस सिस्टम से जुड़ा विकार) को दूर करने के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। साथ ही यह याददाश्त को तेज करने या सुधारने में भी सहायक होते हैं।

एनीमिया के लिए

सहजन की छाल या इसकी पत्तियां का सेवन एनीमिया यानी लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से बचाव के लिए किया जाता है। क्योंकि इसकी पत्तियों में एथनोलिक एक्सट्रेक्ट गुण पाए जाते हैं। जिसमें एंटी एनीमिया गुण मौजूद होते हैं। इसके निरंतर सेवन से हिमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में भी मदद मिलती है।

त्वचा के लिए फायदेमंद

सहजन में ओलिक एसिड पाया जाता है। जो क्लींजिंग एजेंट के रूप में ड्राई स्किन को मॉइस्चराइज करने में मदद करता है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-ई और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जो बेजान और रूखी त्वचा को मुलायम बनाते हैं। इसके अतिरिक्त सहजन में एंटीपीलेप्टिक, एंटीहाइपरटेन्सिव और एंटीफंगल जैसे गुण भी पाए जाते हैं। जो त्वचा की पूर्ण देखभाल करते हैं। इसप्रकार से सहजन या इसकी पत्तियों के सेवन से त्वचा को स्वस्थ्य बनाया जाता है।

एंटी-एजिंग के लिए

सहजन की फली या इसकी पत्तियां में विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा होती  है। जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाने और त्वचा के कोलेजन निर्माण में सुधार करके दमकती त्वचा (ग्लोइंग स्किन) देने का काम करता है।

सहजन का उपयोग

  • सहजन या इसकी पत्तियों को सब्जी बनाकर खाया जाता है।
  • सहजन को काटकर उसका उपयोग सूप के रूप में किया जाता है।
  • सहजन की फलियों या पत्तियों का टेबलेट या कैप्सूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसकी पत्तियों या फूलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर सेवन कर सकते हैं।

सहजन के नुकसान

  • महिलाओं को पीरियड के दौरान इसके सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि यह पित्त को बढ़ाता है।
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर के दौरान इसके सेवन से बचें।
  • यह जलन में वृद्धि का कारण बन सकता है। इसलिए इसका सेवन गैस्ट्राइटिस, एसिडिटी की समस्या होने पर न करें।
  • सहजन के पत्ते उच्च रक्तचाप को कम करने का काम करते हैं। । इसलिए निम्न रक्त चाप से पीड़ित व्यक्तियों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • इसके सेवन से मधुमेह में राहत मिलती है। इसलिए इसका अधिक सेवन जरुरत से ज्यादा ग्लूकोज के स्तर में कमी  का कारण भी बन सकता है। सहजन के फली को गर्भावस्था के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इसकी छाल, पत्ते एवं फूलों का सेवन इस दौरान न करें करे या डॉक्टर के परामर्शानुसार ही सेवन करें।
Read More
कासनी के औषधीय गुण, फायदे एवं उपयोग

Posted 17 March, 2022

कासनी के औषधीय गुण, फायदे एवं उपयोग

कासनी को चकोरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह का बारहमासी पौधा होता है। जो मुख्य रूप से भारत के उत्तर पश्चिम इलाकों में पाया जाता है। कासनी एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। जो गठिया, ह्रदय रोग, कब्ज जैसी परेशानियों के इलाज के तौर पर उपयोग की जाती है। इस जड़ी-बूटी में खास बात यह है कि इसका स्वाद कॉफी की तरह होता है। हालांकि इसमें कैफीन नहीं पाया जाता है। इसके अलावा कासनी में कई ऐसे गुण मौजूद हैं। जिसके कारण यह सेहतमंद और कई रोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। एक तरफ कासनी जानवरों के लिए हरा चारे का काम करता है तो वहीं, दूसरी ओर मनुष्यों के लिए औषधि का काम करता है। कासनी का सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। इसके अलावा कॉफी के जैसा स्वाद होने के कारण इसका उपयोग खाने में भी किया जाता है। इन्हीं सभी गुणों की वजह से कासनी को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक औषधि माना गया है। आइए इस लेख के माध्यम से बात करते हैं इस जड़ी-बूटी के औषधीय गुणों के बारे में:

 

क्या हैं कासनी

आमतौर पर कासनी एक प्रकार का जड़ी-बूटी है। जो डैंडेलियन परिवार से संबंध रखती हैं। जिसका वानस्पतिक नाम सिकोरियम इंटीबस (Cichorium Intybus) है। इसके फूल सफेद-नीले रंग के होते हैं। इसकी पत्तियां गोलाकार और यह स्वाद में कड़वी होती हैं। इसके फूलों में 15 से 20 पंखुड़ियां एक साथ लगी होती हैं। जो सुबह के समय खिलते हैं और दिन में सिकुड़ या बंद हो जाते हैं। कासनी में हल्के रंग के फल लगते हैं और गाय की पूंछ जैसी एक मांसल जड़ होती है। कासनी (चिकोरी) के पौधे लगभग एक से दो मीटर तक ऊंचे होते हैं।

 

कासनी के पौष्टिक तत्व

कासनी प्राकृतिक रसायनों से समृद्ध होता है। इसमें विटामिन, क्रिस्टलीय निगेलोन, लोहा, सोडियम, पोटेशियम और फैटी एसिड से परिपूर्ण तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन A, विटामिन B6, विटामिन C, E, K भी पाए जाते हैं। इन तत्वों से भरपूर होने के कारण कासनी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभप्रद साबित होता है। इसके अलावा कासनी का बीज संतृप्त और असंतृप्त फैटी एसिड का भी बढ़िया स्रोत हैं।

 

कासनी के फायदे
तनाव और चिंता में लाभदायक

कासनी का सेवन तनाव और चिंता के लिए लाभदायक साबित होता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कासनी में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती हैं। जो मानसिक विकारों से निजात दिलाने में सहायक होता है। जिसमें चिंता, तनाव और डिप्रेशन भी शामिल हैं।

 

गठिया के लिए

कासनी चूर्ण में विभिन्न तत्व मौजूद हैं। इसमें मुख्य रूप से एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। जो पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 

वजन घटाने के लिए

कासनी अपने मोटापा-रोधी गुणों के कारण जाना जाता है। क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह फाइबर कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करने और चयापचय में सुधार करने का काम करते हैं। इसके अलावा फाइबर शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने के साथ-साथ लंबे समय तक भूख को नियंत्रित रखने का काम भी करते हैं। यह शरीर में विषाक्त पदार्थों के संचय को भी रोकते हैं।

 

ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

कासनी का सेवन ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, कासनी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इससे बनने वाली कॉफी का सेवन शरीर में रक्त और प्लाज्मा के संतुलन में सुधार करने का काम करता है। जिससे हृदय रोग होने की आशंका कम होती है। इसके अलावा कसनी में इंसुलिन की प्रचूर मात्रा होती हैं।जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम करता है। परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम हो जाती है।

 

पाचन के लिए

पाचन तंत्र के लिए कासनी अहम भूमिका निभाती है। क्योंकि कासनी अर्थात चिकोरी में इंसुलिन (Insulin -डाइटरी फाइबर) की अच्छी मात्रा पाई जाती है।जो एसिड रिफ्लक्स (पाचन संबंधी रोग) के अलावा आंत संबंधी कई समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं। इसके अलावा कासनी अपच और हार्टबर्न से भी राहत दिलाने में सहायक होता है।

 

कैंसर के लिए

कासनी ब्रेस्ट और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने और उससे बचाने का काम भी करता है। इसके लिए कासनी में पाए जाने वाले पॉलीफेनॉल्स और फोटोकैमिकल्स गुण सहायक होते हैं। इसके अलावा कासनी की जड़ में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। जो कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। 

 

कब्ज को दूर करने में सहायक

कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए कासनी का सेवन अच्छा होता है। दरअसल, कासनी की जड़ में विटामिन C, E, K, कोलीन और बीटा केरोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा इसमें मौजूद इंसुलिन आंत की समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं। साथ ही कब्ज को दूर करके पाचन की दिक्कतों को भी खत्म करते हैं।

 

किडनी की कार्य प्रणाली को सुधारने में सहायक

कासनी की जड़ के अर्क को मूत्रवर्धक (Diuretic) की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेशाब की मात्रा बढ़ती है। जिससे पेशाब के जरिए किडनी में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिससे कासनी का सकारात्मक प्रभाव किडनी के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए कासनी के सेवन किडनी कार्य प्रणाली के लिए अच्छा होता है।

 

कासनी के अन्य फायदे और उपयोग
  • कासनी के पत्ते को चंदन के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिरदर्द की समस्या से निजात मिलती है।
  • कासनी के बीजों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से मुखपाक और मसूड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
  • 10से 15मिली इसके काढ़े को पीने से पित्ताशय के कारण होने वाली उल्टी में फायदा पहुंचता है।
  • कासनी के पत्ते को पीसकर ठंडे पानी के साथ सेवन करने से खून की उल्टी से राहत मिलती हैं।
  • लिवर को स्वस्थ्य रखने के लिए कासनी के फूलों से शरबत बनाकर पीना फायदेमंद होता है।
  • कासनी की जड़ का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 10से 20मिली की मात्रा में सेवन करने से मासिक धर्म जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
  • कासनी की जड़ का पेस्ट बनाकर योनि में लगाने से योनि के दर्द एवं सूजन में राहत मिलती है। 

 

कासनी के नुकसान
  • यदि किसी व्यक्ति को कासनी या इससे बने अन्य उत्पाद से एलर्जी हो तो वह व्यक्ति इसका सेवन न करें।
  • गर्भवती महिलाओं को कासनी का अधिक उपयोग नहीं करनी चाहिए। अन्यथा इससे मासिक धर्म उत्तेजित हो सकता है।जिसकी वजह से गर्भपात हो सकता है।
  • स्तनपान कराने माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • यदि किसी व्यक्ति को पित्ताशय की पथरी की समस्या हो तो इस स्थिति में उसे कासनी के सेवन से बचना चाहिए।
Read More
Benefits, Uses and Importance of Cumin in Ayurveda

Posted 20 January, 2022

Benefits, Uses and Importance of Cumin in Ayurveda

Cumin is an ingredient that comes from the dried seed of a plant referred to as Cuminum cyminum. Cumin is among the most well-known spices and is widely used in Latin American, Middle Eastern, North African and Indian cuisines, as well as other dishes. It is available in the form of whole seeds as well as in ground form.

Cumin is used in all homes to enhance the taste of dishes. It is used in the form of spices, pickles, decoction, powder and cumin rice. Due to its properties, it is used for medicinal purposes and in several home remedies. It works to reduce digestion, stomach ache and other stomach related problems. Therefore, cumin is considered to be an excellent remedy in Ayurveda.

Importance of Cumin in Ayurveda

The flavor of cumin is spicy. Many nutritious ingredients are present in it which help to keep the tridoshas (Kapha, Pitta, Vata) calm. Minerals like calcium, sodium, iron and potassium are also found in cumin. The main benefit of cumin is to increase immunity. Use of cumin with curd, buttermilk, and shikanji in the summer season keeps the body cool. Apart from this, regular consumption of cumin keeps the body fit and healthy.

Benefits of Cumin

  • Aids in digestion

Due to a malfunction or disturbance in the digestive system, the body's immunity weakens due to which the body becomes prone to all kinds of diseases. Regular consumption of cumin helps in healing the digestive system. For this, drink cumin water before exercise every day.

  • Helpful in purifying the blood

When toxins are added to the body, this results in bad blood. Cumin has vitamin C, antibacterial and antiviral properties which help in removing the toxic particles from the body. For this, drink cumin water that eliminates the toxic particles and purifies the blood.

  • Beneficial in reducing weight

Cumin is a rich source of fiber that works to control abdominal obesity. Cumin does not allow fat to freeze in the body. As a result, obesity does not increase. It is best to consume cumin water every morning before exercise. Apart from this, cumin water also helps in reducing acidity and keeping the body hydrated.

  • Improves heart health

Cumin is considered good for the heart as mineral substances like phosphorus, potassium, iron, manganese and zinc are found in cumin which works to keep heart health good for a long time. These nutrients control blood pressure and cholesterol in the body. Apart from this, it is also necessary for the development of blood cells.

  • Effective in cold and cough

Cumin also protects against cough and cold. The anti-inflammatory, antibacterial and antifungal properties of cumin seeds help fight infections by boosting immunity. For this, drinking ginger mixed with cumin water provides relief from cough and cold. It also works to clean the upper respiratory system by removing mucus from the mouth.

  • Provides relief in stomach problems

Cumin is a great option as a home remedy to get rid of the diseases like abdominal pain, bloating, gas and acidity that affects the whole body. Take it with lukewarm water to cure stomach related problems.

  • Builds strong bones

Phosphorus and calcium are essential for bones. Since cumin is considered a good source of calcium and phosphorus. Therefore, consuming cumin is good for bones.  

  • Good for swelling

Cumin is rich in antioxidants and minerals which help reduce inflammation and oxidative stress as the anti-inflammatory effect present in cumin helps in reducing and preventing inflammation.

  • Controls diabetes

Both the low or high level of sugar in the blood proves to be harmful for the body. In such a situation, cumin should be consumed regularly because some antioxidant elements are found in it which controls the blood sugar in the body and fights diabetes.

  • Beneficial in pregnancy

Cumin is extremely beneficial for pregnant women because at this time there is a change in the hormones of the body and digestion slows down. This results in problems like flatulence, gas formation in the alimentary canal. For this, consuming cumin water containing black salt is beneficial because the active enzymes present in it increase digestive activity. It also removes the problems related to the intestines. Cumin water is helpful in relieving the problem of menstrual pain and cramps.

  • Increases mother's milk

Calcium and iron are found in sufficient quantities in cumin. Both of these are great for lactating and pregnant women as it increases the amount of milk in the mother's breasts. It also helps in bringing back the lost strength and vigor after the birth of the baby.

  • Effective in removing skin disorders

Cumin is very beneficial in skin related disorders like blemishes, scabies, itching, spots, wrinkles etc. Vitamin-C, Vitamin-E, Vitamin-K, antioxidant etc. properties are found in it which help in getting rid of skin related problems. For this, making a paste of cumin and applying it on the affected area cures skin disorders.

  • Nourishes hair

Cumin has both antifungal and anti-inflammatory properties and works to clean the scalp and hair. Cumin essential oil is a good option for this. Washing the hair with cumin water containing black salt helps in conditioning the hair.

In what forms is Cumin used?

  • Cumin seeds and ginger powder are mixed and used in the form of tea or decoction.
  • Cumin is used in cooking vegetables and pulses.
  • It is also used to enhance the flavor of pickles.
  • Cumin is also used to prepare a Bengali spice (panch phoran) mixture.
  • It is used for cumin powder and cumin water.

Side effects of Cumin

  • Excessive consumption of cumin leads to spots and rashes on the skin.
  • People with hypersensitivity problems should not use cumin.
  • Excessive consumption of cumin can cause digestive problems and heartburn.
  • Excessive consumption of cumin may cause belching due to the carminative effects in it.
  • Pregnant women should avoid excessive consumption of cumin because consuming it in large quantities increases the risk of miscarriage or premature delivery.
  • While taking any kind of medicine, take cumin seeds according to the advice of the doctor.

Where is Cumin found?

Cumin is cultivated all over India and is produced in large quantities in India mainly in Uttar Pradesh, Rajasthan, Punjab, Bihar and Madhya Pradesh.

Read More
पुनर्नवा क्या हैं? जानें, इसके फायदे और उपयोग

Posted 17 March, 2022

पुनर्नवा क्या हैं? जानें, इसके फायदे और उपयोग

पुनर्नवा एक जड़ी-बूटी है। पुरातनकाल से आयुर्वेद में इसकी जड़, पत्तियों, फलों और बीजों का इस्तेमाल अनेक बीमारियों से बचने के लिए किया जा रहा है। आयुर्वेद में पुनर्नवा का मतलब शरीर को ऊर्जावान बनाना होता है। इससे बने चूर्ण या काढ़े का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा पुनर्नवा के पौधे में हाइड्रोक्लोराइड और पोटैशियम नाइट्रेट का प्रचुर मात्रा पाए जाते हैं, जो कई रोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। इसका उपयोग रक्‍तचाप को नियंत्रित करने, मधुमेह को ठीक करने, यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने, त्वचा को स्वस्थ बनाने, गठिया और अस्‍थमा आदि का इलाज करने के लिए किया जाता है। इन्हीं सभी गुणों कीवजह से पुनर्नवा को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक औषधि माना गया है।

क्या है पुनर्नवा?

पुनर्नवा एक प्रकार का औषधीय पौधा है, जो हर साल गर्मियों में सूख जाता है और बरसात के मौसम में खिल उठता है। यह पौधा नाइसटैजिनेसी (Nyctaginaceae) परिवार से संबंध रखता है। जिसका वानस्पतिक नाम बोअरहेविया डिफ्यूजा (Boerhavia Diffusa) है। इसके फूल सफेद, लाल और हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। इसके तने (बेल) जामुनी रंग के होते हैं। पुनर्नवा के पत्ते हरे और किनारों से गोल होते हैं। यह स्वाद में कड़वा होता है। आमतौर पर पुनर्नवा भारत, म्यांमार, अफ्रीका, उत्तर एवं दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है।

 

पुनर्नवा के फायदे
मोटापा कम करने में मददगार

वैसे मोटापा किसी प्रकार की बीमारी नहीं होती लेकिन यह अन्य बीमारियों के पनपने की वजह जरुर बनती है। इसलिए जो व्यक्ति मोटापा से ग्रसित हैं, उनके लिए पुनर्नवा का सेवन फायदेमंद होता है। इस पर किए गए एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, पुनर्नवा में एंटी-ओबेसिटी गुण मौजूद होते है। यह गुण शरीर के वजन को कम एवं ऑर्गन फैट पैड के वजन को सामान्य बनाने में मदद करता है। वहीं, एक अन्य शोध के मुताबिक, इसकी पत्तियों में रक्त को शुद्ध करने वाली गतिविधियां पाई जाती हैं। इसलिए वजन कम करने के लिए नियमित रूप से पुनर्नवा के काढ़े या चूर्ण का सेवन जरुर करें।

मधुमेह के इलाज के लिए

पुनर्नवा पौधे को कई जगहों पर मधुमेह के इलाज के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग किया जाता है। शोध के अनुसार पुनर्नवा में एंटी-डायबिटीज गुण पाए जाते हैं, जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए पुनर्नवा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से सेवन करने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।

ह्रदय स्वास्थ के लिए फायदेमंद

पुनर्नवा का सेवन ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, पुनर्नवा में कार्डियोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो ह्रदय से जुड़ी कार्यप्रणाली को चलाने का काम करता है। इसके अलावा इससे बनने वाले  काढ़े का सेवन शरीर में रक्त और प्लाज्मा के संतुलन में सुधार करने का काम करता है। जिससे हृदय रोग होने की आशंका कम होती है। साथ ही पुनर्नवा में इंसुलिन की प्रचूर मात्रा होती हैं। जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम करता है। जिसके परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम हो जाती है।

तनाव को दूर करने के लिए

पुनर्नवा का प्रयोग तनाव को दूर करने के लिए लाभप्रद माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा पुनर्नवा में एंटी स्ट्रेस एवं एंटी डिप्रेसेंट गतिविधियां पाई जाती हैं, जो तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायता करती है। इसके लिए इस पौधे की पत्तियों का काढ़ा या इसके जड़ की चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से यह तनाव से छुटकारा दिलाने और अच्‍छी नीद लेने में मदद करती है।

अस्थमा के लिए फायदेमंद

पुनर्नवा अस्थमा एवं श्वसन संबंधी बीमारियों  के लिए प्रभावी औषधि मानी जाती है। इसलिए इसका नियमित इस्तेमाल से ब्रोन्कियल ट्यूब (श्वसन नलियों) में मौजूद कैटरल (श्‍लेष्‍म या म्यूकस) पदार्थ और कफ को हटाने में सहायक होती है। जिससे अस्थमा की समस्या कुछ हद तक ठीक हो जाती है। इस प्रकार अस्‍थमा के रोगियों के लिए पुनर्नवा के पौधे से निकाले गए रस या काढ़े को दिन में दो बार सेवन करना फायदेमंद होता है।

कैंसर के लिए

पुनर्नवा कैंसर को रोकने और उससे बचाने का काम भी करता है। इसके जड़ एवं पत्तियों में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। जो कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।  

किडनी की कार्य प्रणाली को सुधारने में सहायक

पुनर्नवा की जड़ के अर्क को मूत्रवर्धक (Diuretic) की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेशाब की मात्रा बढ़ती है। जिससे पेशाब के जरिए किडनी में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिससे पुनर्नवा का सकारात्मक प्रभाव किडनी के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके अलावा पुनर्नवा का सेवन यू टी आई संबंधित तमाम बीमारियों  को भी दूर करता हैं। इसलिए पुनर्नवा के सेवन किडनी कार्य प्रणाली के लिए कारगर उपाय है।

गठिया के लिए

पुनर्नवा चूर्ण में विभिन्न तत्व मौजूद हैं। जो गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए 1ग्राम पुनर्नवा के चूर्ण को अदरक और कपूर के साथ मिलाकर काढ़ा बनाकर उपयोग करें। ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक करने से गठिया में काफी राहत मिलता है। इस प्रकार से पुनर्नवा का सेवन गठिया के लिए भी उपयोगी माना गया है।

पीलिया के लिए लाभप्रद

पीलिया से ग्रसित व्यक्ति की  आंखों एवं शरीर की त्वचा का रंग बदलकर पीला हो जाता है। इसके अलावा बुखार, कमजोरी और मूत्र का रंग पीलापन आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में पुनर्नवा का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। इसकी पंचाग अर्थात जड़, छल, बीज, फूल और पत्ती को शहद या मिश्री के साथ सेवन करना चाहिए। साथ ही पुनर्नवा की पत्तियों से बने काढ़ा भी पीलिया के लिए लाभप्रद है। इसके अलावा पुनर्नवा के संपूर्ण भागों के रस में हरड़ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से काफी आराम मिलता है। 

त्वचा के लिए कारगर

पुनर्नवा की जड़ों या पत्तियों का उपयोग त्वचा संबंधित समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता हैं। इस पर किए गए एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, पुनर्नवा की जड़ से बने लेप को गर्म करके अल्सर एवं फोड़े-फुंसी जैसी जगहों पर लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा पुनर्नवा के जड़ को तेल में गर्म करके त्वचा पर मालिश करने से सभी प्रकार के त्वचा संबंधी विकार ठीक होते हैं। यह रक्त को शुद्ध करके त्वचा को युवा बनाने का काम करता है। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा की प्राकृतिक चमक बरकरार रहती है।   

 

पुनर्नवा के उपयोग
  • पुनर्नवा और हरड़ के फलों से बने चूर्ण को शक्कर के साथ पानी में मिलाकर सेवन किया जाता है।
  • पुनर्नवा के चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन किया जाता है।
  • पुनर्नवा चूर्ण को दूध में मिलाकर पिया जाता है।
  • इसके चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन किया जाता है।
पुनर्नवा के नुकसान
  • पुनर्नवा में शुगर कम करने के गुण पाए जाते हैं। इसलिए इसका अधिक उपयोग करने से लो ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है।
  • यदि किसी व्यक्ति को नए खाद्य पदार्थों से एलर्जी हो तो वह व्यक्ति इसका सेवन न करें।
  • स्तनपान कराने माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।   
  • गर्भवती महिलाओं को पुनर्नवा का उपयोग डॉक्टर के परामर्शानुसार करनी चाहिए।
Read More
Know about the Importance and Benefits of Malkangani in Ayurveda

Posted 14 January, 2022

Know about the Importance and Benefits of Malkangani in Ayurveda

There are many medicinal plants that have been traditionally used in Ayurvedic medicines. One of them is Malkangani. It has a special place in Ayurveda which is called Jyotishmati and Black Oil in Ayurveda. It is a medicinal herb, which belongs to the family Celastraceae whose botanical name is Celastrus paniculatus. It is bitter in taste. Its leaves are round and the edge of the leaves is prickly. The fruits of Malkangani are round in shape. Its unripe fruits are green in color and appear yellow when ripe. Its seeds, fruits, roots, leaves etc. are used as medicine in Ayurveda.

According to Ayurveda, Malakangani i.e. Jyotishmati has many health benefits. Consuming its fruit develops intelligence in a person. It kills stomach worms and is beneficial for the treatment of gout. For centuries, malkangani has been used in the treatment of epilepsy and leprosy. Apart from this, it relieves problems like headache, jaundice, and menstruation. Due to these qualities, Malkangani has got a special place in Ayurvedic medicine.

Benefits of Malkangani

Beneficial for the brain

Malkangani is good for improving the functioning of the brain. Research done on it shows that malkangani has been used for centuries to treat neurological problems and enhance memory. In fact, according to Ayurveda, in Malkangani i.e. Jyotishmati, Jyoti means enlightenment and Mati means the functioning of the brain. Therefore, jyotishmati improves memory and concentration by improving memory. It has a positive effect on brain function. Apart from this, sedative (mind calming property) is found in Malkangani which reduces headache, anxiety, stress and depression. This is the reason why a decoction made from the roots or seeds of Malkangani is known as a brain tonic.

Effective in the treatment of gout

The use of Malkangani or oil made from it is an effective medicine for the treatment of arthritis. According to a report published on the website of NCBI (National Center for Biotechnology Information), anti-arthritic properties are found in Malkangani which work to get relief from arthritis. For this, applying Malkangani oil on the painful areas provides benefits.

To prevent infection

Consuming Malkangani is an effective way to avoid infection because it contains antibacterial and antiviral properties which work to fight and protect against infection. On this basis, it can be said that the use of Malkangani is beneficial in preventing infection.

For swelling

Malkangani is rich in antioxidants and anti-inflammatory properties which is helpful in reducing inflammation and oxidative stress. Apart from this, the anti-inflammatory effect in Malkangani is also helpful in reducing or preventing inflammation.

For menstrual disorders

Malkangani is beneficial in the menstrual problems of women. The research done on this shows that Malkangani is an igneous substance and artvajana in nature, which proves to be helpful in removing menstrual problems. At the same time, to induce menstruation, it is advised to roast dry leaves of Malkangani in ghee and grind them with kanji and consume it. Apart from this, the use of malkangani roots reduces pain during periods. It also works to induce fertility.

Beneficial for eyes

Due to the increasing screen exposure, eye problems like dryness, and itching are common. Apart from this, people are also facing problems like computer vision syndrome. In such a situation, the use of Malkangani is very beneficial for the health of the eyes. According to Ayurveda, massaging the feet soles with Malkangani oil cures eye problems.

Beneficial for skin

Apart from health, Malkangani is also used for skin. According to a report published on NCBI, the use of malkangani seeds is beneficial for skin diseases. Malkangani oil has antioxidants (protecting against free radicals) and anti-aging (removing the problem of aging)  properties. In this way, malkangani is an effective medicine in removing the problems related to the skin and the signs of aging.

Beneficial in white spots (skin diseases)

Malakangani i.e. Jyotishmati has a special place in the treatment of white spots. For this, mix equal quantities of Malkangani and Babchi seed oil and keep it in a vessel. Now apply this mixture regularly on the affected areas every day. Doing this for a few days gives benefit in white spots or other skin related disorders.

Beneficial for hair

The ingredients present in the oil made from Malkangani seeds are helpful in keeping the hair healthy and removing the problems associated with it. People in Gujarat mostly use this oil for hair related problems. It works to make hair soft and strong. According to another research done on it, consumption of Malkangani seeds prevents hair from turning white. For this, it is beneficial to consume malkangani seeds, roasted in ghee along with kheer.

Uses of Malkangani

  • The roots of Malkangani are consumed in the form of powder.
  • Its seeds are roasted and eaten.
  • Its leaves are crushed and used as a paste.
  • A decoction of the roots of Malkangani is consumed.
  • Its oil is used on the skin and hair.
  • The dried leaves of Malkangani are consumed directly.
  • The boiled water of its husks is used as a wash for swelling and pain.

Side effects of Malkangani

  • Malkangani is hot(ushna) by nature which can cause poisoning. Therefore, consume it with cold food or cow's milk.
  • In some cases, its use can also cause headache and restlessness.
  • Malkangani induces abortion. Therefore, avoid its consumption during pregnancy.

Where is Malkangani found?

The vines of Malkangani are generally found in the deciduous forests at an altitude of about 1200 meters in the hilly areas of India.

Read More
What is Nirgundi?Know its Benefits and Uses

Posted 14 January, 2022

What is Nirgundi?Know its Benefits and Uses

Nature has provided us with many such herbs which work to keep the body healthy and protect it from many diseases. One of them is the Chinese Chaste tree, famously known as Nirgundi which is a nature-given herb. Its roots, leaves, fruits and seeds have been used in Ayurveda for centuries to cure many diseases. Nirgundi in Ayurveda means to protect the body from diseases. It is used both internally and externally. Consuming powder or decoction made from it is good for health. Apart from this, many types of bioactive compounds are found in the Nirgundi plant, which is known to treat many diseases. It is used to reduce pain and inflammation, cure diabetes, promote sexual health, heal the skin, treat arthritis and asthma, etc. Due to all these qualities, Nirgundi is considered an important traditional medicine in Ayurveda.

Nirgundi is a type of shrub, which is found all over India used for medicinal purposes. The botanical name of this plant is Vitex Negundo. Its flowers are white, blue and black. There are many species of this plant, but in Ayurveda, mostly blue and white flowering plants are used. It is called Nirgundi or Shandlu in Hindi, Neelpushpa in Sanskrit. The Nirgundi plant is commonly found in Central Asia and the Mediterranean Sea.

Benefits of Nirgundi

Effective in reducing inflammation

Various ingredients are present in Nirgundi Churna which help in reducing joint pain and swelling due to arthritis or any other reason. According to research conducted by NCBI (National Center for Biotechnology Information), nirgundi has anti-inflammatory properties which are effective in reducing inflammation. For this, take a decoction made from Nirgundi powder. Doing this for at least a week gives great relief in swelling and pain. In this way the consumption of Nirgundi is also considered useful for arthritis. Apart from this, heating the juice extracted from the leaves of Nirgundi and applying it on the affected areas also provides relief.

Effective in the problem of headache and migraine

Nirgundi has been traditionally used for years to relieve headaches, migraines and other neurological disorders. The nutrients present in it are known to promote brain health. At the same time, research done on it shows that its leaves have an analgesic effect. This effect relieves headache and migraine related problems. For this, grind the leaves of Nirgundi and make a paste. Now applying this paste on the forehead gives benefits. Apart from this, fumigation with dried leaves of Nirgundi and smelling it provides relief in this problem.

Helpful in regulating menstruation-

Consuming Nirgundi is beneficial in regulating menstruation because it is rich in many types of elements. According to the research done in this subject, the properties of curing the condition of oligomenorrhea (Irregular menstruation and lack of normal blood flow) are found in the leaves of Nirgundi.

Beneficial in infertility

Nirgundi effectively acts as a medicine in problems like infertility. According to research, the antioxidant properties in nirgundi are effective in increasing fertility. It also improves the quality of sperm. For this, from the first day after the end of menstruation, mix the powder of gokhru in a decoction made from nirgundi and consume it.

For sexual health

Nirgundi is also used for good sexual health as it has stimulating properties which increase the libido and slow down the ejaculation. According to a research, it improves the sexual ability and erectile dysfunction of men.

For breast-feeding

Consumption of Nirgundi is beneficial in increasing breast milk of mothers. According to research, the use of nirgundi leaves helps in the increase of milk in the breasts.

Beneficial in cough and respiratory disorders

Nirgundi is considered an effective medicine for cough, asthma and other respiratory diseases. Regularly using Nirgundi is helpful in removing catarrhal (mucous) substances and phlegm present in the bronchial tubes (respiratory tubes) due to which problems like cough, asthma, bronchitis are cured to some extent. For this, take herbal tea made from the leaves of Nirgundi. By doing this, mucus is cleared from the lungs and respiratory problems are removed. Apart from this, taking the juice of Nirgundi leaves with milk in the morning and evening ends the problem of cough.

Effective in wound healing

Nirgundi is one of the effective remedies for wound healing. Almost all parts of this plant are used for wound healing in Ayurveda due to its healing properties. Nirgundi is also rich in antibacterial effects, which kills the bacteria growing in the wound. For this, apply the paste or oil of nirgundi leaves on the affected areas.

Beneficial in skin related problems

Nirgundi is used to get rid of skin related problems due to the antioxidants present in it which slow down the signs of aging. Apart from this, the anti-bacterial property found in it also cures skin ulcers and allergies. For this, applying oil or paste made from nirgundi provides relief. Apart from this, massaging the affected parts with Nirgundi oil cures all types of skin disorders as it helps to purify the blood and makes the skin youthful.

Beneficial for hair

The nutrients present in Nirgundi maintain the growth and strength of hair. For this, mix a few drops of Nirgundi oil with coconut oil and apply it on the hair. This helps in regenerating the hair by nourishing the hair roots. It also prevents hair fall and dandruff.

Uses of Nirgundi

  • Nirgundi is used in powder or tablet form.
  • It is consumed as a decoction or herbal tea.
  • The boiled water of Nirgundi is used for taking a bath after delivery.
  • A paste made from its leaves is used on boils and pimples.
  • Nirgundi extract can be used with coconut water in burning urination and other urinary problems.
  • Its leaves are boiled in water and steamed in case of cold, headache and fever.

Side effects of Nirgundi

  • People with pitta (hot) nature should not consume it.
  • Consuming it in excess can cause headache, burning sensation and kidney problems.
  • Its consumption reduces the effect of hormone replacement therapy.
  • Breastfeeding mothers should consume it in limited quantities or it may lead to decrease in breast milk.
  • It is advised to avoid its consumption during pregnancy.
Read More
Benefits and Uses of Lajwanti

Posted 17 March, 2022

Benefits and Uses of Lajwanti

Lajwanti is a perennial plant. Its roots, leaves, and seeds have been used in Ayurveda since ancient times to cure many diseases. It is a very popular plant as it completely shrinks as soon as someone touches it. After some time it comes back to its state. For this reason, Lajwanti is also called a sensitive plant or touch me not plant. Its botanical name is Mimosa pudica. Apart from this, Lajwanti is called by the names of Chui-Mui, sleeping plants etc. Lajwanti is used in Ayurveda for controlling blood pressure, curing diabetes, promoting sexual health, promoting healthy hair, treating arthritis and asthma, etc.

The thickness of this plant is about 2 cm. Its bush has thorns. This plant is mostly found on roadsides, pastures or in fields. Its roots are thin and cylindrical. Its flowers are pink in colour and small. Its root is hard and acidic in taste. Its leaves are small, which are on either side of the branches. This plant is rich in medicinal properties.

Benefits of Lajwanti

For the treatment of diabetes

The Lajwanti plant is traditionally used for the treatment of diabetes in many places. According to research, anti-diabetic properties are found in mimosa, which helps in reducing the level of glucose present in the blood. For this, diabetic patients get benefits by taking decoction of Lajwanti root regularly thrice a day.

For the treatment of wounds and rashes

The use of Lajwanti leaves is good for all kinds of wounds as it has wound healing properties which helps in the quick healing of wounds. Apart from this, the juice or paste of Lajwanti is also used to reduce the problem of rashes with wounds. Therefore, applying Lajwanti paste on any kind of wound or cut is a good remedy.

To relieve stress

The use of the Lajwanti plant is considered beneficial to relieve stress. The nutrients present in it are known to promote brain health. Apart from this, this nutrient helps in dealing with mental problems like stress, depression. For this, make a paste by taking the leaves (about 5 grams) of this plant. Now boil this paste in hot water and drinking this water for 15-20 days after cooling it while sleeping at night helps in relieving stress and getting good sleep.

For respiratory problems

According to research, anti-bacterial, anti-inflammatory and antioxidant properties are found in Lajwanti leaves which clears the airways by removing dust, allergens and inflammation of the airways. In this way, it is considered effective medicine for respiratory diseases. Apart from this, the anti-allergic property of Lajwanti is also effective for the problem of asthma. Consuming the juice extracted from the Lajwanti plant twice a day is beneficial for asthma patients.

For sexual health

In Ayurveda, Lajwanti is considered a natural cure for sexual problems. It effectively works to promote the sexual health of men. For this, make a mixture by taking an equal quantity of the seeds of the Mimosa plant and sugar. Now take 2 teaspoons of this mixture daily with warm milk before sleeping. This benefits in removing premature ejaculation and other sexual problems.

For ulcers

Research done shows that the extract of mimosa acts like a medicine that has a positive effect on gastric hyperacidity and ulcers. Apart from this, antiulcer properties are found in Lajwanti which play an important role in preventing ulcers.

For diarrhoea

The use of Lajwanti is considered very good for diarrhoea. It has been used as a medicine for diarrhoea since ancient times. For this, consume a spoonful of the powder of the root of Mimosa with curd.

For stomach health

According to research reports, lajwanti helps in flushing out toxins and harmful bacteria from the body because it has anti-bacterial and anti-microbial properties. Apart from this, lajwanti helps in curing pain in the stomach (especially the pain caused by intestinal worms). It is also helpful in improving the digestive system and keeping the stomach healthy.

Beneficial for hair

The use of Lajwanti is helpful in preventing the problem of hair fall. For this, it is beneficial to use shampoo containing Lajwanti's juice. Apart from this, the nutrients present in it work to promote hair cells. Thus, hair fall or baldness can be controlled by using it regularly.

Other benefits of Lajwanti

  • Make a paste of Lajwanti leaves and apply it to the itchy areas to get rid of itching.
  • If a person has a kidney problem, making a decoction of 10 grams of powder of Lajwanti root and drinking it is beneficial. By doing this in the morning and evening for a few days, the stone melts and comes out through urine.
  • Consuming ground lajwanti with milk is beneficial for people suffering from piles. Apart from this, taking 1 teaspoon Lajwanti powder mixed with 4 teaspoons of curd is a natural remedy for piles.
  • Grinding the root of Lajwanti and Ashwagandha and applying it to the breast to get rid of breast laxity i.e. looseness of the breast. After keeping it for some time, wipe it with cotton.
  • Lajwanti is an effective medicine to get relief from swelling of the testicles. For this, making a paste of Lajwanti leaves and applying it on the swollen area of ​​the testicles provides relief.
  • Tying the roots of Lajwanti around the throat helps in providing relief from cough. Apart from this, using this regularly for a few days cures whooping cough.
  • Applying a paste of Lajwanti leaves on the lower parts of the navel is beneficial in polyuria (excessive urination).
  • Powdered Lajwanti is beneficial in snakebite and scorpions. Also, it is beneficial to apply the paste to the bitten area.

Side effects of Lajwanti

  • Lajwanti is a medicinal herb, which is very beneficial for health but for some people, its use can cause allergic reactions. Therefore, before using this herb, please consult your doctor.
  • If you are already taking any medicine, then it is necessary to consult a doctor before consuming it.
  • Women who are planning for babies or are breastfeeding.
Read More
Know the Importance and Benefits of Kutaj in Ayurveda

Posted 13 January, 2022

Know the Importance and Benefits of Kutaj in Ayurveda

Kutaj is a medicinal plant whose botanical name is Holarrhena antidysenterica. This plant is found in all the mountainous regions of India but it is mostly seen in the Himalayan regions. In India, kutaj has been used since ancient times for the treatment of many diseases.

The Kutaj tree is 10 to 20 feet high and multi-year-old. This tree bears flowers in the rainy season and fruits in winter. It is divided into two parts on the basis of colour. The first is the White Kutaj and the second is the Krishna Kutaj. The taste of both the bark and seeds of white Kutaj is extremely bitter and pungent whereas Krishna Kutaj is tasteless. Its stems consist of many branches and the bark is a quarter inch thick, grainy, rough and brown in color. Its leaves are 6 to 12 inches long and 2 to 5 inches wide, oval, pointed and smooth. Its flowers are white like jasmine flowers and have a mild aroma. The seeds are beige, brown in color like barley (yew and follicles are found on this seed that is why it is also called Indrayava.

Importance of Kutaj in Ayurveda

According to Ayurveda, Kutaj is bitter in taste and hot in effect. It maintains the balance of Kapha and Pitta. In Ayurveda, it is used to treat diarrhoea, irritable bowel syndrome (IBS). Its fruit helps in curing fever, herpes, piles, fatigue and skin diseases. At the same time, its stems are beneficial in bleeding disorders, skin diseases, heart diseases. Anti-fungal and anti-healing properties are found in Kutaj which is helpful in healing any kind of wound. Therefore, the bark, seeds, fruits and the whole parts of the kutaj plant are used in making medicines and ointments. Therefore, due to its rich medicinal properties, it is considered great in Ayurveda.

Benefits of Kutaj

Beneficial in diarrhea and dysentery

Kutaj is used in Ayurveda to cure diseases like diarrhoea. According to Ayurveda, the main cause of diarrhea is an imbalance of Kapha and Vata. In diarrhea (acute), enteritis causes the presence of mucus and blood in the stool. Kutaj has appetizing and digestive properties which helps in controlling mucus by increasing the digestive fire. Apart from this, Kutaj controls the flow of blood by reducing the inflammation of the intestines due to its astringent and cooling properties. For this, take 1 teaspoon of kutaj powder with water immediately after a meal. By doing this, there is benefit in diarrhea and dysentery.

For abdominal pain and cramps

Kutaj is a good remedy to get relief from abdominal pain or cramps because it has analgesic properties which provides relief from abdominal pain and cramps. For this, drink asafetida mixed with a decoction made from the seeds of Indrajava (Kutaj). Doing this at least 2 to 3 times a day provides relief in stomach pain.

Effective in the treatment of bloody piles

Wrong eating habits and irregular routine cause imbalance of the tridoshas (kapha, pitta and vata) due to which the food is not digested properly. Excess of Vata due to less digestive fire causes constipation due to which there is swelling in the veins of the rectal area. In this condition bleeding starts. Kutaj has digestive and appetite-enhancing properties which increases the digestive fire. Also, due to its astringent nature, it helps in controlling bleeding. For this, it is beneficial to take the powder of the bark of Kutaj with honey or sugar candy.

Beneficial in Jaundice, Malaria and Dengue

Kutaj is one of the best natural remedies for Jaundice, Malaria, Dengue or any other underlying infection. For this, take the juice of fresh, soft Indrayava leaves every morning on an empty stomach. By doing this the level of bilirubin normalizes and stimulates the functioning of the liver. It also has hepatoprotective properties. Apart from this, anti-malarial and anti-dengue properties are also found in it. All these properties work as a protective and curative role in jaundice, dengue and malaria.

Helpful in the treatment of stones

Consuming the powder of the root of kutaj is helpful in removing kidney stones because it has antiurolithic activity which prevents the accumulation of calcium oxalate crystals in the kidney. Apart from kidney stones, the antioxidants present in it also play an important role in preventing other kidney related diseases. For this, it is considered good to take the powder of the root of Kutaj with curd.

Beneficial in urinary disorders

The root or bark of kutaj has been used traditionally to relieve urinary infections and irritation. For this, take 2 grams of root or bark powder mixed with cow's milk. By doing this there is proper control of urination and relief from burning sensation.

Beneficial in diabetes

Kutaj plant proves to be very effective for the treatment of diabetes. According to research done on this, antidiabetic properties are found in kutaj which helps in reducing the level of blood sugar. It contains a substance called curcumin which exhibits anti-hyperglycemic and hyperlipidemic properties. This prevents carbohydrates from being absorbed. Apart from this, Kutaj i.e. Indrayav reduces glycosylated hemoglobin which is extremely beneficial for type 2 diabetes patients.

Beneficial for skin

Kutaj acts as a medicine to cure skin related disorders due to the presence of anti-fungal properties which helps to remove itching, redness, eczema, rashes, blisters and many other skin related problems in the skin. Apart from this, Kutaj has healing properties, which are helpful in healing wounds. For this, it is beneficial to use kutaj in the form of juice, paste, decoction, paste etc that is why many cosmetic companies use Kutaj in their products.

Side effects of Kutaj

  • Excess consumption of kutaj can cause vomiting, nausea etc.
  • If a person is already taking any medicine then avoid its consumption.
  • Pregnant and lactating mothers should avoid using it.
Read More
Benefits & Side effects of Ashwagandha

Posted 04 January, 2022

Benefits & Side effects of Ashwagandha

Ashwagandha is an effective medicine used in Ayurveda since ancient times. Over the years, it has been used for many diseases. According to Ayurveda experts, its use helps to overcome many problems. It contains several properties for maintaining good health. Its benefits include lowering blood sugar levels, fighting cancer, reducing stress and anxiety, increasing sexual stamina in men, preventing arthritis and asthma. Apart from this, Ashwagandha supplies antioxidants to the body and strengthens the immune system. It also has antibacterial and anticonvulsant properties which provide many benefits for the body and the mind. 

 

Ashwagandha is a shrub plant, seeds, fruits, roots and leaves of which are used for making medicines. It is also known as Baraharkarni (perennial) plant and Asgandh. It is commonly known as Indian ginseng. There are many types of Ashwagandha in different countries, but real Ashwagandha smells like horse. Its fresh roots smell stronger which is used to increase virility. The quality of Ashwagandha grown in agriculture is better as compared to Ashwagandha found in forests but the plant found in forests is considered good for extracting oil.

 

Benefits of Ashwagandha

In India, it has been used as an Ayurvedic medicine since ancient times. Its leaves and powder are helpful in curing many diseases in Ayurveda. Ashwagandha is mainly beneficial in the following-

 

For Fever-

Mixing the powder of Ashwagandha with Giloy juice and taking it with lukewarm water or honey provide relief in fever.

 

For Bacterial infection-

Ashwagandha controls bacterial infection as it has antibacterial properties, which reduce respiratory tract, gastrointestinal, and urogenital disorders.

 

For Swelling and joint pain-

Ashwagandha has properties such as alkaloids, suppositories and steroidal lactones, which work to relieve inflammation and joint pain.

 

For Stress, anxiety and depression-

Ashwagandha contains enzymes that help reduce stress, anxiety and depression. Its use has a pleasant and calming effect on health.

 

For Cancer-

Ashwagandha inhibits the growth of tumor cells and reduces the side effects of chemotherapy used for cancer.

 

For Heart-

Antioxidants found in Ashwagandha are beneficial for heart health as well as reducing stress and inflammation. It makes the heart muscles strong. Its consumption also reduces the amount of cholesterol and triglyceride, which reduces the risk of diseases like heart attack.

 

For Blood disorders and physical weakness-

Mixing the powder of Ashwagandha and Chirata and taking it in the morning and evening cures blood disorders. Apart from this, taking this powder with lukewarm milk in the morning and evening ends weakness.

 

For Semen production-

It is a panacea for a person's sexually transmitted diseases. It helps in increasing sperm count in men. Semen becomes thick with its consumption.

 

For Skin-

The antioxidants present in Ashwagandha reduce the signs of aging such as dark spots and wrinkles etc. It also reduces the risk of skin cancer.

 

For Wound healing-

Applying a paste of the roots of Ashwagandha on the wound helps in quick healing and the injury heals faster. 

 

For Hair-

Ashwagandha reduces the problem of hair fall by reducing the level of cortisol in the body. Using it strengthens the hair roots.

 

For Eye-

The cryoprotective and antioxidant properties present in it reduce cataract and other eye related problems.

 

For Constipation and chest pain-

Consumption of Ashwagandha powder provides benefits in stomach related diseases. Mixing Ashwagandha and Baheda powder and taking it with jaggery ends stomach worms. Taking its powder with lukewarm water provides relief in constipation and chest pain.

 

For Cough-

Ashwagandha has special benefit in the problem of whooping cough or phlegm caused by vata. Consuming a decoction made from its leaves, fenugreek powder, catechu powder, black pepper and rock salt, etc., provides relief in chronic cough. It is also particularly beneficial in coughs caused by TB.

 

For Throat diseases-

Mixing equal quantities of Ashwagandha powder and jaggery and taking it with water kept overnight in the morning is beneficial in throat diseases or goiter.

 

For Sensory  weakness-

  1. After filtering the powder of Ashwagandha with a cloth, mixing equal quantities of molasses in it with fresh cow's milk and taking it three hours before the morning meal reduces sensory weakness.
  2. Mixing the powder of its roots with jasmine oil and applying it on the penis ends sensory weakness.

Side effects of Ashwagandha

Consuming Ashwagandha in excess or in an inappropriate way is harmful for the body. Let us know about some of the side effect associated with it-

 
  • Ashwagandha is generally considered very good for sleep but consuming it for a long time can cause several problems like nausea, fatigue, fever, pain and vomiting.
  • Excessive use of Ashwagandha can prove to be harmful for the stomach. If not taken properly, diarrhea can arise. Therefore, before consuming it, be sure to consult a doctor.
  • People suffering from the problem of blood pressure should never take Ashwagandha without consulting a doctor. People with low BP should not consume it.

Where is Ashwagandha found?

The Ashwagandha plant is found especially in Maharashtra, Madhya Pradesh, Gujarat and Himachal Pradesh up to an altitude of 5000 feet. It is cultivated on a large scale in Manasa tehsil of Mandsaur, northwestern district of Madhya Pradesh, the commercial supply of Ashwagandha all over India comes from this place. Earlier it was found in Nagaur (Rajasthan) and exported everywhere from there. For this reason was also known as "Nagori Asgandha".

Read More
Importance & Benefits of Bakuchi

Posted 04 January, 2022

Importance & Benefits of Bakuchi

The Bakuchi plant is a medicinal herb which is smaller in size. The average height of this plant is 3 to 4 feet bearing seeds that are oblong, flat and brown in color. They have a bitter taste and unpleasant odor. Bakuchi grows all over India and its botanical name is Psoraleacorylifolia.

 

Importance of Bakuchi (Babchi) in Ayurveda-

According to Ayurveda, Bakuchi is bitter in taste, hot in nature, balances vata and kapha, and beneficial for the heart. It proves beneficial in fever, parasitic worms, leprosy, piles, cough, swelling, jaundice and tooth worms. Babchi is antimicrobial in nature. Apart from this, it contains chemo-protective, anti-inflammatory, antioxidant, fibrous substances- psoralen and iso cerelin due to which it has been found to be very effective in skin diseases like white spots, scabies, ringworm, acne and freckles. Due to the presence of the above elements, Babchi is also bactericidal and anthelmintic. The most effective feature of this plant is that every part (seed, fruit, flower, root and leaves) is useful due to its medicinal properties but its seeds are used to remove most of the disorders.

 

Benefits of Bakuchi

Beneficial for skin-

Babchi is antimicrobial in nature which is mainly used to remove skin-related problems. It is helpful in preventing psoriasis, leucoderma, skin infections, skin rashes and allergies etc.

 

Aids in hair nourishment-

Babchi is an excellent hair tonic. Hence, it is used in the treatment of problems like hair fall, alopecia areata, spot baldness (hair loss in certain parts of the head). Along with this, the color and quality of hair also improves with the use of Bakuchi.

 

Beneficial in respiratory diseases-

Bakuchi has anti-inflammatory properties which are helpful in reducing inflammation and pain of the respiratory tract during infection due to which it proves to be helpful in cold, asthma, dyspnea, nephritis, bronchitis and various other respiratory diseases.

 

Beneficial for teeth-

Babchi is an effective medicine to treat tooth decay and other types of dental problems. The use of Bakuchi Churna or Bakuchi Essential Oil is an excellent remedy for problems like toothache, decay and pyorrhea. It helps in preventing tooth decay because the antioxidants present in babchi help in fighting the cavity.

 

Helpful in cancer-

Bakuchi seeds have anti-cancer properties. Apart from this, its seeds also contain elements like Bavachinin, Psoralen and Psorifolinin which helps to inhibit the growth of osteosarcoma and lung cancer cells.

 

Helpful in purifying the blood-

Bakuchi has natural blood purifier properties. It helps in removing impurities (toxins) from the body. Apart from this, immunity can also be boosted with the use of Babchi.

 

To increase sexual stamina-

According to Ayurvedic experts, Babchi is a beneficial medicine for people with weak sexual ability. It is beneficial to consume 4-8 grams of Babchi seed powder.

 

For the treatment of dysentery and piles-

Anti-inflammatory properties are found in the Bakuchi plant which helps in reducing the swelling on any part of the body. Taking the powder of Bakuchi provides relief in the problem of dysentery. Apart from this, taking the powder of its root with jaggery daily is also beneficial in piles.

 

Effective in promoting immune health-

Antioxidants and nutrients present in sufficient amounts are found in Bakuchi which helps the body's immune system to fight against many diseases. Apart from this, the oil made from its seeds acts as an antioxidant activity. It also protects the body from oxidation due to which the immunity of the body improves.

 

Home remedies from Bakuchi

For skin-

Bakuchi has been used for centuries to remove white spots. Taking one spoonful of Bakuchi and black sesame (equal quantity) powder everyday with cold water in the morning and applying Babchi oil on white spots in the morning and evening is beneficial.

 

A lump is formed at some place in the body, due to which the skin starts looking bad. Grinding the remaining seeds and tying it on that knot settles the lump.

 

Babchi seed oil should be used regularly in the morning and evening to cure acne, ringworm, scabies and itching.

 

For oral health-

Grind the root of the Bakuchi plant and mix a small amount of alum in it and use this as toothpaste every morning and evening. By doing this, the infection in the teeth gets cured. Apart from this, the worms of the teeth are destroyed.

 

For Cold & flu-

Taking powder of Bakuchi seeds with ginger juice thrice a day provides relief in cold and flu. By doing this, the phlegm also loosens and comes out.

 

Useful in Dysentery-

In dysentery, eating greens of Bakuchi leaves regularly in the morning and evening is beneficial.

 

Beneficial in Piles-

Make a powder by grinding equal quantities of Bakuchi, dry ginger and harad. Taking half a spoon of mixed powder with jaggery daily provides relief in piles.

 

Useful in elephantiasis-

Using Babchi paste or oil made from it on the part of the elephantiasis (elephant foot) is beneficial. Mixing half a teaspoon of Babchi powder in the juice of Punarvava and consuming it regularly provides great relief in this condition.

 

For ear problems-

Taking powder of Musli and Bakuchi daily provides benefits in the disease of deafness.

 

Take these precautions while using Bakuchi

  • Certain products like curd, pickle, fish etc. should be avoided in case of white spots because the consumption of these products along with Bakuchi churna is prohibited in the treatment of problems like vitiligo. For best results, Bakuchi essential oil should also be used on the affected area along with the consumption of Bakuchi.
  • Excessive consumption of Bakuchi during jaundice can cause vomiting. High doses and prolonged use of Bakuchi may lead to hyperacidity and gastritis.
  • Bakuchi should be used by breastfeeding mothers under medical supervision.
Read More
Know the Ayurvedic Importance & Benefits of Brahmi

Posted 04 January, 2022

Know the Ayurvedic Importance & Benefits of Brahmi

Brahmi has been used in Ayurvedic and traditional medicine for centuries. As the name suggests, the word Brahmi is derived from Brahma, named on the basis of the deity who is known for the origin of the universe. Brahmi is a perennial herb and grows spontaneously in aquatic places such as near rivers, streams, ponds due to which Brahmi is also known as Jalanimbu. White colored unisexual flowers bloom on its plants in clusters. The botanical name of Brahmi is Bacopa monnieri. 

 

Importance of Brahmi in Ayurveda

According to Ayurveda,  Brahmi is a wonderful herb and is also mentioned in various religious and ancient Ayurvedic books. Many diseases are treated with its help. It is bitter in taste. Due to its bitter taste like neem, it is also called Jalneem. It is especially beneficial in brain related diseases. The leaves of Brahmi are mentioned in Charaka Samhita to cure many diseases and to increase one's intelligence and strength. Hence, Brahmi is known as a brain booster. It helps to balance the three doshas – Vata, Pitta and Kapha but most of it is used to cure diseases caused by phlegm i.e, Pitta. According to the Ayurvedic system of medicine, Brahmi is used for various purposes such as providing nourishment to the hair, eyes, nose diseases, throat diseases, cough, blood disorders and heart related diseases. Brahmi leaves are bitter and also beneficial in bronchitis. It improves metabolism and digestion.

 

Benefits and uses of Brahmi

Brahmi increase Memory Power-

 

Brahmi is known as a natural antioxidant. It plays a neuroprotective role in brain development and is used to increase mental capacity. It helps in increasing concentration, understanding, knowledge and alertness. Therefore, the powder of Brahmi can be taken with milk or ghee. 

 

Remove Alzheimer's with Brahmi-

 

Alzheimer's is a brain disease in which the memory of the person becomes weak. In this case, consuming Brahmi powder proves to be effective because it has antioxidant, anticonvulsant and anti-inflammatory properties. These properties improve brain function. For this, regularly boiling one to two spoons of Brahmi powder in milk and drinking it after cooling it provides relief in brain disorders like Alzheimer's and dementia. 

 

Brahmi removes insomnia-

 

Brahmi removes the problem of insomnia and improves night's sleep. It contains the substance melatonin, which enhances sleep. It is very beneficial for people suffering from irregular sleep problems. Apart from this, consumption of brahmi oil also helps a lot in increasing the efficiency of blood vessels. 

 

Use of Brahmi to relieve anxiety, depression, stress-

 

The powder and leaves of Brahmi help in reducing headache due to anxiety, fatigue, tension etc. because active ingredients are found in Brahmi which have a positive effect on the hormonal balance of the body. As a result, there is relief in anxiety, tension, fatigue, headache etc. and it also helps to subside the side effects of traditional medicines. For this, 2-3 leaves of Brahmi should be chewed at any time of the day. Apart from this, consuming Thandai made from Brahmi, Shankhpushpi, Badamgiri and Cardamom provides relief from anxiety and fatigue.

 

Helpful in preventing hair fall-

 

Brahmi oil is beneficial in any type of hair problem. The nutrients present in it work to make the hair healthy and strengthen them. Apart from this, brahmi oil is easily absorbed in the scalp and helps in improving blood circulation and hair growth which makes it easy to treat hair fall. Regular use of it reduces hair fall and makes hair thick and strong. 

 

Uses of Brahmi for skin-

 

Brahmi is very good for the skin. It works to take care of the skin's health. The antioxidant present in it removes skin related problems. Along with this, the antifungal and antibacterial properties present in it are also very beneficial for the skin. By applying Brahmi oil on the skin, the problem of fine lines, acne, wrinkles and aging is removed. This oil improves the elasticity of the skin and maintains its moisture level. 

 

Beneficial in pain and swelling-

 

Brahmi has analgesic and antispasmodic properties which helps to relieve muscle spasm and pain. Therefore, massaging the affected muscles with Brahmi oil reduces the feeling of fatigue and the muscles also feel relaxed. Apart from this, the antinociceptive property found in Brahmi works as a pain reliever due to this property, Brahmi is used as a treatment for neuropathic pain conditions.

 

Beneficial for respiratory health-

 

The extract (rasa) of Brahmi is rich in antioxidants and adaptogenic properties with the effect of which Brahmi helps in relieving ailments like bronchitis, sinus and asthma. Bronchitis causes irritation and inflammation of the trachea which causes difficulty in breathing. Brahmi removes the problems in breathing by opening the blocked nose. It increases the ability of the lungs to take in oxygen. Apart from this, the muscles of the respiratory system are strengthened by the use of Brahmi oil that is why Brahmi is used in inhalers and medicines for cold.

 

Helpful in eliminating toxins-

 

Brahmi helps the body to eliminate toxins. Massaging with brahmi oil is a great way to remove harmful toxins and dirt from the skin. This oil works as a detoxifier and skin cleanser. 

 

Effective in promoting immune health-

 

Antioxidants and nutrients present in sufficient amounts in Brahmi help the body's immune system to fight against many diseases. In addition, brahmi extract (juice) or tea made from the leaves acts as an antioxidant activity. It also protects the body from oxidation due to which the immunity of the body improves.

 

How to use Brahmi?

  • Its leaves can be boiled in water and used as a decoction.
  • The paste of Brahmi leaves also helps in reducing inflammation.
  • Brahmi oil is used for joint pain and headache.
  • Paste of Brahmi leaves applied on the neck and chest is very effective in cough and pneumonia.
  • The juice of Brahmi leaves is given under the supervision of a physician to relieve diarrhea in children.
  • Drinking tea made from Brahmi leaves containing honey has a positive effect on the mind.

Take these precautions while using Brahmi-

  • People with sensitive skin should use Brahmi oil only after doing a patch test on the face and hair because they may be allergic to this oil.
  • Excessive consumption of Brahmi can cause problems like abdominal cramps and nausea along with diarrhea.
  • Pregnant women and those planning to start a family should use Brahmi only on the advice of a specialist.
Read More
आयुर्वेद में हिमसरा के महत्व, फायदे और दुष्प्रभाव

Posted 24 May, 2022

आयुर्वेद में हिमसरा के महत्व, फायदे और दुष्प्रभाव

हिमसरा जिसे अंग्रेजी में केपर बुश के नाम से जाना जाता है। यह एक बारहमासी पौधा है। जो मुख्य रूप से भूमध्यसागरीय देशों एवं आर्द्र जलवायु में पाया जाता है। हिमसरा एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। जो गठिया के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। क्योंकि इसमें वात संतुलन गुण मौजूद होते हैं। हिमसरा की कलियों में तीखा और एक अनूठा स्वाद होता है। जिसकी वजह से हिमसरा का उपयोग मसाले के रूप में भोजन बनाने में किया जाता है। इसके अलावा हिमसरा में कई ऐसे गुण भी मौजूद होते हैं। जिसके कारण यह सेहतमंद और कई रोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक औषधि माना गया है। आइए इस लेख के माध्यम से इस जड़ी-बूटी के औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं:

 

आयुर्वेद में हिमसरा का महत्व-

हिमसरा एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसकी जड़ से लेकर पत्तियां, कलियां और फूल सहित सभी भाग उपयोगी होते हैं। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। जो त्रिदोष (कफ, पित्त, वात) को शांत रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह शरीर को रोगमुक्त भी करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक में हिमसरा कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। इसमें शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रॉल निकालने के भी गुण होते है। यह डायबिटीज को भी नियंत्रित रखती है। इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट भी होते है। जो कैंसर जैसी बीमारियों से शरीर को बचाते हैं। इसके सेवन से पेट के कीड़े, लिवर की समस्या, त्वचा संबंधित समस्या आदि कम होती है। अपने कड़वे एवं तीखे स्वाद के कारण ही इसे बेहतर उपाए के लिए जाना जाता है। इसलिए इसे आयुर्वेद में उत्तम दर्जें की औषधि माना गया है।

 

हिमसरा के पौष्टिक तत्व-

हिमसरा फ्लेवोनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स से समृद्ध है। इसमें शुगर कम करने वाले गुण, सैपोनिन, स्टार्च और टेरपेनोइड्स मौजूद होते हैं। इसमें अल्कलॉइड स्टैक्रिड्रिन, 3-हाइड्रॉक्सी स्टैक्रिड्रिन, ग्लूकोब्रैसिसिन, नियोग्लुकोब्रैसिसिन, 4-मेथॉक्सीग्लुकोब्रैसिसिन, ग्लूकोसाइनोलेट्स, ग्लूकोइबेरिन, ग्लूकोराफेनिन, सिनिग्रीन, ग्लूकोक्लोमिन और ग्लूकोकैपैंगटिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी शामिल हैं। इसके अलावा हिमसरा में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं।

 

हिमसरा के फायदे-

हिमसरा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिए उपयोगी है। जो इस प्रकार हैं:

गठिया के लिए-

हिमसरा की जड़ में विभिन्न घटक विद्यमान हैं। जिनमें मुख्य रूप से एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। जो पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 

मधुमेह के लिए-

ऐसा माना जाता है कि शुगर मधुमेह वात-कफ दोष के असंतुलन और अनुचित पाचन के कारण होता है। जो शरीर में अग्न्याशय की कोशिकाओं में विषाक्त पदार्थों के संचय और इंसुलिन के कार्य को बाधित करता है। चूंकि हिमसरा प्रकृति से कड़वी और वात-कफ को संतुलित करने वाली जड़ी-बूटी है। इसलिए यह मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करती है। इसके अलावा हिमसरा पाचन में सुधार, इंसुलिन के सामान्य कार्य को बनाए रखने और मधुमेह के लक्षणों को दूर करने में भी मदद करती है।

 

फंगल इन्फेक्शन के लिए-

हिमसरा जड़ के अर्क में फ्लेवोनोइड्स होते हैं। जिसमें एंटिफंगल गुण पाए जाते हैं। जो कवक के विकास और प्रसार को रोकते हैं। यह फंगल संक्रमण को खत्म करने का काम करते हैं।

 

अल्जाइमर रोग के लिए-

हिमसरा अल्जाइमर रोग के लिए लाभकारी होता हैं। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण मौजूद होते हैं। जिसकी वजह से यह तंत्रिका कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण मस्तिष्क में सुधार कर, याददाश्त को भी बढ़ाते हैं। 

 

त्वचा के लिए-

हिमसरा समय से पहले आने वाले बुढ़ापा और झुर्रियों को रोकने में मदद करता है। इसके लिए हिमसरा की जड़ों का लेप को त्वचा पर लगाएं। इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुण होते हैं। जो त्वचा की जलन और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।

 

आंतों के कीड़े के लिए-

आंतों के कीड़ों के प्रबंधन में हिमसरा के पत्ते और फूल की कलियां उपयोगी होती हैं। इनमें फ्लेवोनोइड्स पाए जाते हैं। जिनमें कृमिनाशक गुण मौजूद हैं। जो शरीर से परजीवी (हेल्मिन्थ) और अन्य आंतरिक परजीवियों से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं।

 

अस्थमा के लिए-

हिमसरा फल में फ्लेवोनोइड्स और पॉलीफेनोल्स पाए जाते हैं। यह एक तरह का ब्रोन्को रिलैक्सेंट गुण प्रदर्शित करते हैं जो अस्थमा को रोकने में मदद करते हैं। यह श्वसन मार्ग की मांसपेशियों को आराम दिलाने और सांस लेने में सुविधा प्रदान करते हैं।

 

वजन घटाने के लिए-

हिमसरा अपने मोटापा-रोधी गुणों के कारण कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करने और चयापचय में सुधार करने का काम करते हैं। इसके अलावा हिमसरा में उष्ण (गर्म) और दीपन (भूख बढ़ाने वाले) गुण पाए जाते हैं। जो उचित पाचन को बनाए रखकर वजन को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। हिमसरा पाचन अग्नि को बढ़ाता है और शरीर में विषाक्त पदार्थों के संचय को रोकता है।

 

ब्लड प्रेशर के लिए-

हिमसरा अपने मूत्रवर्धक गुणों के मौजूदगी के कारण रक्तचाप को कम करने में सहायक हो सकता है। यह शरीर में मूत्र उत्पादन को बढ़ाता है और शरीर से अतिरिक्त सोडियम को खत्म करने में मदद करता है। यह शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ के निर्माण को रोकता है और रक्त वाहिकाओं में दबाव को कम करता है। जिससे रक्तचाप स्थिर रहता है।

 

घाव भरने के लिए-

जले हुए घाव पर हिमसरा के पत्तों का अर्क लगाने से आराम मिलता है। क्योंकि इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण घाव के संकुचन को बढ़ावा देते हैं और कोलेजन उत्पादन को बढ़ाते हैं। यह सूजन को भी कम करते है और हीलिंग बर्न प्रक्रिया को तेज करते हैं।

 

हिमसरा के सावधानियां और दुष्प्रभाव-
  • हिमसरा उन लोगों के लिए एलर्जी का कारण हो सकता है। जो लोग सरसों के तेल या उसके परिवार के अन्य खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील हैं। ऐसे लोगों को हमेशा हिमसरा का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
  • इसका अधिक इस्तेमाल करने से त्वचा पर लाल चकत्ते, जलन या कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस हो सकता है।
  • गर्भावस्था और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हिमसरा के सेवन से बचना चाहिए।
  • हिमसरा रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। इसलिए निम्न रक्चाप वाले लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए।
  • हिमसरा रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। इसलिए लो ब्लड शुगर वाले मरीजों को इसके सेवन नहीं करना चाहिए।

 

यह कहां पाया जाता है?

हिमसरा मूल रूप से अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। भारत में यह पंजाब और राजस्थान के क्षेत्रों से लेकर दक्कन प्रायद्वीप तक फैला हुआ है। इसके अलावा यह मैदानी इलाकों, निचले हिमालय और पश्चिमी घाटों में भी वितरित है।

Read More
लाजवंती के फायदे और उपयोग

Posted 24 May, 2022

लाजवंती के फायदे और उपयोग

लाजवंती एक बारहमासी पौधा है। पुरातनकाल से आयुर्वेद में इसकी  जड़, पत्तियों, और बीजों का इस्तेमाल अनेक  बीमारियों  से बचने के लिए किया जा रहा है। इसकी शर्मीली प्रकृति के कारण यह बहुत ही लोकप्रिय पौधा है। क्‍योंकि इस पौधे को छूने से यह पौधा एकदम शांत (सिकुड़) हो जाता है। कुछ समय बाद पुनः अपनी  अवस्था में आ जाता है। इसी कारण से लाजवंती को संवेदनशील पौधा या टच मी नॉट प्‍लांट भी कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम मिमोसा पुडिका है। इसके अलावा लाजवंती को छुई-मुई, सोने वाला पौधा आदि नामों से पुकारा जाता हैं। आयुर्वेद में लाजवंती का उपयोग रक्‍तचाप को नियंत्रित करने, मधुमेह को ठीक करने, यौन स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने, बालों को स्वस्थ  बनाने, गठिया और अस्‍थमा आदि का इलाज करने के लिए किया  जाता है।

 

लाजवंती क्या है?

छुई-मुई का पौधा एक तरह की बारहमासी झाड़ी है, जिसकी ऊंचाई लगभग 15-100 सेमी. तक होती है। इस पौधे की मोटाई लगभग 2 सेमी. तक होती है। इसकी झाड़ी में कांटे लगे होते हैं। यह पौधा ज्यादातर सड़क के किनारे, चारागाहों या खेतों में देखने को मिलते हैं। इसकी जड़े पतली और वेलनाकार होती हैं। इसके फूल गुलाबी रंग के और छोटे होते हैं। इसकी जड़ कठोर एवं स्वाद में अम्लीय होती है। इसके पत्‍ते छोटे-छोटे होते हैं, जो शाखओं के दोनो ओर होते हैं।  यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

 

लाजवंती के फायदे-
मधुमेह के इलाज के लिए-

लाजवंती यानी छुई-मुई पौधे को कई जगहों पर मधुमेह के इलाज के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग किया जाता है। शोध के अनुसार छुई-मुई में एंटी डायबिटीज गुण पाए जाते हैं, जो रक्त में मौजूद ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिए लाजवंती के जड़ का काढ़ा नियमित रूप से दिन में तीन बार सेवन करने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है।

 

घाव और रैशेज के उपचार के लिए-

लाजवंती की पत्तियों का उपयोग हर  तरह के घावों के लिए अच्छा होता हैं। दरअसल, लाजवंती में वूंड हिलिंग (wound healing)  गुण पाए जाते हैं। जो घावों को जल्दी भरने में सहायक होते हैं। इसके अलावा लाजवंती के रस या पेस्ट का उपयोग घाव के साथ रैशेज की परेशानी को कम करने को लिए भी किया जाता है। इसलिए किसी प्रकार के घाव या कटने-छिलने पर लाजवंती का लेप करना एक अच्छा उपाय है।

 

तनाव को दूर करने के लिए-

लाजवंती के पौधे  का प्रयोग  तनाव को दूर करने के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा यह पोषक तत्व तनाव, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायता करती है। इसके लिए इस पौधे की पत्तियां (लगभग 5 ग्राम) लेकर पेस्‍ट बना लें। अब इस पेस्‍ट को गर्म पानी में उबालकर रात को सोते समय इस पानी को ठंडा करके 15-20 दिनो तक पीएं। ऐसा करने से यह तनाव से छुटकारा दिलाने और अच्‍छी नीद लेने में मदद करती   है।

 

सांस संबंधी समस्या के लिए-

एक शोध के अनुसार लाजवंती के पत्तों में एंटी बैक्टीरियल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो धूल,एलर्जी और वायुमार्ग के सूजन को दूर करके वायुमार्ग को साफ करती है। इस प्रकार से यह सांस से संबंधित बीमारियों  के लिए प्रभावी औषधी मानी जाती है। इसके अलावा लाजवंती का एंटी-एलर्जिक गुण अस्थमा की समस्या के लिए भी कारगर है। अस्‍थमा के रोगियों के लिए  लाजवंती पौधे से निकाले गए रस को दिन में दो बार सेवन करना फायदेमंद होता है।

 

यौन स्वास्थ्य के लिए-

आयुर्वेद में लाजवंती को यौन समस्यओं का प्राकृतिक उपचारक माना जाता हैं। यह प्रभावी रूप से पुरुषों के यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का काम करती है । इसके लिए छुई-मुई पौधे के बीज और चीनी की बराबर मात्रा लेकर मिश्रण बनाकर रख  लें। अब 2 चम्‍मच प्रतिदिन इस मिश्रण को सोने से पहले गर्म दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से शीघ्र पतन और अन्‍य यौन समस्याओं  को दूर करने में लाभ मिलता है।

 

अल्सर के लिए-

इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि छुई-मुई का अर्क एक औषधि की भांति कार्य करती  है। जो गैस्ट्रिक हाइपरएसिडिटी और अल्सर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा लाजवंती में एंटीअल्सर गुण पाए जाते हैं। जो अल्सर से बचाव में अहम भूमिका निभाते हैं।

 

दस्त के लिए-

लाजवंती का उपयोग दस्त के लिए बहुत अच्‍छा माना जाता है। पुरातनकाल से ही दस्‍त के लिए इसे औषधी के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। इसके लिए छुई-मुई पत्तियों से निकाले गए रस का सेवन किया जाता है। इसके लिए एक चम्मच छुई-मुई के जड़ का चूर्ण दही के साथ सेवन करने से दस्त में राहत मिलती है। 

 

पेट के स्वास्थ्य के लिए-

 शोध रिपोर्ट के मुताबिक, छुई-मुई शरीर से विषाक्त पदार्थों और हानिकारक जीवाणुओं को बाहर निकालने में मदद करती   है। क्योंकि इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा छुई-मुई पेट में होने वाले दर्द (विशेषकर आतों के कीड़े से होने वाले दर्द) को ठीक करने मदद करती   है। साथ ही पाचन तंत्र में सुधार करने और पेट को स्वस्थ रखने में भी सहायक  है।

 

बालों के लिए फायदेमंद-

लाजवंती का उपयोग बालों के झड़ने की समस्या को रोकने में सहायक है । इसके लिए लाजवंती के रसयुक्त शैम्पू का प्रयोग करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों की  कोशिकाओं को बढ़ावा देने का काम करती है । इस प्रकार से इसका नियमित उपयोग कर बालों के झड़ने या गंजापन को नियंत्रित किया जा सकता है।  

 

लाजवंती के अन्य फायदे-
  • लाजवंती की पत्तियों का पेस्ट बनाकर खुजली वाली जगहों पर लगाने से खुजली से छुटकारा मिलता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को पथरी की समस्या है। इसके लिए 10 ग्राम लाजवंती की जड़ के चूर्ण का काढ़ा बनाकर पीना फायदेमंद होता है। ऐसा कुछ दिनों तक सुबह-शाम करने से पथरी गलकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
  • बवासीर से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाजवंती की पत्तियां पीसकर दूध के साथ लेना फायदेमंद होता है। इसके अलावा1 चम्मच लाजवंती के चूर्ण को 4 चम्मच दही में मिलाकर सेवन करना बवासीर का प्राकृतिक उपाय है।
  • स्तन शैथिल्य यानी स्तन के ढीलेपन से छुटकारा पाने के लिए लाजवंती और अश्वगंधा की जड़ पीसकर स्तन पर लेप करें । कुछ देर तक रखने के बाद कॉटन से पोंछ लें। ऐसा करने से स्तन कठोर और पुष्ट हो जाते हैं।
  • अंडकोष की सूजन से राहत पाने के लिए छुई-मुई कारगर औषधि है। इसके लिए लाजवंती के पत्तों का  पेस्ट बनाकर अंडकोष की सूजन वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
  • छुई-मुई के जड़ों को गले में बांधने से खांसी से आराम मिलता है। इसके अलावा यह प्रयोग नियमित रूप से कुछ दिनों तक करने से कुक्कुर खांसी ठीक होती है।
  • लाजवंती के पत्तों का लेप बनाकर नाभि के निचले हिस्सों पर लगाने से बहुमूत्रता (अधिक पेशाब लगना) में फायदा पहुंचता है।
  • पीसी हुई छुई-मुई के जड़ का सेवन करने से सर्पदंश और बिच्छू का जहर उतरता है। साथ ही डंसे हुए स्थान पर लेप करना फायदेमंद होता है।

 

लाजवंती के नुकसान-

लाजवंती एक औषधीय जड़ी-बूटी हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभप्रद होती है। लेकिन कुछ लोगों के लिए  इसका उपयोग एलर्जी का कारण बन सकता है। इसलिए इस जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रुर लें। इसके अलावा यदि आप पहले से कोई मेडिसिन ले रहे हो तो इस का सेवन करने से पहले डॉक्टर का सलाह लेना आवश्यक है। साथ ही महिलाओं  के लिए  कुछ परिस्थित्तियों में छुई-मुई के सेवन निषेध हैं जो निम्न हैं-

  • जो महिलाएं गर्भवती होने की योजना बना रही हो।
  • जो पहले से गर्भवती हो।
  • जो महिलाएं स्‍तनपान करा रही हो।
Read More
जानें, मंजिष्ठा के औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान

Posted 24 May, 2022

जानें, मंजिष्ठा के औषधीय गुण, उपयोग और नुकसान

मंजिष्ठा एक औषधीय जड़ी-बूटी है। जिसका उपयोग आयुर्वेद में सेहत, सौन्दर्य और कई तरह की बीमारियों के उपचार के लिए किया जाता  है। मंजिष्ठा को मजीठ, योजनवल्ली, विकसा,अरुणा, रक्ताङ्गली आदि नामों से भी जाना जाता है। मंजिष्ठा के बेल स्वाद में कड़वे, कसैले और तीखे होते हैं। अपने इसी कड़वेपन के कारण इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसमें क्षाराभ प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें अन्य जैव-रासायनिक पदार्थ जैसे- स्टेरॉयड, फ्लेवोनोइड, लिग्नेंट, थर्मोजेनिक,कायाकल्प गुण मौजूद होते हैं। इन उच्च पोषक तत्व गुणों के कारण, मंजिष्ठा का उपयोग कई हर्बल, आयुर्वेदिक और आधुनिक दवाओं के निर्माण के लिए किया जाता है।

 
मंजिष्ठा क्या है?

मजीठ पौधे की जड़ को मंजिष्ठा कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम रूबिया कॉर्डिफोलिया एल (Rubia cordifolia L) है। इसको अंग्रेजी में कॉमन मैडर या इंडियन मैडर भी कहा जाता है। मंजिष्ठा कॉफी यानी रूबिएसी (Rubiaceae) परिवार से संबंध रखता हैं, जो फूलों वाले पौधे की एक प्रजाति है। मंजिष्ठा एक बहुवर्षीय लता होती है। इसका  तना पतला और चौकोर आकृति का होता है। इसके फूल छोटे, हरे और सफेद रंग के होते हैं। इसके फल गोलाकार और मांसल्‍य होते हैं। इस पौधे की ऊंचाई लगभग 1 से 2 मीटर तक होती है और इसमें पूरे साल पत्तियां लगी होती हैं। मंजिष्ठा पहाड़ी इलाकों में पाई जाती हैं। लेकिन कई स्थानों पर इसकी खेती भी की जाती है ताकि इसकी जड़ों से प्राप्त होने वाले लाल पिगमेंट यानी मंजिष्ठा को प्राप्त किया जा सके।  इस जड़ी-बूटी का इलाज कई रोगों के उपचार और शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता हैं। 

 
आयुर्वेद में मंजिष्ठा के औषधीय गुण-

मंजिष्ठा एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसकी जड़ से लेकर पत्तियां, कलियां और फूल सहित सभी भाग उपयोगी होते हैं। इसमें कई तरह के पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। आयुर्वेद मे मंजिष्‍ठा यानी मजीठ को रक्त को साफ करने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी माना जाता है। यह रक्‍त को साफ करके त्वचा को सेहतमंद बनाने में सहायक होती है। साथ ही मंजिष्ठा रक्‍तचाप और रक्‍तवाहिकाओं के कसाव को नियंत्रित करने में मदद करती  है। मंजिष्ठा त्रिदोष (कफ, पित्त वात) को शांत रखने में मदद करती है। इसके अलावा आयुर्वेदिक चिकित्सक में मंजिष्ठा कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। यह शरीर से ख़राब कोलेस्ट्रॉल निकालने, डायबिटीज को नियंत्रित रखने में सहायक होती  है। इसमें कुछ एंटीऑक्सीडेंट भी होते है। जो कैंसर जैसी बीमारियों से शरीर को बचाते हैं। इसके सेवन से मूत्र संक्रमण, दस्त, पेचिस, पुराना  बुखार, लिवर की समस्या, गठिया, त्वचा संबंधित समस्याएं आदि कम होती है। अपने कड़वे एवं तीखे स्वाद के कारण ही इसे बेहतर उपाय माना  जाता है। इसलिए यह  आयुर्वेद में उत्तम दर्जें की औषधि है।

 
मंजिष्ठा के फायदे-
मधुमेह (डायबिटीज) के लिए-

मंजिष्ठा मधुमेह के उपचार के लिए प्राकृतिक उपाय है। क्योंकि इसमें एंटी डायबिटिक गतिविधि पाई जाती है, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा मंजिष्ठा सीरम कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी कम करती है। 

 
जोड़ों के दर्द एवं अर्थराइटिस में फायदेमंद-

मंजिष्ठा के चूर्ण में एंटी अर्थ रितिक प्रभाव होता है। जो जोड़ों के दर्द एवं गठिया रोग से राहत दिलाने में मदद करता है। मंजिष्ठा रक्तचाप में सुधार करके गठिया के लक्षणों को कम करती है। वहीं इसमें रुबिमालीन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण को प्रदर्शित करता हैं। यह  पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में फायदेमंद है  ।

 
बुखार के लिए-

आयुर्वेद में मंजिष्ठा का उपयोग पुराने से पुराने बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। मंजिष्ठा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसके लिए  मंजिष्ठा के चूर्ण का सेवन गुनगुने पानी के साथ करना फायदेमंद होता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और बार-बार होने वाली सर्दी- जुकाम एवं बुखार से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा मंजिष्ठा में एंटीवायरल गुण भी पाया जाता है। जो खांसी, जुकाम, सर्दी जैसी वायरल इन्फेक्शन को रोकता है।

 
त्वचा के लिए-

मंजिष्ठा का अर्क त्वचा को चमकदार बनाने का काम करता है। दरअसल,  मंजिष्ठा के अर्क का इस्तेमाल कर क्रीम तैयार की जाती है। जिसमें एंटी-वायरल, एंटी- बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा मंजिष्ठा एक रक्त शोधक है। इसलिए यह विभिन्न त्वचा संबंधी विकारों से निजात दिलाता है। यह खुजली, दाद, एक्जिमा, सोरायसिस, त्वचा की जलन आदि से राहत दिलाता है। अतः मंजिष्ठा के चूर्ण का लेप करने से त्वचा संबंधित विकार ठीक होते हैं। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार बनती  है।

 
बालों के लिए-

मंजिष्ठा बालों से जुड़ी समस्याओं के लिए प्रभावी रूप से काम करती  है। चूंकि मंजिष्ठा में मौजूद पुरपुरिन एवं मुंजिस्टिन कलरिंग एजेंट की तरह काम करते हैं, जो बालों को रंगने में मददगार होते हैं। इसके अलावा मंजिष्ठा तेजी से बाल विकास को बढ़ावा देती  है। साथ ही बालों की जड़ों को मजबूत करती है। जिससे बालों का झड़ना कम होता हैं।

 
प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए-

शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए मंजिष्ठा का सेवन अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह जड़ी-बूटी संक्रमण से लड़ने में सहायक और रोगों से बचाव करती है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, मंजिष्ठा में मौजूद एल्केलाइड्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स,फिनोल कंपाउंड इम्यूनो-मॉड्यूलेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इम्यूनो-मॉड्यूलेशन से तात्पर्य है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को शरीर की आवश्यकतानुसार बदलता रहता है। इस प्रकार से  कहा जा सकता है कि मंजिष्ठा प्रतिरक्षा प्रणाली (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाने का काम करती है। इसके लिए मंजिष्ठा का काढ़ा या चूर्ण के रूप में सेवन करना फायदेमंद होता है।

 
कैंसर के लिए-

मजीठी की जड़ में एंटी कैंसर गतिविधियां पाई जाती हैं। जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकते हैं। इस पर किए गए एक एक शोध के मुताबिक, मंजिष्ठा का सेवन पेट संबंधी कैंसर से राहत दिलाने का काम करता है। दरअसल, इसमें मोलुगिन (Mollugin) नामक सक्रिय यौगिक पाया जाता है, जो कोलन कैंसर अणुओं को सक्रिय होने से रोकता हैं।

 
ट्यूमर के लिए-

मंजिष्ठा का सेवन ट्यूमर से भी बचाने का काम करता है। दरअसल, मंजिष्ठा में मौजूद बाइसाइकलिक हेक्सापेप्टाइड्स (Bicyclic hexapeptides) यौगिक एक तरह से एंटीट्यूमर गतिविधि का काम करता है। इसके लिए मंजिष्ठा के काढ़े या इसके चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें।

 
मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभप्रद-

मंजिष्ठा का प्रयोग स्त्रीरोग की विभिन्न समस्याओं को दूर करने और महिलाओं में मासिक धर्मसंबंधी विकारों के इलाज में किया जाता है। यह पीरियड के दौरान होने वाले दर्द में राहत पहुंचाती  है। मासिक धर्म के समय बहुत अधिक खून आने की समस्या में  मजीठी की जड़ के चूर्ण या अर्क का सेवन करना फायदेमंद होता है। ऐसा करने से मासिक धर्म नियमित होता है।

 
पौरुष शक्ति के लिए-

मंजिष्ठा का सेवन करने से शीघ्रपतन, वीर्य की कमी, धातु दुर्बलता और पुरुषों में होने वाली कमजोरी में लाभ मिलता है। यदि कोई व्यक्ति किसी भी तरह की  शारीरिक या अंदरूनी कमजोरी महसूस करता है। ऐसे में मंजिष्ठा चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा महिला बांझपन को दूर करने के लिए मंजिष्ठा का सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। चूंकि मंजिष्‍ठा में एक आयुर्वेदिक तत्व मौजूद होता है जिसे फलासरपी कहा जाता है। इसलिए इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए अच्छा होता है। जिन्होंने हाल ही में गर्भपात (miscarriage) का अनुभव किया हो।

 
मूत्र त्याग की कठिनाई को दूर करता है-
 

यूरिन पास करने में कठिनाई कई वजहों से हो सकती है। ऐसे में मजीठी की जड़ का चूर्ण अपने ड्यूरेटिक्स गुणों के कारण इस कठिनाई में मदद करता है। यह यूरिन को उचित बहाव के साथ पास होने देता है। इसके अलावा मंजिष्ठा की जड़ के काढ़ा का सेवन करने से पेशाब में होने वाली सभी प्रकार की परेशानियों में लाभ मिलता  है।

 
मंजिष्ठा का उपयोग-
  • मंजिष्ठा का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है।
  • इसको चूर्ण के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • मंजिष्ठा चूर्ण को गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
  • मंजिष्ठा को सीधे मुंह में रखकर चूसा भी जा सकता है।
  • कुछ लोग मंजिष्ठा चूर्ण का खाने के साथ सेवन करते हैं।
मंजिष्ठा के नुकसान-
  • मंजिष्‍ठा के अधिक सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें वारफारिन और कौमामिन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो रक्‍त को पतला करते हैं।
  • मंजिष्ठा में कलरिंग एजेंट पाया जाता है। इसलिए इसके सेवन से मूत्र का रंग नारंगी हो सकता है।
  • इसके अधिक सेवन से यह आंसू, लार और दूध को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह प्रभाव अस्‍थायी होते हैं।
  • मंजिष्‍ठा का अधिक सेवन कैंसर का कारण बन सकता है।
  • इसका अधिक सेवन शरीर में तनाव और कब्‍ज (constipation) उत्पन्न कर सकता है।
  • गर्भवास्‍था (pregnancy) और स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं को मंजिष्ठा का सेवन नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि यह शिशुओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • किसी भी अन्य समस्या से पीड़ित व्यक्ति को मंजिष्‍ठा का सेवन करने से पहले डॉक्‍टर से परामर्श जरुर लेनी चाहिए।
Read More
Benefits of Arjuna & its Bark

Posted 22 December, 2021

Benefits of Arjuna & its Bark

Arjuna is an evergreen tree, growing up to 60-80 feet tall which has like guava leaves. The scientific name of Arjuna is Terminalia Arjuna. This tree is extensively used as medicine. Its bark (outer layer) and juice are mostly used as herbs and are used in the treatment of heart problems, tuberculosis (TB), earache, inflammation, fever etc.

 

Importance of Arjuna in Ayurveda

According to Ayurveda, Arjuna is cold and astringent in taste, which protects against heart, prameha (diabetes), meda (obesity), vran (ulcer), phlegm and pitta, apart from cuts and blood related diseases. Arjuna is cardioprotective and works to strengthen the heart muscles and improve their nutritional function. Therefore, Arjuna is mainly used to cure diseases related to the heart. Its use is helpful in bleeding from the blood vessels which reduces swelling. Many nutrients and minerals are found in Arjuna, which are beneficial in bone problems. It is also beneficial in the treatment of ulcers and urinary diseases, etc.

 

Benefits of Arjuna bark

Arjuna bark is used to cure many diseases due to its antioxidants and mineral content which are very effective and beneficial for health. The benefits of Arjuna bark are listed below-

 

Beneficial in heart disease-

Arjuna has anti-atherogenic properties, which work to reduce plaque build-up in the coronary arteries and improve blood transport to heart cells. Arjuna also helps in reducing heart attack. Therefore, the bark of Arjuna is considered a beneficial medicine for heart diseases.

 

Useful in reducing chest pain-

Arjuna reduces chest pain that occurs during a heart attack. Therefore, people suffering from heart attack should definitely consume its bark. Consumption of this reduces the chances of chest pain in future also.

 

Beneficial for coronary artery-

The consumption of Arjuna bark reduces the swelling of the blood vessels and coronary arteries. Its consumption reduces triglycerides, serum cholesterol, atherogenic index and lipoproteins in the body, which have a positive effect on health. Arjuna bark helps in reducing cholesterol in addition to coronary arteries.

 

Beneficial in breast cancer-

Arjuna bark contains a chemical compound called casuarina, which helps inhibit the growth of breast cancer viruses. The antioxidant properties of Arjuna make this ingredient more effective. Therefore, it is beneficial to consume Arjuna bark at the time of breast cancer.

 

Useful for ulcers-

Make a decoction by soaking a piece of Arjuna bark in water for eight hours and consume it after it cools down slightly. In this way, using the bark of Arjuna cures stomach ulcers and keeps the stomach healthy. The bark of Arjuna contains elements of methanol (helicobacter pylori) and lipopolysaccharide, which help in preventing gastric ulcer.

 

Beneficial in Tuberculosis-

The medicinal properties of Arjuna help in relieving the symptoms of Tuberculosis. For this, mixing honey and ghee in the powder of Arjuna's bark, Nagbala and Kaunch and taking it with milk provides relief in diseases like tuberculosis and cough.

 

Useful in Menstruation (excessive bleeding)-

Excessive bleeding that occurs during periods in women can also be managed with Arjuna’s bark. For this, put a spoonful of Arjuna bark powder in a cup of milk and cook it till it is reduced to half.

 

Effective in reducing fever-

Arjuna bark is also considered good for curing fever and other problems caused by changing weather. In case of fever, taking a decoction or tea made from the bark of Arjuna provides relief. Taking a spoonful of Arjuna bark powder with jaggery also reduces the effect of fever.

 

Beneficial for acne-

The antioxidants found in Arjuna bark help prevent skin infections. For this, grinding the bark of Arjuna and applying it on the face in the form of a solution reduces acne. Apart from this, grind the leaves of Arjuna tree and mix honey in it and apply it on the acne and after fifteen minutes wash the face with warm water.

 

Beneficial for teeth-

The bark of Arjuna is beneficial in the problem of gum pain and bleeding. For this reason, the bark of Arjuna is also used in tooth powders.

 

Helpful in urinary infection-

Arjuna bark is also useful in urinary tract infections due to the antibacterial effect present in it which works to destroy the micro bacteria that cause urinary tract infections.

 

Helpful in fractures-

The benefits of Arjuna's bark prove to be beneficial in curing bone pain and joining broken bones. For this, taking a spoonful of Arjuna bark powder with a cup of milk thrice a day for a few weeks strengthens the bones. It is also beneficial to grind its bark and apply it with ghee on the affected area, in bone fractures.

 

Where is Arjuna's bark found?

The bark of Arjuna is obtained from the Arjuna tree, that is, the outer layer of the Arjuna. The Arjuna tree is most commonly seen in the foothills of the Himalayas and along the banks of rivers and streams located in dry mountainous areas. Similarly, in India too, this tree can be seen on the banks of rivers and streams present at other places.

Read More
Importance and Benefits of Long pepper in Ayurveda

Posted 08 December, 2021

Importance and Benefits of Long pepper in Ayurveda

Natural herbs have been used for centuries for the treatment of various body problems. They have special importance, especially in Ayurvedic treatment. One of these herbs is long pepper which is considered very beneficial for the body. It is a creeper spreading on the ground with an average height of about 1 to 2m. It's dark smooth leaves are 2 to 3 inches long and 1 to 2 inches wide having a heart shape. Long pepper plants are filled with flowers during the rainy season and bear fruit during the winter. Its fruits are about 1-inch mulberry size. Its botanical name is Piper longum Linn. and it belongs to the Piperaceae family. Its root, flower, fruit and lump are rich in many medicinal properties in Ayurveda due to which it is used in many Ayurvedic remedies. Its powder is used as medicine. Long pepper is beneficial in many problems like cough, cold, fever, respiratory diseases, toothache, joint pain and headache.

 
Importance of Long pepper in Ayurveda

Long pepper is bitter and hot in taste. Its various parts like root, fruit, leaf etc. are considered extremely beneficial for health. In Ayurveda, it is used as a medicine for many diseases due to its nutritional and curative properties. Long pepper is one such plant, which has many types of properties. It has been used for centuries to get rid of diseases and to relieve physical pain. It mainly proves beneficial for cold, cold, fever, diarrhoea, toothache, joint pain and respiratory problems. Due to these qualities, Long pepper has been given great importance in Ayurveda.

 
Benefits of Long pepper
Helpful in getting rid of cold, viral fever-

Consumption of Long pepper is great to get rid of cold and viral fever. Long pepper has anti-oxidation properties which are helpful in improving health. For this, take 2 grams powder of Long pepper, pippali mool, black pepper and dry ginger and take it with honey. By doing this, it reduces the symptoms of viral infection and fever. It strengthens immunity and gives relief in frequent colds and fever.

 
Beneficial in asthma-

Long pepper has an antiasthmatic effect which has a positive effect on the respiratory system and reduces problems like asthma, bronchitis. For this, boil 2 grams of Long pepper in 4 cups of water and filter it after two cups of water remain. Now taking this decoction in small amounts at an interval of 2-3 hours reduces the problem of breathlessness in a few days.

 
Relief in Headache-

Long pepper is a natural remedy to get rid of headaches. For this, grind the root of Long pepper in water and make a paste. Now applying this paste to the forehead provides relief in headaches. Apart from this, make a mixture by taking equal quantities of Long pepper and Vacha powder. Now taking 3 grams of this mixture with milk daily provides relief in headaches.

 
Beneficial for dental disease-

Long pepper is used daily for toothache. The antimicrobial properties present in it kill the bacteria present in the mouth and prevent them from growing. Long pepper is also known to remove plaque in the mouth and reduce inflammation of the gums. For this, apply the mixture prepared by mixing rock salt, turmeric and mustard oil in the powder of Long pepper on the teeth. By doing this, the pain and swelling of the teeth and gums are removed.

 
In the treatment of joint pain, arthritis-

Long pepper has anti-arthritic properties which are effective in getting relief from arthritis, especially those who suffer from joint pain. It is very beneficial for them to consume decoction made of long pepper.

 
For swelling-

Long pepper is rich in antioxidants and minerals which is helpful in reducing inflammation and oxidative stress. Apart from this, the anti-inflammatory effect present in Long pepper is also helpful in reducing and preventing inflammation.

 
For the treatment of diarrhea-

Long pepper is also used in diarrhoea. According to research done on it, anti-diarrheal properties are found in long pepper which controls the intensity of stool during diarrhea. For this, grind the long pepper and make a paste. Now taking this paste with goat's milk provides relief in diarrhoea. Apart from this, taking a decoction of Long pepper leaves is also beneficial for the treatment of stomach related infections or diarrhea.

 
Beneficial in stomach disease-

If someone has a complaint of constipation, then powder of Long pepper is beneficial for him. For this, make powder by grinding an equal quantity of Long pepper and small myrobalan. Now take this mixture with lukewarm water. This will also remove constipation. Along with this, the problem of abdominal pain, cramps, foul-smelling diarrhea is cured by doing this.

 
For Liver-

The use of Long pepper works to keep the liver healthy because it has hepatoprotective properties, which work to maintain liver health. Also, it protects against liver-related risks. According to research done on this, Glutathione is found in Long pepper which acts as an antioxidant. According to a report published on the website of NCBI (National Center for Biotechnology Information), glutathione is considered effective for patients suffering from the problem of excess fat accumulation in the liver without consuming alcohol.

 
To lose weight-

Consumption of Long pepper is beneficial in reducing weight. For this, take 2 grams of Long pepper with honey for a few days. By doing this, obesity is reduced. Apart from this, consuming a powder of Long pepper with honey in the morning reduces cholesterol and is also beneficial in heart-related diseases.

 
Side effects of Long pepper

It is safe to consume Long pepper in limited quantities but overusing it can lead to some side effects which are as follows:

  • Burning sensation in hands and feet.
  • Irritation in the eyes.
  • Headache, restlessness.
  • Heart damage.
  • Pregnant women must consult a doctor before using it.
Read More
Know the Medicinal benefits and Uses of Costus

Posted 24 May, 2022

Know the Medicinal benefits and Uses of Costus

Costus, known as Kuth in Hindi is a medicinal plant that has many medicinal properties. Since ancient times, it has been used to get rid of diseases and to cure physical weakness. It is mainly beneficial in inflammation, asthma, blisters, weakness and digestive diseases. Costus is bitter to eat. It is rich in antioxidants and reduces Kapha, Pitta, Vata. It has antimicrobial and antibacterial properties due to which bacteria grow in the large intestine due to which digestive problems are removed. Due to all these qualities, it is considered the best medicine in Ayurveda.

 

The botanical name of Costus is Saussurea costus. This plant belongs to the Asteraceae family. This plant is found more in the Himalayan regions of India. Its root is used extensively in Ayurveda to cure many diseases of the body.

 

Benefits and Uses of Costus

Beneficial for asthma-

Costus is considered effective medicine for asthma and respiratory diseases, therefore, with its regular use, it is helpful in removing catarrhal (mucous) substances and phlegm present in the bronchial tubes (respiratory tubes) due to which the problem of asthma gets cured to some extent. For this, make powder of the root of the costus and take it with honey. By doing this, mucus is cleared from the lungs and the problem of asthma is removed.

 

Helpful in relieving cough-

As the weather changes, problems like cold, cough and fever start arising. In such a situation, the powder of linseed proves to be an effective medicine. For this, mix the powder of Costus with honey well. Now licking this mixture in the morning and evening gives benefit.

 

Beneficial in malaria fever-

The use of costus is helpful in reducing malarial fever. According to research done on this, the elements present in the root of costus help in reducing the symptoms of malarial fever.

 

Helpful in reducing inflammation-

Anti-inflammatory properties are found in the costus which reduces the swelling on any part of the body. In this way, make a decoction of the root for the swelling that occurs on the body. Now washing the affected parts with this decoction is beneficial.

 

For mouth ulcers-

It is beneficial in mouth ulcers, burning sensation and other oral problems. Anti-ulcer properties are found in Costus which is beneficial in mouth ulcers. For this, make a decoction of wood. Now rinse the affected part with this decoction by keeping it in the mouth for some time. This provides relief from ulcers in the mouth and all kinds of oral problems.

 

Beneficial in stomach related disorders-

Costus is an effective remedy for stomach related problems. These problems include abdominal pain, indigestion, constipation, flatulence, vomiting, nausea, acidity etc. The nutrients present in it help in removing stomach related disorders. For this, mix the powder of the root with honey and consume it. By doing this, indigestion and many stomach related problems get relief. Apart from this, the consumption of decoction of Costus is also beneficial.

 

Beneficial in the treatment of gout-

It is considered useful for the treatment of gout. Its consumption provides relief from joint pain and swelling. It reduces the symptoms of arthritis by improving blood pressure. For this, making a decoction of the root of the costus and mixing small cardamom powder in it is beneficial. Along with this, massaging the affected parts with Costus oil is more beneficial.

 

Beneficial in skin disorders-

The use of the roots of Costus works to get rid of skin related problems. For this, mixing the powder made from the root of Costus with oil and applying it on places like ulcers and boils provides relief. Apart from this, in an earthen pot, fry the powder of Costus in oil. Now massaging the affected parts with this mixture cures all types of skin disorders. It works by purifying the blood and making the skin youthful.

 

Maintains the natural color of the hair-

The nutrients present in the costus maintain the natural gray and black color of the hair for a long time. For this, apply the oil made from costus on the hair. By doing this it regenerates the hair by nourishing the hair roots and prevents premature graying of hair.

 

Where is it found?

The native place of Costus is China and India but in India, it is found mainly in the mountainous regions of Himachal Pradesh, Uttarakhand, and in the valleys of Kashmir, up to an altitude of about 2500-3600 meters.

 
Read More
Know the Importance, Benefits and Uses of Safed Musli in Ayurveda

Posted 17 March, 2022

Know the Importance, Benefits and Uses of Safed Musli in Ayurveda

Safed Musli is a famous medicinal plant used as a medicine in Ayurvedic, Unani, Allopathic and Homeopathic medicine due to its medicinal properties such as anti-inflammatory, anti-microbial and antitumor. All these properties work to cure physical and mental weakness. Apart from this, Safed Musli is also an aphrodisiac and is also beneficial in problems of diabetes and arthritis.

 

What is Safed Musli?

Safed Musli is a tropical herb, commonly found in the wet forests of peninsular India. This herb belongs to the Liliaceae family whose botanical name is Chlorophytum borivilianum. There are mainly two types of Musli described in Ayurveda- safed or shwet musli and kaali musli. Although both are used in Ayurvedic medicine, from the Ayurvedic point of view, Safed Musli is more beneficial than Kaali Musli.

 

Importance of Safed Musli in Ayurveda

In Ayurveda, Safed Musli is used in Brumhana therapy. Safed Musli helps in improving sexual power by increasing libido. It also helps in increasing the level of testosterone. A study states that Safed Musli is used to prevent premature ejaculation as well as improve sperm count. According to another study, Safed Musli also increases strength and stamina. Apart from this, the use of Safed Musli is very beneficial in the treatment of Diabetes, Muscular weakness, Osteoarthritis, Fatigue, Bodybuilding etc.

 

Benefits of Safed Musli

Improves sexual health-

Safed Musli is also used for good sexual health. The stimulating properties found in Safed Musli helps to slow down ejaculation by increasing libido.

Helpful in increasing appetite-

Safed Musli works by increasing appetite by having a positive effect on the liver and stomach. It stimulates metabolism by improving liver function.

Beneficial in pregnancy-

Safed Musli is beneficial in pregnancy because it is rich in many types of elements that are considered essential for both mother and baby during pregnancy. These nutrients help in the development of the fetus, the development of its spine and brain. It also reduces the chances of birth defects in the baby. Therefore, consuming Safed Musli during pregnancy is good for health.

Benefits in infertility and impotence-

Safed Musli works effectively as medicine in problems like infertility and impotence. According to research done on this, the antioxidant properties in Safed Musli are effective in increasing fertility. It also improves the quality of sperm. For this, mix the powder of safed musli with honey and consume it daily in the morning and evening.

Helpful in getting rid of leucorrhoea-

If someone has the problem of white water coming or leucorrhoea, then the consumption of safed musli powder is a very effective solution. To cure this, take 1 to 2 grams of safed musli powder with cow's milk. By doing this one gets rid of these problems.

Beneficial in urinary problems-

Many times people have to go through problems like frequent urination and burning, pain while urinating. In such a situation, Safed Musli proves to be effective in getting relief from it. For this, take half spoon of musli powder with lukewarm milk twice a day. Doing so gets rid of these problems.

Beneficial in increasing breast milk-

Consumption of Safed Musli is beneficial in increasing breast milk of mothers. For this, mix an equal quantity of safed musli powder and sugar candy and make a mixture. Now take 2 to 4 grams of this mixture with milk. By doing this, milk increases in the breasts.

For immunity-

Safed Musli promotes immunomodulatory. Many nutrients are present in Safed Musli that work by influencing the immune system. Apart from this, the anti-microbial properties present in Safed Musli help in keeping the body healthy by removing many types of bacteria.

Helpful in weight gain-

It is believed that below-average body weight often causes weakness. In such a situation, the consumption of safed musli proves to be effective in increasing the weight. According to the research done on it, the ethanolic extract found in it, besides having a positive effect on the reproductive organs, is also helpful in increasing weight. For this, taking safed musli powder with milk is considered a good remedy.

For diabetes-

The use of Safed Musli is good for diabetes. It helps in reducing the level of glucose in the body. According to a study published on the NCBI website, Safed Musli extract has anti-diabetic and antihyperglycemic properties. Apart from this, Safed Musli has antioxidant properties which help in reducing blood glucose and oxidative stress. For this reason, Safed Musli works to provide relief for diabetes.

To relieve stress-

Safed Musli is used to relieve stress. The nutrients present in it are known to promote brain health. Apart from this, anti-stress and anti-oxidant properties are found in Safed Musli, which helps in dealing with mental problems like stress and depression. For this, take safed musli powder with milk. It helps in relieving stress and getting good sleep.

Beneficial in arthritis and joint pain-

Safed Musli contains a variety of nutritious elements which are helpful in reducing joint pain and swelling due to arthritis. According to a report published on the NCBI website, Safed Musli contains a compound called saponin, which exhibits anti-inflammatory and anti-arthritic properties. Thus, Safed Musli is considered useful for arthritis and joint pain and swelling.

Uses of Safed Musli

  • Safed Musli is consumed in the form of capsules or tablets.
  • Its powder is consumed with lukewarm water or milk.
  • Many people consume its root by grinding it and mixing it with honey.
  • In many places, women consume it in the form of laddoos and sweets during pregnancy.

Take these precautions while using Safed Musli-

Do not consume safed musli powder in excess.

Please consult a doctor before consuming it.

People suffering from low blood sugar should avoid its consumption.

Excessive consumption of Safed Musli can cause problems related to the stomach and intestine such as gas, acidity, constipation, irritable bowel syndrome etc.

Do not use Safed Musli directly during pregnancy. Also, during this time, consume it only as per the advice of the doctor.

Where is Safed Musli found?

Safed Musli is found mainly in the Western Himalayas, Uttarakhand and Punjab up to an altitude of about 1600 meters. Apart from this, it is also cultivated in Central India.

 
Read More