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मोरिंगा ऑयल के फायदे और नुकसान

Posted 24 May, 2022

मोरिंगा ऑयल के फायदे और नुकसान

कई औषधीय गुणों से भरपूर मोरिंगा ऑयल यानी सहजन के तेल का प्रयोग मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में किया जाता है। मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल किसी पकवान में तड़का लगाने से लेकर हेयर और स्किन केयर तक किया जा सकता है। यह तेल कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में भी फायदेमंद साबित होता है।

 
क्या है मोरिंगा ऑयल? 

मोरिंगा ऑयल या सहजन का तेल मोरिंगा ओलीफेरा नाम के पेड़ की फलियों के बीज से तैयार किया जाता है। यह तेल फाइटोन्यूट्रिएंट्स में प्रचुर है। जो समग्र स्वास्थ्य पर प्रभावशाली असर डालता है। सहजन तेल कई फायदों के लिए जाना जाता है। त्वचा और सौंदर्य देखभाल के लिए यह बेहद लाभप्रद तेल है। इसलिए इसका इस्तेमाल कई सौंदर्य संबंधी उत्पादों के लिए किया जाता है। औषधि के तौर पर मोरिंगा ट्री के सभी हिस्सों (सहजन पेड़ की छाल, सहजन की फलियां एवं पत्तियों) का प्रयोग किया जा सकता है। सहजन एक तरह की फली है। इसका आम इस्तेमाल सब्जी के तौर पर किया जाता है। सहजन का वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा (Moringa Oleifera) है।

 
मोरिंगा ऑयल के फायदे;

मोरिंगा ऑयल के फायदों में स्वास्थ्य से लेकर बाल और त्वचा तक के फायदे शामिल हैं। आइए बात करते हैं इन फायदों के बारे में-

इम्यून सिस्टम के लिए मोरिंगा ऑयल का प्रयोग-

मोरिंगा ऑयल में मौजूद विटामिन-सी और इसके अन्य गुण तरह-तरह के रोगजनक सूक्ष्मजीवों और बीमारियों के विकास को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मोरिंगा ऑयल के औषधीय गुणों की बात करें तो इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट मुख्य रूप से पाया जाता है। जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात इम्यूनिटी को बेहतर करने में सहायता करता है।

 
एनर्जी लेवल सुधारने हेतु सहजन तेल का प्रयोग-

मोरिंगा ऑयल में लिपिड फैट उच्च मात्रा में होता है। जो शरीर में जाकर एनर्जी बढ़ाने का काम करता है। लिपिड को ऊर्जा का अच्छा सोर्स माना जाता है। इस तेल में फैट में घुलने वाले विटामिन्स और बायोएक्टिव जैसे फैटी एसिड मौजूद होते हैं। जो शरीर की कार्य क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इस तरह मोरिंगा ऑयल बॉडी की एनर्जी लेवल को बढ़ाने में सहायता करता है।

 
ब्लड प्रेशर के लिए मोरिंगा ऑयल-

मोरिंगा ऑयल के प्रयोग से ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। दरअसल मोरिंगा सीड्स से तैयार किए गए तेल में फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। जो शरीर में फ्री रेडिकल्स की मात्रा को कम कर, उच्च रक्तचाप की दर को कम करने का काम करते हैं।

 
कोलेस्ट्रॉल मैनेजमेंट के लिए मोरिंगा ऑयल का उपयोग-

मोरिंगा ऑयल में बीटा-साइटोस्टेरॉल मौजूद होता है। जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करने वाले रासायनिक प्रक्रिया को धीमा करके एंटी इंफ्लेमेटरी की तरह कार्य करता है। इसके अतिरिक्त मोरिंगा ऑयल में कैंप फेरोल भी होता है। जो चयापचय और कोशिकाओं के कार्य को बेहतर बनाने का काम करता है। इस तरह से सहजन तेल का सेवन शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल अर्थात एलडीएल (LDL) लेवल को कम करने में मदद करता है।

 
वेट लॉस के लिए मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल-

अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको में मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल प्राकृतिक रूप से वजन कम करने के लिए किया जाता है। एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार मोरिंगा सीड्स में एंटी-ओबेसिटी और एंटी-डायबिटिक बायोएक्टिव गुण होते हैं। जो शरीर में लिवर ग्लुकोनियोजेनेसिस और इंसुलिन रिलीज की प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जो प्रत्यक्ष रूप से मोटापे और टाइप 2 मधुमेह की रोक और इलाज के लिए एक प्रभावी विकल्प है।

 
डैंड्रफ के लिए सहजन तेल का प्रयोग-

मोरिंगा ऑयल में विटामिन-सी के अलावा ओलिक एसिड की भी उच्च मात्रा होती है। यही वजह है कि इसका प्रयोग मलहम बनाने के लिए किया जाता है। त्वचा के साथ खोपड़ी (स्कैल्प) को साफ रखने के लिए मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल क्लींजिंग एजेंट की तरह किया जाता है। मोरिंगा ऑयल का प्रयोग बालों की सेहत को सुधारने, दोमुंहे बालों की समस्या से छुटकारा पाने और एंटी-डैंड्रफ के रूप में किया जाता है।

 
ड्राई स्किन को हाइड्रेट करने के लिए मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल-

मोरिंगा ऑयल में ओलिक एसिड पाया जाता है। जो क्लींजिंग एजेंट के रूप में ड्राई स्किन को मॉइस्चराइज करने में मदद करता है। सहजन के तेल में विटामिन-ए, विटामिन-ई और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। जो बेजान और रूखी त्वचा को मुलायम बनाते हैं। इसके अतिरिक्त मोरिंगा ऑयल में एंटीपीलेप्टिक, एंटीहाइपरटेन्सिव और एंटीफंगल जैसे गुण भी पाए जाते है। जो त्वचा की पूर्ण देखभाल करते हैं।

 
एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर मोरिंगा ऑयल के फायदे-

सहजन की पत्तियों और फलियों की तरह इसके तेल में भी एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है। जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर इससे संबंधित बीमारियों के खतरे को कम करने का काम करता है। इसके अतिरिक्त मोरिंगा ऑयल फ्री रेडिकल्स के कारण शरीर को होने वाले नुकसान को रोकने और उसकी प्रक्रिया को मंदा (Slow) करने में सहायता करता है।

 
एंटी-इंफ्लेमेटरी के तौर पर मोरिंगा ऑयल का प्रयोग-

सहजन के तेल में जेइटिन (Zeatin) होता है। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। जो शरीर की सूजन को दूर करने में मददगार साबित होते हैं। एनसीबीआई के शोध अनुसार मोरिंगा ऑयल से गठिया और जोड़ों से संबंधित दर्द और सूजन में काफी हद तक राहत मिलती है।

 
एंटी-एजिंग के लिए मोरिंगा ऑयल का उपयोग-

मोरिंगा ऑयल में विटामिन-ई की अधिक मात्रा होती है। जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाने और त्वचा के कोलेजन निर्माण में सुधार करके दमकती त्वचा (ग्लोइंग स्किन) देने का काम करती है। इसके अलावा सहजन तेल में टोकोफेरॉल का स्तर उच्च होता है। जिस कारण इसका प्रयोग कई प्रकार के स्किन केयर प्रोडक्ट्स में किया जाता है।

 
कैसे करें मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल?

मोरिंगा ऑयल दिखने में पीले रंग का होता है और स्वाद में मूंगफली तेल की तरह। मोरिंगा ऑयल में 36.7% ट्रायोलिन होता है। जो मुख्य ट्राईसाई ग्लिसरॉल के रूप में होता है। इसलिए सहजन तेल का इस्तेमाल कई रूपों में किया जा सकता है, जोकि निम्नलिखित हैं:-

  • ब्यूटी और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के तौर पर मोरिंगा ऑयल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। बाजार में मोरिंगा ऑयल से बने साबुन, क्रीम, लोशन, इत्र, स्क्रब, तेल आदि प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं।
  • मोरिंगा ऑयल को कुकिंग ऑयल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस तेल को सैलेड गार्निश के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
  • मोरिंगा ऑयल का प्रयोग खाद्य तेल के अलावा हेयर ऑयल और हेयर केयर प्रोडक्ट्स के रूप में भी किया जा सकता है।
  • चिकित्सक की सलाह पर सहजन तेल को सप्लीमेंट्स के रूप भी प्रयोग में ला सकते हैं।
मोरिंगा ऑयल के नुकसान-
  • जैसा कि ऊपर बताया है कि मोरिंगा ऑयल हाई ब्लड प्रेशर को कम करने का काम करता है। इसलिए लो ब्लड प्रेशर की दवा ले रहे लोगों को इसके प्रयोग से बचना चाहिए।
  • जिन संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को कॉस्मेटिक से जल्दी एलर्जी होती है। उन्हें मोरिंगा ऑयल से परहेज रखना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोगों को मोरिंगा ऑयल के प्रयोग से त्वचा में जलन और खुजली की दिक्कत हो सकती है।
  • मोरिंगा ऑयल में कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन करना वजन बढ़ाने का मुख्य कारण हो सकता है।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं को, गर्भवती महिलाओं को और गर्भवती होने के बारे में सोच रहीं महिलाओं को मोरिंगा ऑयल का उपयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार ही करना चाहिए।
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जानें अखरोट तेल और इसके फायदों के बारे में

Posted 24 May, 2022

जानें अखरोट तेल और इसके फायदों के बारे में

अखरोट में ओमेगा-3, एंटीऑक्सीडेंट्स, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, विटामिन-डी और कॉपर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए अखरोट दिमाग के लिए बेहद लाभदायक सूखा फल (Dry fruit) है। इसी कारण इसे ब्रेन फूड यानी दिमाग का भोजन भी कहा जाता है। सौंदर्य प्रसाधनों से लेकर सलाद, पास्ता, डेजर्ट आदि को बनाने के लिए अखरोट के तेल का प्रयोग किया जाता है। अंग्रेजी में इसे वॉलनट ऑयल कहा जाता है।

 
 

पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी सेहत के लिए आवश्यक होने के कारण अखरोट का तेल थोड़ा महंगा होता है। बाजार में कोल्ड प्रेस्ड और रिफाइंड दो प्रकार के अखरोट के तेल उपलब्ध हैं। इन दोनों तेलों में से रिफाइंड में कम मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए इसे ज्यादतर सौंदर्य प्रसाधनों के लिए उपयोग में लाया जाता है। अखरोट का तेल विटामिन और खनिजों में भरपूर होता है। यह त्वचा पर बहुत ही अच्छी तरह से काम करता है। इसके अलावा यह बालों के लिए भी फायदेमंद होता है।

 
अखरोट के तेल के फायदे;
फंगल इंफेक्शन में असरदार-

फंगल इंफेक्शन में अखरोट का तेल काफी फायदेमंद होता है। अदरक के साथ कोल्ड प्रेस्ड वॉलनट ऑयल को मिलाकर शरीर के प्रभावित हिस्से पर लगाने से लाभ मिलता है। अखरोट के तेल में टी ट्री ऑयल मिलाकर लगाने से भी संक्रमण में आराम पहुंचाता है। संक्रमण को रोकने के लिए अखरोट के तेल को नियमित रूप से प्रयोग करना जरूरी है।

 
झुर्रियां दूर करने में लाभदायक-

अखरोट का तेल त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने में काफी मदद करता है। यह त्वचा पर झुर्रियों, फाइन लाइन्स आदि को बढ़ने से रोकता है। अखरोट के तेल में मौजूद विटामिन-ई चेहरे को अधिक समय तक जवान बनाए रखता है और दाग-धब्बों को हटाता है। अखरोट के तेल में दही, शहद और ओटमील पाउडर मिलाकर चेहरे के लिए बेहतरीन फेस पैक बनाया जा सकता है।

 
प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट-

अखरोट का तेल एक अति प्रभावशाली एंटीऑक्सीडेंट है। दरअसल अखरोट में जुगलोन (juglone) जैसे कंपाउंड पाए जाते हैं। जो शरीर के लिए फायदेमंद फ्री रेडिकल्स बनाते हैं। यह फ्री रेडिकल्स शरीर में मौजूद हानिकारक फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।

 
पाचन तंत्र से संबंधित बीमारियों में सहायक-

अखरोट में फैटी एसिड व हाई फाइबर होता है। जो पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और इससे पेट का स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है। एक्जिमा और गठिया जैसी कुछ बीमारियां अखरोट तेल का प्रयोग करने से ठीक हो सकती हैं। इसके लिए शरीर के प्रभावित हिस्से पर अखरोट के तेल से नियमित रूप से मालिश करने की आवश्यकता होती है।

 
एजिंग के लक्षणों को कम करता है-

अखरोट के तेल में विटामिन-बी होता है, जो शरीर को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाता है। यह हमारे स्ट्रेस लेवल को कम करता है और स्ट्रेस के कारण उत्पन्न होने वाले रेडिकल्स से हमें बचाता है। इसके अंदर विटामिन-ई भी पाया जाता है, जो एक बहुत अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है। अखरोट के तेल को दही, शहद और ओटमील पाउडर में मिलाकर फेस पैक भी बना सकते हैं।

 
बालों के झड़ने को रोकने में सहायक-

अखरोट के तेल में पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड की सहायता से झड़ते बालों को कम करने में मदद मिलती है। इसका नियमित उपयोग करने से बालों का गिरना कम होता है और बाल घने एवं मजबूत बनते हैं।

 
अनिद्रा को दूर करता है-

अखरोट का तेल अनिद्रा की समस्या को दूर कर, रात की नींद को बेहतर करता है। इसमें मेलाटोनिन पदार्थ होता है, जो नींद को बढ़ाता है। यह अनियमित नींद की समस्या झेल रहे लोगों के लिए बहुत ही लाभकारी है। इसके अलावा अखरोट के तेल का सेवन रक्त वाहिनियों की कार्य क्षमता बढ़ाने में भी काफी मदद करता है।

 
वजन को कम करने का है कारगर उपाय-

अखरोट का तेल शरीर की चर्बी को कम करने का कारगर उपाय है। अखरोट का तेल किसी अन्य तेल की तुलना में आसानी से पच जाता है। इसलिए इसे सलाद में उपयोग कर सकते हैं। इससे आपको बार-बार भूख महसूस नहीं होती और बार-बार खाने की लालसा भी कम होने लगती है।

 
अखरोट तेल के नुकसान-

अत्यंत लाभकारी अखरोट के तेल से वैसे तो कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन जिन लोगों को अखरोट खाने से एलर्जी है, उन्हें निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं।

  • त्वचा पर लाल चकत्ते होना।
  • होठों में सूजन आना।
  • त्वचा पर रैशेज और खुजली होना।
  • नाक बहना।
  • गला बैठ जाना।
  • पेट में दर्द और मरोड़ होना।
  • मतली और उल्टी महसूस होना।
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Almond Oil- A Medicinal Boon for Health and Beauty

Posted 20 December, 2021

Almond Oil- A Medicinal Boon for Health and Beauty

It is often heard that almonds are very good for the body. Its intake increases physical and mental strength but very few people are aware that almond oil is as good for the body as are the almonds. These have many properties such as anti-inflammatory and immunity-boosting which help to improve the health as well as the skin. Almond oil is much lighter than other oils due to which it is also used in the kitchen. Many types of nutrients are found in almond oil. It contains high levels of essential elements such as monounsaturated fatty acids, vitamin-E, potassium, zinc and protein.

 

Almond oil is of two types, Bitter and Sweet. Amygdalin is present in the bitter almond oil. After processing, it turns into a kind of harmful hydrogen cyanide (HCN). This bitter oil contains medicinal ingredients, but it is not healthy to be eaten rather is used for other beneficial purposes. In contrast, the sweet oil of almonds are edible. This oil is also very beneficial for hair and face. In addition, sweet oil is also used for cooking. 

 
Benefits of Almond Oil
Good for Heart Health-

Monounsaturated fats are found in almond oil which lowers the body's LDL (bad cholesterol) and increases HDL (good cholesterol). This reduces the risk of heart diseases.

 
Digestive Health-

Almond oil improves digestive health. Its intake improves intestinal function. It also cures Irritable Bowel Syndrome (abdominal pain, constipation, diarrhea etc.). Hence almond oil is said to be good for digestive health.

 
Constipation-

Almond oil helps to relieve symptoms of Irritable Bowel Syndrome such as constipation, abdominal pain, bowel problems. For this, two to three teaspoons of almond oil should be drunk in a glass of warm milk before going to bed. This gives relief from the problems of bowel movement.

 
Beneficial for the eyes-

Almond oil is also good for the eyes. Almond oil contains Vitamin-E, which is necessary for eye health. Apart from this, it also contains Vitamin-E called alpha-tocopherol which helps to increase eyesight. Almond oil for the eyes can be used as an intake, as a massage oil around the eyes, mixed with any other oil, or as an eye-drop.

 
Hair health-

Almond oils are a good option for keeping hair healthy. Applying almond oil to the roots of hair gives natural shine to the hair. Since almond oil is light, the scalp pores are not closed due to its use. It also boosts hair growth.

 
Ear infection-

Almond oil also helps in ejecting earwax. For this, put lukewarm almond oil in the ear due to which the dirt in the ear becomes soft and swells. This later becomes easier to remove and can protect the ear from infection.

 
Dark circles-

Almond oil helps in reducing the dark circles under the eyes. For this, apply two to three drops of almond oil under the eyes and massage it lightly. By doing this, you get rid of dark circles quickly. Almonds are rich in skin lightening and vitamin-E properties and Vitamin-E works to cure dark circles.

 
Glowing skin-

Almond oil has the ability to enhance the skin and keep it alive. The emollient and sclerosant properties present in almond oil improve facial complexion. Therefore, almond oil is said to be good for glowing skin. Additionally, almond oil is also considered useful for reducing injuries and other skin marks.

 
Helpful in Psoriasis and Eczema-

Almond oil for the skin is used for severe skin-related problems like Psoriasis and Eczema. Psoriasis is a skin disease in which the skin becomes flaky and red. Sometimes the skin also starts to hurt and leads to swelling. At the same time, eczema causes red spots and rashes on the skin.

 
Aromatherapy-

Using almond oil for aromatherapy gives a pleasant feeling. Additionally, using almond oil twice a day improves sleep quality and duration and also reduces fatigue. The use of almond oil also provides benefits in rhino conjunctivitis (runny nose, sneeze, red eyes etc.).

 
Helpful for Newborn cradle cap-

The freezing layer on the baby's head which causes crusty or oily scaly patches on a baby's scalp is called the Cradle Cap. Almond oil proves to be a good option for the child to get relief from it because almond oil has skin healing properties. Therefore, it is also considered good to reduce the problem of cradle cap. The use of almond oil softens the scaly skin that forms on the scalp. It is said about the cradle cap that this problem occurs only to children for a certain period of time. It resolves on its own after an age.

 
Side effects of Almond Oil
  • Excess intake of almond oil increases the amount of vitamin-E in the body. It can cause dizziness, diarrhea, blurred eyesight and weakness.
  • Almond oil contains a lot of calories. Therefore, its high intake can also increase weight.
  • Pregnant women should reduce their intake of almond oil because its excessive intake causes premature delivery.
  • Almond oil reduces the level of glucose in the blood. Therefore, diabetic patients should consume it with caution or according to the consultation of a doctor.
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Apple Cider Vinegar- Benefits & Side-effects

Posted 20 December, 2021

Apple Cider Vinegar- Benefits & Side-effects

As we say, an Apple a day keeps the doctor away. This clearly highlights the role of Apple in keeping a healthy lifestyle. So is the case with Apple Cider Vinegar, it is extremely beneficial for our health. This is the reason why doctors recommend eating apples.

Apple Cider Vinegar is a juice of crushed apple which is prepared through the process of fermentation. Given the medicinal properties of apple cider vinegar, today people all over the world use it to enhance the flavors of various types of cuisines but due to its acidic taste, it should not be consumed much.

 
 

Nutrients present in Apple Cider Vinegar

Apple cider vinegar contains high amounts of acetic acid which is very beneficial for the heart. Additionally, apple cider vinegar has a variety of proteins, enzymes, vitamins, and anti-bacterial properties which relieve skin and hair-related problems.

 
 

Benefits of Apple cider vinegar

To lose weight-

Apple cider vinegar contains acetic acid which helps reduce excess body fat. The acetic acid present in apple cider vinegar improves metabolism by inhibiting the deposition of fat. So to lose weight we should include apple cider vinegar in our routine.

 

For Digestion-

Apple cider vinegar is beneficial for digestion and stomach problems like gas. The consumption of apple cider vinegar stimulates digestive juices and has a positive effect on indigestion which improves the function of the body's digestive system.

 

For a sore throat-

Sore throat is a common problem due to changing weather or consuming cold things. In such a situation, apple cider vinegar can prove to be very beneficial for you because the antibacterial properties present in it work to relieve sore throat. For this, add a spoonful of apple cider vinegar and drink a glass of lukewarm water before going to bed at night.

 

For teeth-

Apple cider vinegar helps clean teeth. A study published on NCBI shows that apple cider vinegar acts as a bleaching agent for yellow teeth which helps in the whitening of the teeth.

 

For arthritis/joint pain-

Apple cider vinegar can prove beneficial for people suffering from joint pain and arthritis because it has anti-inflammatory properties which help to relieve problems like arthritis and joint pain. In addition, apple cider vinegar also has pain-reducing properties which help in relieving acute pain.

 

For immunity-

According to the NCBI report, apple cider vinegar promotes an immunomodulatory effect. Apple cider vinegar contains flavonoids and acetic acid which work to affect the immune system. Additionally, the antimicrobial properties present in apple cider vinegar help in keeping the body healthy by removing bacteria.

 

For blood pressure-

The acetic acid present in apple cider vinegar has anti-hypertensive properties. Therefore, the risk of blood pressure can be avoided by using a balanced amount of apple cider vinegar.

 

For Blood sugar-

Apple cider vinegar can be used for diabetes. It helps in reducing the level of glucose in the body. In addition, apple cider vinegar contains acetic acid which has an anti-diabetic and anti-glycemic effect that works to provide relief in diabetes.

 

For Cholesterol-

Increased cholesterol in the body causes heart disease and heart attack but apple cider vinegar is very helpful in avoiding such diseases. According to a report by the National Center for Biotechnology Information, acetic acid in the diet helps in reducing cholesterol and triglycerides. In this form, apple cider vinegar works to reduce LDL level i.e., bad cholesterol, and increase HDL level i.e., the good cholesterol.

 

For Acne-

Apple cider vinegar also helps in removing pimples. The acid present in apple cider vinegar works to eliminate acne and its bacteria. It controls the pH level of the skin and protects the skin from infections. For this, put two to four mL apple cider vinegar in some water and apply it on pimples and let it dry overnight, and wash it with cold water in the morning. Doing this continuously for a few days will completely eliminate pimples.

 

For skin whitening-

Apple cider vinegar helps in making the skin clear and shiny by reducing the spots of the face and skin. For this, mix apple cider vinegar and water in a ratio of 1: 3. Now apply the mixture on the affected part of the skin with the help of cotton. After some time, wash it with cold water. Repeat this process regularly for a few days to see the difference.

 

For Sunburn-

It prevents infection by keeping the pH level of the skin balanced. In addition, apple cider vinegar has also been considered effective in treating sunburn. For this, put a cup of apple cider vinegar in the bathing water. Repeating this process for a few days will cure sunburn quickly.

 

For Hair-

Apple cider vinegar can also be used for hair. For this, after shampooing the hair, mix a little apple cider vinegar in water and wash the hair with it. By doing this, the hair becomes healthy and shiny.

 

For dandruff and oily hair-

The problem of dandruff and oily hair can be eliminated by using apple cider vinegar because the acids present in it serve to reduce the excess amount of dandruff and oil present in the hair. For this, mix one to two glasses of water in 10 to 15mL apple cider vinegar and apply it to the scalp and hair roots. For best results, repeat this process twice a week.

 

Side-effects of Apple cider vinegar

  • Teeth become sensitive to acidic food or beverages. Therefore, excessive intake of apple cider vinegar can spoil the teeth.
  • Excessive intake of apple cider vinegar can cause nausea.
  • Excessive use can also lead to loss of appetite.
  • Apple cider vinegar is used to reduce high blood pressure. Therefore, people who are suffering from low blood pressure should not consume it.
  • Using apple cider vinegar on sensitive skin can cause irritation and rashes. Therefore, a patch test is recommended before using it.
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जानें, तिल का तेल और इसके फायदे

Posted 24 May, 2022

जानें, तिल का तेल और इसके फायदे

आयुर्वेद में तिल के तेल को तेलों की रानी माना जाता है। इस तेल का उपयोग सदियों से उपचार के लिए किया जाता रहा है। इस तेल के औषधीय गुणों के कारण इसे प्राचीन भारत के वेदों में मनुष्यों के लिए अच्छा बताया गया है। इस तेल में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। जो सामान्य त्वचा रोगजनकों जैसे स्टाफीलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस और एथलीट पैर आदि त्वचा कवक को ठीक करते हैं। यह एक प्राकृतिक एंटी इंफ्लामेंटरी और एंटीवायरल तेल है। जो रूमेटोइड गठिया के लक्षणों को कम करता है। यह तेल तनाव और अवसाद को कम करता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित और मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इस तेल के एंटी इंफ्लामेंटरी एजेंट स्किन को डिटॉक्सिफाई करने, एनीमिया, मधुमेह, आंख और कैंसर के उपचार में मददगार साबित होते हैं। तिल का तेल त्वचा और बालों के अलावा भोजन बनाने में भी उपयोग किया जाता है।

 

तिल के तेल के फायदे;

मधुमेह का उपचार-

 

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की रिपोर्ट के अनुसार तिल का तेल डायबिटीज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। सफेद तिल का तेल ब्लड ग्लूकोज (GLU) को रेगुलेट करने और मधुमेह के नुकसानदायक प्रभाव को घटाने में सहायता करता है। इस प्रकार तिल का तेल मधुमेह की समस्या में राहत देने का काम करता है।

 

रक्तचाप के लिए लाभप्रद-

 

तिल के तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड उच्च रक्तचाप के स्तर को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और विटामिन ई भी रक्तचाप को नियंत्रित रखने का काम करते हैं। 

 

हृदय स्वास्थ्य के लिए बढ़िया-

 

हृदय को स्वस्थ रखने के लिए तिल के तेल को आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस तेल में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। जो हृदय को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है। इस तेल में लिग्नैंस (फाइबर का एक प्रकार) भी होता है। जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इस प्रकार तिल का तेल को हृदय संबंधी जोखिमों के लिए अच्छा माना जाता है।

 

सूजन को कम करने में मददगार-

 

तिल के तेल में एंटी इंफ्लामेंटरी गुण होता है। जो शरीर को सूजन संबंधी समस्याओं से बचाने का काम करता है। यह तेल शरीर को  बाहरी और अंदरूनी दोनों प्रकार की सूजन में लाभ देता है। इसके अतिरिक्त तिल का तेल हाथ-पैरों की चोट और उसके दर्द को भी कम करता है। 

 

एनीमिया को दूर करने में सक्षम-

 

तिल का तेल एनीमिया के जोखिम को कम करता है। दरअसल तिल और इसके तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और फेनोलिक फाइटोकेमिकल्स एनीमिया से बचाव करने में मदद करते हैं। यह कंपाउंड शरीर में लाल रक्त कोशिका (RBC) और हीमोग्लोबिन को बढ़ाकर खून की कमी को दूर करते हैं। इसके अतिरिक्त तिल का तेल मैकेनिज्म यानी कार्य तंत्र के लिए भी अच्छा होता है।

 

त्वचा के लिए अच्छा-

 

तिल का तेल त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। दरअसल तिल का तेल हीलिंग प्रॉपर्टीज प्रभाव से युक्त होता है। जो घाव को जल्द भरने में सहायता करता है। तिल के तेल में टोकोफेरॉल नामक तत्व मौजूद होता है। जो त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाता है। इसके अलावा तिल का तेल सनबर्न जैसी समस्याओं को दूर करने का काम करता है।

 

आंखों के लिए फायदेमंद-

 

तिल का तेल आंखों की समस्या को ठीक करता है। दरअसल तिल का तेल डायबिटिक रेटिनोपैथी यानी मधुमेह नेत्र रोग (रेटिना में सूजन) से संबंधित समस्याओं को कम करता है। तिल के तेल में मौजूद सेसमिन कंपाउंड रेटिना की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त यह तेल अंधेपन से बचाव करने में भी मदद करता है।

 

बालों के लिए उपयोगी- 

 

तिल का तेल स्कैल्प (खोपड़ी) को पोषण देने का काम करता है। इस तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण होता है। जो जीवाणु को दूर करके स्कैल्प को संक्रमण से बचाता है। इसके अतिरिक्त तिल के तेल में मौजूद एंटीबैक्टीरियल रूसी को दूर करने में भी सहायता करते हैं।

 

अर्थराइटिस के लिए-

 

गठिया की समस्या को अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। काले तिल का तेल इस परेशानी को कम करने में सहायता करता है। तिल के तेल में मौजूद लिग्नैन्स एंटी इंफ्लामेंटरी  प्रभाव शरीर में होने वाली इंफ्लेमेशन और इससे संबंधी बीमारियों जैसे अर्थराइटिस के लक्षण आदि को कम करता है। 

 

दर्द से छुटकारा-

 

एनसीबीआई के शोध के अनुसार तिल का तेल दर्द से राहत दिलाने में सहायता करता है। क्योंकि इसमें एंटी-नोसिसेप्टिक (दर्द को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इसलिए तिल के तेल का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द से लेकर दांतों के दर्द तक को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त तिल का तेल मासिक धर्म सिंड्रोम, कटने और खरोंच के कारण होने वाले दर्द को भी कम करने में मददगार साबित होता है 

 

विटामिन ई का अच्छा स्रोत-

 

तिल के तेल में टोकोफेरोल होता है। जोकि विटामिन ई का ही रूप है। इसलिए इसको विटामिन ई का अच्छा स्रोत माना जाता है। यह टोकोफेरोल एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करता है। जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाकर कई बीमारियों के जोखिमों को कम करता है। क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स एक समय के बाद कैंसर और हृदय रोग का कारण बनते हैं। 

 

एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत-

 

एनसीबीआई द्वारा किए गए शोध के अनुसार तिल का तेल सेसमोल और सेसमिनोल नामक तत्वों से भरपूर होता है। यह दोनों तत्व शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं। एक अन्य रिसर्च द्वारा बताया गया है कि एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से इस्केमिक हृदय रोग (कोरोनरी धमनी रोग), डायबिटीज और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जैसी कई बीमारियों को कम किया जा सकता है।

 

तिल के तेल के नुकसान-

  • संवेदनशील लोगों को तिल के तेल का उपयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे उन्हें एलर्जी हो सकती है।
  • तिल के तेल में मधुमेह को कम करने की क्षमता होती है। ऐसे में ब्लड शुगर को कम करने वाली दवाओं के साथ इसका सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे ब्लड शुगर का स्तर ज्यादा कम हो सकता है।
  • तिल का तेल उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। इसलिए निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • तिल के तेल में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन शरीर का वजन बढ़ सकता है।
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आर्गन ऑयल के फायदे और उपयोग

Posted 24 May, 2022

आर्गन ऑयल के फायदे और उपयोग

बेहतर दिनचर्या और संतुलित आहार स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। परंतु वर्तमान समय में इन दोनों को ही अनदेखा किया जा रहा है। कारणवश लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। अपने दैनिक दिनचर्या और आहार में थोड़ा सा बदलाव करके हम अपने-आपको स्वस्थ और बेहतर बना सकते हैं। तमाम तरह के ऑयल जैसे कोकोनट ऑयल, कैस्टर ऑयल, ऑलिव ऑयल आदि चेहरे, और बालों लिए अच्छे होते हैं। इन्हीं तेलों की श्रेणी में एक और अहम तेल आता है, जिसे चेहरे और बालों के साथ सेहत के लिए भी उत्तम माना जाता है। इस तेल का नाम है आर्गन ऑयल।

 

आर्गन ऑयल में मौजूद औषधीय गुण ही इसे अन्य तेलों से अधिक उपयोगी बनाते हैं। आर्गन ऑयल को आर्गन ट्री के फल, गुठली और गूदे से बनाया जाता है। इस तेल को “लिक्विड गोल्ड” भी बोला जाता है। साबुन, कंडीशनर और नहाने वाले शैंपू जैसे प्रोडक्टों में आर्गन ऑयल मुख्य तौर प्रयोग किया जाता है। यह सेहत, बाल, स्किन के अलावा नाखूनों के लिए भी अच्छा होता है। इसमें बहुत से विटामिन्स, एंटी-ऑक्सीडेंट और मिनरल्स होते हैं। जो शरीर को कई तरह से लाभ देते हैं। सर्दियों के मौसम में इस तेल का इस्तेमाल करने से त्वचा ड्राई नहीं होती।

 
आगर्न ऑयल में मौजूद जरूरी पोषक तत्व-
 
  • फैटी एसिड- Fatty acid
  • विटामिन E- Vitamin E
  • कैफिक एसिड- Caffeic acid
  • टोकोफेरोल- Tocopherols
आर्गन ऑयल के फायदे-
 

जैसा कि ऊपर व्याख्या की गई है, कि इस तेल का इस्तेमाल बालों के लिए, स्वास्थ्य के लिए और त्वचा के लिए किया जाता है। जिसे हम यहां विस्तार से समझने का कोशिश करेंगे। सबसे पहले जाने हैं सेहत के लिए आर्गन ऑयल के फायदों के बारे में-

 
सेहत के लिए आर्गन ऑयल के फायदे-
 

आर्गन तेल के प्रयोग से कई शारीरिक समस्याओं से निजात पाया जाता है। जो इस प्रकार है:

 
लीवर के लिए-
 

आर्गन ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। जो शरीर में वसा के विकास को रोककर लिपिड को कम करने का काम करता है। जिससे लीवर संबंधी जोखिम दूर होते हैं।

 
पाचन के लिए-
 

आर्गन ऑयल में मौजूद विटामिन-ई में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है। जो आंतों की सेहत को स्वस्थ रखता है। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है। इसलिए आर्गन ऑयल को पाचन के लिए फायदेमंद माना जाता है।

 
कोलेस्ट्रॉल और दिल के लिए-
 

आर्गन ऑयल के इस्तेमाल से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं। जिसमें हृदय और कोलेस्ट्रोल भी शामिल है। दरअसल, आर्गन ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (Low-density lipoprotein) कोलेस्ट्रोल को कम करते हैं। साथ ही डिस्लिपिडेमिया (एक बीमारी) से जुड़ी प्रोथ्रॉम्बोटिक (रक्त वाहिक के जोखिम से संबंधित) जटिलताओं को रोकते हैं। क्योंकि प्रोथ्रॉम्बोटिक की वजस से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ती है। इसलिए कुछ स्टडीज में इसे ह्रदय के अलावा ब्लड शुगर को कम करने अथार्त मधुमेह के लिए भी उपयोगी पाया गया है।

 
कैंसर के लिए-
 

कई रिसर्च रिपोर्टों में यह माना गया है कि आर्गन ऑयल में पाए जाने वाले टोकोफेरोल्स, कैंसर के विकास को कम करते हैं। इसके अलावा आर्गन ऑयल में मौजूद साइटोटॉक्सिक, कैंसर सेल को फैलने से रोकता है। इसलिए कहा जाता है कि आर्गन ऑयल कैंसर के लिए भी लाभकारी होता है।

 
नाखून-
 

ऐसा माना जाता है कि आर्गन ऑयल नाखूनों के चिटकने और टूटने की दिक्कतों को कम करता है। क्योंकि आर्गन ऑयल में टोकोफेरॉल नामक तत्व पाया जाता है। जोकि एक प्रकार का विटामिन-ई होता है, जो नाखून को स्वस्थ रखने का काम करता है। इसलिए नाखूनों के लिए आर्गन ऑयल को अच्छा माना जाता है। 

 
त्वचा के लिए आर्गन ऑयल के फायदे-
 

आर्गन ऑयल त्वचा संबंधी कई समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। जोकि इस प्रकार हैं:

 
मॉइस्चराइजर और बेहतर त्वचा के लिए-
 

आर्गन ऑयल में तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो त्वचा पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। आर्गन ऑयल का इस्तेमाल करने से लंबे समय तक त्वचा में नमी रहती है। इसी कारण कई मॉइस्चराइज क्रीमों में भी बढ़े स्तर पर आर्गन ऑयल का प्रयोग किया जाता है।

 
कैसे करें उपयोग?
 
  • आर्गन ऑयल का इस्तेमाल ड्रेसिंग के तौर पर करें।
  • इसका इस्तेमाल सीधे त्वचा पर भी किया जा सकता है।
मुंहासों के लिए-
 

आर्गन ऑयल मुंहासों को दूर करने का एक अच्छा घरेलू उपाय है। आर्गन ऑयल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मुंहासों से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। परंतु यह इसका प्रयोग हर तरह की त्वचा को सूट नहीं करता। इसलिए प्रयोग से पहले पैच टेस्ट (एक प्रकार का एलर्जी परीक्षण) जरूर करें।

 
कैसे करें उपयोग?
 
  • एक से दो चम्मच आर्गन तेल को नारियल तेल में मिलकर हल्का गर्म कर लें।
  • अब इसे मुंहासों से प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
एंटी एजिंग (बुढ़ापा विरोधी)-
 

आर्गन ऑयल में एंटी-एजिंग प्रभाव पाया जाता है। जो त्वचा की झुर्रियों को हटाने में मदद करता है। दरअसल, उम्र बढ़ने पर त्वचा की नमी कम होती है। जिसके कारण चेहरे पर झुर्रियां दिखने लगती है। ऐसे में आर्गन ऑयल का इस्तेमाल स्किन में फिर से जान डालने का काम करता है।

 
कैसे करें उपयोग?
 

आर्गन ऑयल को सीधे त्वचा पर लगाया जा सकता है।

 
स्ट्रेच मार्क्स के लिए-
 

आर्गन ऑयल के इस्तेमाल से स्ट्रेच मार्क्स को हटाने में मदद मिलती है। साथ ही यह त्वचा को मॉइस्चराइजर भी देता है।

 
कैसे करें उपयोग?
 
  • पहले आर्गन ऑयल को हल्का गर्म करें।
  • अब इससे स्ट्रेच मार्क्स वाले हिस्से की थोड़ी देर मालिश करें।
घाव भरने में-
 

कहीं पर चोट लगने या घाव होने पर आर्गन ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि आर्गन ऑयल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो चोट और घाव को जल्दी भरने में मदद करते हैं।  

 
कैसे करें उपयोग?
 
  • पहले आर्गन ऑयल को हल्का गर्म करें।
  • अब इसे घाव या चोट वाली जगह पर लगाएं।
पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet rays) से सुरक्षा-
 

आर्गन तेल में फ्री फैटी एसिड और टोकोफेरॉल गुण होता है। इन्हीं गुणों के कारण यह तेल स्किन को पराबैंगनी किरणों से बचाता है।

 
कैसे करें उपयोग?
 

घर से बाहर जाते समय स्किन पर आर्गन ऑयल लगाकर जाएं। 

 
बालों के लिए आर्गन ऑयल के फायदे-
 

आर्गन ऑयल बालों को कितनी तरह से फायदा पहुंचाता है। आइए जानते हैं :

 
कंडीशनर की तरह-
 

आर्गन ऑयल को बालों पर कंडीशनर की तरह इस्तेमाल करने से बाल क्षतिग्रस्त होने से बचते हैं। और उनकी नमी भी बरकरार रहती है। क्योंकि आर्गन ऑयल में विटामिन-ई, फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। जो बालों की सेहत का पूरा ध्यान रखते हैं।

 
कैसे करें उपयोग?
 
  • आर्गन ऑयल की कुछ बूंदों को हाथों पर लें।
  • अब हाथों पर ली गई बूंदों को बालों पर लगाकर अच्छे से चंपी करें।
एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव-
 

आर्गन ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होता है। जो हीलिंग और बालों की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में सहायता करता है। जिससे बालों के विकास में मदद मिलती है।

 
स्कैल्प (खोपड़ी) के लिए मॉइस्चराइजर-
 

आर्गन ऑयल में एंटीऑक्सीडेंट और टोकोफेरोल्स पॉलीफेनोल की उच्च मात्रा होती है। जो बालों को मॉइस्चराइजर देने का काम करते हैं।

 
कैसे करें उपयोग?
 

स्नान करने के बाद आर्गन ऑयल की कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर बालों पर अच्छे से लगाएं।

 
बाल झड़ना-
 

आर्गन ऑयल को टोकोफेरोल्स (एक तरह का विटामिन-ई) का अच्छा स्रोत माना जाता है। और विटामिन-ई बालों को गिरने और झड़ने से रोकता है। साथ ही बालों की मजबूती में भी सहायता प्रदान करता है।

 
कैसे करें उपयोग?
 
  • रात को सोने से पहले आर्गन ऑयल को हल्का गर्म करके बालों में लगाएं।
  • अगली सुबह बालों को अच्छे से शैम्पू करें।
आर्गन ऑयल के नुकसान:
  • आर्गन ऑयल के प्रयोग से वैसे तो कोई नुकसान नहीं होता लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है।
  • आर्गन ऑयल में विटामिन-ई उच्च मात्रा में पाई जाती है। इसलिए इसका अधिक सेवन करने से डायरिया (दस्त) और मतली जैसी समस्या उतपन्न हो सकती हैं।
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बादाम तेल के फायदे और नुकसान

Posted 24 May, 2022

बादाम तेल के फायदे और नुकसान

अक्सर सुनने को मिलता है कि बादाम शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है। इसके सेवन से शरीर को ताकत और याददाश्त में बढ़ोतरी होती है। लेकिन बादाम के विषय में यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि बादाम का तेल का भी शरीर के लिए उतना ही अच्छा होता है, जितना कि बादाम। क्योंकि बादाम और इसके तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यूनिटी-बूस्टिंग जैसे कई गुण होते हैं। जो शरीर की  त्वचा से लेकर आंतरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। बादाम का तेल अन्य तेलों की तुलना में काफी हल्का होता है। जिसके कारण इसका इस्तेमाल रसोई घर में भी किया जाता है। बादाम के तेल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन-ई, पोटैशियम, जिंक और प्रोटीन जैसे कई जरुरी तत्व उच्च मात्रा में होते हैं।

 

बादाम तेल कड़वा और मीठा दो तरह का होता है। बादाम के कड़वे तेल में एमिगाडलिन मौजूद होता है। जो प्रसंस्करण (Processing) के बाद एक तरह के हानिकारक हाड्रोजन सायनाइड (HCN) में बदल जाता है। इस कड़वे तेल में औषधीय तत्व तो मौजूद होते हैं, पर इसको खाया नहीं जाता। इसका प्रयोग कुछ विशेष जरूरतों के लिए ही किया जाता है। इसके विपरित बादाम का मीठा तेल अपने औषधीय गुणों के कारण ही खाने योग्य होता है अथार्त उसको खाया जा सकता है। यह तेल बाल और चेहरे के लिए भी काफी लाभप्रद होता है। इसके अतिरिक्त मीठे तेल को भोजन बनाने के लिए भी इस्तेमाल में लाया जाता है।

 
बादाम तेल के फायदे;
 
ह्रदय स्वास्थ्य-
 

बादाम तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैट (Monounsaturated fats) पाया जाता है। जो शरीर के एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) को कम और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (अच्छे कोलेस्ट्रॉल) को बढ़ाता है। इससे ह्रदय रोग का जोखिम कम होता है।

 
पाचन स्वास्थ्य-
 

बादाम तेल पाचन स्वास्थ्य को अच्छा बनाता है। इसका सेवन आंत संबंधित क्रियाओं को बेहतर करता है। यह इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (पेट दर्द, कब्ज, डायरिया आदि) को ठीक करता है। इसलिए बादाम तेल को पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा कहा जाता है।

 
कब्ज-
 

बादाम तेल कब्ज, पेट में दर्द, मल संबंधी परेशानी जैसे इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है। इसके लिए सोने से पहले एक गिलास हल्के गर्म दूध में दो से तीन चम्मच बादाम तेल डालकर पीना चाहिए। इससे मल त्यागने में होने वाली परेशानियों से राहत मिलती है।

 
आंखों के लिए फायदेमंद-
 

बादाम का तेल आंखों के लिए भी अच्छा होता है। बादाम तेल में विटामिन-ई होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरुरी होता है। इसके अलावा इसमें अल्फा टोकोफेरॉल (alpha-tocopherol) नामक विटामिन-ई भी होता है। जो बूढ़ी आंखों की रोशनी और सेहत का अच्छे से ख्याल रखता है। आंखों के लिए बादाम तेल को सेवन के रूप में, आंखों के आस-पास मसाज के रूप में, किसी अन्य तेल के साथ मिलाकर आंखों में आई-ड्रॉप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

 
बालों का स्वास्थ्य-
 

बालों को स्वस्थ रखने के लिए बादाम तेल एक अच्छा विकल्प हैं। बादाम तेल को बालों की जड़ों में लगाकर चंपी करने से बालों में चमक आती है। चूंकि बादाम तेल हल्का होता है तो इसके इस्तेमाल से स्कैल्प (खोपड़ी) के छिद्र भी बंद नहीं होते और बालों का विकास भी निरंतर बढ़ता है।

 
कान का संक्रमण-
 

बादाम तेल कान के मैल (Earwax) को बाहर निकालने में भी मदद करता है। इसके लिए कान में सहने योग्य गर्म डालें। जिससे कान का मैल नरम होकर फूल जाता है। जिसे बाद में निकालना आसान हो जाता है और कान को संक्रमण से बचाया जा सकता है।

 
काले घेरे-
 

बादाम का तेल आंखों के नीचे पड़ने वाले काले घेरे (Dark circles) को कम करने में मदद करता है। इसके लिए बादाम तेल की दो-तीन बूंदों को आंखों के नीचे लगाकर हल्की मसाज करें। ऐसा करने से काले घेरों से जल्द छुटकारा मिलता है। दरअसल बादाम स्किन लाइटनिंग और विटामिन-ई जैसे गुणों से भरपूर होता है। और विटामिन-ई डार्क सर्कल को ठीक करने का काम करता है।

 
दमकती त्वचा (Glowing skin)-
 

बादाम तेल में त्वचा में निखारने लाने और उसको जीवंत रखने की क्षमता होती है। बादाम तेल में मौजूद इमोलिएंट और स्केलेरोसेंट गुण चेहरे की रंगत में सुधार लाते हैं। इसलिए बादाम तेल को दमकती त्वचा के लिए अच्छा कहा जाता है। इसके अतिरिक्त बादाम तेल को चोट और स्किन के अन्य निशानों को कम करने के लिए भी उपयोगी माना जाता है।

 
सोरायसिस और एक्जिमा में सहायक-
 

त्वचा के लिए बादाम तेल का इस्तेमाल सोरायसिस (Psoriasis) और एक्जिमा (Eczema) जैसी त्वचा संबंधी गंभीर समस्याओं के लिए किया जाता है। सोरायसिस एक त्वचा रोग है। जिसमें त्वचा पपड़ीदार और लाल हो जाती है। कभी-कभी ऐसी त्वचा में दर्द और सूजन भी होने लगती है। वहीं, एक्जिमा त्वचा पर पड़ने वाले लाल धब्बों और चकत्तों को कहा जाता है

 
अरोमाथेरेपी-
 

अरोमाथेरेपी हेतु बादाम तेल का प्रयोग करना सुखद अनुभूति देता है। इसके अतिरिक्त दिन में दो बार बादाम तेल का इस्तेमाल करने से नींद की गुणवत्ता और अवधि में सुधार होता है और थकान भी कम होती है। बादाम तेल का उपयोग राइनो कंजक्टिवाइटिस (बहती नाक, छींक, लाल आंखें आदि) में भी लाभ देता है।

 
नवजात को होने वाले क्रैडल कैप में सहायक-
 

शिशु के सिर पर जमने वाली परत को क्रैडल कैप (Cradle Cap) बोला जाता है। बच्चे को इससे आराम दिलाने के लिए बादाम तेल एक अच्छा विकल्प साबित होता है। क्योंकि बादाम तेल में शुष्क त्वचा को ठीक करने वाले गुण होते हैं। इसलिए क्रैडल कैप की परेशानी को कम करने के लिए भी इसको अच्छा माना जाता है। बादाम तेल का इस्तेमाल करने से सिर पर जमने वाली परतदार त्वचा मुलायम होती है। क्रैडल कैप के विषय में कहा जाता है कि यह समस्या बच्चों को सिर्फ एक निश्चित उम्र तक ही होती है। एक उम्र के बाद यह खुद ही ठीक हो जाती है।

 
बादाम तेल के नुकसान-
  • बादाम तेल का अधिक सेवन शरीर में विटामिन-ई की मात्रा को बढ़ता है। जिससे चक्कर आना, डायरिया (दस्त), आंखों में धुंधलापन और कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • बादाम तेल में काफी मात्रा में कैलोरी मौजूद होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन वजन को बढ़ा भी सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं को बादाम तेल का सेवन कम करना चाहिए। क्योंकि इसका अधिक सेवन निर्धारित समय से पहले प्रसव का कारण बनता है।
  • बादाम तेल रक्त में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। इसलिए मधुमेह के मरीजों इसका सेवन कम या डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।
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अरंडी का तेल: उपयोग और लाभ

Posted 25 May, 2022

अरंडी का तेल: उपयोग और लाभ

अरंडी ( कैस्टर ऑयल ) या एरंड यह एक वानस्पतिक तेल है, जिसे अरंडी के बीजों से निकाला जाता है। इस तेल का सबसे ज्यादा प्रयोग औषधी के रूप में होता है। इसके अलावा यह कई प्रकार के घरेलू व व्यावसायिक कार्यों में भी लाभदायक है। इसका तेल त्वचा संबंधित रोगों से लेकर महिलाओं से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं में उपयोगी होता है। पेट दर्द, पीठ दर्द, कब्ज और सिरदर्द जैसी समस्याओं के लिए भी लोग इस तेल का पारंपरिक औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं।

 

कहां से प्राप्त होता है अरंडी का तेल?

 

इसका पौधा (रिसीनस कम्युनिस) फूलों की प्रजाति का पौधा होता है। इसकी फलियों से इसका तेल प्राप्त किया जाता है। जिसका इस्तेमाल साबुन बनाने, कॉस्मेटिक सामान बनाने, परफ्यूम बनाने, खाद्य तेल बनाने आदि के लिए किया जाता है। वैश्विक तौर पर इसका उत्पादन मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के गुजरात में किया जाता है।  भारत के अलावा दक्षिण-पूर्वी भूमध्य सागर और पूर्वी अफ्रीका में इसका उत्पादन होता है।

 

अरंडी तेल के फायदे:

 

औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसका तेल बालों व त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

 

बालों के लिए अरंडी तेल का उपयोग-

 

इसके तेल को बालों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है। बाजार में यह आसानी से उपलब्ध होता है। इसका उपयोग न सिर्फ बालों के बढ़ने में सहायक है, बल्कि यह डैंड्रफ (रूसी) को दूर करने में भी मदद करता है। इसके अलावा अरंडी का तेल पलकों (आईलैशेज) को खूबसूरत और घना बनाने में भी सहायक होता है।

 

चेहरे और त्वचा के लिए अरंडी तेल का उपयोग–

 

इसका तेल मुंहासों के लिए भी लाभकारी होता है। दरअसल, इसमें मौजूद रिसिनोलिक एसिड मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को रोकने में मदद करते हैं, जिससे मुंहासों की समस्या दूर होती है। वहीं, इसके सही उपयोग से चेहरे की रंगत में निखार आता है।

 

अरंडी तेल का औद्योगिक उपयोग–

 

उद्योग जगत में इसका उपयोग ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने, पेंट का निर्माण करने, साबुन बनाने, चिपकाने वाले पदार्थ जैसे- फेविकॉल, लुब्रिकेंट आदि के निर्माण में भी किया जाता है। इसमें रेचक (Purgative) और चिकनाई होती है, जिसके कारण औषधीय निर्माण में भी इसका व्यापक प्रयोग होता है।

 

अरंडी तेल के नुकसान:

 

उल्टी होना–

 

इसका अत्याधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी की समस्या हो सकती है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।

 

दस्त लगना–

 

इस तेल में प्राकृतिक विरेचक (लैक्सटिव) गुण होता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए तेल का अधिक मात्रा में सेवन करना दस्त की दिक्कत पैदा कर सकता है।

 

पेट में मरोड़ पड़ना–

 

अरंडी के तेल में रिसिन नामक विषैला तत्व पाया जाता है। हालांकि यह तेल जिस ताप प्रक्रिया से हो कर गुजरता है उससे रिसिन काफी हद तक निष्क्रिय हो जाता है। जिसके बाद तेल सुरक्षित रूप से उपयोग करने योग्य बन जाता है। किंतु इस तेल की अत्याधिक मात्रा पेट में मरोड़ पैदा कर सकती है।

 

गर्भपात–

 

गर्भावस्था के दौरान अरंडी के तेल का सेवन न करें। क्योंकि यह गर्भपात का जोखिम बढ़ा सकता है ।

 
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जोजोबा तेल

Posted 25 May, 2022

जोजोबा तेल

यूं तो विश्व में हर एक जगह पर कई प्रकार के पेड़-पौधे देखने को मिलते हैं। जिनमें से बहुत से स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे होते हैं। वहीं, कुछ पेड़-पौधे ऐसे भी होते हैं, जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते या कह लो उनसे ज्यादा लोग परिचित नहीं होते। उन्हीं पेड़-पौधों में एक नाम है जोजोबा, जो औषधीय गुणों से भरपूर होने के बावजूद भी ज्यादा लोगों तक अपनी पहचान नहीं बना पाया। इस लेख के माध्यम से आज हम आपको बताएंगे क्या है जोजोबा तेल और उसके फायदे।

 

क्या है जोजोबा? और आयुर्वेद में इसका महत्व-

 

जोजोबा का हिंदी नाम होहोबा और साइंटिफिक नाम सिमोन्डशिया कैलीफोर्निका है। आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। जिस वजह से इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए किया जाता है। जोजोबा का प्रयोग सबसे ज्यादा तेल के रूप में होता है। क्योंकि इसके तेल में विटामिन-बी, विटामिन-ई, आयोडीन, कॉपर, क्रोमियम और सेलेलियम जैसे अनेक प्रकार के तत्व होते हैं, जो त्वचा का रूखापन हटाकर उसे गोरा और मुलायम बनाते हैं। साथ ही बालों को मजबूत और खूबसूरत बनाने का काम करते हैं।

 

अन्य तेलों की अपेक्षा जोजोबा तेल में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम होता है, जिसके कारण इसके तेल पर अधिक तापमान का कम फर्क पड़ता है। परिणामस्वरूप यह तेल लंबे समय तक खराब नहीं होता। इसके तेल में कोई भी फैटी एसिड नहीं होता। हालांकि इसमें ओलिक एसिड, इकोसेनोइक एसिड, इरोकिक एसिड, स्टीयरिक एसिड, पॉलीमेटिक एसिड, नर्वोनिक एसिड, पामेटोलिक एसिड आदि होते हैं। पर इन सबके अपने एंटीऑक्सीडेंट, एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव भी होते हैं, जो इस तेल को लाभदायक बनाते हैं।

 

जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल-

 

जोजोबा तेल का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। कुछ लोग इस तेल का इस्तेमाल मालिश के लिए करते हैं तो अधिकांश महिलाएं इसे मेकअप रिमूवर और कंडीशनर के रूप में इस्तेमाल करती हैं। वहीं, कुछ लोग इस तेल का उपयोग स्किन क्लीनर, होंठ बाम और फेस मास्क के रूप में भी करते हैं।

 

इसके तेल को खाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसका इस्तेमाल केवल बालों और त्वचा की खूबसूरती बनाए रखने के लिए किया जाता है। क्योंकि यह एक सामयिक (एक निश्चित समय तक इस्तेमाल होने वाला) तेल होता है, इसलिए जरूरी नहीं कि यह तेल सभी को सूट करें। इसलिए इस तेल का पहली बार इस्तेमाल करते समय अच्छी तरह से जांच कर लें। इसके अलावा जोजोबा तेल को हमेशा बच्चों से दूर रखें।

 

त्वचा के लिए जोजोबा ऑयल के फायदे:

 

जोजोबा तेल में तमाम तरह के पोषक तत्व होते हैं, जिस वजह से यह स्किन के लिए फायदेमंद होता है। चलिए जानते हैं स्किन के लिए इस तेल के फायदे-

 

रूखापन को दूर करने में मददगार–

 

त्वचा पर जोजोबा तेल लगाने के बाद किसी दूसरे मॉइश्चराइजर की आवश्यकता नहीं पड़ती। क्योंकि इसमें नैचुरल तेल सीबम (sebum) मौजूद होता है, जो त्वचा को गहराई तक मॉइश्चराइजर देने का काम करता है। साथ ही रूखेपन से छुटकारा भी दिलाता है। जोजोबा तेल त्वचा के ऊपर एक परत (Layer) बनाकर धूल-मिट्टी से भी बचाता है।

 

त्वचा विकारों को कम करने में सहायक-

 

जोजोबा ऑयल में एंटी-बैक्टीरियल गुण के साथ एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण भी मौजूद होते हैं, जो त्वचा की लालिमा, एक्जिमा और एडिमा जैसी बीमारियों को दूर करते हैं। स्किन डिसऑर्डर को दूर करने में भी जोजोबा तेल लाभदायक साबित होता है।

 

सूजन को कम करने में कारगर–

 

स्किन पर जोजोबा ऑयल लगाने से स्किन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। इस तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इस तेल में घावों को शीघ्र ठीक करने की ताकत भी होती है।

 

स्किन इंफेक्शन से बचाव-

 

जोजोबा ऑयल में विटामिन-ई और कई ऐसे एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो त्वचा के घावों को तेजी से भरते हैं और नई कोशिकाओं के निर्माण में सहायता करते हैं। इसके अलावा जोजोबा तेल में कुछ ऐसे एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाएं जाते हैं, जो त्वचा को इंफेक्शन से बचाने का काम करते हैं।

 

मजबूत स्किन कोशिकाएं–

 

जोजोबा तेल लगाने से त्वचा की कोशिकाएं मजबूत होती हैं। इस तेल की मदद से त्वचा अपने ऊपर हाइड्रेटिंग (Hydrating) परत बना लेती है, जो कोशिकाओं को कमजोर होने से बचाती है। इसके अतिरिक्त जोजोबा तेल बहारी तत्वों से भी स्किन को प्रोटेक्शन देने का काम करता है।

 

सनबर्न से बचाव-

 

गर्मियों के दिनों में चेहरे और त्वचा पर तेज धूप पड़ने से सनबर्न (Sunburn) एवं टैनिंग की समस्या होने लगती है। ऐसे में जोजोबा तेल का इस्तेमाल करना चेहरे और त्वचा के लिए अच्छा होता है। क्योंकि जोजोबा तेल में विटामिन-ई और विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स मौजूद होते हैं, जो त्वचा को बिना कोई क्षति पहुचाएं धूप की कालिमा (सनबर्न) के इलाज में मदद करते हैं।

 

कील-मुंहासों से छुटकारा-

 

जोजोबा ऑयल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो कील-मुंहासों, झुर्रियों, चेहरे पर काले धब्बे एवं निशान आदि को खत्म करते हैं। इसके अलावा तेल मे मौजूद एंटीऑक्सीडेंट यौगिक त्वचा को लचीला बनाकर उसमे चमक लाने का काम करते हैं।

 

मेकअप रिमूवर-

 

मेकअप को अधिक समय तक चेहरे पर लगाकर रखना नुकसानदायक होता है। क्योंकि मेकअप प्रोडक्ट में केमिकल्स होते हैं, जो स्किन को डैमेज कर सकते हैं। इसलिए मेकअप को अच्छी तरह से चेहरे से हटाने के लिए जोजोबा ऑयल बहुत ही अच्छा विकल्प है। इस तेल को क्लींज़र के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

 

स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा-

 

जोजोबा ऑयल प्रेग्नेंसी और मोटापे के कारण शरीर पर पड़ने वाले स्ट्रेच मार्क्स (Stretch marks) से बचाव करता है। दरअसल, बदलते हॉर्मोन और रूखी त्वचा के कारण स्ट्रेच मार्क्स की समस्या पैदा होती है। ऐसे में जोजोबा ऑयल का प्रयोग त्वचा को पोषण देता है और स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा दिलाता है।

 

बढ़ती उम्र का असर कम करना-

 

जोजोबा तेल त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाकर नई कोशिकाओं का निर्माण कराता है, जो उम्र बढ़ने पर चेहरे को बेरंग होने से बचाती हैं। इस तेल के इस्तेमाल से बढ़ती उम्र का प्रभाव भी कम दिखाई पड़ता है। आयुर्वेद में इस गुण को जोजोबा ऑयल का सबसे असरदार और अच्छा गुण माना जाता है।

 

बालों के लिए जोजोबा ऑयल के फायदे:

 

विटामिन-ई को बालों की खूबसूरती और ग्रोथ के लिए अच्छा माना जाता है। जोजोबा तेल से बालों को विटामिन-ई और विटामिन-बी भरपूर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त जोजोबा तेल से बालों की मालिश करने से उन्हें तमाम तरह के पोषक तत्व मिलते हैं। आइए जानते हैं बालों के लिए इस तेल के फायदे-

 

स्कैल्प साफ करने में मददगार-

 

बालों की आधी से ज्यादा समस्याएं स्कैल्प (खोपड़ी) के गंदा रहने के कारण होती हैं। इसी से सिर पर रूसी और गंदगी जमा होने लगती है, कारणवश सिर के रोम छिद्र बंद होने लगते हैं और बालों से जुड़ी समस्या पैदा होने लगती हैं। ऐसे में जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल करना, स्कैल्प को साफ करता है और बालों को लाभ पहुंचाता है।

 

बालों की वृद्धि-

 

जोजोबा ऑयल के इस्तेमाल से सर में रक्त परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) और रोम छिद्रों में सुधार होता है, जो बालों के विकास को बढ़ाता है।

 

चमकदार बाल-

 

विटामिन-ई और विटामिन-बी से बालों की चमक बढ़ती है, जोकि जोजोबा तेल में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। असल में यह तेल बालों पर एक सीरम की तरह काम करता है और हेयर क्यूटिकल्स (कटे हुए बाल) को पोषण देकर बेजान बालों को चमकदार बनाता है।

 

मुलायम और रेशमी बाल-

 

जोजोबा ऑयल के पौष्टिक गुण सूखे बालों को पोषण देकर सर की खुजली को दूर करते हैं। जिससे बाल मुलायम और रेशमी बनते हैं।

 

कंडीशनर के तौर पर इस्तेमाल-

 

जोजोबा ऑयल का इस्तेमाल कंडीशनर की तरह भी किया जाता है। यह उलझे हुए बालों को सुलझाने में मदद करता है और उन्हें प्रोटीन एवं मॉइश्चराइजर भी प्रदान करता हैं। अच्छे परिणाम पाने के लिए गीले बालों पर जोजोबा ऑयल की हल्की मालिश करना लाभदायक होता है।

 

डीप और पुनर्जीवित कंडीशनिंग-

 

जोजोबा तेल बालों की जड़ों में जाकर जड़ों को स्वस्थ और पुनर्जीवित रखने का काम करता है।

 

घने और लंबे बाल-

 

बालों को घना और लंबा बनाने लिए जोजोबा ऑयल बहुत लाभदायक है। इसके प्रयोग के बाद बाल कम झड़ते हैं। क्योंकि यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाने का काम करता है।

 

रक्त परिसंचरण में सुधार-

 

बालों के रोम छिद्रों में सूक्ष्म परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) का सुधार करने के लिए जोजोबा तेल बेहतर विकल्प है। जिससे बाल मजबूत एवं घने बनते हैं।

 

निष्कासन या रोक-

 

जोजोबा ऑयल बालों के छोर (किनारे) और जड़ों को पोषण प्रदान करता है, जो सर में शुष्क, भंगुर और रूखी त्वचा को बढ़ने से रोकता है।

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सूरजमुखी तेल के औषधीय गुण और फायदे

Posted 17 March, 2022

सूरजमुखी तेल के औषधीय गुण और फायदे

सूरजमुखी एक फूल है। जिसकी खास बात यह है कि यह सूरज की दिशा के साथ चारों तरफ घूमता रहता है। इसीलिए इसका नाम सूरजमुखी है। यह एक प्रमुख तिलहन है। सूरजमुखी फूल कड़वे और ठंडे तासीर के होते हैं। सूरजमुखी के बीज में विटामिन बी-1, बी-3, बी-6, प्रोटीन, मैग्निशियम और फॉस्फोरस जैसे बहुत सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इन सभी गुणों के कारण आयुर्वेद में कई तरह की औषधियों को बनाने  के लिए सूरजमुखी का प्रयोग किया जाता है। सूरजमुखी का वानस्पतिक नाम ‘हेलियनथस एनस’ (Helianthus annuus) है। 

 
सूरजमुखी का तेल-
 

सनफ्लावर ऑयल को हिंदी में ‘सूरजमुखी तेल’ के नाम से जाना जाता है। सूरजमुखी का तेल इसके बीज के अर्क से बनता है। इसका उपयोग खाना पकाने के साथ कॉस्मेटिक फॉर्मूलेशन के रूप में भी किया जाता है। सनफ्लावर ऑयल में प्रमुख तौर पर लिनोलिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा ओलिक और पाल्मिक एसिड भी इसमें मौजूद होते हैं। इनके अतिरिक्त इसमें कैरोटीनॉड्स, टोकोफेरोल, लेसिथिन और विटामिन-ए, विटामिन-डी तथा विटामिन-ई की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। सूरजमुखी तेल का उपयोग करने से स्वस्थ्य हृदय, मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली, स्वस्थ्य त्वचा, कैंसर को रोकने, हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने, अस्थमा के खिलाफ रक्षा और सूजनरोधी आदि लाभ प्राप्त होते हैं। 

 
सूरजमुखी के तेल के फायदे

कोलेस्ट्रॉल को सामान्य करता है सनफ्लावर ऑयल-

 

सूरजमुखी तेल में लिनोलिक एसिड (एक ओमेगा-6 फैटी एसिड) की पर्याप्त मात्रा के साथ फैटी एसिड की संतुलित मात्रा पाई जाती है। हालांकि, ओमेगा-6 फैटी एसिड को आमतौर पर ‘खराब’ कोलेस्ट्रॉल माना जाता है, फिर भी यह शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। ऐसे में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (ओमेगा-3 एस) और खराब कोलेस्ट्रॉल का स्वस्थ संतुलन बनाने में सनफ्लावर ऑयल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, सनफ्लावर ऑयल में कोई संतृप्त वसा (Saturated Fat) नहीं होती है। यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

 
स्वस्थ ह्रदय के लिए लाभदायक है सनफ्लावर ऑयल-
 

सूरजमुखी तेल के प्रयोग से ‘एथेरोस्क्लेरोसिस’ (धमनियों का सख्त होना) के विकास का जोखिम कम हो जाता है। एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण धमनियां अवरुद्ध होती है, रक्तचाप बढ़ जाता है और दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। सनफ्लावर ऑयल का उचित उपयोग हृदय को स्वस्थ्य रखने में लाभदायक होता है। 

 
त्वचा के लिए उपयोगी है सूरजमुखी तेल-

सूरजमुखी तेल विटामिन-ई से भरपूर होता है। यह विशेष रूप से त्वचा के बेहतर स्वास्थ्य और कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में सहायता करता है। यह त्वचा को सूरज से होने वाली क्षति से बचाने के साथ बढ़ती उम्र के लक्षणों को भी कम करता है। विटामिन ई एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो मुक्त कणों को बेअसर करके स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करने से रोकता है। यह एक प्रमुख कारण है, जिस वजह से कॉस्मेटिक उत्पादों में सूरजमुखी तेल का उपयोग किया जाता है।

 
मुंहासों को कम करने में फायदेमंद है सनफ्लावर ऑयल-  
 

सूरजमुखी के तेल में विटामिन-ए, सी और डी तथा स्वस्थ कैरोटीन पाए जाते हैं, जो त्वचा पर सुरक्षा हेतु एक कवच बनाकर मुहांसों से बचाव करते हैं। हल्का और गैर-चिकना होने के कारण सनफ्लावर ऑयल बिना त्वचा के छिद्रों को अवरुद्ध किए, आसानी से त्वचा में अवशोषित हो जाता है। इसमें पाए जाने वाले फैटी एसिड और विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट्स के रूप में त्वचा कोशिकाओं को नया जीवन प्रदान कर मुंहासों से छुटकारा दिलाते हैं। 

 
गठिया का उपचार करता है सूरजमुखी तेल-
 

सनफ्लावर ऑयल न केवल अस्थमा बल्कि गठिया को कम करने में भी लाभकारी पाया गया है। गठिया रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी यह तेल बहुत ही अच्छा समाधान है। इसके अलावा सूरजमुखी तेल रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) की रोकथाम में मदद करता है।

 
प्रतिरक्षा क्षमता को मजबूत बनाता है सूरजमुखी तेल- 
 

सूरजमुखी का तेल विटामिन-ई से परिपूर्ण होता है। यह शरीर में एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है। जिससे हृदय रोग को रोकने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद मिलती है। 

 
सूरजमुखी के तेल के नुकसान
  • सनफ्लावर ऑयल में अन्य वनस्पति तेलों की तुलना में ओमेगा-6 की मात्रा अधिक होती है। इस कारण यह कोलेस्ट्रॉल की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकता है। 
  • ‘एस्टेरेसी / कम्पोजिटी’ पौधों की प्रजाति के प्रति संवेदनशील लोगों को सनफ्लावर ऑयल से एलर्जी हो सकती है।
  • इसमें ओमेगा-6 फैटी एसिड पाया जाता है, जिसका अधिक सेवन गर्भवती महिलाओं को नुकसान दे सकता है। 
  • सनफ्लावर ऑयल का अधिक सेवन रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाकर डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है। 
  • इसमें पाए जाने वाला प्लाज्मा कोलेस्ट्रोल, लिनोलिक एसिड और खराब कोलेस्ट्रोल को बढ़ाकर टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है।  
 
 
कहां पाया जाता है सूरजमुखी?
 

सूरजमुखी की खेती सबसे पहले अमेरिका में की गई थी। सूरजमुखी के तेल का सबसे अधिक उत्पादन रूस, अमरीका, यूक्रेन, अर्जेंटीना, स्वीडन और भारत में किया जाता है। भारत में सूरजमुखी लगभग सभी जगह पाए जाते हैं।

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जैतून का तेल

Posted 17 March, 2022

जैतून का तेल

हर घर में सामान्य रूप से ओलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। जैतून का तेल सेहत के लिए अच्छा होने के साथ कई औषधीय गुणों से भी युक्त है। पहले लोग इस तेल का उपयोग भोजन बनाने में करते थे। लेकिन इसके अन्य गुणों के बारे में पता लगने के बाद आजकल इसका उपयोग हेल्थ केयर प्रोडक्ट, बालों के लिए, स्किन केयर और कई अन्य चीजों के लिए हो रहा है।

 
क्या है जैतून का तेल ?

जैतून एक प्रकार का औषधीय पेड़ है। जिसका वानस्पतिक नाम ओलिया यूरोपा है। लोग इसके फलों और बीजों से तेल, फलों के पानी से अर्क और पत्तियों का उपयोग दवा बनाने के लिए करते हैं। जैतून का तेल जैतून नामक पौधे के फलों और बीजों से भाप आसवन (Steam distillation) प्रक्रिया से तैयार किया जाता है। जैतून के तेल को अंग्रेजी में ओलिव ऑयल कहा जाता है।

 
आयुर्वेद में जैतून के तेल का महत्व
 

औषधीय गुणों से भरपूर होने के वजह से आयुर्वेद में इस तेल को उत्तम दर्जे का माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। इसमें ऐसे पोषक तत्व और खनिज पदार्थ उच्च मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए जैतून के तेल का कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसमें भोजन पकाने, शरीर की मालिश करने के लिए बॉडी ऑयल के रूप में, बालों को स्वस्थ रखने के लिए हेयर ऑयल के रूप में, सौंदर्य समस्याओं को दूर करने के लिए सीधे त्वचा पर लगाना शामिल है। 

 
जैतून के तेल का उपयोग
 
  • जैतून के तेल का इस्तेमाल खाना बनाने के रूप में किया जाता है।
  • इसका प्रयोग त्वचा, बाल या शरीर पर मालिश के रूप में किया जाता है।
  • जैतून तेल को सलाद के ऊपर छिड़कर खाया जाता है।
  • इसका सेवन ब्रेड पर लगाकर भी किया जा सकता है।
  • जैतून के तेल को हेयर पैक और फेस पैक के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जैतून तेल के प्रकार
एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल –
 

एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल बनाने के लिए ताजे फलों का प्रयोग किया जाता है। जैतून के फलों को पहली बार दबाकर जो तेल निकाला जाता है, उसे एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल कहते हैं। इस प्रक्रिया से जैतून के फलों को तोड़ने के एक दिन के अंदर ही उनका तेल निकाल लिया जाता है। यह सबसे शुद्ध तेल होता है। इस प्रकार के तेल को बनाने में किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस तकनीक में कोल्ड प्रेसिंग के जरिए तेल को निकाला जाता है। जिसमें तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं जाता। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इस तेल में एसिडिटी लेवल (अम्लता का स्तर) सबसे कम होता है, जिसकी वजह से स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों के मामलों में इसे सबसे उत्तम क़्वालिटी का तेल माना जाता है।

 
वर्जिन ओलिव ऑयल-
 

वर्जिन जैतून का तेल भी पहली बार प्रेसिंग करके तैयार किया जाता है। लेकिन इस तरह के तेल को निकालने के लिए उतने कड़े मानकों का अनुसरण नहीं किया जाता। स्वाद, खुशबू और पोषक तत्वों के मामले में यह एक्स्ट्रा वर्जिन से थोड़ा कम अच्छा होता है। इस ऑयल में एसिडिटी की मात्रा एक्स्ट्रा वर्जिन से थोड़ी अधिक हो सकती है।

 
परिष्कृत जैतून का तेल –

बजारों में इस तरह के ऑयल को प्योर, लाइट और क्लासिक जैसे नामों से बेचा जाता है। पहली बार प्रेसिंग करने के बाद जो फल बच जाते हैं, उन्हें गर्म करके या रासायनिक पदार्थो की सहायता से उनमें से तेल को पूरी तरह से निकाल लिया जाता है। जिसे रिफाइंड ओलिव ऑयल कहते हैं। परिष्कृत जैतून के तेल में अम्लीयता और फैट्स की मात्रा ज्यादा होती है। इसका स्वाद और खुशबू भी ज्यादा अच्छी नहीं होती। साथ ही इसमें पोषक तत्व और एंटी ऑक्सीडेंट्स भी कम होते हैं। इसका स्वाद, खुशबू और रंग अच्छा बनाने के लिए इसमें एक्स्ट्रा वर्जिन या वर्जिन जैतून तेल मिलाया जाता है।

 
पॉमस ओलिव ऑयल –
 

यह ओलिव ऑयल सबसे निम्न स्तर का होता है। एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव ऑयल बनाने की प्रक्रिया में जो अवशेष बच जाता है, उससे इस तेल को तैयार किया जाता है। जैतून के बीज, छिलके और गुदा से अधिक तापमान पर हेक्सेन नाम के विलायक की सहायता से तेल को अलग किया जाता है।

 
जैतून तेल के फायदे
सूजन के लिए फायदेमंद-
 

ऑलिव ऑयल में सूजन को कम करने के गुण मौजूद होते हैं। इसमें ओलियो कैंथोल होता है, जो एक एंटीइंफ्लेमेटरी दवा की तरह काम करता है। जो मुख्य रुप से शरीर में सूजन पैदा करने वाले एंजाइम को रोकने में सहायता करता है। इसके अतिरिक्त यह कैंसर, अल्जाइमर, ह्रदय रोग, गठिया और मधुमेह जैसी बीमारियों को भी दूर करने में मदद करता है। 

 
वजन को कम करने में सहायक-
 

ऑलिव ऑयल में उपस्थित मोनो सैचुरेटेड फैट, पेट की चर्बी और वजन को कम करने में कारगर साबित होता है। यदि सही मात्रा में इसका उपयोग किया जाए तो वजन आसानी से कम होता है। मोटापे से बचने के लिए रोजाना एक से दो चम्मच ऑलिव ऑयल का प्रत्येक सुबह सेवन करना चाहिए। 

 
बालों के लिए लाभप्रद-
 

ओलिव ऑयल में फैटी एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन-ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद सभी तत्व, सूखे और क्षतिग्रस्त बालों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

 
कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक-
 

इसमें मोनो अनसैचुरेटेड फैट उचित मात्रा में होता है। जो गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बनने में मदद करता है। साथ ही इसमें पॉलीफेनॉल पाए जाने के कारण यह बैड कोलेस्ट्रॉल को (LDL) कम करता है। जैतून के तेल के प्रयोग करने से इंसान का दिल मजबूत होता है और दौरा पड़ने की संभावना में कमी आती है। 

 
कैंसर के उपचार में सहायक-
 

ओलिव ऑयल में मौजूद पॉलीफाइनल, एंटीऑक्सीडेंट्स, फ्री रेडिकल्स की वजह से होने वाले ऑक्सिडेटिव क्षति (oxidative damage) को बहुत कम कर देते हैं। जिससे शरीर में सूजन को कम करने के साथ ही कैंसर के जोखिम को भी कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए शुद्ध जैतून के तेल को एक से दो चम्मच प्रतिदिन इस्तेमाल करें। 

 
चेहरे के लिए फायदेमंद-

त्वचा की नमी के लिए ऑलिव ऑयल को एक बेहतर विकल्प माना जाता है। क्योंकि इसमें विटामिन-ए, विटामिन-ई और फैटी एसिड पाया जाता है। जिससे शरीर की त्वचा में झुर्रियों का बनना कम होता है। साथ ही यह चेहरे पर पड़ने वाली लाइंस को भी रोकता है। 

 
उच्च रक्तचाप में मददगार-
 

ऑलिव ऑयल की मदद से उच्च रक्तचाप (Hypertension) को नियंत्रित किय जाता है। जैतून का तेल खाने में इस्तेमाल करने से शरीर के रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। जिससे रक्तचाप की समस्या को दूर होती है। 

 
हड्डियों को मजबूत बनाने में-
 

जैतून के तेल में बना भोजन खाने से या इसके तेल से मालिश करने से शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं। इस तेल में ओएसटोकलसिन की मात्रा ज्यादा होती है। जो हड्डी को बनाने वाला कोशिकाओं (cells) को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होता है।  

 
दिमाग के लिए फायदेमंद –

दिमाग की सबसे सामान्य बीमारी अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) की रोकथाम के लिए ओलिव ऑयल बेहद उपयोगी है। इस बीमारी में दिमाग की सेल्स में beta amyloid plaques का निर्माण होने लगता है। लेकिन जैतून के तेल का प्रयोग ब्रेन सेल्स के इन plaques को निकालने का काम करता है। इसके अतिरिक्त जैतून के तेल में पाया जाने वाला phenolic नाम का घटक अल्जाइमर और पागलपन (Dementia) जैसी दिमाग से जुडी बिमारियों की रोकथाम करता है। ओलिव ऑयल तनाव को भी दूर करने का काम करता है।

 
मधुमेह के उपचार में सहायक- 
 

ऑलिव ऑयल का नियमित प्रयोग मधुमेह की समस्या से बचाता है। एक रिसर्च के अनुसार जिस भोजन में मोनो (mono) और पोलिसटुरटेड (polyunsaturated fats) की मात्रा अधिक हो, वैसा भोजन शरीर को मधुमेह की बीमारी से बचाता है। ओलिव ऑयल में यह फैट अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। जिसके कारण ऑलिव ऑयल मधुमेह से शरीर की रक्षा करता है। ओलिव ऑयल शरीर में शर्करा को नियंत्रित करता है और इन्सुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है। जिससे टाइप-2 डायबिटीज को रोकने में मदद मिलती है।

 
जैतून तेल के नुकसान और सावधानियां
  • ओलिव के मुरब्बा का सेवन गर्म पानी के साथ न करें। ऐसा करने से दस्त लगने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • जैतून का अचार बनाकर खाने से पेट में मरोड़ या कब्ज की समस्या पैदा हो सकती है।
  • ओलिव का अधिक सेवन करने पर सिर में दर्द हो सकता है।
  • जैतून के तेल का अधिक इस्तेमाल करने से चेहरे में ब्लैकहेड्स पैदा हो सकते हैं। 
  • ओलिव ऑयल का अधिक इस्तेमाल करने से रक्तचाप में कमी आ सकती है। 
  • जैतून के तेल की उच्च वसा की मात्रा, पाचन विकार का कारण बन सकती है। साथ ही यह दस्त जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को पैदा कर सकती है। 
  • ओलिव ऑयल ऑयली स्किन औऱ स्मूद त्वचा के साथ जुड़ने पर जलन, चकत्ते और लालिमा का कारण बन सकता है।
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