जानें, कुटकी के स्वास्थ्य लाभों के बारे में
2022-05-24 12:00:04
आयुर्वेद में शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए कई ऐसी जड़ी बूटिंयां शामिल हैं। जिनमें से एक कुटकी भी है। कुटकी हिमालय के क्षेत्रों में पाई जाने वाला औषधीय पौधा है। जिसका उपयोग पुरातनकाल से आयुर्वेद में औषधी के रूप में की जाती है। यह मुख्य रूप से बार-बार होने वाले बुखार, त्वचा संबंधी विकार, मधुमेह, वजन को कम करने,लिवर को स्वस्थ रखनें एवं कई अन्य समस्याओं के इलाज हेतु प्रयोग किया जाता है।
कुटकी एक औषधीय पौधा है। जो हिमालय के क्षेत्रों में 3000 से 5000 ऊंचाई पर पाई जाती है। यह आकर में छोटी और स्वाद में कड़वी एवं तीखी होती है। इसके फूल सफेद या नीले रंग के होते हैं। कुटकी की जड़ 15 से 25 सेमी लंबी एवं पत्ते 10 से 15 सेमी लंबे होते हैं। यह कफ एवं पित्त दोनों को संतुलित करती है। अपने कड़वे और तीखेपन की वजह से ही आयुर्वेद में कुटकी का अपना अलग स्थान है।
कुटकी के फायदे-
बुखार के इलाज में कारगर-
पित्त एवं कफ के असुंतलन के कारण शरीर में भारीपन, बुखार, सिरदर्द एवं कई अन्य तरह की परेशानी होने लगती हैं। ऐसे में कुटकी का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित होते हैं। दरअसल इसमें मौजूद एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण संक्रमण को रोकने एवं बचाने का काम करते हैं। इसके लिए 1 ग्राम कुटकी चूर्ण को 3 ग्राम चीनी में मिलाकर भोजन करने के 10 मिनट पहले दिन में दो बार सेवन करें। ऐसा करने से बुखार एवं वायरल संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है। इसके अलाव बुखार से छुटकारा पाने के लिए कुटकी से बने कैप्सूल का सेवन भी फायदेमंद होता है।
पीलिया में लाभप्रद-
कुटकी लगभग सभी प्रकार के आयुर्वेदिक दवाओं में प्रयोग की जाने वाली प्रमुख एवं उपयोगी घटक है। इसलिए यह पीलिया के इलाज में भी औषधि की तरह काम करती है। इसके लिए कुटकी के एक या दो चम्मच पाउडर को पानी के साथ सेवन करें। इसके अतिरिक्त कुटकी पाउडर,धनिया पाउडर और गुड़ को मिलाकर लड्डू बनाकर दिन में 2 बार खाएं। इससे पीलिया में लाभ मिलता है।
लिवर स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद-
कुटकी का सेवन लिवर और पेट संबंधी समस्याओं को दूर रखने एवं इसके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक होती है। दरअसल, इसमें कुटकिन या पिक्रोलिव नामक एंजाइम पाया जाता है। जो लिवर (यकृत) के कार्यों को बढ़ावा देता है। साथ ही यकृत को हानिकारक बैक्टीरिया से बचाता है। इसके अलावा पित्त संबंधी विकारों को कम करने एवं फेफड़ों को डीटॉक्स करने का भी काम करता है।
कब्ज एवं गैस को दूर करने में मददगार-
कुटकी कब्ज एवं गैस की समस्या का इलाज करने में मददगार है। इससे राहत पाने के लिए कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ दिन में 3 से 4 बार सेवन करें। ऐसा करने से यह गैस्ट्रिक रस के स्राव को बढ़ाती है। यह भूख में सुधार करती है। इस प्रकार यह पेट को मजबूत करके कब्ज एवं गैस संबंधी समस्याओं को दूर करती है।
एक्जिमा एवं रक्तविकार के इलाज में सहायक-
एक्जिमा एवं रक्त संबंधी विकार को ठीक करने के लिए कुटकी प्रभावी मानी जाती है। इसके लिए कुटकी एवं चिरयता से बने काढ़े का सेवन करें। ऐसा करने से एक्जिमा रोग ठीक हो जाता है। इसके अलावा कुटकी एवं चिरायता के चूर्ण को रात में कांच के बर्तन में रखें और उसमें पानी डालें। अब इस पानी को सुबह छानकर पी लें। ऐसा करके भी एक्जिमा एवं रक्त संबंधी विकारों को दूर किया जा सकता हैं।
सफेद दाग को ठीक करने में लाभदायक-
कुटकी का उपयोग त्वचा पर सफेद दाग (ल्यूकोडर्मा) के प्राकृतिक उपचार तौर पर किया जाता है। इसके लिए कुटकी, मंजिष्ठा, त्रिफला, वच, दारुहल्दी, गिलोय एवं नीम की छाल को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े को निरंतर सेवन करने से सफेद दाग कम होने लगता है।
गठिया में लाभप्रद-
कुटकी गठिया जैसी बीमारियों का लोकप्रिय पारंपरिक उपचार है। इसके सेवन से गठिया उभरने से रोकने में मदद मिलती है। इसमें जलन-सूजन कम करने वाले गुण होते हैं। जिससे गठिया के इलाज में मदद मिलती है। इसके लिए कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करें।
मधुमेह (डायबिटीज) के लिए-
मधुमेह के इलाज के लिए कुटकी का पौधा काफी प्रभावी साबित होता है। इसके लिए कुटकी का काढ़ा या रस नियमित रूप से सेवन करने से मधुमेह के रोगियों को लाभ मिलता है। दरअसल, कुटकी पाचन स्राव को उत्तेजित करती है। साथ ही यह शरीर के अग्नाशयी इन्सुलिन स्राव को भी उत्तेजित करती है। इसके अलावा यह ग्लाइकोजन के रूप में रक्त शर्करा के संचय में लिवर की मदद करती है। जो मधुमेह के नियंत्रण में बेहद जरुरी है।
वजन घटाने में लाभकारी-
मोटापा शरीर में चर्बी और कार्बोहाइड्रेट जमा होने के कारण होता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में मोटापा अनुवांशिक और आम होता है। इसलिए वजन को कम करने के लिए कटुकी का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए इस जड़ी-बूटी के रस पिएं। इससे पाचन में सहायता मिलती है और मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। परिणामस्वरूप एक्सट्रा फैट को बर्न करने में मदद मिलती है।
कुटकी के नुकसान-
- कुटकी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय बनाती है। इसलिए यदि किसी को पहले से मल्टीपल स्केलेरोसिस या ल्यूपस जैसी समस्याएं हो तो इस स्थिति में इसका सेवन न करें।
- चूंकि यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करती है। इसलिए समय-समय पर मधुमेह की जांच करवाते रहें।
- कुटकी का अधिक सेवन उल्टी, मतली और आदि का कारण बन सकती है।
- कुटकी का सेवन दस्त के दौरान न करें। अन्यथा परेशानियां बढ़ सकती है।
- गर्भावस्था एवं स्तनपान करने वाली माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।