जानें, आयुर्वेद में आलूबुखारा के फायदे और महत्व
2022-03-17 11:35:22
आलूबुखारा एक लोकप्रिय, स्वादिष्ट और पौष्टिक फलों में से एक है। यह गुलाब परिवार (Rosaceae) का गुठली वाला फल है। जिसे अंग्रेजी में प्लम (Plum) कहा जाता है। आमतौर पर आलूबुखारा देखने में टमाटर की तरह होता है। जिसका रंग बैगनी या लाल होता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। इस फल में खूब विटामिन, फाइबर और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जिनमें भरपूर औषधीय गुण पाए जाते हैं। आलूबुखारा खाने से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल कम होता है। साथ ही दिल दुरुस्त रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक अपनी डाइट में आलूबुखारा को शामिल करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं। इसलिए आयुर्वेद में आलूबुखारा को सेहत का खजाना बताया गया है।
आयुर्वेद में आलूबुखारा का महत्व-
औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण आयुर्वेद में आलूबुखारा का अपना अहम स्थान है। आयुर्वेद के अनुसार इसकी तासीर ठंडी होती है। आलूबुखारा में विटामिन ए, सी, बी6, फोलेट के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स जैसे पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और सेलेनियम भी पाए जाते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इनका सेवन कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। इस रूप में आलूबुखारा हृदय संबंधित रोग और अन्य बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है। इसका मुख्य घटक विटामिन ए, सी, कैरोटीनॉयड और पॉलीफेनोल है। यह सभी तत्व एक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं। जो मानव रोगों में विभिन्न औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसी कारण आलूबुखारा का उपयोग कई बीमारियों की दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है।
आलूबुखारा के फायदे-
रदय स्वास्थ्य के लिए-
आलूबुखारा उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। जिससे ह्रदय सुरक्षित रहता है। दरअसल, रक्तचाप अधिक होने से रक्त वाहिकाओं में दबाव पड़ता है, जिससे ह्रदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। इस पर किए गए शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने सूखा आलूबुखारा के (Prunes) जूस का सेवन किया उनके रक्तचाप का स्तर कम पाया गया। इस आधार पर कहा जा सकता है कि आलूबुखारा शरीर में रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाए रखने में सहायता करता है। जिससे शरीर में रक्तचाप सामान्य बना रहता है। परिणामस्वरूप ह्रदय संबंधी रोगों का खतरा कम रहता है।
डायबिटीज में फायदेमंद-
आलूबुखारा के फायदे डायबिटीज से जुडी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी जाना जाता है। इसमें विविध प्रकार के फायटोन्यूट्रियन्ट्स एवं बायोएक्टिव पदार्थ पाए जाते हैं। जो डायबिटीज के खतरे को कम करते हैं। इसलिए इसका सेवन करना डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद रहता है।
स्वस्थ्य कोलेस्ट्रॉल बनाए रखने में सहायक-
आलूबुखारा में मौजूद पॉलीफेनोल्स और फाइबर इंसुलिन के उत्पादन को नियंत्रित कर स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह घटक "खराब" (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए प्रभावशाली माना जाता है। क्योंकि यह धमनियों को सख्त होने से रोकता है। वहीं, हृदय की मांसपेशियों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाने के खतरे को भी कम करता है। इसलिए स्वास्थ्य कोलेस्ट्रॉल के लिए अपनी डाइट में आलूबुखारा का सेवन जरूर करना चाहिए।
आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद
आलूबुखारा विटामिन-सी और विटामिन-ई से भरपूर हैं। जो आंखों की सेहत और दृष्टि के लिए अच्छा माना जाता है। यह दोनों पोषक तत्व आंख की श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membrane) को सही और स्वस्थ्य रखती है। इसके अलावा आलूबुखारा में मौजूद फाइबर जेक्सनथिन (Fiber zeaxanthin) आंखों के रेटिना को मजबूत बनाती है। जिससे आंखें हानिकारक यू वी किरणों से बची रहती हैं। इस प्रकार आंखों की सेहत के लिए सूखा आलूबुखारा या आलूबुखारा फल का सेवन करना बेहद जरुरी है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए लाभप्रद-
आलूबुखारा रोग-प्रतिरोधक (इम्युनिटी) क्षमता को बढ़ाता है। आलूबुखारा में विटामिन ए की पर्याप्त मात्रा मौजूद होती है। जिसका इम्यूनिटी बूस्ट करने में अहम रोल होता है। विटामिन ए के अतिरिक्त इसमे विटामिन सी भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहयोग करता है। इसलिए आलूबुखारा को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
पाचन तंत्र के लिए लाभप्रद-
आलूबुखारा पाचन क्रिया को ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दरअसल, इसमें फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है। जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती है। इसके अलावा आलूबुखारा में मौजूद सोर्बिटोल एवं आइसटिन होती है। जिससे पाचन क्रिया सुचारु रूप से काम करता है और हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
कब्ज में असरदार-
आलूबुखारा में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जो कब्ज की परेशानी को कुछ हद तक कम करने में सहायक होती है। दरअसल, एक वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, प्रून्स यानी सूखा आलूबुखारा में पाए जाने वाला फेनोलिक यौगिक मल त्याग में होने वाली परेशानियों को दूर करते हैं।
कैंसर से बचाव में असरदार-
आलूबुखारा एंटीऑक्सीडेंट एवं मिनरल्स का एक समृद्ध स्रोत है। इसलिए यह कैंसर को शरीर पर कब्जा करने एवं ट्यूमर के विकास को रोकता है। साथ ही कैंसर की कोशिकाओं (cancer cells) को नष्ट भी करता है। आलूबुखारा में बीटा कैरोटीन मौजूद होता है, जो मुंह और फेफड़े के कैंसर को रोकने में विशेष रूप से फायदेमंद है। दरअसल, इस पर किए गए एक शोध के मुताबिक आलूबुखारा में मौजूद फाइबर और पॉलीफेनोल्स पेट के कैंसर से बचाव करने में सहायक होते हैं।
हड्डियों को मजबूत बनाने में कारगर-
आलूबुखारा को विटामिन k का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। जो शरीर की हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। । साथ ही इससे बोन मिनरल डेंसिटी में भी सुधार होता है। विषेषज्ञों के मुताबिक, विटामिन k महिलाओं के लिए बेहद जरुरी है। जिससे महिलाओं को मेनोपॉज़ (Menopause) पर कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता है। इसके अलावा आलूबुखारा का सेवन शरीर में सूजन और मुक्त कणों के उत्पादन को भी रोकता है। जो हड्डियों के लिए हानिकारक साबित होते हैं।
मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए-
आलूबुखारा में मौजूद पॉलीफेनोल्स कंपाउंड कई तरह के मानसिक रोगों के लिए भी फायदेमंद होता है। एक शोध के अनुसार ऐसा पाया गया कि आलूबुखारा का जूस मस्तिष्क में ऑक्सीजन को बढ़ाने और मानसिक कमजोरी को कम करने का काम करता है। आलूबुखारा के बीज की गिरी का सेवन करने से सोचने की शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा आलूबुखारा में एंटीऑक्सीडेंट भी होता है। जो दिमाग को तेज करने और उसकी कोशिकाओं को स्वस्थ बनाने का काम करता है।
आलूबुखारा के उपयोग-
- आलूबुखारा का उपयोग काटकर ओटमील, सलाद, दही, स्मूदी के रूप में सेवन किया जाता है।
- इसका जूस बनाकर सेवन किया जाता है।
- इसकी खट्टी-मीठी चटनी या सीधे स्नैक के तौर पर खाया जाता है।
- आलूबुखारा या सूखे आलूबुखारा का उपयोग आइसक्रीम, केक एवं पिज्जा की टॉपिंग के रूप में करते हैं।
- इसका उपयोग मफिन, ब्रेड एवं अन्य डिश में भी किया जाता है।
आलूबुखारा के नुकसान-
- आलूबुखारा में लैक्सेटिव (पेट साफ करने वाला गुण) पाया जाता है। इसलिए इसका अधिक सेवन नुकसान का कारण बनता है।
- इसका अधिक सेवन गैस की समस्या उत्पन्न कर सकता है।
- इसमें पोटैशियम की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसलिए ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से हाइपरकलेमिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिससे सीने में दर्द, उल्टी,जी मिचलाना एवं सांस लेने में तकलीफ का कारण बन सकती है।