जानें, स्ट्रॉबेरी के औषधीय गुण और इससे होने वाले अद्भुत फायदे
2022-09-14 00:00:00
स्ट्रॉबेरी एक मीठा, खट्टा और लाल फल है। इसके खट्टे-मीठे स्वाद और रस से भरपूर होने के कारण स्ट्रॉबेरी को लगभग सभी लोग पसंद करते हैं। इस फल में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, आयरन और फास्फोरस मिलते हैं। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी में भरपूर औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। इसलिए स्ट्रॉबेरी खाने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है। जिससे कई तरह के संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। यह हृदय स्वास्थ्य में सुधार करती है। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए अपने आहार में स्ट्रॉबेरी को शामिल करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
आयुर्वेद में स्ट्रॉबेरी का महत्व-
आयुर्वेद के अनुसार, स्ट्रॉबेरी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। साथ ही इसमें वात संतुलन और रेचक गुण मौजूद हैं, जो कब्ज के इलाज में सहायक होते हैं। स्ट्रॉबेरी में विटामिन ए, सी, पॉलीफेनोल्स के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स जैसे सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और सेलेनियम भी पाए जाते हैं। जो स्वास्थ्य और सौंदर्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इनका सेवन कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। इस रूप में स्ट्रॉबेरी हृदय संबंधित रोग और अन्य बीमारियों से बचाव करने में भी मदद करता है। आयुर्वेद में ऐसी मान्यता हैं कि 1 स्ट्रॉबेरी का सेवन लगभग 8 संतरे से प्राप्त विटामिन सी के बराबर होता है। इन्हीं सभी औषधीय गुणों से समृद्ध होने के कारण स्ट्रॉबेरी आयुर्वेद में अपना अलग स्थान रखती है।
स्ट्रॉबेरी के फायदे-
- कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक-पाचक अग्नि में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या असंतुलन के कारण खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटती चली जाती है। परिणामस्वरूप शरीर में अधिक विषाक्त पदार्थों का जमाव हो जाता है। ऐसे में स्ट्रॉबेरी का सेवन करना अच्छा होता है। क्योंकि इसमें पेक्टिन पाया जाता है। जो एक प्रकार का घुलनशील फाइबर है। यह शरीर से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी में मैग्नीशियम, पोटेशियम और विटामिन सी आदि तत्व मौजूद होते हैं। जो शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स (एक तरह का खराब कोलेस्ट्रॉल) के स्तर को कम करता है।
- इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर-स्ट्रॉबेरी का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है। क्योंकि इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करताहैं। इसके लिए एक कप स्ट्रॉबेरी का सेवन पूरे दिन के विटामिन सी की आवश्यकता को पूरा करती है। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी में मौजूद विटामिन सी आंख के कॉर्निया और रेटिना को मजबूत करने में भी मदद करता है।
- गठिया को रोकने में मददगार-शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता के कारण गाउटी अर्थराइटिस की समस्या होती है। ऐसे में स्ट्रॉबेरी गठिया की बीमारी और उससे होने वाले दर्द से राहत दिलाने में मददगार होती हैं। क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट एवं तमाम मिनरल्स पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त स्ट्रॉबेरी के मूत्रवर्धक गुण मूत्र उत्पादन को बढ़ाने और अतिरिक्त यूरिक एसिड को खत्म करने में मदद करतें हैं।
- रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक-स्ट्रॉबेरी का नियमित सेवन रक्तचाप को कम करता है। इसमें पोटैशियम और पेक्टिन जैसे आवश्यक तत्व पाए जाते हैं। जिसका मुख्य काम नसों को आराम पहुंचाने का होता है। इसके साथ ही यह शरीर में रक्त के प्रवाह को भी सामान्य बनाए रखने में सहायता करता है। जिससे शरीर में रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
- ह्रदय को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक-स्ट्रॉबेरी हृदय को स्वस्थ रखने में बेहद फायदेमंद होती है। इसमें कई प्रकार के फायटोन्यूट्रियन्ट्स पाए जाते हैं। जिसमें पोटैशियम और विटामिन-सी ह्रदय प्रणाली की रक्षा करने में सक्षम होते हैं। यह हृदय पर ऑक्सीडेशन से होने वाली क्षति पर रोक लगा कर हृदय रोगों को बढ़ने से रोकते हैं। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी में मौजूद एंथोसायनिन और क्वेरसेटिन हृदय रोग को रोकने में मदद करते हैं।
- कब्ज को दूर करने में असरदार-स्ट्रॉबेरी अपने पाचक और रेचक गुणों के लिए जानी जाती है। यह सभी गुण कब्ज की परेशानी को कम करने में मदद करते हैं।
- तैलीय त्वचा और मुहांसों के लिए लाभप्रद-आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात दोष बढ़ने से अतिरिक्त सीबम उत्पादन होता है और रोम छिद्र बंद हो जाते हैं। जिसके कारण त्वचा पर सफेद और काले डॉट्स बनने लगते हैं। ऐसे में स्ट्रॉबेरी का सेवन लाभकारी होता है। क्योंकि यह अपने एसिडिक गुणों की मौजूदगी के कारण त्वचा से अतिरिक्त तेल को हटाकर मुंहासों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
- रुसी से छुटकारा दिलाने में कारगर-रुसी स्कैल्प पर होने वाली शुष्क पपड़ीदार परत होती है। यह शरीर में पित्त और वात दोष के बढ़ने के कारण होता है। स्ट्रॉबेरी पित्त और वात दोष को संतुलित करने में मदद करती है। इस प्रकार यह डैंड्रफ को रोकने के लिए कारगर है।
स्ट्रॉबेरी का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां-
- स्तनपान के दौरान या गर्भावस्था के दौरान स्ट्रॉबेरी का सीमित मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- आमतौर पर कैंसर रोधी दवाओं का सेवन करते समय स्ट्रॉबेरी का उपयोग चिकित्सक के परामर्शनुसार करें।
- चूंकि स्ट्रॉबेरी रक्त को पतला करने का काम करती है। इसलिए एंटीकोआगुलंट्स के साथ स्ट्रॉबेरी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
- स्ट्रॉबेरी प्राकृतिक रूप से अम्लीय होती है। इसका स्वाद खट्टा होता है। इसलिए इसका अधिक मात्रा में सेवन से सीने में जलन की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
इसके अलावा कुछ अन्य दुष्प्रभाव भी शामिल हैं जो निम्नलिखित हैं-
- अतिसंवेदनशील (सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाली असामान्य प्रतिक्रिया)
- त्वचा पर लाल चकत्ते।
- एक्जिमा या त्वचा की सूजन।
- न्यूरोडर्माटाइटिस (पुरानी त्वचा की खुजली)।
यह कहां पाया जाता है?
स्ट्रॉबेरी उत्तरी गोलार्ध के समशीतोष्ण इलाकों में मूल रूप से उगाई जाती हैं। हालांकि अब इसकी खेती पूरे दुनिया में की जाती हैं। भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में की जाती है।