जानिए क्या है मोच? इसके लक्षण और इलाज
2022-05-24 15:05:46
मोच एक सामान्य समस्या है। लिगामेंट में किसी प्रकार की चोट आदि को मोच कहा जाता है। लिगामेंट्स कठोर, लचीले और रेशेदार ऊतक होते हैं। जो जोड़ों में दो हड्डियों को आपस में जोड़ने का काम करते हैं। मोच के दौरान लिगामेंट में थोड़ी बहुत चोट भी लग सकती है या यह पूरी तरह अलग भी हो सकते हैं। मोच आने पर व्यक्ति को अधिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर मोच बहुत बड़ी समस्या नहीं है। लेकिन सही समय पर उपचार नहीं करने से यह समस्या और बढ़ जाती है। मोच की समस्या अक्सर लोगों को व्यायाम न करने, कैल्शियम की कमी, पोटेशियम की कमी या चोट लगने के कारण होती है। मोच आने पर व्यक्ति के मांसपेशियो में दर्द और ऐंठन उत्पन्न हो जाती है। इससे व्यक्ति कुछ दिनों तक अपने काम करने में असमर्थ रहता है। यह समस्या किसी को, कही भी, किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। मोच आने की समस्या को अंग्रेजी में स्प्रेन (Sprain) कहते हैं।
मोच के लक्षण-
- प्रभावित जोड़ के आस-पास दर्द होना।
- सामान्य रूप से जोड़ का उपयोग करने या उस पर वजन डालने में असमर्थता।
- सूजन व नीला पड़ना और छूने पर दर्द महसूस होना।
- त्वचा जहां से लाल व सूजन ग्रस्त है, वहा से गर्म होना।
मोच के कारण-
- क्षमता से ज्यादा काम करना।
- अचानक से दिशा या गति बदल बदना। कहीं पर गिर जाना या गलत तरीके से उतरना।
- आपकी किसी वस्तु या व्यक्ति के साथ टक्कर लगना।
- अगर आप अचानक से अपने पैर के अगले हिस्से में वजन डालते हैं, तो आपके टखने में मोच आ सकती है। अगर पूरे शरीर का वजन अचानक से टखने पर आ जाता है, तो टखने में मोच आ सकती है। टखने में मोच अक्सर उबड़-खाबड़ या असमतल जगह पर चलने या दौड़ने से भी आ सकती है।
- मोच स्पोर्ट्स खेलते समय भी आ जाती है। जिसमें अचानक से तेज और कम गति होना शामिल होता है।
- जब कोई व्यक्ति पहली बार स्पोर्ट्स में हिस्सा लेता है, तो उसकी मोच आने की ज्यादा संभावनाएं होती हैं। क्योंकि उसकी मांसपेशियों नें पहले इतना तनाव महसूस नहीं किया होता।
- अनुभवी एथलीटों को भी यह समस्या हो सकती है। जब वह अपनी मांसपेशियों को सीमा से अधिक इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि उनकी मांसपेशियों के इस्तेमाल की बढ़ती मांग अचानक उनमें मोच का कारण बन सकती है।
- जो बच्चे स्पोर्ट्स में हिस्सा ले रहे होते हैं। उनमें भी मोच आदि आने की संभावनाएं अधिक होती हैं। क्योंकि वह शारीरिक रूप से विकसित हो रहे होते हैं।
मोच की जांच-
मोच की जांच के लिए एक संक्षिप्त शारीरिक परिक्षण के बाद डॉक्टर एक्स-रे करवाने की सलाह देते हैं। एक्स-रे की मदद से शरीर में किसी भी प्रकार की टूट-फूट या फ्रैक्चर का पता लगाया जा सकता है। अगर एक्स-रे से निश्चित न हो, तो डॉक्टर एमआरआई (MRI) जैसे अन्य टेस्ट का अनुरोध करते हैं।
मोच के घरेलू उपाय-
सेंधा नमक का उपयोग ठीक करें मोच-
सेंधा नमक सूजन विरोधी होता है और मांसपेशियो के दर्द व ऐंठन को कम करने में मदद करता है। इसमें प्राकृतिक तौर पर मैग्नीशियम होता है। जो हड्डियों के दर्द को दूर करता है। यह नमक द्रव पदार्थ को बाहर निकाल देता है और सूजन से आराम दिलाता है। इसलिए मोच को ठीक करने के लिए दो कप सेंधा नमक ले उसे एक बाल्टी गुनगुने पानी में मिलाये। अब इस पानी से स्नान करें या पानी में प्रभावित अंग को डालकर बैठें। इस प्रक्रिया को तब तक करें। जब तक मोच की सूजन कम न हो जाये। इस बात का ध्यान रखें, जो लोग ह्रदय व बीपी की समस्या से पीड़ित हैं। उन्हें सेंधा नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए।
मोच को ठीक करने में उपयोगी है अरंडी का तेल–
अरंडी के तेल में बहुत से औषधीय गुण होते हैं। जो हड्डियों के दर्द को कम करते हैं। गठिया रोग से पीड़ित लोगों के लिए अरंडी तेल से मालिश करना सूजन व ऐंठन के लिए अच्छा होता है। इसके अलावा मोच को ठीक करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग करना फायदेमंद होता है। अरंडी के तेल को साफ कपड़े में लगाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं और किसी चीज से ढ़क दें। अब इसके ऊपर गर्म पानी की बोतल रखें और कुछ मिनटों में हटा दें। इसके बाद उस जगह पर हल्के हाथ से मालिश करें। इस प्रक्रिया को पुरे दिन में एक बार रोजाना करें जब तक आपकी मोच पूरी तरह से ठीक न हो जाये।
सेब के सिरके से ठीक करें-
सेब के सिरके में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के साथ एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होता है। जो सूजन व दर्द को कम करता है। सेब का सिरका बहुत से रोगों के जोखिम को कम करता है। यह मोच से राहत पहुंचाता है। इसका उपयोग करने के लिए एक बाल्टी में गर्म पानी डालकर, उसमें दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर स्नान करें या प्रभावित हिस्से को इस पानी में थोड़ी देर के लिए डुबाकर रखें ताकि सूजन और दर्द कम हो सके। इस प्रक्रिया को दिन में एक बार करें।
जैतून के तेल के फायदे मोच के लिए-
जैतून के तेल में कुछ ऐसे कम्पाउंड होते हैं। जो सूजन विरोधी होते हैं। इसकी सहायता से पैरों की मोच को आसानी से ठीक हो जाती है। इस तेल का उपयोग बहुत से रोगों के लिए किया जाता है। क्योंकि यह सेहत के लिए लाभदायक होता है। जैतून के तेल का उपयोग करने के लिए सबसे पहले इस तेल को थोड़ा गर्म कर लें, फिर प्रभावित जगह पर हल्के हाथ से मालिश करें। जैतून के तेल से मालिश करने से मोच से जल्दी आराम मिलता है। इस प्रकिया को दिन में कम से कम चार से पांच बार करें।
लौंग के तेल का उपयोग-
जिस तरह लौंग के तेल को दांत से जुड़ी समस्या के लिए उपयोग में लाया जाता है। उसी तरह, यह तेल मोच की समस्या को ठीक करने में भी मदद करता है। क्योंकि इसमें कुछ एनेस्टेथिक गुण मौजूद हैं। जो सूजन और उसके दर्द को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए एक या दो चम्मच लौंग के तेल को लें और इसे कुछ देर के लिए छोड़ दें। इसके बाद तेल को हल्के हाथों से प्रभावित जगह पर लगाकर कुछ देर मालिश करें। इस प्रक्रिया से मांसपेशियों के दर्द से आराम मिलता है।
टखने की चोट के लिए प्याज का उपयोग-
प्याज में प्राकृतिक तौर पर सूजन विरोधी गुण होता है। यह टखने की चोट, उंगलिया, गठिया के दर्द को कम करता है। प्याज का उपयोग करने के लिए इसको छोटे-छोटे टुकड़े में काट लें। अब इस कटे हुए प्याज को सूती कपडे में लगाकर, प्रभावित जगह पर लगाकर बांध लें और कम से कम दो घंटों के लिए इसे ऐसा ही रहने दें। इस प्रक्रिया को दिन में एक बार जरूर करें।
एलोवेरा जेल का उपयोग-
मोच ठीक करने के लिए एलोवेरा जेल का उपयोग किया जाता है। एलोवेरा जेल से मालिश करने पर मोच के दर्द से आराम मिलता है। इसके अलावा एलोवेरा की आयुर्वेदिक दवा खिलाड़ियों के पैरो में मोच आने पर दी जाती हैं। ताकि उन्हें जल्दी आराम मिल सके। यदि आप एलोवेरा की आयुर्वेदिक दवा लेना चाहते हैं तो चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
मोच का इलाज:
आराम-
मोच आने पर अपने प्रभावित जोड़ को आराम दें। कोशिश करें की ठीक होने तक मोच पर दबाव न पड़े। ऐसे में जोड़ को ठीक होने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
बर्फ-
बर्फ की मदद से सूजन और जलन आदि को कम किया जा सकता है। बर्फ को कभी त्वचा पर सीधे न लगाएं। उसे पहले किसी पतले तौलिया या कपड़े में लपेट लें। फिर प्रभावित जगह पर इसे 20 मिनट तक पहले लगाकर रखें और फिर 20 मिनट तक हटा कर रखें। मोच आने के बाद पहले 24 से 48 घंटों के भीतर जितना हो सके इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराते रहें।
दबाव-
दवाब की मदद से भी सूजन को कम किया जा सकता है। दरअसल प्रभावित जोड़ को किसी पट्टी के साथ अच्छे से कसकर लपेटने से सूजन को कम किया जा सकता है। लेकिन बहुत अधिक कसकर न लपेंटे। क्योंकि उससे शरीर में खून की सप्लाई भी बंद हो सकती है।
हृदय से ऊंचाई पर रखना-
मोच आने पर प्रभावित जोड़ को हृदय के स्तर से ऊंचाई में रखने की कोशिश करें। इसकी मदद से भी सूजन को कम किया जा सकता है। अगर चोट घुटने या टखने में लगी है, तो चोट लगने के 2 दिन बाद तक रोगी को बेड या सोफे पर लेटने की आवश्यकता होती है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- दर्द, सूजन या जकड़न को 2-3 दिन तक ठीक न होने पर
- एक हड्डी के क्षतिग्रस्त होने से दूसरी हड्डी के साथ ठीक से काम न कर पाने पर।
- हड्डियों को आपस में जोड़ने वाले लिगामेंट्स के फट या उखड़ जाने पर।
- बार-बार मोच आने पर।
- सीधा हड्डी या जोड़ में अधिक दर्द का अनुभव होने पर।
- जोड़ के आसपास झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होने पर।
- क्षतिग्रस्त मांसपेशी को बिलकुल भी न हिला पाने पर। क्योंकि ऐसे में मांसपेशी अंदर से पूरी तरह से फट जाती है। जिसके बाद व्यक्ति को तुरंत मेडिकल देखभाल की जरूरत पड़ती है।