जानें, पुदीना तेल और इसके फायदों के बारे में
2022-05-24 17:20:29
पुदीना एक बारहमासी पौधा है। जो अपने बेहतरीन स्वाद और खुशबू के लिए जाना जाता है। एक तरफ पुदीने की चटनी शरीर को स्वास्थ्यवर्धक बनाती है तो दूसरी ओर पुदीने का अर्क (रस) पेट के लिए अच्छा होता है। इस प्रकार पुदीना वो मौसमी ऑलराउंडर है, जो सर्दियों में जुकाम, खांसी में आराम देता है तो गर्मियों में लगने वाली लू से बचाने का काम करता है। लेकिन पुदीने का इस्तेमाल सिर्फ खाद्य पदार्थों में ही नहीं बल्कि कई आयुर्वेदिक औषधियों में भी किया जाता है। खासकर “पुदीने के तेल” उपयोग। जिसे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में पुदीना तेल को पेपरमिंट ऑयल के नाम से जाना जाता है।
कैसा होता है पुदीने का तेल?
पुदीना तेल पुदीने की पत्तियों या पेपरमिंट लीव्स से तैयार किया जाता है। यह पेपरमिंट ऑयल किसी सामान्य पेपरमिंट से नहीं, बल्कि वाटरमिंट और स्पियरमिंट (पुदीना के प्रकार) को मिलाकर तैयार किया जाता है। पुदीने में मेंथॉल की उच्च मात्रा होती है। इस वजह से इसके तेल की महक भी मेंथॉल की तरह ही होती है। दिखने में पेपरमिंट ऑयल हल्का पीला और द्रवता में पानी की तरह होता है। इसका उपयोग औषधीय जड़ी-बूटी के रूप में, घरेलू दवाओं के रूप में, सौंदर्य उपचार के रूप में किया जाता है। इसके अलावा पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल कैप्सूल के रूप में भी किया जाता है।
पुदीना तेल के फायदे:
पुदीना तेल के एक नहीं अनेक फायदे हैं। जिन्हें हम स्वास्थ्य के आधार पर, त्वचा के आधार पर, बालों के आधार पर देख और समझ सकते हैं। सरल भाषा में कहें तो पेपरमिंट ऑयल का प्रयोग संपूर्ण शरीर के लिए किया जा सकता है। इस तेल में मौजूद एंटीसेप्टिक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल आदि गुण स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होते हैं। इसी वजह से इस तेल का इस्तेमाल टूथपेस्ट, परफ्यूम, पेन बाम, खाद्य पदार्थ और आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। इस तेल का प्रयोग चेहरे के मुंहासे और दाग-धब्बों को हटाने अर्थात फेस को साफ करने के लिए भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त गिरते बालों को रोककर, उन्हें घना और खूबसूरत बनाने के लिए भी पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है।
सेहत हेतु पुदीना तेल के फायदे-
पाचन शक्ति बढ़ाने हेतु-
पुदीना तेल का प्रयोग लंबे समय से पाचन तंत्र को बेहतर कर दस्त, गैस, कब्ज जैसी पेट संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता रहा है। इसके अलावा पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) के उपचार हेतु भी किया जाता है।
रक्त संचार बढ़ाने हेतु-
पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल रक्त संचार को बेहतर करने के लिए किया जाता है। क्योंकि पुदीना तेल में मेंथॉल उच्च मात्रा में होता है। जो त्वचा में आसानी से अवशोषित (Absorb) होकर ब्लड फ्लो को बढ़ाने का काम करता है।
श्वसन तंत्र हेतु-
पेपरमिंट ऑयल बंद नाक को खोलकर सांस लेने में होने वाली दिक्कतों को दूर करता है। यह लंग्स (फेंफडों) में ऑक्सीजन लेने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है। इस तेल के इस्तेमाल से श्वसन तंत्र की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसीलिए पेपरमिंट ऑयल का प्रयोग इन्हेलर और जुखाम संबंधी दवाओं में किया जाता है।
साइनसाइटिस के लिए-
नाक की मांसपेशियों में होने वाले ब्लॉकेज को साइनसाइटिस या साइनस कहा जाता है। यह एक प्रकार का इनफ़ेक्शन होता है, जिसके चलते नाक के आंतरिक भाग में सूजन आ जाती है। परिणामस्वरूप नाक में दर्द और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ऐसे में पेपरमिंट ऑयल काफी लाभकारी सिद्ध होता है। इसके लिए पानी को गरम करके उसमें पेपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदें डालकर भाप लेने से साइनस का ब्लॉकेज खुलने लगता है। जिससे सांस लेने में होने वाली परेशानी दूर होती है।
ओरल हेल्थ के लिए-
पुदीने के पत्तों को चबाने से मुंह में ताजगी का अहसास होता है। क्योंकि पुदीने और इसके तेल में एंटी-फंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। जो मुंह में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया के विकास को धीमा करके मुंह को लंबे समय तक साफ-सुथरा और ताजा रखते हैं।
सिरदर्द हेतु-
यदि कोई जरूरत से ज्यादा चिंता करता है तो उसे सिरदर्द की दिक्कत होने लगती है। लेकिन पुदीने पर किए गए एक शोध से पता चलता है कि इसके तेल से चिंता और उसके दर्द को कम किया जा सकता है। इसलिए पेपरमिंट ऑयल को हेडेक यानी सिरदर्द के लिए एलोपैथिक दवा के बराबर असरदार माना गया है।
तनाव और थकान हेतु-
पेपरमिंट ऑयल चिंता, थकान, तनाव आदि की वजह से होने वाले सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। पुदीने का तेल सेंट्रल नवर्स सिस्टम (Central Nervous System) पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जिससे चिंता, तनाव, थकान, सिरदर्द आदि में आराम मिलता है। पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल अरोमाथेरेपी के लिए भी किया जाता है।
मांसपेशियों को आराम देने हेतु-
पुदीना में दर्द निवारक और एंटी-स्पास्मोडिक गुण मौजूद होते हैं। जो मांसपेशियों की ऐंठन और दर्द को दूर करने का काम करते हैं। इसलिए पुदीना तेल से प्रभावित मांसपेशियों की मालिश करने से थकान का एहसास कम होता है और मांसपेशियां भी रिलैक्स फील करती हैं।
एलर्जी और इनफ़ेक्शन हेतु-
पेपरमिंट ऑयल कई प्रकार की एलर्जी और इनफ़ेक्शन को दूर करने में मदद करता है। पुदीने में मौजूद मेंथॉल एलर्जी को कम करने का काम करता है और इसके एंटी-फंगल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-बैक्टीरियल गुण इनफ़ेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करते हैं।
त्वचा हेतु पुदीना तेल के फायदे-
मुंहासों को कम करने के लिए-
पुदीना तेल में एंटी-माइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। जो मुंहासे और उसके बैक्टीरिया से लड़कर स्किन को पिम्पल्स से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त पेपरमिंट ऑयल के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मुंहासों की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए कॉटन (रुई) की सहायता से पेपरमिंट ऑयल को संक्रमित हिस्से पर लगाना चाहिए।
झुर्रियों को कम करने के लिए-
पुदीना तेल में विटामिन-ए पाया जाता है। जो झुर्रियों और महीन रेखाएं जैसे बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में सहायता करता है। इसके लिए पुदीना तेल में काला या सेंधा नमक और जैतून का तेल मिलाकर स्क्रब करें और कुछ देर बाद ठंड़े पानी से धो लें। इस प्रक्रिया में काला या सेंधा नमक त्वचा के रोमछिद्रों को खोलने और जैतून का तेल स्किन के ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने का काम करता है।
त्वचा का रंग साफ करने के लिए-
कई बार धूप और यूवी किरणों की वजह से त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है। ऐसे में पुदीना तेल का इस्तेमाल करना त्वचा के लिए अच्छा होता है। क्योंकि पुदीना तेल में मौजूद विटामिन-सी स्किन को साफ करने में सहायता करता है। दरअसल विटामिन-सी स्किन पर एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। जो डिपिगमेंटेशन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने और त्वचा का रंग साफ करने में सहायता करता है। इसके लिए पेपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदों को हथेली में लेकर चेहरे और स्किन की अच्छे से मसाज करें।
फेस मास्क हेतु
पेपरमिंट ऑयल, मुल्तानी मिट्टी और खीरा को मिलाकर फेस पैक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। पुदीना तेल में विटामिन-सी और विटामिन-ए जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो स्किन को यूवी रेडिएशन से बचाने, डर्मेटाइटिस और इन्फ्लेमेशन जैसी समस्याओं को दूर करने और लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने का काम करते हैं। इसके अलावा खीरा स्किन को ठंडक पहुंचाने और मुल्तानी मिट्टी मृत कोशिकाओं को चेहरे से हटाकर उसे चमकदार बनाने का काम करती है।
प्राकृतिक टोनर हेतु-
पेपरमिंट ऑयल और सेब के सिरके को मिलकर स्किन पर लगाना प्राकृतिक टोनर का काम करता है। क्योंकि सेब के सिरके में पाए जाने वाला एंटी-बैक्टीरियल गुण मुंहासों को कम करता है और पेपरमिंट ऑयल में मौजूद मेंथॉल स्किन को ठंडक पहुंचाता है। वहीं, सेब के सिरके में मौजूद लैक्टिक और मैलिक एसिड त्वचा के पीएच लेवल को संतुलित रखने का काम करते हैं।
बाल हेतु पुदीना तेल के फायदे-
बालों के विकास के लिए-
नारियल, जोजोबा और जैतून के तेल में से किसी एक तेल में कुछ बूंदें पेपरमिंट ऑयल की मिलाकर सिर की मालिश करना अच्छा रहता है। क्योंकि पुदीना तेल में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जिनकी कमी से बाल झड़ने या गिरने लगते हैं। यह तत्व हैं आयरन, जिंक, और विटामिन-सी। यह सभी तत्व बालों को पोषण देकर उन्हें प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाने और गिरने से रोकते हैं। इसके अलावा पेपरमिंट ऑयल स्कैल्प (खोपड़ी) में आसानी से अवशोषित होकर रक्त संचार में सुधार और बालों के विकास में मदद करता है।
रूसी से आजादी के लिए-
पेपरमिंट ऑयल स्किन में नमी बनाए रखने का काम करता है। इसके इसी गुण के चलते इसका इस्तेमाल मॉइस्चराइजिंग उत्पादों में किया जाता है। इसके अलावा पुदीना तेल में मेंथॉल, सिलेनियम और जिंक भी मौजूद होते हैं। जो स्कैल्प पर एंटीफ्लैक गुणों (जो खोपड़ी पर पपड़ी बनने से रोकना) के रूप में काम करते हैं। पेपरमिंट ऑयल बालों में ठंडक का अहसास कराता है और रूसी से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
पुदीना तेल के नुकसान-
वैसे तो पेपरमिंट ऑयल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। लेकिन इसका अनियमित या अधिक प्रयोग करना कई प्रकार की दिक्कत पैदा कर सकता है। जोकि निम्न प्रकार है-
- चक्कर आना, मतली और उल्टी की समस्या।
- पेट में दर्द, गैस और दस्त की समस्या।
- शरीर में कंपन, अवसाद (Depression) और बेहोशी की समस्या।
- लिवर और सांस लेने में तकलीफ होना।
- मूत्र में रक्त और विषाक्त प्रभाव की समस्या।
- शरीर के संतुलन को बनाए रखने में तकलीफ होना।
- पुदीने तेल को कभी गलती से भी सीधे आंखों में नहीं डालना चाहिए।
- 7 साल से कम उम्र के बच्चों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पेपरमिंट ऑयल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।