जानें, पवनमुक्तासन करने का तरीका और फायदों के बारे में
2022-07-02 00:00:00
आपने कई योगासन के बारे में सुना होगा,देखे और किये भी होंगें । इन्हीं आसनों में से एक पवनमुक्तासन भी है, जो पाचन से जुड़ीं समस्याओंको दूर करता है। यह एक ऐसा योगाभ्यास है, जो पेट की अतिरिक्त गैस को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा पवनमुक्तासन के कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यह आंत संबंधी समस्या को ठीक करने, कमर दर्द को दूर करने, वसा को कम करने और मानसिक लाभ पहुंचाने आदि में लाभप्रद होता हैं।
पवनमुक्तासन क्या हैं?
पवनमुक्तासन संस्कृत भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है। पहला “पवन” जिसका शब्दिक अर्थ वायु या हवा, दूसरा “मुक्त” का मतलब निकालना अथवा रिलीज करना और तीसरा “आसन” यानी मुद्रा होती है। अर्थात इस आसन के नाम से ही स्पष्ट है कि यह शरीर से अतिरिक्त या अधिक वायु को बाहर निकालने का काम करता है। जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है। इसलिए इस आसन को पवनमुक्तासन कहा जाता है। पवनमुक्तासन को अंग्रेजी में विंड रिलीजिंग पोज़ (Wind Releasing Pose) या गैस रिलीजिंग पोज़ (Gas Releasing Pose )के नाम से भी जाना जाता है।
पवनमुक्तासन के फायदे
- यह आसन पीठ के निचले हिस्सों की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। साथ ही यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है।
- इसके निरंतर अभ्यास से पेट और पाचन अंगों की मालिश होती है। इसलिए पवनमुक्तासन पेट की गैस और कब्ज को दूर करने में प्रभावी है।
- पवन मुक्तासन श्रोणि की मांसपेशियों और प्रजनन अंगों की मालिश करता है। जिससे नपुंसकता, बांझपन और मासिक धर्म के समय दर्द जैसी समस्याओं में लाभ मिलता है।
- यह पीठ को स्ट्रेच और टोन करने का काम करता है। जिससे पीठ और कमर दर्द की समस्या से राहत मिलती है।
- इसके नियमित अभ्यास से फेफड़ों की कार्यप्रणाली में सुधार होता है।
- इस योगाभ्यास से पाचन तंत्र बेहतर होता है।
- यह आसन पेट की चर्बी को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
- इस योगाभ्यास से शरीर में रक्त परिसंचरण ठीक रहता है। जिससे शरीर के सभी अंगों तक रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से होता है।
पवन मुक्तासन करने का तरीका
- सर्वप्रथम किसी समतल जगह पर चटाई बिछाकर उसपर पीठ के बल लेट जाएं।
- अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने दोनों पैरों को घुटने से मोड़कर जांघों को छाती की और लाएं।
- अब घुटनों के ठीक नीचे अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में पकड़ें।
- इसके बाद गहरी श्वास लें।
- अब सांस को छोड़ते हुए अपने सिर और कंधों को ऊपर की ओर उठाएं। साथ ही अपने नाक को घुटनों के बीच लाने की कोशिश करें।
- इस स्थिति में कुछ देर तक बने रहें और सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें।
- पुनः सिर, कंधों और पैरों को सीधा करके अपने मूल अवस्था में आ जाएं।
- इस प्रक्रिया को कम से कम 3 बार करें।
पवनमुक्तासन करते समय बरतें यह सावधानियां
- उच्च रक्तचाप की समस्या होने पर इसका अभ्यास न करें।
- पीठ के निचले हिस्सें में चोट या अधिक दर्द होने पर पवनमुक्तासन न करें।
- कटिस्नायुशूल (Sciatica) और स्लिप डिस्क से पीड़ित लोगों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।