कासनी के औषधीय गुण, फायदे एवं उपयोग
2022-03-17 11:41:30
कासनी को चकोरी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक तरह का बारहमासी पौधा होता है। जो मुख्य रूप से भारत के उत्तर पश्चिम इलाकों में पाया जाता है। कासनी एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। जो गठिया, ह्रदय रोग, कब्ज जैसी परेशानियों के इलाज के तौर पर उपयोग की जाती है। इस जड़ी-बूटी में खास बात यह है कि इसका स्वाद कॉफी की तरह होता है। हालांकि इसमें कैफीन नहीं पाया जाता है। इसके अलावा कासनी में कई ऐसे गुण मौजूद हैं। जिसके कारण यह सेहतमंद और कई रोगों के इलाज के लिए जाना जाता है। एक तरफ कासनी जानवरों के लिए हरा चारे का काम करता है तो वहीं, दूसरी ओर मनुष्यों के लिए औषधि का काम करता है। कासनी का सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। इसके अलावा कॉफी के जैसा स्वाद होने के कारण इसका उपयोग खाने में भी किया जाता है। इन्हीं सभी गुणों की वजह से कासनी को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण पारंपरिक औषधि माना गया है। आइए इस लेख के माध्यम से बात करते हैं इस जड़ी-बूटी के औषधीय गुणों के बारे में:
क्या हैं कासनी
आमतौर पर कासनी एक प्रकार का जड़ी-बूटी है। जो डैंडेलियन परिवार से संबंध रखती हैं। जिसका वानस्पतिक नाम सिकोरियम इंटीबस (Cichorium Intybus) है। इसके फूल सफेद-नीले रंग के होते हैं। इसकी पत्तियां गोलाकार और यह स्वाद में कड़वी होती हैं। इसके फूलों में 15 से 20 पंखुड़ियां एक साथ लगी होती हैं। जो सुबह के समय खिलते हैं और दिन में सिकुड़ या बंद हो जाते हैं। कासनी में हल्के रंग के फल लगते हैं और गाय की पूंछ जैसी एक मांसल जड़ होती है। कासनी (चिकोरी) के पौधे लगभग एक से दो मीटर तक ऊंचे होते हैं।
कासनी के पौष्टिक तत्व
कासनी प्राकृतिक रसायनों से समृद्ध होता है। इसमें विटामिन, क्रिस्टलीय निगेलोन, लोहा, सोडियम, पोटेशियम और फैटी एसिड से परिपूर्ण तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन A, विटामिन B6, विटामिन C, E, K भी पाए जाते हैं। इन तत्वों से भरपूर होने के कारण कासनी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभप्रद साबित होता है। इसके अलावा कासनी का बीज संतृप्त और असंतृप्त फैटी एसिड का भी बढ़िया स्रोत हैं।
कासनी के फायदे
तनाव और चिंता में लाभदायक
कासनी का सेवन तनाव और चिंता के लिए लाभदायक साबित होता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कासनी में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा पाई जाती हैं। जो मानसिक विकारों से निजात दिलाने में सहायक होता है। जिसमें चिंता, तनाव और डिप्रेशन भी शामिल हैं।
गठिया के लिए
कासनी चूर्ण में विभिन्न तत्व मौजूद हैं। इसमें मुख्य रूप से एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। जो पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड गठिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
वजन घटाने के लिए
कासनी अपने मोटापा-रोधी गुणों के कारण जाना जाता है। क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। यह फाइबर कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा करने और चयापचय में सुधार करने का काम करते हैं। इसके अलावा फाइबर शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने के साथ-साथ लंबे समय तक भूख को नियंत्रित रखने का काम भी करते हैं। यह शरीर में विषाक्त पदार्थों के संचय को भी रोकते हैं।
ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
कासनी का सेवन ह्रदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, कासनी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। इसलिए इससे बनने वाली कॉफी का सेवन शरीर में रक्त और प्लाज्मा के संतुलन में सुधार करने का काम करता है। जिससे हृदय रोग होने की आशंका कम होती है। इसके अलावा कसनी में इंसुलिन की प्रचूर मात्रा होती हैं।जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम करता है। परिणामस्वरूप दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम हो जाती है।
पाचन के लिए
पाचन तंत्र के लिए कासनी अहम भूमिका निभाती है। क्योंकि कासनी अर्थात चिकोरी में इंसुलिन (Insulin -डाइटरी फाइबर) की अच्छी मात्रा पाई जाती है।जो एसिड रिफ्लक्स (पाचन संबंधी रोग) के अलावा आंत संबंधी कई समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं। इसके अलावा कासनी अपच और हार्टबर्न से भी राहत दिलाने में सहायक होता है।
कैंसर के लिए
कासनी ब्रेस्ट और कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने और उससे बचाने का काम भी करता है। इसके लिए कासनी में पाए जाने वाले पॉलीफेनॉल्स और फोटोकैमिकल्स गुण सहायक होते हैं। इसके अलावा कासनी की जड़ में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। जो कैंसर के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।
कब्ज को दूर करने में सहायक
कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए कासनी का सेवन अच्छा होता है। दरअसल, कासनी की जड़ में विटामिन C, E, K, कोलीन और बीटा केरोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा इसमें मौजूद इंसुलिन आंत की समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं। साथ ही कब्ज को दूर करके पाचन की दिक्कतों को भी खत्म करते हैं।
किडनी की कार्य प्रणाली को सुधारने में सहायक
कासनी की जड़ के अर्क को मूत्रवर्धक (Diuretic) की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे पेशाब की मात्रा बढ़ती है। जिससे पेशाब के जरिए किडनी में मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जिससे कासनी का सकारात्मक प्रभाव किडनी के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए कासनी के सेवन किडनी कार्य प्रणाली के लिए अच्छा होता है।
कासनी के अन्य फायदे और उपयोग
- कासनी के पत्ते को चंदन के साथ पीसकर माथे पर लगाने से सिरदर्द की समस्या से निजात मिलती है।
- कासनी के बीजों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से मुखपाक और मसूड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
- 10से 15मिली इसके काढ़े को पीने से पित्ताशय के कारण होने वाली उल्टी में फायदा पहुंचता है।
- कासनी के पत्ते को पीसकर ठंडे पानी के साथ सेवन करने से खून की उल्टी से राहत मिलती हैं।
- लिवर को स्वस्थ्य रखने के लिए कासनी के फूलों से शरबत बनाकर पीना फायदेमंद होता है।
- कासनी की जड़ का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 10से 20मिली की मात्रा में सेवन करने से मासिक धर्म जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
- कासनी की जड़ का पेस्ट बनाकर योनि में लगाने से योनि के दर्द एवं सूजन में राहत मिलती है।
कासनी के नुकसान
- यदि किसी व्यक्ति को कासनी या इससे बने अन्य उत्पाद से एलर्जी हो तो वह व्यक्ति इसका सेवन न करें।
- गर्भवती महिलाओं को कासनी का अधिक उपयोग नहीं करनी चाहिए। अन्यथा इससे मासिक धर्म उत्तेजित हो सकता है।जिसकी वजह से गर्भपात हो सकता है।
- स्तनपान कराने माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति को पित्ताशय की पथरी की समस्या हो तो इस स्थिति में उसे कासनी के सेवन से बचना चाहिए।