माजूफल के फायदे, उपयोग और नुकसान
2022-08-08 00:00:00
गमाजूफल एक प्रकार की लोकप्रिय जड़ी-बूटी है। माजूफल को अंग्रेजी में ओक गॉल कहा जाता है। यह फगेसी (Fagaceae) परिवार से संबंध रखता है। इसका वानस्पतिक नाम क्वेरकस इंफेक्टोरिया (Quercus Infectoria) है। इसके अलावा माजूफल को अन्य नामों जैसे मायाफल, चिद्रफला, मयूका, मलयु और माची से जाना जाता है। माजूफल में कई ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैंजिसके कारण यह मसूड़ों, त्वचा, गले और योनि को प्रभावित करने वाले रोगों को प्रभावी ढंग से ठीक करता है। आयुर्वेद में माजूफल का उपयोग औषधि के तौर पर चूर्ण, रस या काढ़े के रूप में किया जाता है।
क्या होता है माजूफल?
माजूफल एक प्रकार का फल न होकर कीट का घर होता है। ओक गॉल की पत्तियों पर एक विशेष तरह का कीट होता है, जो इस फल का निर्माण करता है। यह पित्त ततैया के अंडों के जमा होने के परिणामस्वरूप बनता है। मादा ततैया ओक के पेड़ के तने में एक छेद बनाती है और अंडे को अंकुर के अंदर देती है और इसके लार्वा सेचारों ओर गोल कणों (वानास्पतिक वृद्धि) का निर्माण होता है, जो अंडों से विकसित होती है। जिसे ओट पित्त (oat Galls) कहा जाता है। फल के बनने के 5 से 6 महीनों के उपरांत वह कीट पत्तियों से बाहर निकल जाता है और फल सूख जाता है। इसके बाद माजूफल को विभिन्न उपचारों और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एक उत्कृष्ट घटक के रूप में उपयोग किया जाता है।
माजूफल के गुण
माजूफल में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी एस्ट्रिंजेंट और एंटी इंफ्लेमेंटरी जैसे कई गुण मौजूद हैं। यह सभी गुण विभिन्न रोगों को ठीक करने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद में माजूफल का महत्व
आयुर्वेद के अनुसार माजूफल प्रकृति से शीत (ठंडा), स्वाद से कषाय (कसैला) होता है। साथ ही यह रोपण (हीलिंग) गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है। जिसकी वजह से माजूफल का उपयोग मसूड़ों की समस्याओं, बवासीर, योनि स्राव और त्वचा की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा माजूफल के अर्क का उपयोग एशियाई आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत लंबे समय से किया जाता रहा है।
माजूफल के फायदे
- मसूड़ों से रक्त आने की समस्या में कारगरमाजूफल के औषधीय गुण मसूड़ों से निकलने वाली रक्त से निजात दिलाने का काम करते हैं। दरअसल, माजूफल में मौजूद शीत (ठंडा) गुण मसूड़ों को ठंडक और शांत प्रभाव प्रदान करते हैं। साथ ही दर्द से छुटकारा दिलाते हैं। इसके अलावा माजूफल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मुंह के बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायता करते हैं। इससे मुंह के अल्सर और अन्य मौखिक समस्याओं का प्रभावी ढंग से इलाज होता है।
- त्वचा संबंधी समस्याओं में लाभप्रदचमाजूफल त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए उपयोगी मानी जाती है। इसके कषाय (कसैले) गुण त्वचा को कसने में मदद करते हैं। इसके एंटी-एजिंग गुण स्वस्थ त्वचा को बनाए रखते हैं। इसके अलावा माजूफल के एंटीफंगल गुण त्वचा के फंगल संक्रमण को ठीक करते हैं।
- योनि स्राव में सहायकयोनि से जुड़ीं कई समस्याओं में माजूफल कारगर साबित होती है। इस पर किए गए शोध के मुताबिक, माजूफल में एंटी माइक्रोबियल एवं एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, योनि संक्रमण की समस्या को कम करते हैं। साथ ही योनि में खुजली और जलन से राहत दिलाने में मददगार होते हैं। इसके अतिरिक्त माजूफल योनि की मांसपेशियों को कसने में मदद करता है।
- टॉन्सिलाइटिस में मददगारमाजूफल टॉन्सिलाइटिस के इलाज में बेहद लाभदायक होता है। इसमें सूजन-रोधी गुण मौजूद हैं, जो टॉन्सिलाइटिस को ठीक करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त यह अपने शीतल गुणों के कारण गले को आराम पहुंचाने में सहायक होता है।
- मुंह के छालों के लिए फायदेमंदमाजूफल मुंह के छालों के इलाज के लिए एक अच्छा उपाय है। इसमें एंटी बैक्टीरियल एवं एस्ट्रिंजेंट गुण पाए जाते हैं जो अल्सर का प्रभावी ढंग से इलाज करते हैं।
- कैंसर में उपयोगीऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स की वजह से कई शारीरिक समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। जिसमें कैंसर भी शामिल है। माजूफल मुख्य रूप से सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में मदद करता है। दरअसल, माजूफल में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फ्री रेडिकल्स की समस्या को कम करते हैं।
माजूफल के उपयोग
- माजूफल के पित्त (गॉल) से बने काढ़े का उपयोग टॉन्सिलाइटिस , अल्सर और मसूड़ों की सूजन के इलाज के लिए माउथवॉश के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इसके चूर्ण का उपयोग दंत पाउडर के रूप में भी किया जाता है।
- अधिक पसीने को नियंत्रित करने के लिए माजूफल का सूखा चूर्ण शरीर पर लगाया जाता है।
- विषाक्तता (पॉइजिंग) होने पर माजूफल का काढ़ा बनाकर उल्टी करने के लिए दिया जाता है।
- माजूफल के सूखे फलों से बने काढ़े का 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन दस्त और कष्टार्तव के उपचार के लिए किया जाता है।
- माजूफल के चूर्ण को घावों पर छिड़कने से रक्तस्राव नियंत्रित होता है। इसके अतिरिक्त माजूफल के काढ़े से घाव को धोने से घाव जल्दी से ठीक होता है।
- बालों को काला करने के लिए इसके पाउडर को तिल या नारियल के तेल में मिलाकर स्कैल्प पर लगाया जाता है।
- योनि स्राव में योनि को धोने के लिए पित्त से बने काढ़े का उपयोग किया जाता है।
- खांसी और सांस लेने में तकलीफ होने पर 50 से 100 मिलीग्राम पित्त चूर्ण को दिन में दो बार शहद, दूध या पानी के साथ लें।
माजूफल का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां
- जिन लोगों को खाद्य पदार्थों से एलर्जी होती है। खासकर उन लोगों में माजूफल के सेवन से एलर्जी होने का खतरा बना रहता है।
- इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गुर्दे की समस्या हो सकती है।
- गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान इसका सेवन न करें। क्योंकि ऐसा करने से गर्भपात हो सकता है।
जिन लोगों को एलर्जी की समस्या होती है। उन्हें गेहूं के उपयोग से बचना चाहिए। क्योंकि इससे प्रतिक्रिया खराब हो सकती है। इससे एक्जिमा, दानें और त्वचा पर चकत्ते हो सकते हैं।
माजूफल कहां पाया जाता है?
माजूफल दक्षिणी यूरोप (ग्रीस और पूर्वी एजियन द्वीप समूह) और मध्य पूर्व (तुर्की, ईरान, साइप्रस, इराक, सीरिया, लेबनान और जॉर्डन) में पाया जाता है।