Cart
My Cart

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF 5% OFF ON PREPAID ORDERS

Use Code VEDOFFER20 & Get 20% OFF.
5% OFF ON PREPAID ORDERS

No Extra Charges on Shipping & COD

पेरिकार्डिटिस के कारण, लक्षण और उपचार

पेरिकार्डिटिस के कारण, लक्षण और उपचार

2023-09-12 00:00:00

पेरिकार्डिटिस ह्रदय संबंधी विकार है, जो पेरिकार्डियम में होने वाली सूजन होती है। यह शरीर में अचानक से विकसित होता है। इस दौरान व्यक्ति को सीने में जलन, भारीपन, सीने में तेज या कम दर्द एवं चुभन जैसे कई तरह के लक्षण महसूस होने लगते हैं। कुछ लोगो में यह दर्द छाती में होने के साथ-साथ गर्दन एवं जबड़ों तक पंहुच जाता है। ज्यादातर मामलों में पेरिकार्डिटिस स्वतः ठीक हो जाता है। वहीं कुछ घरेलू उपचार का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है। लेकिन इस बीमारी की संभावना दोबारा होने की अधिक होती है। साथ ही कभी-कभी यह समस्या बहुत दर्दनाक और कई हफ्ते या महीनों तक रह सकती है। ऐसे में लोगो को इसे बिना नजरअंदाज किए डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। आइए, इस लेख के माध्यम से पेरिकार्डिटिस के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं।

 

पेरिकार्डियम क्या होती है?

पेरिकार्डियम हृदय के चारों तरफ बनी एक थैलीनुमा झिल्ली होती है। यह झिल्ली प्रायः द्रव से भरी रहती है। सामान्यतः इसमें 50 मि.ली. द्रव अर्थात तरल पदार्थ मौजूद होता है। लेकिन जब इस थैली में सामान्य से अधिक तरल पदार्थ बनने लगता है। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में पेरिकार्डिटिस कहा जाता है। जिसके कारण छाती में दर्द होने लगता है। इसके अलावा कई बार अन्य लक्षण भी महसूस होने लगते हैं।

 

पेरिकार्डिटिस के कारण-

चिकित्सकों के मुताबिक, पेरिकार्डिटिस के कोई ज्ञात कारण स्पष्ट नहीं होते हैं। लेकिन आमतौर पर इसके मुख्य कारण इस प्रकार है-

  • ऑटो इम्यून संबंधित बीमारी।
  • दिल की सर्जरी।
  • पेरिकार्डियम में किसी भी प्रकार वायरल, बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन।
  • कैंसर के लिए रेडिएशन ट्रीटमेंट।
  • कुछ आनुवंशिक रोग।
  • ट्रामा या हर्ट अटैक।
  • गुर्दे की विफलता के कारण रक्त में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ।

पेरिकार्डिटिस के अन्य जोखिम कारक-

नीचे दिए गए कारक पेरिकार्डियल विकार के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

  • धूम्रपान करना।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल।
  • विषाणु संक्रमण आदि।

पेरिकार्डिटिस के लक्षण-

पेरिकार्डिटिस के सबसे आम लक्षण सीने में दर्द का होना होता है। यह दर्द दिल का दौरा पड़ने जैसा महसूस होता है। आमतौर पर यह अचानक होता हैं। जिसके कारण व्यक्ति के सीने में तेज दर्द उठता है। इसके अतिरिक्त पेरिकार्डिटिस के लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं, कि मरीज को पेरिकार्डिटिस होने का कारण क्या हैं। जो निम्नलिखित हैं:

  • यदि व्यक्ति को किसी संक्रमण के कारण पेरिकार्डिटिस होता है तो इस स्थिति में उसे तेज बुखार, ठंड लगना या कपकपी आना हो सकता है।
  • साथ ही सीने में दर्द लगभग हमेशा बना रहना।
  • कंधे, गर्दन, पीठ और पेट में भी दर्द का आभास होना।
  • लंबी या गहरी सांस लेने में दर्द महसूस होना।
  • भोजन निगलने में कठिनाई होना।
  • बैठने एवं आगे झुकने में परेशानी होना।

इसके अन्य लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:

  • सीने में भारीपन महसूस करना।
  • घबराहट या बेचैनी होना।
  • सोते समय सांस लेने में तकलीफ होना।
  • चिंता।
  • टखने या पैरों में सूजन होना।
  • सूखी खांसी आना।

पेरिकार्डिटिस का निदान-

पेरिकार्डिटिस के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर मरीज के लक्षणों की जांच करते हैं। जिससे पता लगाया जा सकता है कि मरीज को पेरिकार्डिटिस होने का कारण क्या है। इस आधार पर वह कई तरह के जांच कराने की परामर्श देते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

 

शारीरिक परीक्षण-

चिकित्सक रोगी की शारीरिक जांच करता है। इसमें मरीज के चिकित्सा इतिहास के साथ-साथ इनके लक्षणों को भी नोट किया जाता है। इसमें चिकित्सक रोगी से कुछ ह्रदय से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं।

 

इमेजिंग परीक्षण-

इन परीक्षणों में एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन, शामिल हैं। उनका उपयोग दिल के आकार और फेफड़ों में किसी भी प्रकार की समस्या या तरल पदार्थ को देखने के लिए किया जाता है। साथ ही अन्य आंतरिक अंगों की छवियों को प्राप्त करने और संक्रमण क्षति के संकेतों की जांच के लिए भी किया जाता है।

 

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG)-

दिल की धड़कन या हार्ट बीट देखने के लिए चिकित्सक ईसीजी परीक्षण कराने का सिफारिश कर सकता है। इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि हृदय कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है। साथ ही इसके माध्यम से हृदय के चारों ओर द्रव या पेरिकार्डियल बहाव की जांच भी की जाती है।

 

कैथेटेराइजेशन-

कैथेटेराइजेशन का उपयोग सामान्यतः कॉन्स्टिटिव पेरिकार्डिटिस के पुष्टि करने के लिए किया जाता है।

 

रक्त परीक्षण-

यह परीक्षण किसी भी प्रकार के जीवाणु या परजीवी की उपस्थिति का पता लगाने में मदद करते हैं।

 

पेरिकार्डिटिस का इलाज-

आमतौर पर पेरिकार्डिटिस का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता हैं। क्योंकि इसका इलाज करने से पहले उपरोक्त जांच के माध्यम से कारण का पता किया जाता है। जब कारण ज्ञात हो जाता है, तो इसका इलाज सुचारु रुप से किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि पेरिकार्डिटिस का मुख्य कारण एक जीवाणु संक्रमण है। इस स्थिति में उसे एंटीबायोटिक दवाएं देकर इलाज किया जाता है। ज्यादातर मामलों में इसका इलाज दवा से किया जा सकता है।

 

कोलिसिन-

कोलिसिन एक प्रकार की सूजन कम करने वाली दवा है। यह लक्षणों को कम करने और पेरिकार्डिटिस को दोबारा होने से रोकने में मदद करती है।

 

एनएसएआईडी (NSAID)-

पेरिकार्डिटिस के इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) दर्द और सूजन दोनों समस्याओं के लिए लाभकारी हैं। इसके अलावा इबुप्रोफेन या एस्पिरिन का सेवन भी शीघ्र राहत प्रदान करता हैं।

 

शल्य चिकित्सा-

सामान्यतः पेरिकार्डिटिस के इलाज के लिए शल्य चिकित्सा आखिरी उपचार माना जाता है। इसकी सिफारिश डॉक्टर तब करता है, जब दवाओं का असर रोगी के स्वास्थ्य पर नहीं होता है।

 

पेरिकार्डिटिस से कैसे करें बचाव?

यह स्थिति इलाज योग्य नहीं है, हालांकि, उपचार के साथ, लक्षणों को कम किया जा सकता है।

 

घरेलू उपचार-

शराब का सेवन कम करें या स्वस्थ विकल्पों पर स्विच करें-

शराब या तंबाकू से छुटकारा पाने के लिए पानी में नींबू और पुदीना मिलाकर सेवन करें।

 

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखें-

सोडियम का सेवन कम करके और अधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थ एवं हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। ऐसा करने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

 

कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करें-

गैर-संतृप्त वसा (जैतून का तेल और एवोकाडो, नट्स) के लिए संतृप्त वसा (डेयरी उत्पाद, बिस्कुट, आदि) को स्विच करके कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम किया जा सकता है।

 

तनाव कम करने की कोशिश करें-

मन को केन्द्रित करें। साथ ही आराम करने के लिए समय निकालें । जिससे तनाव कम करने में मदद मिलती है।

 

नियमित व्यायाम करें-

प्रतिदिन एक घंटा पैदल चलें और अपने दिनचर्या में कुछ कार्डियो संबंधित व्यायाम शामिल करें।

 

कब जाएं डॉक्टर के पास?

यदि आप पेरिकार्डिटिस से संबंधित एक या अधिक लक्षणों या संकेतों से पीड़ित हैं, तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


Share: