नटराजासन करने की प्रक्रिया और फायदे
2022-07-02 00:00:00
योग शास्त्र के अनुसार ‘नटराजासन’ स्थित मुद्रा में किए जाने वाले महत्वपूर्ण आसनो में से एक है । इसे नर्तक आसन के नाम से भी जाना जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। नटराजासन के योगाभ्यास से शरीर को अच्छा स्ट्रेच भी मिलता है। आइए इस लेख के माध्यम से नटराजासन को करने की प्रक्रिया, फायदे और सावधानियों के बारे में गहन विचार करते हैं।
नटराजासन क्या है?
नटराजासन योगा का एक प्रकार है, जिसका नाम पौराणिक कथाओं में उल्लेखित भगवान शिव के नर्तक रूप माना गया है। इसकी उत्पत्ति संस्कृत भाषा के तीन शब्द से हुई है। पहला ‘नट’ जिसका शाब्दिक अर्थ नाचना, दूसरा ‘राज’ जिसका अर्थ राजा और तीसरा ‘आसन’ जिसका मतलब मुद्रा होता है। नटराज मुद्रा भगवान की नृत्य मुद्रा है। इसलिए इसे नटराजासन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा नटराजासन को भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम की एक मुख्य मुद्रा भी माना गया है। इसलिए इस आसन को अंग्रेजी में किंग डांसर पोज (king Dancer Pose) भी कहा जाता है। इस आसन को करने के लिए शरीर को संतुलित रखना बेहद जरूरी है।
नटराजासन करने के फायदे
- यह आसन तंत्रिका तंत्र को संतुलित करता है।
- इसके नियमित अभ्यास से शरीर पर नियंत्रण का विकास होता है।
- यह आसन बाहों, कंधों, पैरों और पीठ के निचले हिस्सें में स्ट्रेच उत्पन्न करके उन्हें मजबूत बनाता है।
- इस योगाभ्यास से जांघों, पिंडलियों और टखनों के मांसपेशियां मजबूत होती है।
- यह आसन एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही मस्तिष्क को स्वस्थ्य बनाए रखता है।
- इस आसन को करने से तनाव कम होता है।
- नटराजासन घुटनों के दर्द के लिए प्रभावी होता है।
- इसके नियमित अभ्यास से वजन कम करने में मदद मिलती है।
नटराजासन करने की प्रक्रिया
- सर्वप्रथम किसी समतल जगह पर सीधे खड़े हो जाएं।
- फिर लंबी सांस लेते हुए, बाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं। साथ ही अपने बाएं हाथ से पैर के अंगूठे को पकड़ें।
- इसके बाद जितना संभव हो अपने बाएं पैर को ऊपर उठाएं।
- इस दौरान पूरे शरीर के भार को दाएं पैर पर संतुलित करें।
- फिर अपने शरीर के ऊपरी हिस्सों को सामने की ओर झुकाएं।
- ध्यान दें इस दौरान शरीर का संतुलन न बिगड़ें।
- अब अपने फिर दाएं हाथ को आगे की ओर सीधा करें और हल्का खींचने की प्रयास करें।
- कुछ सेकंड तक या अपनी क्षमतानुसार इसी मुद्रा में बने रहें।
- फिर धीरे-धीरे अपने मूल अवस्था में आ जाएं।
- पुनः इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर अर्थात विपरीत दिशा से करें।
- इस आसन चक्र को करीब 3 से 4 बार करें।
नटराजासन करते समय बरतें यह सावधानियां
- किसी भी तरह के योगाभ्यास के दौरान शरीर पर शारीरिक क्षमता से अधिक दबाव न बनाएं।
- निम्न रक्तचाप वाले लोगों को इस आसन से परहेज करना चाहिए।
- यदि किसी को इस आसन के दौरान गर्दन या कंधों में दर्द हो, तो उन्हें इस आसन को करने से बचना चाहिए।
- यदि इस योगाभ्यास को करते समय कमर में कोई तकलीफ हो, तो इस आसन को करना तुरंत रोककर किसी योग विशेषज्ञ से परामर्श लें।