जानें, तिल का तेल और इसके फायदे
2022-05-24 17:22:12
आयुर्वेद में तिल के तेल को तेलों की रानी माना जाता है। इस तेल का उपयोग सदियों से उपचार के लिए किया जाता रहा है। इस तेल के औषधीय गुणों के कारण इसे प्राचीन भारत के वेदों में मनुष्यों के लिए अच्छा बताया गया है। इस तेल में जीवाणुरोधी गुण होते हैं। जो सामान्य त्वचा रोगजनकों जैसे स्टाफीलोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस और एथलीट पैर आदि त्वचा कवक को ठीक करते हैं। यह एक प्राकृतिक एंटी इंफ्लामेंटरी और एंटीवायरल तेल है। जो रूमेटोइड गठिया के लक्षणों को कम करता है। यह तेल तनाव और अवसाद को कम करता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित और मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इस तेल के एंटी इंफ्लामेंटरी एजेंट स्किन को डिटॉक्सिफाई करने, एनीमिया, मधुमेह, आंख और कैंसर के उपचार में मददगार साबित होते हैं। तिल का तेल त्वचा और बालों के अलावा भोजन बनाने में भी उपयोग किया जाता है।
तिल के तेल के फायदे;
मधुमेह का उपचार-
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की रिपोर्ट के अनुसार तिल का तेल डायबिटीज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। सफेद तिल का तेल ब्लड ग्लूकोज (GLU) को रेगुलेट करने और मधुमेह के नुकसानदायक प्रभाव को घटाने में सहायता करता है। इस प्रकार तिल का तेल मधुमेह की समस्या में राहत देने का काम करता है।
रक्तचाप के लिए लाभप्रद-
तिल के तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड उच्च रक्तचाप के स्तर को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, अनसैचुरेटेड फैटी एसिड और विटामिन ई भी रक्तचाप को नियंत्रित रखने का काम करते हैं।
हृदय स्वास्थ्य के लिए बढ़िया-
हृदय को स्वस्थ रखने के लिए तिल के तेल को आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस तेल में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होता है। जो हृदय को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है। इस तेल में लिग्नैंस (फाइबर का एक प्रकार) भी होता है। जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इस प्रकार तिल का तेल को हृदय संबंधी जोखिमों के लिए अच्छा माना जाता है।
सूजन को कम करने में मददगार-
तिल के तेल में एंटी इंफ्लामेंटरी गुण होता है। जो शरीर को सूजन संबंधी समस्याओं से बचाने का काम करता है। यह तेल शरीर को बाहरी और अंदरूनी दोनों प्रकार की सूजन में लाभ देता है। इसके अतिरिक्त तिल का तेल हाथ-पैरों की चोट और उसके दर्द को भी कम करता है।
एनीमिया को दूर करने में सक्षम-
तिल का तेल एनीमिया के जोखिम को कम करता है। दरअसल तिल और इसके तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और फेनोलिक फाइटोकेमिकल्स एनीमिया से बचाव करने में मदद करते हैं। यह कंपाउंड शरीर में लाल रक्त कोशिका (RBC) और हीमोग्लोबिन को बढ़ाकर खून की कमी को दूर करते हैं। इसके अतिरिक्त तिल का तेल मैकेनिज्म यानी कार्य तंत्र के लिए भी अच्छा होता है।
त्वचा के लिए अच्छा-
तिल का तेल त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। दरअसल तिल का तेल हीलिंग प्रॉपर्टीज प्रभाव से युक्त होता है। जो घाव को जल्द भरने में सहायता करता है। तिल के तेल में टोकोफेरॉल नामक तत्व मौजूद होता है। जो त्वचा को सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाता है। इसके अलावा तिल का तेल सनबर्न जैसी समस्याओं को दूर करने का काम करता है।
आंखों के लिए फायदेमंद-
तिल का तेल आंखों की समस्या को ठीक करता है। दरअसल तिल का तेल डायबिटिक रेटिनोपैथी यानी मधुमेह नेत्र रोग (रेटिना में सूजन) से संबंधित समस्याओं को कम करता है। तिल के तेल में मौजूद सेसमिन कंपाउंड रेटिना की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त यह तेल अंधेपन से बचाव करने में भी मदद करता है।
बालों के लिए उपयोगी-
तिल का तेल स्कैल्प (खोपड़ी) को पोषण देने का काम करता है। इस तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण होता है। जो जीवाणु को दूर करके स्कैल्प को संक्रमण से बचाता है। इसके अतिरिक्त तिल के तेल में मौजूद एंटीबैक्टीरियल रूसी को दूर करने में भी सहायता करते हैं।
अर्थराइटिस के लिए-
गठिया की समस्या को अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। काले तिल का तेल इस परेशानी को कम करने में सहायता करता है। तिल के तेल में मौजूद लिग्नैन्स एंटी इंफ्लामेंटरी प्रभाव शरीर में होने वाली इंफ्लेमेशन और इससे संबंधी बीमारियों जैसे अर्थराइटिस के लक्षण आदि को कम करता है।
दर्द से छुटकारा-
एनसीबीआई के शोध के अनुसार तिल का तेल दर्द से राहत दिलाने में सहायता करता है। क्योंकि इसमें एंटी-नोसिसेप्टिक (दर्द को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। इसलिए तिल के तेल का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द से लेकर दांतों के दर्द तक को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त तिल का तेल मासिक धर्म सिंड्रोम, कटने और खरोंच के कारण होने वाले दर्द को भी कम करने में मददगार साबित होता है
विटामिन ई का अच्छा स्रोत-
तिल के तेल में टोकोफेरोल होता है। जोकि विटामिन ई का ही रूप है। इसलिए इसको विटामिन ई का अच्छा स्रोत माना जाता है। यह टोकोफेरोल एंटीऑक्सीडेंट्स की तरह काम करता है। जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाकर कई बीमारियों के जोखिमों को कम करता है। क्योंकि यह फ्री रेडिकल्स एक समय के बाद कैंसर और हृदय रोग का कारण बनते हैं।
एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत-
एनसीबीआई द्वारा किए गए शोध के अनुसार तिल का तेल सेसमोल और सेसमिनोल नामक तत्वों से भरपूर होता है। यह दोनों तत्व शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं। एक अन्य रिसर्च द्वारा बताया गया है कि एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से इस्केमिक हृदय रोग (कोरोनरी धमनी रोग), डायबिटीज और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस जैसी कई बीमारियों को कम किया जा सकता है।
तिल के तेल के नुकसान-
- संवेदनशील लोगों को तिल के तेल का उपयोग करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे उन्हें एलर्जी हो सकती है।
- तिल के तेल में मधुमेह को कम करने की क्षमता होती है। ऐसे में ब्लड शुगर को कम करने वाली दवाओं के साथ इसका सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इससे ब्लड शुगर का स्तर ज्यादा कम हो सकता है।
- तिल का तेल उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। इसलिए निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- तिल के तेल में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसलिए इसका अधिक सेवन शरीर का वजन बढ़ सकता है।