शिलाजीत: आयुर्वेद की एक अद्भुत औषधि
2023-02-08 10:07:42
आयुर्वेद में शिलाजीत कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। यह एक प्राकृतिक खनिज पदार्थ है, जो मुख्य रूप से हिमालय के पहाड़ों में पाया जाता है। शिलाजीत एक दुर्लभ पदार्थ है, जो सदियों से पौधों के धीमे अपघटन से बनता आया है। आयुर्वेद में शिलाजीत को शक्तिवर्धक कहा गया है। यह शारीरिक कमजोरी को दूर करने का काम करता है। जिससे संपूर्ण सेहत में सुधार होता है। साथ ही इसके कई अन्य लाभ भी हैं। इसलिए सदियों से शिलाजीत का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सा में पारंपरिक तौर पर किया जाता रहा है।
शिलाजीत का महत्व-
शिलाजीत को शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधियों में से एक माना जाता है। यह तमाम आवश्यक खनिजों और पोषक तत्वों से समृद्ध है। इसमें कई तरह के बायोएक्टिव यौगिक (फाइटो कॉम्प्लेक्स) मौजूद होते हैं। जिसमें मुख्य रूप से फुल्विक और ह्यूमिक एसिड होते हैं। इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और स्मृति के लिए लाभदायक होते हैं। इसके अलावा शिलाजीत में मौजूद सूजनरोधी घटक, ऊर्जा उत्तेजक और मूत्रवर्धक गुण शरीर से अतिरिक्त विषाक्त पदार्थों को निकालने का काम करता है। इन्हीं सभी गुणों के कारण शिलाजीत कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करता है।
शिलाजीत के फायदे-
यौन स्वास्थ्य-
शिलाजीत का उपयोग अच्छे यौन स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है। दरअसल, शिलाजीत में उत्तेजक गुण पाए जाते हैं। जो कामेच्छा को बढ़ाकर इजेकुलेशन (वीर्य स्खलन) को धीमा करते हैं।
पौरुष शक्ति के लिए-
सदियों से इसका उपयोग कमजोरी को दूर करने एवं जवां रखने के लिए किया जाता रहा है। यह कोशिकाओं को पुनर्जीवित कर बुढ़ापे के लक्षणों को दूर करता है। इसके लिए थोड़ी मात्रा में शिलाजीत पाउडर को दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करें। ऐसा करने से शीघ्र पतन, वीर्य की कमी और धातु दुर्बलता में लाभ मिलता है। इसके अलावा शिलाजीत चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से मनुष्य की शक्ति बढ़ जाती है। साथ ही वीर्य की भी वृद्धि होती है।
याददाश्त बढ़ाने में कारगर-
शिलाजीत का प्रयोग याददाश्त में सुधार के लिए किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व मस्तिष्क स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त शिलाजीत में पाए जाने वाला फुल्विक एसिड तनाव को दूर करके एकाग्रता में सुधार करता है।
एनर्जी लेवल को बढ़ाने में मददगार-
शिलाजीत सेलुलर स्तर पर काम करता है। यह माइटोकॉन्ड्रिया (कोशिका का पावरहाउस) के कार्य में सुधार करके ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है। शिलाजीत तनाव को कम करता है और माइटोकॉन्ड्रियल उत्पादन को बढ़ाता है, जो क्रॉनिक थकान सिंड्रोम वाले लोगों के इलाज में उपयोगी है।
अल्जाइमर रोग में लाभकारी-
अल्जाइमर के कारण व्यक्ति के सोच, व्यवहार और याददाश्त में समस्या होती है। ऐसे में शिलाजीत का सेवन लाभकारी होता है। एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिलाजीत में मौजूद फुल्विक एसिड ताऊ प्रोटीन के असामान्य निर्माण को रोकता है। साथ ही सूजन को भी कम करता है। इसप्रकार यह अल्जाइमर के लक्षणों में सुधार करता है।
एनीमिया से बचाव के लिए-
शरीर में आयरन की कमी के कारण लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होती है। जिससे व्यक्ति एनीमिया से पीड़ित हो जाता है। ऐसे में शिलाजीत एनीमिया से बचाव एवं उनके लक्षणों जैसे अनियमित दिल की धड़कन, सिरदर्द, ठंडे हाथ और पैर, कमजोरी और थकान से निपटने में बहुत उपयोगी है। यह रक्त बनाने और शरीर में स्फूर्ति प्रदान करने में मदद करता है।
मधुमेह के रोगियों के लिए-
शिलाजीत अपने मूत्रवर्धक गुणों के कारण रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में बहुत मदद करता है। इसके अलावा शिलाजीत लिपिड प्रोफाइल को बेहतर बनाने में भी बहुत प्रभावी है।
शिलाजीत का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां-
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को शिलाजीत का उपयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए सुरक्षित नहीं है। इससे मतली, हृदय गति में वृद्धि आदि जैसे कई हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं। शिलाजीत के नियमित सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक सक्रिय हो जाती है, इसलिए इसे उचित चिकित्सकीय देखरेख में ही सेवन करें।
शिलाजीत से एलर्जी और दुष्प्रभाव-
वैसे तो शिलाजीत के सेवन से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता हैं। लेकिन कभी-कभी गलत तरीके, लंबे समय तक या अधिक उपयोग करने से कई तरह की एलर्जी हो सकती है। यह खुजली, चक्कर आना, दस्त, सीने में जलन, सिरदर्द, अधिक पसीना और मतली का कारण बन सकता है। चूंकि शिलाजीत की उच्च खुराक लेने से बीमारी हो सकती है। इसलिए शिलाजीत का प्रयोग डॉक्टर के निर्देशन में ही करना चाहिए।
यह कहां पाया जाता है?
आमतौर पर शिलाजीत हिमालय, काराकोरम, भूटान, नेपाल, ईरान, रूस, मंगोलिया और पेरू के दक्षिण में उच्च पर्वतीय चट्टानों पर पाया जाता है।