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साइनसाइटिस के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

साइनसाइटिस के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

2022-05-24 12:26:44

सर्दी लगना, सिरदर्द होना आमतौर पर कोई बड़ी समस्या नहीं है। लेकिन कभी-कभी यह समस्या किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती है। इसमें से एक साइनसाइटिस भी है जो एक गंभीर समस्या की श्रेणी में आता है। साइनसाइटिस की समस्या कई कारणों से होती है जैसे- साइनस में संक्रमण, प्रदूषण, एलर्जी, सर्दी लगना और बैक्टीरिया संक्रमण आदि।

 
साइनसाइटिस या साइनस क्या है?

नाक के आसपास चेहरे की हड्डियों के अंदर हवा से भरी छोटी-छोटी गुहा रूपी संरचनाएं होती हैं। जिसे 'वायुविवर' या साइनस (sinus) कहते हैं। साइनस पर उसी श्लेष्मा झिल्ली की परत होती है। जब किसी व्यक्ति को जुकाम या एलर्जी होता है तो साइनस ऊतक यानी श्लेष्मा झिल्ली में सूजन आ जाती हैं। इस स्थिति को साइनसाइटिस कहा जाता है। यह सूजन किसी संक्रमण के कारण होती है। जो आम सर्दी-जुकाम के रूप में शुरू होता है। उसके बाद एक बैक्टीरियल, वायरल एवं फंगल इंफेक्शन के रूप में पूरी तरह से विकसित हो जाता है। जिससे व्यक्ति को सिरदर्द, चेहरे में दर्द और नाक बंद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

 
साइनस के प्रकार-

वायुविवरशोथ यानी साइनस रोग को संक्रमण की  अवधि के आधार पर वर्गीकृत किया गया है,जो निम्नलिखित हैं :

 
तीव्र साइनस संक्रमण(Acute sinus infection)-   

साइनस का यह प्रकार सबसे कम अवधि वाला होता है। आमतौर पर यह संक्रमण वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है। जो 3 से 4 हफ्तों तक या उससे कम समय तक ही रहता है।

 
कम तीव्र साइनस संक्रमण(Sub sinus infection)-

साइनस के इस प्रकार के लक्षण 3 महीने तक रहते हैं। इस प्रकार के संक्रमण होने की मुख्य वजह बैक्टीरियल इंफेक्शन या मौसमी एलर्जी होती है।

 
क्रॉनिक साइनस संक्रमण(Chronic sinus infection)-

साइनस का यह प्रकार लंबे समय तक रहता है। आमतौर पर क्रॉनिक साइनस के लक्षण लगभग 12 हफ्तों अर्थात 3 महीने तक रहते हैं। इसका मुख्य कारण एलर्जी, इंफेक्शन, म्यूकस एवं सूजन से होता है। 

 
रिकरंट एक्यूट साइनसाइटिस(Recurrent acute sinusitis)-

साइनस का यह प्रकार बार-बार होता है। यह संक्रमण एक साल में करीब 4 से 5 बार हो सकता है। साथ ही इसके लक्षण हर बार कम से कम 1 हफ्तों तक रहते हैं। बार-बार होने के कारण इसे रिकरंट एक्यूट साइनसाइटिस कहा जाता है।

 
साइनस के सामान्य लक्षण-
  •  बार-बार नाक बहना।
  • नाक बंद हो जाना। 
  • सांस लेने में तकलीफ होना।
  • गंध एवं स्वाद का पता न चलना।
  • नाक, आंख, गला, सिर के आसपास सूजन एवं दर्द का आभास होना।
साइनस के अन्य लक्षण-
  • कान दर्द होना।
  • दातों और ऊपरी जबड़ों की सतह पर दर्द महसूस करना।
  • गले में खराश होना।
  • रात में खांसी का बढ़ना।
  • सांसों से दुर्गंध आना।
  • थकान या कमजोरी महसूस करना।
  • जी मिचलाना।
  • चिड़चिड़ापन महसूस करना।
साइनस होने के कारण-
  • सर्दी-जुकाम का होना।
  • वायरस, फंगस एवं बैक्टीरिया संक्रमण का होना।
  • नाक में एलर्जी होना।
  • प्रदूषित वातावरण का होना।
  • रासायनिक धुआं एवं धूल के संपर्क में आना।
  • जानवरों के संपर्क में आना।
  • नाक की हड्डी का नुकीले आकार में बढ़ना।
साइनस होने पर बरतें यह सावधानियां-
  • अच्छे से आराम करें।
  • धूम्रपान करने से बचें।
  • खूब पानी पिएं।
  • प्रचुर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें।
  • गुनगुने फेसियल पैक का उपयोग करें।
  • नियमित रूप से भाप लेते रहें।
  • धूल- मिट्टी जैसी जगहों पर जाने से बचें।
  • चिंता, तनाव और अवसाद से दूर रहें। 
  • भोजन करने से पूर्व हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • छींकने, खांसने के बाद या शौचालय से आने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • संक्रमित एवं प्रदूषित वातावरण में जाने से बचें।
साइनस के घरेलू उपाय-

 

एसेंशियल ऑयल-

साइनस होने पर एसेंशियल ऑयल का उपयोग अरोमा थेरेपी के रूप में करना लाभदायक होता है। यह थेरेपी साइनस रोग में होने वाली सूजन और बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करती है। इसके लिए तुलसी, पेपरमिंट, गुलमेहंदी, यूकलिप्टस,लोबान या इनमें  भी एसेंशियल ऑयल की 2 से 3 बूंदों को डिफ्यूजर में डालकर इसकी खुशबू को सूंघें। ऐसा करने साइनस में होने वाले सूजन से राहत मिलती है। इसके अलावा इसकी कुछ बूंदों को हाथों में लेकर नाक और सिर की हल्के हाथों से मसाज करने से भी लाभ मिलता है।

 

सेब का सिरका-

सेब का सिरका साइनस में होने वाले भारीपन के लिए अच्छी दवाओं में से एक है। क्योंकि इसमें एसिटिक एसिड होता है जिसमें एंटीमाइक्रोबियल होता है, जो बैक्टीरिया और वायरस संक्रमण से लड़ता है। इसके लिए एक चम्मच एप्पल साइड विनेगर को गर्म पानी में डालकर भाप लेने से आराम पहुंचता है।  

 

लेमन बाम-

लेमन बाम साइनस के इलाज में कारगर उपाय माना जाता है। दरअसल इसमें एनाल्जेसिक गुण पाया जाता है। जो साइनस के कारण होने वाले सिरदर्द से राहत दिलाने का काम करता है। इसके लिए लेमन बाम के तेल को हाथ में लेकर सिर,नाक और गले की मसाज करें। इसके अलावा लेमन बाम की कुछ पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़े के रूप में इस्तेमाल करना भी फायदेमंद होता है।  

 

टी एवं हर्बल टी-

साइनस होने पर शहद युक्त चाय या हर्बल टी साइनस के लिए अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है। क्योंकि यह साइनस के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। इसलिए साइनस होने पर यह चाय कारगर साबित होती है।

 

अदरक चाय-

अदरक में एनाल्जेसिक और एंटी बैक्टीरियल गुण पाया जाता है। जो सूजन और दर्द को दूर करता है। इसलिए शहद युक्त अदरक चाय या किसी भी रूप में अदरक का इस्तेमाल करना साइनस के लिए फायदेमंद होता है।

 

लहसुन-

 लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। जो साइनस के लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए लहसुन की 4 से 5 कलियों को पीसकर गर्म पानी में डालकर सूप बना लें। हल्का गुनगुना होने पर इस सूप को पिएं। इससे साइनस में आराम मिलता है। इसके अलावा लहसुन की 2 से 3 कलियों को अपने दातों के बीच रखकर इसका रस चूसने से फायदा होता है। 

 

टी ट्री ऑयल-

टी ट्री ऑयल में एंटीसेप्टिक, एंटी माइक्रोबियल एवं एंटी इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। जो साइनस की वजह से होने वाले सिरदर्द को दूर करता है। इसके लिए टी ट्री ऑयल की 4 से 5 बूंदों को गरम पानी में डालकर भाप लें। ऐसा दिन में दो से तीन बार करने से राहत मिलती है।

 

दालचीनी-

दालचीनी साइनस के उपचार में प्रभावी होती है। यह साइनस पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट करती है। इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी चूर्ण को मिलाकर सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से राहत मिलता है।

 

मेथी दाना-

साइनस के इलाज में मेथी दाना भी कारगर होती है। इसके लिए मेथी के दानें को पानी में उबालें। उसके बाद उस मिश्रण को छानकर चाय की तरह दिन में दो से तीन बार पिएं। ऐसा नियमित रूप से कुछ दिनों तक करने से साइनस से छुटकारा मिलती है।

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