पेट संक्रमण के लक्षण और उपाय
2022-05-24 13:51:37
शरीर को लगने वाले अधिकतर रोगों की शुरुआत पेट से होती है। जिसका मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या और गलत खान-पान होता है। इसीलिए ज्यादातर लोग पेट साफ करने के लिए खुद से ही रोजाना किसी न किसी दवाई का सेवन करते है। जबकि बिना डॉक्टर की सलाह के इस तरह की दवाओं का सेवन करना ठीक नहीं होता। पेट का संक्रमण गर्मी के मौसम में थोड़ा ज्यादा होता है। क्योंकि गर्मी में लोग अपने खान-पान में अक्सर लापरवाही कर जाते हैं। जिसकी वजह से उन्हें पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा भी कुछ पेट की समस्याओं का कारण अलग-अलग तरह का वायरस भी हो सकता है। पेट के संक्रमण को स्टमक इंफेक्शन भी कहा जाता है।
कैसे होता है पेट का संक्रमण?
कभी असमय खाने से तो कभी ज्यादा खाने से तो कई बार खराब खाना खाने से पेट का संक्रमण हो जाता है। इसके अलावा कई बार बैक्टीरिया के कारण भी पेट का संक्रमण हो सकता है। जो पेट और आंतों में होने वाला संक्रमण होता है। इस प्रकार पेट से जुड़ी कई परेशानियों की शुरुआत यहीं (स्टमक इंफेक्शन) से होती है।
फूड पॉइजनिंग
फूड प्वायजनिंग भी पेट संक्रमण का एक अहम कारण है। फूड प्वायजनिंग में विषैले तत्व भोजन के द्वारा शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। जिससे व्यक्ति बीमार हो जाता है। इसके अलावा खुला हुआ और देर तक रखा खाना भी पेट को संक्रमित करने का काम करता है।
संक्रमित पेट के लक्षण-
- पेट में मरोड़ के साथ दर्द होना।
- डायरिया की शिकायत।
- उल्टी और मितली की समस्या।
- खाने का ठीक से न पच पाना।
- पेट का फूल जाना।
- पेट दर्द के साथ उल्टियां होना आदि।
पेट के संक्रमण के उपचार-
लौंग-
लौंग शरीर में मौजूद छोटे-छोटे बैक्टीरिया को खत्म करके पेट की इंफेक्शन को खत्म करने का काम करती है।
हल्दी-
1 चम्मच हल्दी पाउडर में 6 छोटे चम्मच शहद मिलाकर, उसे एक हवा बंद जार में रख दें। फिर दिन में दो बार आधा-आधा चम्मच इस मिश्रण का सेवन करें। ऐसा करने पर पेट का संक्रमण जल्दी ठीक हो जाता है।
हींग-
सुबह खाली पेट पानी के साथ थोड़ी मात्रा में हींग का सेवन करने से पेट के कीड़ों को खत्म करने में मदद मिलती है।
शहद-
शहद में दालचीनी पाउडर को मिलाकर खाने से गैस्टिक प्रॉब्लम संबंधित पेट से जुड़ी कई परेशानियां ठीक हो जाती है।
केला-
केला आसानी से पचने वाला फल होता है। इसके अलावा इसमें पोटैशियम होता है, जो पेट के लिए अच्छा होता है।
अन्य उपचार या सावधानियां-
- हमेशा ताजे भोजन का सेवन करें।
- समय पर खाना खाएं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- भोजन एवं दिनचर्या के नियमों का ठीक से पालन करें।
- भोजन के साथ सलाद और ठंडा दूध, खीरा, ककड़ी, तरबूज आदि का सेवन करें।
- योग, आसन, प्राणायाम, प्राकृतिक, आयुर्वेदिक उपचार आदि को अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।