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शारीरिक कमजोरी के लक्षण, कारण और उपाय

शारीरिक कमजोरी के लक्षण, कारण और उपाय

2022-05-24 17:03:39

शरीर में थकावट की भावना और हर समय सुस्ती महसूस होना शारीरिक कमजोरी होती है। ऐसा भी हो सकता है कि कमजोरी महसूस करने वाला व्यक्ति अपने शरीर का कोई हिस्सा हिला पाने में असमर्थ हो या उसे उस हिस्से में झटके या ऐंठन महसूस हो। कुछ लोगों को उनके शरीर के किसी हिस्से जैसे हाथों या पैरों में और कुछ लोगों को इन्फ्लूएंजा या हेपेटाइटिस जैसे बैक्टीरियल संक्रमण या वायरल इन्फेक्शन के कारण पूरे शरीर में कमजोरी महसूस होती है। आम तौर पर शारीरिक कमजोरी कुछ समय के लिए होती है लेकिन कुछ मामलों में यह लंबे समय तक भी रह सकती है। कमजोरी के इलाज के लिए सबसे पहले इसके कारण की पहचान करना आवश्यक है। जिसके आधार पर इसके लक्षणों का इलाज किया जाना चाहिए।

 

शारीरिक कमजोरी कितने प्रकार की होती है?

शारीरिक कमजोरी मुख्यतः दो प्रकार की होती है। पहली न्यूरोमस्कुलर कमजोरी और दूसरी नॉन-न्यूरोमस्कुलर कमजोरी।

 

न्यूरोमस्कुलर कमजोरी (Neuromuscular weakness)

न्यूरोमस्कुलर कमजोरी में किसी क्षति के कारण मांसपेशी की ताकत कम हो जाती है। जिससे उसके कार्य करने की क्षमता में कमी आती है।

 

नॉन-न्यूरोमस्कुलर कमजोरी (Non-neuromuscular weakness)

नॉन-न्यूरोमस्कुलर कमजोरी में आपको कोई कार्य करते समय कमजोरी महसूस होती है। जबकि वास्तव में मांसपेशी बिलकुल सामान्य होती है।

 

शारीरिक कमजोरी के लक्षण-

  • शरीर के किसी एक हिस्से में कमजोरी महसूस होना या उस हिस्से को ठीक से हिला पाने में असमर्थ होना।
  • प्रभावित अंग से कोई कार्य करने में देरी होना या प्रभावित अंग में कंपन या झटके महसूस होना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन होना और उससे पूरे शरीर में थकान महसूस करना।
  • बिना थकावट हर समय कमजोरी महसूस होना।
  • बुखार, फ्लू जैसे लक्षण और प्रभावित अंग में दर्द होना।
  • नजर कमजोर होना और अचानक बेहोश हो जाना।
  • बोलने और निगलने में कठिनाई होना।
  • मानसिक स्थिति में बदलाव या उलझन होना।
 

शारीरिक कमजोरी के कारण-

अवसाद व डिप्रेशन-

अवसाद व डिप्रेशन को थकान व कमजोरी की मुख्य वजह माना जाता है। क्योंकि बहुत अधिक चिंता करना या अवसाद में रहना पीड़ित के जीवन स्तर और कार्यशैली पर बहुत बुरा प्रभाव ड़ालते हैं। इसी कारण जब एक व्यक्ति तनाव में होता है तो वह कमजोरी के लक्षण अनुभव करता है। दुर्भाग्यवश ऐसे ज्यादातर मामलों का निदान नहीं हो पाता है क्योंकि यह आसानी से पहचान में नहीं आते।

 

सुस्ती-

गतिहीन जीवनशैली और सुस्ती के कारण मांसपेशियां समय के साथ-साथ कमजोर हो जाती हैं। जिससे शरीर में कमजोरी महसूस होती है।

 

उम्र-

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की कोशिकाओं और ऊतकों की आपस में तालमेल रखने की क्षमता कम होती रहती है। इसी वजह से बूढ़े लोगों का शरीर कम सक्रिय रहकर अपनी ऊर्जा बचाता है अन्यथा उन्हें कमजोरी का अनुभव होता है।

 

संक्रमण और लम्बी चलने वाली बीमारियां-

अगर शरीर को लगातार संक्रमणों से लड़ना पड़े तो शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है। शरीर में लम्बे समय से चले आ रहे इंफेक्शन जैसे टीबी और हेपेटाइटिस के कारण भी रोगी को थकान महसूस होती है। इसकी एक वजह यह है कि इन बीमारियों के चलते मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। इसी तरह शुगर और अनिद्रा की बीमारी के चलते भी पीड़ित को बेहद कमजोरी महसूस होने लगती है।

 

विटामिन की कमी-

महत्वपूर्ण विटामिनों की कमी से लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में कमी आती है। जिससे शरीर में ऊर्जा का निर्माण कम हो जाता है और शरीर कमजोरी महसूस करता है।

 

शारीरिक कमजोरी के अन्य कारण-

  • फ्लू
  • थायराइड
  • खून की कमी (एनीमिया: यह मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्त्राव के कारण हो सकता है)
  • नींद की कमी
  • शुगर की बीमारी
  • हार्ट फेलियर
  • विटामिन बी-12 की कमी
  • दवाओं के साइड इफ़ेक्ट
  • कीमोथेरपी (Chemotherapy)
  • कैंसर
  • स्ट्रोक
  • दिल का दौरा
  • नसों या मांसपेशियों में चोट
  • नसों या मांसपेशियों को प्रभावित करने वाली बीमारियां
 

कमजोरी से बचाव के उपाय-

  • कैफीन और शराब का सेवन करने से बचें।
  • अत्यधिक एक्सरसाइज या डाइटिंग न करें।
  • रात को पर्याप्त नींद अवश्य लें।
  • अपने आहार में कैल्शियम, प्रोटीन और कम फैट वाले भोजन को शामिल करें।
  • पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें, इससे शरीर में ऊर्जा रहती है और थकान कम होती है।
  • रोजाना कम से कम तीस मिनट बाहर खुले वातावरण में घूमने का प्रयास करें। इससे दिमाग और शरीर को शांति मिलती है, तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
 

शारीरिक कमजोरी का इलाज;

संक्रमण के कारण हुई कमजोरी-

संक्रमण से लड़ने के लिए डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से खोई हुई ऊर्जा वापिस पाई जा सकती है।

 

डिप्रेशन के कारण हुई कमजोरी-

एंटीडिप्रेसेंट दवाओं से इस प्रकार की थकान को ठीक किया जा सकता है।

 

विटामिन की कमी के कारण हुई कमजोरी-

विटामिन की कमी से हुई चयापचयी (Metabolic) असामान्यता को ठीक करने के लिए वह विटामिन दिया जाता है जिसका स्तर कम है। अधिकतर थकान विटामिन बी 12 और फोलेट की कमी के कारण होती है। जिनकी कमी को पूरा करके कमजोरी को ठीक किया जा सकता है।

 

अधिक काम के कारण हुई कमजोरी-

अगर ज्यादा काम करने के कारण मांसपेशियों में कमजोरी हो रही है तो जीवनशैली में परिवर्तन करके इसका इलाज किया जा सकता है।

 

कब जाएं डॉक्टर के पास?

  • चक्कर आने पर।
  • उलझन होने पर।
  • बोलने में परेशानी होने पर।
  • नजर में बदलाव आने पर।
  • छाती में दर्द होने पर।
  • सांस लेने में दिक्कत होने पर।
  • अनियमित दिल की धड़कन।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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