खांसी के प्रकार, लक्षण, कारण और उपचार
2023-09-14 00:00:00
खांसी व्यक्ति के वायुमार्ग के बलगम और बाहरी पदार्थों जैसे धूल के कणों, धुएं, कीटाणुओं और तरल पदार्थों आदि से गले को साफ करने के लिए शरीर की प्रतिवर्त क्रिया है। संक्षेप में कहें तो,खांसी फेफड़ों से हवा का तेजी से निष्कासन है, जो मुंह से होकर गुजरती है। यह एक सामान्य रिफ्लक्स क्रिया है जो श्वास की रुकावट को दूर करने में मदद करती है। इसके प्रारंभिक चरण में तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, अगर खांसी अधिक समय तक रहती है, तो यह एक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।
खांसी के प्रकार-
तीव्र खांसी-
ऐसी खांसी जो 2 से 3 सप्ताह से अधिक नहीं रहती है, तीव्र खांसी कहलाती है।
पुरानी खांसी-
पुरानी खांसी 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहती है और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती है। इस प्रकार की खांसी को लगातार आने वाली खांसी (persistent cough) के रूप में भी जाना जाता है।
क्रुप खांसी-
आमतौर पर क्रुप खांसी संक्रामक होती है। यह संक्रमण ऊपरी श्वसन मार्ग को प्रभावित करता है। जिससे सूजन और सांस लेने में कठिनाई होती है।
सूखी खांसी-
सूखी खांसी अक्सर कई कारकों जैसे नाक और गले में संक्रमण, एलर्जी, वायु प्रदूषण, तापमान में उतार-चढ़ाव, शुष्क वातावरण, एसिड रिफ्लक्स आदि के कारण होती है। सूखी खांसी से संक्रमित होने पर कफ या बलगम की मात्रा बेहद कम होती है। जिसका असर व्यक्ति पर तुरंत नहीं दिखता है। लेकिन कुछ दिनों में ही इस खांसी के प्रभाव दिखने लगते हैं।
गीली खांसी-
गीली खांसी को छाती वाली खांसी और उत्पादक खांसी के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रकार की खांसी के परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में बलगम और कफ निकलता है, जो संक्रमण या अस्थमा के कारण निचले श्वसन पथ में जमा हो जाता है। यह जमा अतिरिक्त बलगम नाक और मुंह के माध्यम से बाहर निकल जाती है।
काली खांसी-
काली खांसी को दूसरे शब्दो में कुकर खांसी और अंग्रेजी में पर्टुसिस और वूपिंग कफ के नाम से भी जाना जाता है। यह एक श्वसन तंत्र से जुड़ा संक्रमण है। इस प्रकार की खांसी ऊपरी श्वसन पथ के जीवाणु संक्रमण के कारण होती है और अधिक संक्रामक होती है। काली खांसी से संक्रमित होने पर व्यक्ति को कफ या बलगम आने लगता है। इसका कुछ लक्षण जैसे नाक बहना, नाक बंद होना, बुखार, आंखों से पानी आना और अधिक थकान महसूस करना आदि होता है।
खांसी के लक्षण-
खांसी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं-
- गला खराब होना।
- बलगम और कफ का अधिक उत्पादन होना।
- नाक बंद होना।
- सिरदर्द होना।
- पेट में जलन होना।
- नाक बहना।
- भोजन का अप्रिय स्वाद होना।
- स्वर यानी आवाज बैठना।
- अनिद्रा की परेशानी होना।
- गले के ऊतकों में सूजन होना।
- शारीरिक थकावट महसूस करना।
खांसी के कारण-
तीव्र और पुरानी खांसी के सामान्य कारण हैं-
अल्पकालिक (तीव्र) खांसी का सबसे आम कारण ऊपरी श्वसन पथ का वायरल संक्रमण जैसे कि सर्दी या फ्लू का होना होता है। यह संक्रमण गले, श्वासनली और फेफड़ों में सूजन उत्पन्न करता है। आमतौर पर इस प्रकार की खांसी स्वस्थ लोगों में 2-3 सप्ताह के अंदर स्वतः ठीक हो जाते हैं।
तीव्र खांसी के अन्य कारणों (3 सप्ताह से कम समय तक चलने वाले) में शामिल हैं-
- COVID-19
- स्वरयंत्रशोथ - संक्रमण या जलन के कारण स्वरयंत्र की सूजन।
- साइनसाइटिस।
- काली खांसी।
- निचले श्वसन पथ के संक्रमण जैसे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया।
- अस्थमा जो अच्छी तरह से नियंत्रित नहीं है।
पुरानी खांसी के कुछ अन्य कारण इस प्रकार हैं-
- पोस्टवायरल खांसी, श्वसन पथ के वायरल संक्रमण के बाद, जैसे साइनसाइटिस या ब्रोंकाइटिस।
- कफ वैरियंट अस्थमा।
- भाटा (जीईआरडी) ।
- क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), फेफड़ों में वायु प्रवाह की निरंतर रुकावट, जो श्वास को प्रभावित करता है।
- क्षय रोग।
- धूम्रपान।
- फेफड़ों का कैंसर या गले का कैंसर।
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, एक सामान्य नींद विकार जो नींद के दौरान खर्राटों और सांस लेने की परेशानी का कारण बनता है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस, उत्पादक खांसी ।
खांसी की रोकथाम कैसे करें?
- अधिक तापमान में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचें। उदाहरण के तौर पर अचानक धूप में निकलना या बाहर से आने के बाद वातानुकूलित कमरे में रहना।
- रात में या जल्दी सुबह गर्म शावर लेने से बचें।
- तैलीय एवं वसायुक्त भोजन के सेवन से बचें।
- अधिक ठंडे भोजन, आइस क्रीम, दही, बर्फ के पानी का कतई सेवन न करें।
- किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए भोजन करने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- घर को साफ रखें और यह भी सुनिश्चित करें कि बाथरूम और किचन पूरी तरह से साफ एवं कीटाणु मुक्त हों।
- धूल के संपर्क में आने से बचें।
- छींकने और खांसने के बाद या शौचालय से आने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
- शरीर को हाइड्रेट रखें और प्रचुर मात्रा में पानी या अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।
- संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचें क्योंकि कई प्रकार की खांसी संक्रामक होती है और बैक्टीरिया को बहुत जल्दी प्रसारित करती है।
- ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
- शराब और धूम्रपान का सेवन बिल्कुल न करें।
खांसी का इलाज-
तरल पदार्थ पीने और शरीर को हाइड्रेट रखने से खांसी का इलाज किया जा सकता है। पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन जैसे दर्द निवारक लेने से भी मदद मिल सकती है। हालांकि, खांसी हफ्तों तक रहती है और हर दिन इसकी स्थिति बिगड़ती जाती है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
खांसी के घरेलू उपचार-
शहद-
शहद को खांसी के सबसे प्रभावी उपचारों में से एक माना जाता है। शहद युक्त मिश्रित चाय, गर्म नींबू पानी या अंगूर के रस के साथ शहद मिलाकर सेवन करने से गले की खराश से राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त केवल शहद का सेवन करना भी बहुत प्रभावी होता है। क्योंकि यह गले के संक्रमण को ठीक करता है। साथ ही संक्रमण के कारण होने वाली जलन को भी कम कर सकता है।
भाप लें-
खांसी, जुकाम अन्य वायरल एवं बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर भाप लेना अच्छा उपाय होता है। यह फेफड़ों में जमा बलगम की मात्रा को कम करने में मदद करता है और वायुमार्ग को साफ करता है। इसके लिए गर्म पानी में यूकलिप्टस तेल का इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद साबित होता है।
गर्म पानी-
खांसी से राहत पाने के लिए गर्म पानी सबसे अच्छा उपाय है। ऐसे में नमक युक्त गर्म पानी से गरारे करें। इसके लिए 1 कप गर्म पानी में ½ चम्मच नमक मिलाकर गरारे करें। ऐसा करने से गले के सूजे हुए ऊतकों को ठीक करने में मदद मिलती है। इसके अलावा गर्म पानी में नींबू, शहद और नीलगिरी के पत्ते से बने काढ़े का सेवन करने से गले की खराश दूर होती है।
बादाम-
ऐसी मान्यता है कि बादाम में मौजूद पोषक तत्व ब्रोन्कियल समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए कुछ बादाम को रात भर पानी में भिगो दें और सुबह उनका चिकना पेस्ट बना लें। इसके बाद इस पेस्ट में एक चम्मच मक्खन या संतरे का रस मिलकर सेवन करें। ऐसा कुछ दिन करने से खांसी की समस्या दूर हो जाती है।
लहसुन-
लहसुन में जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुण मौजूद होते हैं, जो गले एवं ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण को ठीक करने में मदद करते हैं। इसके लिए एक गिलास पानी में लहसुन की दो से तीन कलियां को उबालें। फिर उसमें एक चम्मच शहद मिला लें। अब इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए 5 से 10 मिनट तक रख दें। जैसे ही इसका तापमान कम हो जाए, तुरंत इसे पी लें।
नींबू-
गले में खराश या खांसी के लिए भी नींबू एक कारगर उपाय है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी होता है, जो लार को उत्तेजित करने और गले की जलन को कम करने में मदद करता है। इसके लिए नींबू को काटकर उस पर काली मिर्च और नमक छिड़कें। अब इसके रस को तुरंत अपने मुंह में निचोड़ें। ऐसा करने से मिलता है।
पुदीने की पत्तियां-
पेपरमिंट में मेन्थॉल होता है, जो बलगम के कारण होने वाले जमाव से राहत प्रदान करता है। साथ ही गले को संक्रमण से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा पेपरमिंट के एंटी बैक्टीरियल गुण बुखार और गले में खराश पैदा करने वाले जीवाणुओं का खात्मा करते हैं। इसके लिए शहद युक्त पुदीने की चाय बहुत ही असरदार औषधि का काम करती है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
निम्न परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें-
- 3 सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होने पर।
- सांस की तकलीफ, सीने में दर्द या थकान का अधिक महसूस होने पर।
- खांसते समय बलगम में रक्त आने पर।
- खांसी के कारण सोने में अधिक कठिनाई का सामना करने पर।
- बुखार होना या वजन कम जैसी अस्पष्टीकृत समस्याओं का सामना करने पर।
Written By- Jyoti Ojha
Approved By- Dr. Meghna Swami