वच के फायदे और उपयोग
2022-09-14 15:13:16
वच को अंग्रेजी में स्वीट फ्लैग और कैलामस के नाम से जाना जाता है। यह एक अर्ध-जलीय बारहमासी मोनोकॉटाइलडोन पौधा है, जो मुख्य रूप से नदियों, तालाबों के आस-पास और दलदली जगहों पर विकसित होता है। इसके पौधे की लंबी, संकरी पत्तियां होती हैं। जिसकी लंबाई करीब 2-4 फीट तक होती है। वच के फूल छोटे और सफेद रंग के होते हैं। इस पौधे की पत्तियां और जड़ें एक मनमोहक सुगंध प्रदान करती हैं, जो पौधे की गुणवत्ता को बढ़ाती हैं। इसका वैज्ञानिक नाम एकोरस कैलमस (acorus calamus) है।
वच एक औषधीय पौधा है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में कई वर्षों से किया जाता रहा है। इसका उपयोग कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। आइए इन तथ्यों पर हम इस ब्लॉग के माध्यम से चर्चा करते हैं-
वच के पोषक तत्व-
वच का पौधा पौष्टिक तत्वों का भंडार है। इसकी जड़ में बीटा-एसारोन, बीटा-गुर्जुनीन, (ई)-एसारोन, (जेड)-एसारोन, एरिस्टोलीन, सेक्वेस्टरपेन्स-नॉरसेक्वेस्टरपाइन कैलामुसीन और (ई)-एसारोन, कैलामुसिन ए-एच और बीटा-डॉकोस्टेरॉल शामिल हैं।
आयुर्वेद में वच का महत्व-
आयुर्वेद के अनुसार, वच में वात संतुलन और मेध्य गुण मौजूद होते हैं। जिसके कारण वच का सेवन शहद के साथ करने से स्पीच डिसऑर्डर की समस्या दूर होती है। इसके एक्सपेक्टोरेंट गुणों के कारण यह वायु मार्ग से कफ को हटाने में मदद करता है। जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी आदि से राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त वच में मौजूद अन्य तत्व कई शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं में लाभ प्रदान करते हैं।
वच के फायदे-
- जूं का इलाज करने के लिए-वच जूं से छुटकारा दिलाने के लिए सबसे अच्छा प्राकृतिक घटक माना जाता है। दरअसल वच का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है, जो जूं को नष्ट करने में प्रभावी होता है। यह सामयिक उपयोग के लिए सुरक्षित है और त्वचा को नरम और मुलायम रखता है। इसलिए इसे स्कैल्प पर लगाने से कोई नुकसान नहीं होता है। साथ ही इसका तेल जूं को रोकने के लिए एक बढ़िया विकल्प है।
- खांसी और गले में खराश के लिए-सर्दी, खांसी और जुकाम के इलाज में वच को प्रभावी औषधि माना जाता है। यह सर्दी और गले की खराश से राहत दिलाने का काम करता है। इसके लिए वच की जड़ के पाउडर को शहद में मिलाकर सेवन करने से राहत मिलती है। इसके अतिरिक्त जिन लोगों को स्पीच प्रॉब्लम या कुछ बच्चे बोलने में देरी करते हैं। यह उपाय उनके लिए भी लाभदायक साबित होता है। क्योंकि यह उन्हें उचित उम्र से बोलना शुरू करने और संवाद करने में मदद करती है।
- अवसाद को दूर करने और याददाश्त को सुधारने में कारगर-वच तंत्रिकाओं को शांत करने के लिए जाना जाता है। साथ ही यह किसी की याददाश्त में सुधार करने में मदद करता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, वच में एंटीडिप्रेसेंट गतिविधि होती है। यह गतिविधि व्यक्ति को तनाव और अवसाद को दूर करने में मदद करती है। इसके लिए वच की जड़ को कूटकर पानी में उबालें। इसे तब तक उबालें जब तक पानी जलकर एक चौथाई न बच जाएं। फिर इसे छानकर काढ़े की तरह सीप करके पिएं। ऐसा करने से अवसाद और तनाव दूर होताहै। साथ ही याददाश्त में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा ऐसा करने से मिर्गी या अन्य मानसिक समस्याओं में लाभ पहुंचता हैं।
- संतान प्राप्ति में सहायक-वचा संतान प्राप्ति में होने वाली समस्याओं को दूर करके बच्चे के जन्म में मदद करता है। अक्सर बच्चे के जन्म के दौरान जब माँ थक जाती है या जन्म नहीं दे पाती है तो ऐसी स्थिति में वचा पाउडर बेहद कारगर उपाय साबित होता है। जिसकी मदद से मां बिना किसी परेशानी के बच्चे को जन्म दे पाती है।
- सूजन को कम करने में सहायक-वच गठिया के कारण होने वाले दर्द और सूजन के इलाज में भी कारगर है। क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो गठिया और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं में राहत पहुंचाने का काम करते हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सूजन बढ़ाने वाले अन्य कारणों और बैक्टीरिया, वायरस आदि को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
- पेट के विकारों में लाभप्रद-वचा पेट फूलने का एक उत्कृष्ट उपाय है और शिशुओं में अपच के इलाज के लिए अच्छा उपाय माना जाता है। इसके लिए वच पाउडर को दूध में मिलाकर पिलाएं। ऐसा करने से बच्चों में होने वाली अपच एवं अन्य पेट संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता हैं।
वच के उपयोग-
वच का उपयोग प्राकृतिक बाइंडर बनाने के लिए किया जाता है। यह लोगों के लिए एक कृत्रिम और अच्छा विकल्प है। इसके लिए वच के टुकड़े को जलाकर और फिर इसके एक्सट्रेक्ट एस्ट्रैक्ट को चंदन की लकड़ी पर रगड़ कर निकाला जाता है। यह बच्चों में उपयोग के लिए सुरक्षित और उपयुक्त है।
वच का उपयोग कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है। यह तिलचट्टे और कीड़ों से बचाता है और छोटे बच्चों पर उपयोग के लिए सुरक्षित है। इसके लिए वच जड़ी बूटी का उपयोग करने के लिए, आपको जड़ी बूटी के पाउडर को पानी में मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। फिर इस मिश्रण को छिड़कें। ऐसा करने से कीड़ों से छुटकारा मिलता है।
वच का उपयोग करते समय बरतें यह सावधानियां-
वच का उपयोग करने की कुछ सावधानियां और दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं-
- लंबे समय तक (5-6 सप्ताह से अधिक नहीं) और अधिक मात्रा में वचा का उपयोग न करें।
- यदि किसी व्यक्ति के शरीर में पित्त की अधिकता है तो ऐसी स्थिति में इसके सेवन से बचें।
- वच का अधिक सेवन ड्रोसिनेस्स या स्लीपिनेस्स का कारण बन सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान वच का सेवन करने से पूरी तरह बचें।
यह कहां पाया जाता है?
वच भारत और बर्मा के दलदली स्थानों में उगता है। आमतौर पर यह भारत के मणिपुर और नागा पहाड़ियों में पाया जाता है।