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कुचला क्या हैं? जानें इसके बारे में

कुचला क्या हैं? जानें इसके बारे में

2022-07-13 00:00:00

कुचला एक सदाबहार पौधा है, जो प्राचीन काल से ही अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। आमतौर पर इस पौधे के बीजों का उपयोग चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए उपचार के रूप में किया जाता है । इसका स्वाद कड़वा और गंध तेज़ होती है।

इसका वैज्ञानिक नाम स्ट्राइक्नोस नक्स-वोमिका (strychnos nux-vomica) है। इसके अलावा कुचला को कई अन्य नामों से जाना जाता है, जिसमें कुछ विस्तिन्दु, काकातिंडुका, अजरकी, हब्बुल गुरब, कुसीला, कुचिला,नक्स वोमिका, कोंचला, झेर कोचला, ज़ेर कोचलू, मंजीरा, हेममुश्ती, इतोगी, कासरकेयी आदि हैं।

आयुर्वेद में कुचला का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, कुचला का प्रयोग करने से पहले उसे शुद्ध किया जाता है। शुद्धिकरण या शोधन को इतिहासों में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसकी शुद्धि के लिए गाय का मूत्र (गोमूत्र), गाय का दूध (गो दुग्ध) और गाय का घी (गो घृत) उपयुक्त माना गया है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिसके कारण यह कई तरह के शारीरिक और मानसिक संबंधित समस्याओं को दूर करने का काम करता है।

कुचला भूख बढ़ाने और पाचन क्रिया को ठीक करने में मदद करता है। साथ ही कब्ज की समस्या में भी लाभ प्रदान करता है है। यह मधुमेह रोगियों के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सहायक होता है। कुचला मस्तिष्क के कार्य को नियंत्रित करके तनाव को कम करता है ,जिससे अनिद्रा की समस्या को दूर करने भी मदद होती है। यह अपने मूत्रवर्धक प्रभाव के कारण पेशाब के दौरान होने वाली जलन जैसी मूत्र संबंधी समस्याओं के इलाज में भी उपयोगी है। इसके अतिरिक्त यह अपने वाजीकरण या कामोत्तेजक गुणों के कारण स्तंभन दोष जैसी यौन समस्याओं के इलाज के लिए जाना जाता है।

कुचला का प्रयोग किन रूपों में किया जाता है?

कुचला को विभिन्न रूपों में उपयोग किया जाता है। लेकिन आमतौर पर इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुरी होता है। इसका उपयोग निम्न उल्लेखित रूपों में किया जाता है

  • इसका उपयोग विभिन्न चिकित्सीय परिस्थितियों के इलाज के लिए कच्ची जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है।
  • कुचला का उपयोग तेल के रूप में भी किया जाता है।
  • कुचला गोलियों और पाउडर के रूप में भी उपलब्ध है।।

कुचला के लाभ

  • नपुंसकता कुचला में मौजूद वाजीकरण या कामोत्तेजक गुणों के कारण, यह स्तंभन दोष को दूर मदद करता है। साथ ही यह शुक्राणुओं की संख्या और शक्ति को बढ़ाकर पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
  • भूख बढ़ाता हैकुचला एक प्रभावी भूख उत्तेजक है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गतिविधि को बढ़ाने, कब्ज को रोकने और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए जाना जाता है। इसलिए भूख बढ़ाने के लिए कुचला बहुत उपयोगी साबित होता है।
  • अवसाद को कम करने में सहायककुचला को अवसाद के लक्षणों का इलाज करने के लिए जाना जाता है क्योंकि यह वात को प्रभवित ढंग से संतुलित करने में मदद करता है।
  • माइग्रेनकुचला को माइग्रेन के इलाज में उपयोगी माना जाता है।
  • अस्थमाअस्थमा वात और कफ दोषों के असंतुलन के कारण होता है। यह दोनों असंतुलन मिलकर वायु को फेफड़ों में प्रवेश करने में मुश्किल बनाते हैं और सांस लेने में कठिनाई पैदा करते हैं। कुचला में कुछ यौगिक पाए जाते हैं, जिसमें कफ संतुलन गुण होते हैं। जो श्वसन क्रिया को सुचारु रूप से चलाने में मदद करते हैं। इस प्रकार यह अस्थमा के इलाज में सहायक होता है।
  • आमवात (Rheumatoid Arthritis)कुचला में सूजन कम करने वाले गुण (anti immflamatory properties) पाए जाने के कारण इसका इस्तेमाल आमवात में किया जाता है। आमवात के मरीज़ो में कुचला सूजन कम करने के साथ साथ अकड़ाहट में भी काफी आराम देता है जिससे मरीज़ को जोड़ों के दर्द में भी रहत मिलती है।
  • आम पाचक (Detoxification)कुचला एक अग्नि दीपन (पाचक अग्नि बढ़ने वाला) करने वाली औषधि है , जिसके कारण यह पेट में जमा हुए आम (toxins) का भी पाचन करता है।
  • चिंताकुचला अपने वात संतुलन गुणों के कारण चिंता को प्रबंधित और नियंत्रित करने में मदद करता है। यह चिंता के लक्षणों को काफी हद तक कम करता है।

कुचला का उपयोग के दौरान बचाव और दुष्प्रभाव

  • यदि कोई लिवर की समस्या से पीड़ित हैं, तो इस स्थिति में कुचला के सेवन से परहेज करें।
  • गर्भावस्था एवं स्तनपान कराने वाली माताएं कुचला के सेवन से बचें।
  • कुचला के साथ एंटीसाइकोटिक दवाएं लेने से बचें।
  • हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को कुचला का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुर लें।

यह निम्नलिखित दुष्प्रभाव का कारण बनता है

  • चक्कर आना।
  • उलटी लगना।
  • गर्दन और पीठ में अकड़न होना।
  • ऐंठन होना।
  • सांस लेने में तकलीफ महसूस करना।
  • शरीर में खुजली लगना।
  • बेचैनी होना।
  • मांसपेशियों में संकुचन होना।

यह कहां पाया जाता है?

यह समुद्र तल से 360 मीटर ऊपर देश के उष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है। यह आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया, म्यांमार, श्रीलंका और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के नम पर्णपाती जंगलों में देखने को मिलता है।

नोट: कुचला का प्रयोग केवल डॉक्टर के द्वारा निर्देशित मात्रा अनुसार ही करें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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