क्या हैं शिकाकाई? जानें, इसके फायदे और उपयोग
2022-05-24 12:19:13
भारत में शिकाकाई का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। इसका प्रयोग पारंपरिक तौर पर बालों एवं त्वचा की देखभाल करने के लिए घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। शिकाकाई एक प्रकार की जड़ी-बूटी है। जिसका वानस्पतिक नाम एकेसिया कोनसिन्ना (Acacia concinna) है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियां, फल, छाल आदि को औषधि के रूप में इस्तेमाल की जाती है। इसमें विटामिन ए, सी, डी, ई और अन्य कोई पोषक तत्व उच्च मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं। यह सभी तत्व बालों को पोषण देने और उसे स्वस्थ्य रखने में मदद करते हैं। बालों के अलावा इसके कई अन्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। इन्हीं कारणों से शिकाकाई को ब्यूटी प्रोडक्ट्स इंडस्ट्री में कई उत्पादों के निर्माण में शामिल किया जाता है।
शिकाकाई पेड़-
शिकाकाई एक ऊंचा वृक्ष होता है। इसमें छोट-छोटे कांटे व्यापक रूप से पाए जाते हैं। इन कांटेदार शाखाओं में भूरे रंग की चिकनी धारियां होती हैं। इसकी पत्तियां डबल-पिनाट (double- pinnate) में होती हैं, जिसमें पत्तियों के 5-7 जोड़े लगे होते हैं। पत्तियों के डंठल 1 से 1.5 सेमी लंबे होते हैं। इनकी शाखाओं के शुरूआत में जहां पत्तियां कम होती हैं वहां 2 या 3 डंठल वाले गोलाकार फूलों का समूह होता है। जिन डंठलों में यह फूल पाए जाते हैं वह 1 से 2.5 सेमी लंबी और मखमली होती हैं। परिपक्य होने पर फूल का व्यास लगभग 1 सेमी तक होता है। इसके फल की फली मोटी होती हैं। आयुर्वेदिक लाभ प्राप्त करने के रूप में शिकाकाई के फल, छाल, फूल और पत्तियों का प्रयोग किया जाता है।
शिकाकाई के फायदे-
बाल हेतु शिकाकाई के फायदे:-
झड़ते बालों को कम करना-
बालों की हर समस्या में शिकाकाई लाभदायक है। इसमें मौजूद पोषक तत्व बालों को स्वस्थ्य बनाने और उन्हें मजबूती प्रदान करने का काम करते हैं। जिससे गिरते बालों का इलाज करने में आसानी होती है। इसके अलावा शिकाकाई के इस्तेमाल से बाल घने एवं मजबूत बनते हैं।
बालों के विकास के लिए-
शिकाकाई की फलियों का काढ़ा बनाकर इससे बालों को धोना फायदेमंद है। क्योंकि शिकाकाई में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जिनकी कमी से बाल झड़ने या गिरने लगते हैं। यह तत्व हैं आयरन, जिंक, और विटामिन-सी। यह सभी तत्व बालों को पोषण देकर उन्हें प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचाने और गिरने से रोकते हैं। जिससे बालों के विकास में सकारात्मक बढ़ोतरी होती है।
रूसी से आजादी-
शिकाकाई स्किन में नमी बनाए रखने का काम करती है। इसके इसी गुण के कारण इसका इस्तेमाल मॉइस्चराइजिंग उत्पादों में किया जाता है। दरअसल, इसमें एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं। जो रुसी (डैंड्रफ) को दूर करने में मदद करते हैं। यह बालों की खोपड़ी (स्कैल्प) पर पपड़ी झड़ने जैसी समस्याओं को भी रोकता है।
जड़ों में पोषण प्रदान करता है-
शिकाकाई विटामिन का बढ़िया स्त्रोत है। इसमें विटामिन-सी की अधिकता होती है। यह खोपड़ी (स्कैल्प) में कोलोजन के उत्पादन को बढ़ाकर रक्त संचार में सुधार करती है। जिससे बालों की जड़ों में पोषक तत्व पहुंच जाते हैं और बाल जड़ों से मजबूत बनते हैं।
बालों को चमकदार बनाने में मददगार-
शिकाकाई अपने कषाय गुण की वजह से बालों की चमक को बढ़ाने में मदद करती है। इसके उपयोग से बालों से गंदगी एवं पसीने को दूर करने में सहयोग मिलता है। जिससे बालों की चमक बढ़ती है। साथ ही यह लंबे एवं उलझे हुए बालों को सुलझाने में मदद करता है। इसलिए अपने हेयर केयर रूटीन में शिकाकाई को शामिल जरूर करनी चाहिए।
बालों का प्राकृतिक रंग-
शिकाकाई में मौजूद तत्व बालों के प्राकृतिक भूरे और काले रंग को लंबे समय तक बनाए रखते हैं। इसके अलावा शिकाकाई बालों की जड़ों को पोषण देकर बालों को पुनर्जीवित बनाती है और बालों को समय से पहले सफेद होने से बचाती है।
जूं का इलाज करने में कारगर-
शिकाकाई जूं की समस्या का एक प्राकृतिक उपचारक है। इस समस्या को खत्म करने के लिए शिकाकाई को रीठा और आंवले के साथ मिलाकर बालों में लगाएं। ऐसा करने से जूं आसानी से ख़त्म हो जाती है।
त्वचा हेतु शिकाकाई के फायदे-
शिकाकाई बालों के साथ-साथ त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी लाभकारी होती है। त्वचा संबंधी लाभ प्राप्त करने के लिए इसके फलों को पीसकर प्रभावित जगहों पर लगाने से आराम मिलता है।
फोड़े-फुंसी को ठीक करने में सहायक-
शिकाकाई में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल एवं कूलिंग प्रभाव फोड़े-फुंसी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। यह बैक्टीरिया का खात्मा करते हैं। साथ ही फोड़े-फुंसी के आसपास सूजन, खुजली आदि समस्याएं को भी ठीक करती हैं। इसके लिए शिकाकाई के उबलें हुए पानी से घाव को धोना फायदेमंद होता है।
खरोंच एवं चोट में लाभप्रद-
खरोंच या किसी भी प्रकार की चोट को ठीक करने के लिए शिकाकाई का उपयोग एंटिसेप्टिक के रूप में की जाती है। इसके लिए गर्म पानी में हल्दी को भिंगोकर पेस्ट बना लें। तत्पश्चात शिकाकाई का एक बड़ा तुकड़ा लेकर आग में जलाएं। जब यह टुकड़ा जलकर काला (turns dark) हो जाए। उसे ठंडा करके चूर्ण बनाकर इस पाउडर को हल्दी के पेस्ट में मिला लें। अब इस मिश्रण को खरोंच या चोट वाली जगहों पर लगाएं। ऐसा करने से घावों या खरोंच के इलाज में लाभ मिलता है। इसके अलावा शिकाकाई में मौजूद हीलिंग गुण घावों को भरने में मदद करते हैं।
दाग-धब्बों एवं त्वचा के रंग को साफ करने के लिए-
कई बार धूप और यूवी किरणों की वजह से त्वचा का रंग काला पड़ने लगता है। ऐसे में शिकाकाई का इस्तेमाल करना त्वचा के लिए अच्छा होता है। क्योंकि शिकाकाई में मौजूद विटामिन-सी स्किन को साफ करने में सहायता करता है। दरअसल विटामिन-सी स्किन पर एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। जो डिपिगमेंटेशन और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने और त्वचा का रंग साफ करने में सहायता करता है। इसके लिए शिकाकाई पाउडर, बादाम पाउडर, हल्दी एवं क्रीम को एक साथ मिलाएं। अब इस मिश्रण में 2 चम्मच शहद को मिलाकर प्राप्त मिश्रण से चेहरे और स्किन पर लगाएं। यह मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित करके त्वचा को प्राकृतिक चमक प्रदान करता है।
सेहत हेतु शिकाकाई के फायदे-
एलर्जी और इनफ़ेक्शन हेतु-
शिकाकाई कई प्रकार की एलर्जी और इनफ़ेक्शन को दूर करने में मदद करती है। शिकाकाई में मौजूद विटामिन सी एलर्जी को कम करने का काम करता है। इसके एंटी-फंगल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-बैक्टीरियल गुण इनफ़ेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करते हैं।
सिरदर्द हेतु-
यदि कोई व्यक्ति अधिक चिंता करता है तो उसे सिरदर्द की समस्या होने लगती है। ऐसे में शिकाकाई एक औषधि की तरह काम करती है। इसमें मौजूद कूलिंग इफेक्ट चिंता और उसके दर्द को कम करने में सहायक होता है। इसके लिए शिकाकाई के पेस्ट या इससे बने तेल को सिर पर लगाएं।
तनाव और थकान हेतु-
शिकाकाई चिंता, थकान, तनाव को दूर करने के लिए प्राकृतिक उपचारक है। दरअसल, शिकाकाई में मौजूद ठंडक गुण सेंट्रल नवर्स सिस्टम (Central Nervous System) पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। जिससे चिंता, तनाव, थकान में आराम मिलता है। इसके लिए शिकाकाई और आंवला को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस मिश्रण में दही मिलाकर लेप करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा शिकाकाई एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल अरोमाथेरेपी के लिए भी किया जाता है।
शिकाकाई के नुकसान-
- संवेदनशील त्वचा वाले लोगों के लिए इसका उपयोग सूजन और लालिमा का कारण बन सकता है।
- इसका अधिक उपयोग करने पर मितली, अम्लीयता और पेट संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।
- शिकाकाई का अधिक उपयोग करने पर सिर की त्वचा तैलीय हो सकती है।
- शिकाकाई का अधिक उपयोग अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को इसके सेवन से बचना चाहिए।
कहां पाई जाती है शिकाकाई?
सामान्यतः शिकाकाई के वृक्ष एशिया, मध्य और दक्षिण भारत में पाये जाते हैं। आमतौर पर इसके वृक्ष उष्णकटिबंधीय वनों एवं पूर्वी हिमालय के क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं।