क्या होता है विडंग? जानें इसके फायदों के बारे में
2022-05-24 12:02:28
क्या है विडंग और इसका आयुर्वेद में महत्व?
विडंग एक झाड़ीदार और साधारण-सा पौधा है, जो कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इसकी टहनियां पतली और लचीली होती है। इसके पते लगभग 3 इंच तक लंबे और 1.5 इंच तक चौड़े होते हैं। यह आगे से नुकीले एवं अंडाकार आकृति के होते हैं। विडंग के फूल सफेद गुच्छों के रूप में और फल काली मिर्च के सामान गोल और छोटे होते है, जो पकने पर लाल एवं सूखने पर काले हो जाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार , इसका फल काली मिर्च के सामान होने के कारण दूसरी काली मिर्च के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में विडंग का उपयोग मुख्य रूप से पेट एवं आतों के कीड़े नष्ट करने के लिए किया जाता है। औषधीय तौर पर ज्यादातर इसके फल का उपयोग किया जाता है, लेकिन कई स्थानों पर इसकी जड़ का प्रयोग भी किया जाता है।
विडंग के फायदे और उपयोग-
पेट के कीड़े को नष्ट करने में लाभप्रद-
आयुर्वेद में विडंग का उपयोग मुख्य रूप से कृमि (आतों के कीड़े) के उपचार में किया जाता है। इसके प्रयोग से सभी प्रकार के कृमि जैसे गोल कृमि, धागाकृमि और टेपवॉर्म का इलाज आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए विडंग के जड़ के चूर्ण को पानी में घोलकर सेवन करें। ऐसा करने से इन समस्याओं में लाभ मिलता हैं।
रक्त को साफ करने में कारगर-
विडंग एक रक्तशोधक जड़ी-बूटी है। यह रक्त में मौजूद विषाक्त पदार्थों और हानिकारक जीवाणुओं को बाहर निकालने में मदद करता है। इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी पेट केदर्द, सूजन, पेट फूलना और गैस्ट्रिक जैसी समस्याओं के लिए विडंग का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके अलावा विडंग पाचन तंत्र में सुधार करने और पेट को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है।
दातों के लिए फायदेमंद-
विडंग का चूर्ण दातों एवं संपूर्ण मौखिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। जो दांतों में प्लाक को बढ़ाने वाले बैक्टीरिया को पनपने से रोकने का काम करते हैं। इसके अलावा विडंग के जड़ से बने चूर्ण का उपयोग मंजन के रूप में करने से मसूड़े की सूजन, ब्लीडिंग, दांतों की सड़न जैसी समस्या आदि दूर होती है।
गले और मुंह के लिए उपयोगी-
आयुर्वेद के अनुसार विडंग का अर्क एक औषधि की भांति कार्य करता है। जो गले की खराश और मुंह के छाले पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। दरअसल इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं। जो मुंह और गले संबंधी समस्याओं में अहम् भूमिका निभाते हैं। इसके लिए विडंग के अर्क से गरारे करें। ऐसा करने से मुंह के छालों और गले की खराश में लाभ मिलती है।
बवासीर में असरदायक-
बवासीर के इलाज में यह जड़ी-बूटी बेहद कारगर मानी जाती है। ऐसे में विडंग के चूर्ण को छाछ के साथ या इसके अर्क का उपयोग करें। ऐसा करने से शरीर के अंदर मौजूद अशुद्धियां मूत्र के माध्यम से बाहर आ जाते हैं। जिससे गैस, एसिडिटी, कब्ज और अन्य पेट संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। इसप्रकार यह कब्ज की समस्या को दूर करके बवासीर में लाभ पहुंचाता है।
विडंग के अन्य लाभ-
●विडंग में एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं जो त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होते हैं।
●कफ जनित कृमि को नष्ट करने में विडंग का उपयोग लाभकारी होता है।
●विडंग का उपयोग मधुमेह के उपचार में भी किया जाता है।
●इसका प्रयोग सभी प्रकार की वातव्याधि अर्थात वात संबंधी समस्याओं को दूर करने में किया जाता है।
●विडंग अजीर्ण (अपच) एवं अरुचि (भूख में कमी)में लाभप्रद है।
●आयुर्वेद के अनुसार विडंग शिरोविरेचन गुणों से युक्त होता है अर्थात इसके इस्तेमाल से सिरदर्द या अन्य सिर दोषों संबंधी परेशानी में लाभ मिलता है।
●विडंग के पत्तों का इस्तेमाल मैखिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
●यह शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को कम करता है। इसलिए आयुर्वेद में विडंग का इस्तेमाल मेदोहर औषधि के रूप में किया जाता है।
●विडंग अस्थमा एवं क्षय रोगों में भी फायदा करता है।
विडंग के नुकसान-
●विडंग अधिक गर्म औषधि है। इसलिए इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में करना चाहिए।
●गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाएं या बच्चे इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर का परामर्श जरूर लें।
●किसी बीमारी से ग्रस्त होने पर विडंग का सेवन चिकित्सक की परामर्शनुसार ही करना चाहिए।
कहां पाया जाता है विडंग?
विडंग मुख्य रूप से भारत के हिमालय के इलाकों, पर्वतीय प्रदेशों, दक्षिण भारत एवं अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाए जाते हैं। इसके अलावा विडंग का पौधा चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका एवं सिंहपुर के इलाकों में भी देखने को मिलते हैं।