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क्या है एकैल्शिया बीमारी? जानें

क्या है एकैल्शिया बीमारी? जानें

2021-12-13 18:26:25

एकैल्शिया एक विरल (rare) अपितु गंभीर रोग है। जो आमतौर पर ग्रासनली अर्थात भोजन नली को प्रभावित करता है। ग्रासनली एक प्रकार की ट्यूब होती है। जो भोजन को गले से पेट तक लेकर जाती है। इसके अलावा शरीर में एक लोअर इसोफेजियल स्पेक्टर भी होता है। जो एकैल्शिया होने पर भोजन चबाते समय ठीक से खुल नहीं पाता। जिसके कारण चबाया हुआ भोजन नलिका में ही रह जाता है। इस परिस्थिति में कई बार भोजन नली की तंत्रिकाएं भी डैमेज हो जाती हैं। इस प्रकार इस विकार से पीड़ित व्यक्ति को भोजन निगलने में बेहद परेशानी होती है। साथ ही ग्रासनली में बेचैनी बनी रहती है।

 

एकैल्शिया से पीड़ित होने पर व्यक्ति को अपच, उल्टी, छाती में दर्द, जलन और वजन घटने जैसी परेशानियों को झेलना पड़ता है। क्योंकि इस बीमारी में ग्रासनली सामान्य तरीके अपना काम नहीं कर पाती। फलस्वरूप भोजन लार के साथ मिलकर भोजन नली से होते हुए पेट में नहीं पहुंच पाता।

 

एकैल्शिया के लक्षण-

एकैल्शिया शरीर को कई तरह से प्रभावित करता है। इस रोग से ग्रसित लोगों को अक्सर भोजन और तरल पदार्थ निगलने में कठिनाई होती है। जिसके कारण उन्हें ऐसा महसूस होता है कि भोजन उनके गले में ही अटका हुआ है। यह बीमारी ज्यादातर 25 से 60 साल के लोगों को प्रभावित करती है। वहीं, इस बीमारी के लक्षण कई महीनों या वर्षों तक रह सकते हैं। अत: इसके लक्षण निम्नलिखित हैं:

 
  • खाने के बाद दर्द और घबराहट होना।
  • छाती में दर्द और बेचैनी होना।
  • तरल या ठोस पदार्थ निगलने में परेशानी होना।
  • गले में गांठ जैसा महसूस होना।
  • वजन कम होना।
  • छाती में जलन होना।
  • तनाव महसूस होना आदि।

कभी-कभी कुछ लोगों में बिना कोई लक्षण सामने आए, अचानक सांस लेने में तकलीफ, गले में कफ जमना, गले में भोजन या कुछ फंसने जैसी दिक्कतें भी देखी जाती हैं। इसके अलावा कई बार भोजन नलिका से भोजन का वापस आना और एसिड रिफ्लक्स जैसे लक्षण भी सामने आने लगते हैं।

 

एकैल्शिया होने के कारण-

इस रोग का कोई सटीक कारण नहीं है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है। यह आनुवांशिक (genetic), ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (स्व-प्रतिरक्षित विकार) और वायरल संक्रमण जैसे कारणों से हो सकता है। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के समय शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देता है। जिसका प्रभाव ग्रासनली की तंत्रिकाओं पर भी पड़ता है। जिसके कारण व्यक्ति को कुछ खाते-पीते वक्त उसे निगलने में कठिनाई होने लगती है।

 
एकैल्शिया का इलाज एवं जांच प्रक्रिया-

एकैल्शिया का इलाज एवं जांच करने के लिए डॉक्टर्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर की जांच करने के लिए कुछ टेस्ट करते हैं। साथ ही उसके पारिवारिक इतिहास को जानने की भी कोशिश करते हैं।

 
एसोफेगल मैनोमेट्री-

इस टेस्ट के जरिए भोजन निगलते समय ग्रासनली में मांसपेशियों के संकुचन को देखा जाता है। जिससे इस बात का पता लगाया जाता है कि लोअर एसोफेगल स्पिंक्टर भोजन निगलते समय कितना खुल एवं बंद हो रहा है।

 
एक्सरे-

इस प्रकिया के लिए पहले मरीज के पाचन तंत्र (Digestive System) की अंदरूनी परत को एक विशेष तरल पदार्थ से भरा जाता है। उसके बाद पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से, पेट एवं आंत के ऊपरी हिस्से और भोजन नलिका की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया के लिए रोगी को बेरियम की गोली खाने के लिए दी जाती है। जो ग्रासनली में होने वाली रुकावट की जांच करने में सहायता करती है।

 
एंडोस्कोपी-

इस प्रक्रिया में डॉक्टर मरीज के गले में लाइट और कैमरा से युक्त एक लचीला ट्यूब डालकर ग्रासनली (esophagus) और पेट की जांच करते हैं। इस टेस्ट के जरिए भोजन नलिका में होने वाली रुकावट की जांच की जाती है। इसके अलावा टिश्यू का सैंपल लेकर उसे एसिड रिफ्लक्स की जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया जाता है।

 
मायोटॉमी सर्जरी-

मायोटॉमी एक शल्य चिकित्सा (Surgery) प्रक्रिया है। इसमें रोगी के स्पिन्टरर मांसपेशियों को खोलने के लिए एसोफैगस (ग्रासनली) को थोड़ा काट दिया जाता है। इस प्रकार यह सर्जरी रोगी को निगलने का स्थायी समाधान देती है।

 
प्री-ओरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी-
  • यह एक नया उपचार है। जिसमे ऑपरेशन करने के बजाय रोगी को गैस्ट्रोस्कोप का उपयोग करके मायोटॉमी करने के लिए दिया जाता है।
  • इन सबके अलावा कुछ मामलों में रोगी के इसोफेजियल स्फिंक्टर (sophageal sphincter) में एक गुब्बारा डालकर, उसे बढ़ाने की कोशिश की जाती है। ताकि 5 मरीज का एसोफेजियल स्फिंक्टर थोड़ा खुल सके। एसोफेजियल स्फिंक्टर के न खुलने पर इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराया जाता है।
 

एकैल्शिया के घरेलू उपचार-

एकैल्शिया होने पर जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर और खानपान की सही आदतों को अपनाकर इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। अत: यह बदलाव निम्नलिखित हैं-

 
  • एकैल्शिया से पीड़ित होने पर ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इसके अलावा भोजन करते समय भी बीच-बीच में पानी पिएं। क्योंकि पानी की मदद से भोजन निगलने में परेशानी कम होती है।
  • एकैल्शिया से पीड़ित होने पर कुछ दिनों के लिए ठोस की बजाय केवल लिक्विड डाइट लें।
  • इस दौरान उचित मात्रा में कार्बोनेटेड पेय पदार्थ का सेवन करें। इससे ग्रासनली पर दबाव बढ़ता है और यह आसानी से पेट में पहुंच जाता है।
  • एकैल्शिया के कारण वजन घटने पर हेल्दी लिक्विड डाइट सप्लिमेंट का सेवन करें।
  • एकैल्शिया के समय कुपोषण और शारीरिक कमजोरी को कम करने के लिए पोषक तत्वों, विटामिन और मिनरल से भरपूर आहार का सेवन करें।
  • एकैल्शिया से पीड़ित होने पर मरीज को दही, दूध, दलिया, ओट्स, जूस और सूप जैसे फूड्स का सेवन करना चाहिए।
  • हमेशा भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाएं।
  • एकैल्शिया से पीड़ित होने पर किसी भी ऐसे पदार्थ का सेवन न करें, जिसे निगलने में कठिनाई महसूस हो।
  • एकैल्शिया के समय पेट में कब्ज या गैस बनाने वाली किसी भी चीज का सेवन न करें।
  • प्रतिदिन व्यायाम करें।
  • सोते समय सिर को तकिए या अन्य किसी गद्देनुमा चीज से थोड़ा ऊपर रखकर सोएं। ऐसा करने से इसोफेजियल, पेट की सामग्री को खाली करने में बढ़ावा देती है। वहीं, मरीज को शांस लेने में अधिक कठनाई नहीं होती।

Disclaimer

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