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क्या है एक्यूपंक्चर थेरेपी और इसके फायदे?

क्या है एक्यूपंक्चर थेरेपी और इसके फायदे?

2022-03-17 14:45:18

एक्यूपंक्चर (Accupuncture) थेरेपी एक ऐसी पद्धति है जिसके दौरान शरीर में प्राकृतिक रूप से बने कुछ खास बिंदु पर पतली-पतली सुइयां चुभाई जाती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा करने से मरीजों को दर्द से आराम मिलता है। साथ ही कई अन्य समस्याओं में भी इसका लाभ मिलता है। एक्यूपंक्चर थेरेपी मूल रूप से चीनी उपचार की एक प्राचीन पद्धति है। इसके द्वारा शरीर में बहने वाले ऊर्जा के प्रवाह को की (Qi) और ची (Chi) के नाम से जाना जाता है।

 

आधुनिक काल में पश्चिमी देशों के विद्वान एक्यूपंक्चर (Accupuncture) बिंदुओं को शरीर की मांशपेशियों, नसों, संबंधित ऊतकों को उत्तेजित करने का तरीका मानते हैं। इस प्रकार की उत्तेजना में शरीर में प्राकृतिक दर्द निवारक का स्त्राव होता है। साथ ही रक्त का संचार भी ठीक होता है। 

 

वर्षों पुरानी चिकित्सा पद्धति है एक्यूपंक्चर

 

मान्यता के अनुसार चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति एक्यूपंक्चर (Acupuncture) का उपयोग लगभग 6000 वर्ष ईसा पूर्व से किया जा रहा है। आजकल इस चिकित्सा पद्धति को वैकल्पिक चिकित्सा उपचार (Alternative medicine treatment) के अंतर्गत भी इस्तेमाल किया जाता है।

 

क्या है एक्यूपंक्चर बिंदु?

 

हमारे शरीर के विभिन्न भागों में कई एक्यूपंक्चर (Accupuncture) बिंदु होते हैं। लेकिन मुख्य रूप से तीन ऐसे बिंदु होते हैं, जिनका उपचार के दौरान ज्यादा प्रयोग किया जाता है;

 

लार्ज इंटेस्टाइन 4

 

यह बिंदु अंगूठे और चारों अंगुलियों के बीच हथेलियों के मुलायम हिस्से में पाए जाते हैं।

 

लिवर 3

 

इस बिंदु का स्थान पैरों के पंजे के ऊपर, अंगूठे और उसके पास वाली उंगली के बीच होता है।

 

स्पलीन 6

 

इस बिंदु का स्थान पैर के आतंरिक हिस्सें में एड़ी से थोड़ा ऊपर होता है।

 

कैसे काम करता है एक्यूपंक्चर?

 

एक्यूपंक्चर के माध्यम से  शरीर की ऊर्जा को संतुलित करके तमाम परेशानियों का इलाज किया जाता है। इसमें शरीर में पतली सुइयां चुभाई जाती हैं। जो हार्मोन लेवल के साथ इम्यून सिस्टम को सही करने में सहायता करती हैं। एक्यूपंक्चर (Treatment with Acupuncture) शरीर में होने वाले दर्द से राहत दिलाता है। इस थेरेपी के माध्यम से शरीर के विशेष हिस्सों और बिंदुओं में सुई चुभाई जाती हैं। एक्यूपंक्चर के जरिए शरीर में ऊर्जा के असंतुलन को ठीक किया जाता है। सुई चुभाने की यह प्रक्रिया इंजेक्शन जैसा दर्द नहीं देती। क्योंकि इंजेक्शन और एक्यूपंक्चर (Accupuncture) में प्रयोग की जाने वाली सुई में काफी अंतर होता है।

 

एक्यूपंक्चर के लाभ;

 
  • इस चिकित्सा पद्धति से रोगी की रक्षा और रोग का निदान किया जाता है।
  • यह कष्ट रहित और कम खर्चीली चिकित्सा प्रणाली है।
  • इस चिकित्सा का उपयोग अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ भी किया जा सकता है।
  • यह एक सरल, सहज एवं प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान है।
  • एक्यूपंक्चर से जल्द लाभ मिलता है और इससे लगभग हर तरह के रोग का उपचार संभव है।
  • इसमें समय, धन व श्रम की बचत होती है।
  • शारीरिक व मानसिक प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है।
  • इसका प्रयोग करने से शरीर के सभी अंग तंत्र सुचारु रूप से कार्य करते हैं।
  • यह शरीर में आवश्यक तत्वों का प्रसार कर मांसपेशियों के तन्तुओं में स्फूर्ति तथा त्वचा में चमक पैदा करता है।
  • एक्यूपंक्चर से पुरुषों में होने वाली इनफर्टिलिटी (बांझपन) की समस्या का भी इलाज किया जाता है।
  • एक्यूपंक्चर गर्भधारण करने में मदद करता है। यदि कोई महिलाएं गर्भधारण करने के लिए कोई मेडिकल ट्रीटमेंट करवा रही हैं। तो उसके साथ एक्यूपंचर (Accupuncture) करें। इससे गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
  • एक्यूपंचर एवं एक्यूप्रेशर का उपयोग मोटापा कम करने के लिए एवं सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
  • अनेक रोग ऐसे होते हैं, जो किसी भी चिकित्सा पद्धति द्वारा ठीक नहीं हो पाते हैं। उन रोगों में भी एक्यूपंक्चर के कुछ सफल परिणाम प्राप्त हुए हैं।

उपचार के प्रति प्रभाव;

 
  • इस चिकित्सा के उपचार के बाद हल्का दर्द, रक्त निकलने व छिलने जैसी दिक्कत हो सकती है।
  • सुई चुभने वाले स्थान पर इंफेक्शन होने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • यदि सुई गलत जगह पर चुभ जाए तो शरीर के दूसरे अंग को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • यदि खून बहने की समस्या पहले से ही है तो यह चिकित्सा और खतरनाक साबित हो सकती है।
  • उपचार के बाद पतले दस्त शारीरिक सफाई का संकेत हैं। इसलिए इन्हें लेकर घबराएं नहीं।
  • इससे शारीरिक व मानसिक स्तर पर तीव्र परिवर्तन होता है। जिससे क्रोध, चिड़चिड़ापन उदासी और आनंद की अनुभूति कम-ज्यादा हो सकती है।
  • इस उपचार के बाद मूत्र त्याग की मात्रा बढ़ जाती है। पर कुछ दिनों में यह स्वयं ठीक हो जाती है। इसलिए इसे लेकर घबराएं नहीं।
  • उपचार के तुरन्त बाद नींद का आना स्वास्थ्य का संकेत है।

एक्यूपंक्चर की सीमाएं व सावधानियां;

 
  • इस चिकित्सा के लिए हवादार, साफ, शांत और अनुकूल वातावरण होना चाहिए।
  • हमेशा रोगी को बिठाकर या लिटाकर सुविधानुसार ही उपचार करें।
  • उपचार के समय रोगी व चिकित्सक दोनों तनाव रहित, शान्तचित्त स्थिति में होने चाहिएं।
  • टूटे-फूटे, चोट और ऑपरेशन वाले स्थान पर चिकित्सा नहीं करनी चाहिए।
  • चिकित्सा के दौरान अपने दोनों हाथ को अच्छी तरह से धो लें।
  • ऑपरेशन, फोड़े और घाव के स्थान पर 5-6 महीने तक इलाज नहीं करना चाहिए।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के समय उपचार नहीं करना चाहिए।
  • एक्यू बिंदुओं पर सुई आदि से उपचार 30 मिनट से 1 घंटे तक या रोग के अनुसार ही लगाना चाहिए।
  • एक्यूपंक्चर का उपचार भोजन से एक घंटे पूर्व और भोजन करने के 2-3 घंटे बाद ही करवाना चाहिए।
  • 7 साल से कम उम्र तथा 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों को एक्यूपंक्चर उपचार नहीं कराना चाहिए।
 

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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