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क्या होता है एनल फिस्टुला? जानें इसके कारण, लक्षण और घेरलू उपचार

क्या होता है एनल फिस्टुला? जानें इसके कारण, लक्षण और घेरलू उपचार

2022-05-24 14:58:37

एनल फिस्टुला को भगन्दर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक छोटी नली के समान होता है।जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। यह आमतौर पर, तब होता है जब कोई संक्रमण सही तरीके से ठीक नहीं हो पाता। ज़्यादातर भगन्दर गुदा नली में पस के इकठ्ठा होने से होते हैं। यह पस त्वचा से खुद भी बाहर निकल जाती है और कई बार इसके लिए ऑपरेशन की आवश्यकता भी पड़ सकती है। भगन्दर तब होता है जब पस का त्वचा से बाहर आने के लिए बनाया गया रास्ता खुला रह जाता है या वह ठीक नहीं हो पाता। दर्द, सूजन, सामान्य रूप से मल आने में बदलाव और गुदा से रिसाव होना इसके लक्षण होते हैं। इसकी जांच के लिए डॉक्टर एक शारीरिक परीक्षण करते हैं। जिसमें गुदा और आसपास की जगह में भगन्दर की जांच की जाती है। भगन्दर के इलाज के लिए सर्जरी की जा सकती है। जिसमें संक्रमित जगह से पस को निकाला जाता है।

 

एनल फिस्टुला (भगन्दर) के प्रकार -

  • सामान्य या जटिल (Simple or Complex)।अत:एक या एक से ज़्यादा भगन्दर होने को सामान्य या जटिल फिस्टुला के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • कम या ज़्यादा (Low or High)। अत: भगन्दर के होने की जगह और स्फिंकटर मांसपेशियों (Sphincter Muscles: दो अंगूठी जैसी मासपेशियां जो गुदा को खोलती और बंद करती हैं) से उसकी नजदीकी के आधार पर उसे कम या ज्यादा में वर्गीकृत किया जाता है।

एनल फिस्टुला (भगन्दर) के लक्षण-

  • गुदा में बार-बार फोड़े होना।
  • गुदा के आसपास दर्द और सूजन होना।
  • मल करने में दर्द होना।
  • रक्तस्त्राव होना।
  • गुदा के पास एक छेद से बदबूदार और खून वाली पस निकलना (पस निकलने के बाद दर्द कम हो सकता है)।
  • बार-बार पस निकलने के कारण गुदा के आसपास की त्वचा में जलन होना।
  • बुखार, ठण्ड लगना और थकान महसूस होना।
  • कब्ज होना आदि।

एनल फिस्टुला (भगन्दर) के कारण-

  • ज़्यादातर भगंदर गुदा में फोड़ा होने के बाद होते हैं। यह तब हो सकते हैं,जबफोड़े से पस निकलने के बाद वह ठीक नहीं हो पाता। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि हर दो से चार लोग जिन्हें गुदा में फोड़ा हुआ है।उन्हें भगन्दर की समस्या होती है।
  • क्रोहन रोग (एक प्राकार की लम्बी चलने वाली बीमारी। जिसमें पाचन तंत्र में सूजन हो जाती है)
  • डाइवर्टिक्युलाइटिस (Diverticulitis)।इसमें बड़ी आंत की परत में बनने वाली थैलियों में सूजन हो जाती है।
  • गुदा की आसपास की त्वचा में फोड़े और दाग पड़ना।
  • टीबी या एचआईवी से संक्रमित होना।
  • गुदा के पास हुई कोई सर्जरी की जटिलता।

एनल फिस्टुला (भगन्दर) के घरेलू उपचार-

फाइबर युक्त भोजन-

भगंदर में कब्ज हो जाती है। कब्ज दूर करने के लिए फाइबर वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। भगंदर रोग के दौरान मांसाहारी भोजन कम खाना चाहिए। और फल-सब्जियां एवंसाबुत अनाज आदि चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए।

 

गुनगुने पानी से सिकाई-

भगंदर होने पर गुदा भाग पर गुनगुने पानी से सिकाई करना फायदेमंद होता है। सिकाई भगंदर के दौरान राहत देती है। इसके लिए गर्म पानी में बीटाडीन डाल कर प्रभावित हिस्से की सिकाई करें।

 

नीम की पत्तियां-

भगंदर भगाने में नीम की पत्तियां रामबाण औषधि है। इसके लिए नीम की पत्तियों का कई तरह से उपयोग किया जाता है। नीम की पत्तियों को उबालकर, उस पानी से भगंदर को धोना चाहिए। उबली हुई नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर भगंदर पर लगाने से भी लाभ मिलता है। भगंदर में नीम और देशी घी का लेप भी बहुत कारगर साबित होता है।

 

अनार के पत्ते-

अनार एक ऐसा फल है, जो शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ कई बीमारियों से भी बचाने का काम करता है। इसके पत्तों में भी कई गुण होते हैं। इसलिए अनार के पत्ते को पानी में उबाल लेने के बाद, उस पानी से फिस्टुला से प्रभावित क्षेत्र को धोने से बहुत लाभ प्राप्त होता है।

 

काली मिर्च-

लाजवंती और काली मिर्च के उपयोग से भगंदर में राहत मिलती है। काली मिर्च और लाजवंती को पीसकर उसका एक लेप तैयार करें और फिर उस लेप को फिस्टुला वाली जगह पर लगाएं।

 

लहसुन-

लहसुन में पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। लहसुन अपने स्वाद, एंटी-बायोटिक तत्वों और स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।इसलिए इसे भोजन में या फिर कच्चा भी खाया जाता है। दरअसल लहसुन जीवाणु खत्म करने की बेहतरीन दवा है। इसलिए लहसुन को  पहले पीसकर घी में भुन लेना चाहिए और फिर उसे भगंदर वाली जगह पर लगाना चाहिए।

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